लंड चुत गांड चुदाई का रसिया परिवार- 5

(Antarvasna Mastram Kahani)

This story is part of a series:

भतीजी ने अपनी चाची की चूची को चूस कर दूध पीया. वो अपनी छोटी बहन को मजा लेकर बता रही है कि कैसे उसकी चालू चाची सेक्स के लिए पागल रहती थी.

मैं सोनिया वर्मा फिर से आपको सेक्स कहानी के अगले भाग चाची चाचा की चुदाई में स्वागत करती हूँ.
पिछले भाग
छोटी बहन को चुदाई का नजारा दिखाया
में अब तक आपने पढ़ लिया था कि नेहा ने अपनी छोटी बहन स्नेहा के इसरार पर उसे परिवार के बाकी सदस्यों की चुदाई की कहानी बताने का निश्चय कर लिया था.

अब आगे चाची चाचा की चुदाई:

नेहा- मैंने अपने मामा की लड़की ममता की चूत और उसी की भोसड़ी भी देखी है. उसकी चुदाई होते हुए भी देखी है. ममता की एक सहेली सपना की चूत भी देखी है.

स्नेहा- और भोसड़े किसके किसके देखे हैं?
नेहा- मॉम का भोसड़ा तो हमेशा देखती रहती थी. मंजू मामी का भोसड़ा और उनकी चुदाई का लाईव टेलीकास्ट भी देखा है. संध्या चाची का भोसड़ा और उनकी चुदाई का टेलीकास्ट भी कई बार देखा है. अपनी बुआ की चूत, भोसड़ी और भोसड़ा चुदाई सब देखा है. मासी को नंगी तो कई बार देखा, पर मासी की चुदाई नहीं देखी. ये जितनी भी हैं ना, इन सबको मैं पूरी की पूरी नंगी देख चुकी हूँ और इन सबकी चुदाई का लाईव टेली कास्ट भी देखा था.

स्नेहा- बाप रे … आप तो कमाल हो. पर आपने मॉम का भोसड़ा कैसे देख लिया दीदू?
नेहा- क्यों तुझे भी देखना है क्या?

स्नेहा- मैंने उन्हें नंगी तो कई बार देखा है, पर कभी ये सोच कर नहीं कि मॉम की चूत या भोसड़ा कैसा होगा. आप डिटेल में बताओ ना.
नेहा- जाने दे यार स्नेहा, बात खुलेगी तो दूर तक जाएगी.

स्नेहा- ओके … तो संध्या चाची की कुछ सुना दो, मॉम की कहानी फिर कभी सुना देना.

नेहा नाईट पेंट के ऊपर से स्नेहा की बुर सहलाते हुए बोली- चल ठीक है, मैं तुझे संध्या चाची और राजू चाचू की चुदाई सुनाती हूँ.
स्नेहा- सीईईई … ये हुई ना कुछ बात, वैसे मुझे संध्या की चूचियां शुरू से ही पसंद हैं. हमेशा लापरवाही से रहने की वजह से मैंने कई बार उनके खुले चूचे देखे हैं.

दोस्तो, अब समय है, चिराग के चाचा के परिवार का परिचय देने का.

राजवीर उर्फ़ राजू. ये चिराग का चाचा है और 40 साल का है. ये मुकेश की बुआ का लड़का है और गुजरात में एक फैक्ट्री का मालिक है.

संध्या चाची 37 साल की एक भरे पूरे 36-28-38 के फिगर वाली कामुक औरत हैं. एकदम मस्त आयटम की तरह हमेशा ग्लैमर की दुनिया में रहने वाली.

पीहू, चिराग के चाचा की बेटी है.

बिट्टू, ये चाचा का बेटा है और अभी एक साल का ही है.

पायल, राजवीर और मुकेश की बहन है ये 36 साल की 38-28-40 के फिगर वाली माल औरत है.

नेहा- तुझे याद है छोटी, ये दोनों एक बार करीब 5 साल पहले हमारे यहां आए थे.

स्नेहा- हां पता है मुझे … जब चाची को बिट्टू नहीं था. पीहू भी करीब छह महीने की रही होगी.
नेहा- हां ये तभी की बात है.

स्नेहा- दीदू आपको पता है, ये जब भी पीहू को दूध पिलाती थीं तो मेरा भी मन करता था कि एक बार चाची मुझे भी अपना दूध पिला दें, पर शायद चाची मेरी नजरों को पहचानती थीं. ये उसी समय की बात है दीदू?
नेहा- हां!

