छोटी चाची के साथ सेक्स का मजा- 1

(X Family Hot Kahani)

X फैमिली हॉट कहानी में मैं अपनी बड़ी चाची को चोद चुका था. एक बार मैंने सोती हुई छोटी चाची को बड़ी चाची समझ लिया और उनके जिस्म का मजा लेने लगा.

दोस्तो, मेरा नाम अमन वर्मा है और मैं अन्तर्वासना का एक बहुत पुराना पाठक और लेखक रहा हूं.
मैंने इससे पहले अपने जीवन की सेक्स कहानी भेजी थी जो
आंटी ने सिखाया
के नाम से लगभग 8 साल पहले प्रकाशित हुई थी, जिसके 8 भाग प्रकाशित हो चुके हैं.

इसके बाद कुछ व्यक्तिगत कारणों से आगे की कहानी लिख नहीं पाया था.
मेरी सेक्स कहानी मेरी खुद की है … बस पात्रों के नाम बदल दिए गए हैं.

इस X फैमिली हॉट कहानी के माध्यम से मैं आपको अपने साथ घटित अनुभव का शब्दांतरण करके आपके सामने प्रस्तुत किया है.
कृपया कोई भी अभद्र या अश्लील कॉमेंट या रिप्लाई ना कीजिए.

मैं अब अपनी पिछली कहानी को आगे बढ़ाता हूं और आगे की कहानी सुनाता हूं.

मैं कॉलेज के लिए तैयार होकर निकल पड़ा और आंटी घर के काम में लग गई थीं.

मेरा कॉलेज में और पढ़ाई में मन ही नहीं लगता था, बस जल्दी से वापस आने का मन होता था.

घर पहुंचते ही मैं आंटी पर भूखे शेर की तरह टूट पड़ता था.
आंटी भी मेरा इंतजार कर रही होती थीं.
हम दोनों दो जिस्म बस मिलन के लिए तैयार रहते थे.

हालांकि आंटी थोड़ी समझदार थीं, इसलिए मुझे रोक-टोक करती हुई मना करती रहती थीं और मुझे बार बार पढ़ाई के लिए प्रेरित करती थीं.

इस बीच मैंने कॉपर-टी के बारे में सुना था तो आंटी को लेकर मैं सेंटर पर गया.

डॉक्टर से अपॉइंटमेंट के बाद हमने सहमति से आंटी को कॉपर-टी लगवा दिया था.

इसके बाद तो मैं खुले सांड के जैसा हो गया था.
सुबह, दोपहर, शाम, रात … जब भी मूड बने आंटी को आगोश में खींच लेता था.

आंटी भी वासना के सागर में मेरे साथ गोते लगा रही थीं.
इसी चक्कर में मेरी पढ़ाई थोड़ी कम हो गई थी और चुदाई ज्यादा हो गई थी.

आंटी ने मुझे समझाने की बहुत कोशिश की मगर मैं जवानी के उफनते छोर पर खड़ा था और मुझे आंटी का कयामत से भरा बदन मिल गया था.
नतीजा ये हुआ कि मैं टर्म एग्जाम में फेल हो गया.

फिर क्या था … मम्मी पापा दोनों आ गए और फिर उन्होंने मेरी जम कर क्लास लगाई.
उन्होंने आंटी को भी बोला- तुमने क्या ध्यान नहीं दिया?

फिर वे आंटी को अपने साथ गांव ले गए और यहां मैं अकेला रह गया.

अब मेरा मन तो कही लग ही नहीं रहा था.
मैं भी गांव वापस आ गया.

यहां आया तो छोटी चाची भी आई हुई थीं.

छोटी चाची से मेरी बात बहुत कम हुई थी क्योंकि चाचा और चाची अरुणाचल प्रदेश में रहते थे.
अब वे लोग वापस आ गए थे.

छोटी चाची की उम्र भी ज्यादा नहीं थी, लगभग 27 या 28 के करीब की रही होंगी.
उनका कद आंटी से थोड़ा कम था पर कसा हुआ जिस्म और उरोज तो अभी पूरे साइज में आए ही नहीं थे.

उनकी मुस्कान मुझे कई बार मोहक लगती थी.
अब छोटी चाची भी मुझे पसंद आ गई थीं.

उन दिनों बड़ी आंटी से मेरा मिलना बहुत कम हो गया था क्योंकि मुझे मौका ही नहीं मिल पा रहा था.

लगभग 2 दिन बाद, रात को मैं पानी पीने के लिए उठा.
नींद तो मुझे आ ही नहीं रही थी.

मैंने देखा कि आंटी आंगन में तख्त पर सो रही थीं.
मेरे मन में वासना का ज्वार उमड़ पड़ा.

मैं पानी पीना छोड़ कर फौरन उनकी तरफ बढ़ा और धीरे से जाकर उनके बेड पर पीछे से लेट गया.
अंधेरा बहुत ज्यादा था मगर फिर भी मुझे डर लग रहा था कि कोई देख ना ले.

मैं अपनी भावना को संयत नहीं कर सका और धीरे धीरे उन्हें सहलाने लगा.
उनका विरोध शून्य था तो मेरे हाथ बढ़ते चले गए.

सहलाते सहलाते मेरा एक हाथ उनके ब्लाउज के आगे से हुक खोल चुका था और ब्रा में हाथ डालकर उनके स्तनों को मसलने लगा था.

दूसरा हाथ उनकी साड़ी में जा रहा था.
मेरा हाथ सीधा उनकी चिकनी चूत पर जाकर रुका.

उसी वक्त आंटी ने मेरा हाथ पकड़ लिया.
मैं समझ गया कि आंटी जग चुकी हैं और अब खेल आगे बढ़ेगा.

मैं अपने दूसरे हाथ से धीरे धीरे उनकी प्यारी मुनिया को सहलाने लगा और फिर अपनी उंगली उनके जन्नत के द्वार के अन्दर डाल दिया.
उनकी चूत पसीज गई.

मैंने अपनी उंगली को अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया था.
अब मेरी उंगली की रफ्तार तेज होने लगी और आंटी की सांसें तेज होती चली गईं.

तेज तेज सांसों के साथ आंटी के स्तनों में भी उफान आने लगा था.
अब मैंने अपनी रफ्तार दोनों तरफ बढ़ाई.

दाहिने हाथ से चूत में उंगली, बाएं हाथ से स्तनों का मर्दन और लंड उनकी मस्त गांड पर घिसने लगा.
थोड़ी देर में आंटी ने पानी छोड़ दिया और उसी वक्त उनके मुँह से आह निकल पड़ी.

मुझे बस इसी पल का इंतजार था.

मगर ये क्या? ये आह की आवाज!
ये आवाज तो छोटी चाची की थी.

मुझे होश ही नहीं रहा था कि आंटी घर में नहीं थीं, यह तो छोटी चाची हैं.

मैं आनन फानन में उठा और अपने कमरे की ओर भागा.
मेरा डर के मारे बुरा हाल था.

छोटी चाची मेरी इस हरकत को कैसे माफ करेंगी.
यही सोचते सोचते सुबह हो गई.

मैं डर के मारे कमरे से बाहर नहीं निकल रहा था.

अगली सुबह मैं छोटी चाची का सामना नहीं कर पा रहा था और ना ही बड़ी चाची को ये सब बता सकता था.

मगर ब्रेकफास्ट के समय छोटी चाची से नजरें मिल गई.

हालांकि छोटी चाची ने कोई रिएक्शन नहीं दिया.
उल्टा उन्होंने बड़े ही सहज भाव से मुझसे पूछा- अमन बेटा, ब्रेकफास्ट में क्या लोगे?
‘बटर ब्रेड.’

फिर उन्होंने मुझे ब्रेड में बटर लगा कर दे दिया.
मैं हैरान था कि छोटी चाची को पता कैसे नहीं चला … या वे जानबूझ कर इग्नोर कर रही हैं.

मैं घर में डरा हुआ सा रह रहा था, मगर फिर 2 दिनों में सहज हो गया.

मेरे अन्दर का अमन फिर से जाग गया और उसे हमेशा की तरह चूत की जरूरत थी.

अब मैं रिस्क नहीं लेना चाहता था इसलिए सुबह सुबह मुठ मारकर खुद को शांत कर लेता था.

इसके 3 दिन बाद एक दिन हमारे गांव में हमारे रिश्तेदार के घर हवन और पूजा थी और पूरे घर को जाना था.
ये पहले से प्लान था और सभी नौकरों को भी छुट्टी दे दी गई थी.

अंतिम समय पर छोटी चाची ने तबियत ठीक नहीं होने की बात बोल कर जाने को मना कर दिया.
चाचाजी को तो जाना ही था क्योंकि वे कभी कभी ही यहां आते हैं.

फिर उन्होंने मुझे घर पर रुकने को कहा क्योंकि वापस आते आते रात हो जानी थी.
मैं भी जाना तो नहीं चाहता था तो मैं मजे से रुक गया.

सबके जाने के बाद मैंने मैं गेट लॉक किया और अपने कमरे में आ गया.

थोड़ी देर में छोटी चाची मेरे कमरे में आ गईं और बैठ कर मुझसे बातें करने लगीं.

वे बेहद खूबसूरत लग रही थीं.
मेरी नजर उनके डीप कट वाले ब्लाउज के बीच में पड़ी तो उनके स्तन साइड से झांक रहे थे.

मेरा लंड फनफना गया.
मैं बिस्तर पर बैठा था और चाची सामने कुर्सी पर बैठी थीं.

मैंने अपने हाथ में पकड़ी किताब को अपनी जांघों पर रख लिया ताकि मेरे लंड का उभार उनको ना दिखे.
मगर चाची भी तेज थीं, उन्होंने मुझसे पूछा- कौन सी बुक पढ़ रहे थे?

‘हिंदी साहित्य!’
‘देखूं तो जरा.’

ये बोलते ही उन्होंने फौरन वह किताब उठा ली.
मैं इसके लिए तैयार नहीं था.

मैं घर के अन्दर शुरू से ही अंडरवियर नहीं पहनता हूं. मेरे लंड का उभार अब पैंट के ऊपर से साफ दिख रहा था जिसे मैं छिपाने की कोशिश कर रहा था.

चाची मुझे देख कर थोड़ा मुस्कुराईं- सब ठीक है न अमन?
‘जी चाची’ मैंने सकपकाते हुए कहा.

‘ठीक से बैठो ना, क्यों घबरा रहे हो?’
‘ठीक ही हूं, चाची!’

तभी चाची कुर्सी से उठ कर मेरे पास बैठ गईं.
मैं थोड़ा और घबरा गया.
मेरे अन्दर का चोर पकड़ा जाने वाला था.
मगर चाची ने कुछ कहा नहीं.

वे मेरे बेड पर बगल में लेट गई. चाची की खुशबू मुझे मदहोश कर रही थी.
उन्होंने आंखें बंद कर ली थीं.

मेरी नजर उनके पैरों पर थी.
उनके गोरे गोरे पैर इतने सुंदर लग रहे थे और इस पर सोने की पाजेब मुझे आकर्षित कर रही थी.

मैं ये सोचने लगा कि जिसके पैर इतने खूबसूरत है, वह अन्दर से कितनी सुंदर होगी.

मेरे मन में चाची के सौंदर्य की तस्वीर बनने लगी.
मेरी नजर पैरों से हट कर उनकी कमर पर आ गई.
साड़ी से कमर का थोड़ा सा हिस्सा दिख रहा था.
बेहद गोरा रंग, पतली और चिकनी कमर, फैट तो था ही नहीं.

मेरे लौड़े में उत्थान बढ़ने लगा, मैं उसको नियंत्रित करने की कोशिश में उनके मम्मों तक निगाहों को ले गया.

ब्लाउज में कैद उनके दोनों कबूतर इतने ठोस और सुडौल लग रहे थे कि पूछो मत.

उनके गले में सोने की चेन का लॉकेट वक्षस्थल के बीच फंसा हुआ था.
उनके चेहरे पर निगाहें जाते ही मेरे मन में प्यार उमड़ आया.

इतनी सुंदर आंखें और पलकें … पतले गुलाबी होंठ जिनका उभार बाहर तक आया हुआ था.
गोरे गोरे गाल ऐसे सेवफल से लाल कि जी कर रहा था चूम ही लूं उन्हें.

तभी चाची ने अचानक से आंखें खोल दीं और हमारी नजर मिल गई.
मैं घबरा गया और मैंने फौरन आंखें फेर लीं.

मगर चाची मुस्कुरा रही थीं.
‘क्या देख रहे थे … बेटा!’

उन्होंने बेटा शब्द पर जरा जोर दिया.
‘कुछ नहीं चाची, एक मच्छर था!’
‘अच्छा, हमारे घर में मच्छर कब से हो गए?’

कमरे में 2 मिनट की शांति और फिर चाची ने मुझसे पूछा.

‘कोई गर्लफ्रेंड है क्या तुम्हारी?’
‘नहीं चाची.’

‘सच सच बताओ, तुम तो अब बड़े हो गए हो!’
‘नहीं चाची, कोई भी नहीं है.’

‘तो बना लो किसी को!’
‘क्या करूंगा गर्लफ्रेंड बना कर?’

‘थोड़ी मौज मस्ती हो जाएगी!’
मैं शांत रहा.

चाची फिर से बोल पड़ीं.
‘मैं कैसी लगती हूं तुम्हें?’
‘अच्छी!’

‘सिर्फ अच्छी?’
‘नहीं चाची, आप तो बहुत सुंदर हो.’

‘अच्छा, क्या सुंदर लगता है मुझमें?’
‘सब कुछ.’

‘सब कुछ … क्या!’
‘आपकी आंखें, आपके बाल, आपका चेहरा!’

‘बस …!’
‘हां …’

‘मेरे होंठ अच्छे नहीं है क्या?’
‘अच्छे हैं चाची.’

‘फिर तारीफ क्यों नहीं करते?’
‘बहुत सुंदर हैं चाची … आपके होंठ!’

अब तक चाची मेरे से करीब आ चुकी थीं.
वे पूरी तरह से चिपकने लगीं और बोलीं- इन होंठों को चूमना चाहते हो?’

अब तो मैं पूरी तरह से पिघल चुका था. चाची ने खुद ही अपने होंठ मेरे होंठों पर टिका दिए और चूमने लगीं.
मैंने भी अपने हाथ उनकी पीठ पर टिका दिए और चुम्बन का जवाब देने लगा.

अब किसिंग में हमारी जीभ टकराने लगी तो फ्रेंच किस शुरू हो गया. मैं तो बेहद भूखा था, मगर चाची भी प्यासी लग रही थीं.
मेरे लंड में उत्तेजना शुरू हो गई और मेरा मन संभोग का होने लगा.

आपको तो पता ही है कि मैं सेक्स का कितना भूखा लड़का हूं. मगर अभी मैंने चाची की तरफ से पहल का इंतज़ार किया.

छोटी चाची वाकयी में बेहद हसीन माल हैं.
जब मैं उनको किस कर रहा था तब वे मुझे बहुत ज्यादा ही सेक्सी लग रही थीं.

मैं खुद को रोक नहीं पा रहा था और मेरे हाथ उनकी पीठ पर फिसलने लगे थे.
चाची भी पूरी तरह से गर्म हो चुकी थीं.
फिर भी औरत अपनी वासना को सामने वाले से छिपा सकती है, मगर मर्द नहीं छिपा सकता.

अब मेरी हालत खराब होती जा रही थी.
मैं उनके होंठों से हट कर उनके गाल, उनके कान के नीचे, कनपटी के पीछे गर्दन सब चूमने लगा.

चाची की आह भर उठी.
तभी मैंने चाची को घुमा दिया और उनको पीछे से बांहों में भर लिया. उनकी पीठ मेरी छाती से चिपकी थी और मैं उनकी गर्दन चूम रहा था.
तभी मैंने अपने हाथ आगे किए और उनके उरोजों पर कब्जा कर लिया.

मगर ये क्या … चाची ने मेरा हाथ झटक दिया.
मैं घबरा गया.

अब ऐसे माहौल में चाची ने तो खड़े लंड पर धोखा वाली हालत कर दी. मैं रुक गया था और धीरे से चाची के जिस्म पर अपनी पकड़ ढीली कर दी और उनसे अलग हो गया.

चाची मेरी ओर पलटी और मुझे घूरने लगीं.
मेरी नजर झुक गई.

फिर उन्होंने मुझसे पूछा.
‘उस रात तूने क्या समझ कर मेरे साथ ये सब किया था!’

‘गलती हो गई चाची!’
‘तेरी हिम्मत कैसे हुई थी, मेरे साथ ये सब करने की?’

‘सॉरी चाची.’
‘तुझे डर नहीं लगा क्या?’

मैं चुप रहा तो चाची फिर से बोल पड़ीं.
‘बोलो ना, चुप क्यों हो?’

मेरा तो खून सूख गया था. चुपचाप नजरें झुकाए बैठा रहा.

‘मुझे बताओ, तूने मेरे साथ ये सब कैसे कर लिया? क्या तुझे डर नहीं लगता?’

अब मैं रोने को हो गया. मेरी आंखों में आंसू आ गए.

अब चाची ने मेरे चेहरे को ऊपर उठाया और बोलीं.
‘रो क्यों रहे हो, मैं तो ऐसे ही पूछ रही हूं!’

मैं फिर भी चुप रहा. अब चाची ने मेरे आंखों पर किस किया और फिर मेरे होंठों को चूमने लगीं.

फिर खुद ही मेरी गर्दन पर पहुंची और उनके हाथ मेरी शर्ट के बटन खोलने लगे.

उन्होंने मेरा शर्ट उतार दिया और मुझे प्यार से मेरे सीने पर चूमने काटने लगीं.

फिर बोलीं- उस रात तो ब्लाउज के बटन बिना पूछे खोल दिए थे, आज क्या हुआ?

अब मैंने भी फौरन से उनके ब्लाउज के बटन खोल दिए और ब्लाउज को निकाल दिया.

चाची ने भी मेरी पूरी मदद की. चाची की ब्रा देख कर तो मन डोल गया. मैंने अगले ही पल उनकी ब्रा अलग कर दी.

‘वाउ..’ मेरे मुँह से निकला.
औरत अपने स्तनों से ही मर्द को काबू कर सकती है.

चाची के बूब्स लगभग 28 की साइज के सुडौल, बिल्कुल कसे हुए और अकड़ से तने हुए मेरे सामने थे.
गोरे गोरे स्तन के आगे का भाग गुलाबी रंगत लिए थोड़ा भूरा था और उस पर चूचुक एकदम सीधे और तने हुए.

मैंने अपना हाथ पूरे स्तन पर प्यार से फेरा और फौरन ही एक पर अपना मुँह टिका दिया.

‘आह.’ चाची के मुँह से निकला.
मैंने धीरे धीरे उनके दोनों निपल्स को बारी बारी से चूसना शुरू कर दिया.
फिर मैंने चाची को बेड पर लिटाया और उनके ऊपर से दोनों स्तनों को बारी बारी से प्यार से सहलाते हुए चूमना और चूसना शुरू कर दिया.

चाची की मादक सिसकारियां निकलने लगी थीं.
मैं चाची के होंठों को फिर से चूमने लगा और इस बार चाची के स्तन मेरे सीने से मसले जा रहे रहे थे.

बेडरूम का माहौल काफी गर्म हो चुका था. मेरा लंड पैंट तो पैंट के ऊपर से ही सीधा तना हुआ था.

मैंने चाची की साड़ी को धीरे धीरे बदन से अलग कर दिया.
उनकी पतली कमर देख कर तो पहले ही मैं उत्तेजित हो गया था. अब उनके पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया.

धीरे से अन्दर हाथ डाल कर जांघों को सहलाने लगा.
चाची ने तो खुद को मेरे हवाले कर दिया था. फिर मैंने पेटीकोट को बदन से अलग किया और फिर चूमते हुए नीचे आने लगा.

उनके पेट और नाभि पर चूमते ही चाची फिर से सिहरने लगी थीं.

धीरे धीरे मैं उनकी जांघों पर और उनके गोरे गोरे सुंदर पैरों को भी चूमने लगा.

मैंने फिल्मी स्टाइल में उनके पैर के अंगूठे को मुँह में भर लिया और उन्हें देखते हुए चूसने लगा.

‘नहीं अमन … आह ये सब मत करो!’
‘अच्छा नहीं लग रहा क्या चाची?’

‘ऐसा नहीं है, पैर गंदे होते हैं, उनको मुँह में मत लो!’
‘सुंदरता की कद्र करनी चाहिए, आप बहुत सुन्दर हो!’
यह सुनकर चाची मुस्कुरा दीं और उन्होंने मेरे हाथ पर चूम कर प्यार जताया.

दोस्तो, X फैमिली हॉट कहानी के अगले भाग में मैंने चाची की चुदाई का मजा किस किस तरह से उठाया, यह सब मैं आपको विस्तार से लिखूँगा.
तब तक आप मुझे अपने विचारों से अवगत अवश्य कराएं.
धन्यवाद.
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X फैमिली हॉट कहानी का अगला भाग:

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