अतीतावलोकन यानि अब कहानी फ्लैशबैक में!

संध्या- अरे स्नेहा, तुम आज स्कूल नहीं गई?
स्नेहा- जी चाची, मॉम को अचानक पापा के साथ कहीं जाना पड़ा. तो मैं घर पर ही रुक गई.

संध्या- तो घर में कौन कौन है?
स्नेहा- आप मैं और बाबू (पीहू).

संध्या- और तुम्हारे चाचू, वो कहां हैं?
स्नेहा- पापा के एक दोस्त रतन अंकल आए थे, वो अपने साथ चाचू को ले गए.

संध्या- ओके … चल हम दोनों मिल कर बाबू के साथ खेलते हैं. जब तक संगीता भाभी नहीं आ जातीं, तू यहीं खेल.
स्नेहा- चाची आप पहले नहा लो, तब तक मैं बाबू के साथ खेलती हूँ, फिर साथ बैठ कर नाश्ता करेंगे.
संध्या- अरे वाह, तुम तो बड़ी हो गई.

ये कहते हुए चाची ने मुझे पकड़ कर मेरे गाल पर किस्सी कर दी और नहाने चली गईं.
पर थोड़ी देर बाद पीहू जोर जोर से रोने लगी. मैंने बहुत कोशिश की पर वो चुप होने का नाम ही नहीं ले रही थी.

संध्या बिना नहाये ही बाहर आ गई- अरे बाबू इतना रो क्यों रही?
स्नेहा- पता नहीं चाची.

संध्या- मुझे पता है, इसको भूख लगी है.
इतना कह कर चाची ने बाबू को अपनी गोद में लिया और वहीं सोफे पर बैठ गईं.

स्नेहा- चाची मैं बाबू के लिए दूध लाऊं?
संध्या- नहीं बेटा, ये अभी मेरा दूध पियेगी.

इतना कह कर चाची ने अपने गाउन के बटन खोले और अपनी एक चूची कशिश के मुँह से लगा दी.

मैं बड़े गौर से ये सब देख रही थी. चाची ने ब्रा भी नहीं पहनी थी … ये बात मेरी समझ नहीं आई.

संध्या- ऐसे क्या देख रही है, तुझे भी पीना है क्या?
स्नेहा- न नहीं चाची … मैं तो बाबू को दूध पीते देख रही थी.

संध्या- ले आजा पी ले … नहीं तो तू मेरे दूध पर नजर लगा देगी.

इतना कहते हुए उन्होंने मेरा सिर पकड़ लिया और दूसरे हाथ से अपनी दूसरी चूची मेरे मुँह के सामने कर दी.

स्नेहा ने घबराते हुए कहा- नहीं नहीं चाची … मुझे नहीं पीना.
संध्या ने मुस्कुराते हुए कहा- झूठ मत बोल … मुझे पता है तेरा भी मन कर रहा है.

स्नेहा मन में बुदबुदाई कि चाची को कैसे पता चला. फिर वो बोली- अरे नहीं चाची.

मैं अभी बस इतना ही बोल पाई थी.

संध्या- ले अपना मुँह खोल.

ये कहते हुए उन्होंने अपना एक निप्पल मेरे होंठों से लगा दिया. मन तो मेरा भी कर रहा था, पर शर्म के कारण मैं मना कर रही थी.
मैंने भी मुँह खोल कर उनका निप्पल मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.

चाची ने मेरा सिर पकड़ कर अपनी जांघ पर लिटा लिया.

अब हालत ये थी कि एक तरफ पीहू उनका दूध पी रही थी और दूसरी तरफ से मैं चूची चूस रही थी. उसे दिन पहली बार मुझे पता चला कि औरत का दूध इतना मीठा होता है.

संध्या- सीईईई आआह!

स्नेहा निप्पल मुँह से बाहर निकाल कर बोली- क्या हुआ चाची दर्द हुआ क्या?
संध्या- नहीं रे, तू पी … मुझे बहुत अच्छा लगता है. तेरे चाचू को तो मैं हमेशा पिलाती हूँ.

अब वर्तमान में:

इस पर नेहा ने टोका- हां, चाची हैं ही ऐसी … किसी की कोई शर्मोहया ही नहीं है. तुझे नहीं पता, मैं भी कई बार उनका दूध पी चुकी हूँ.

स्नेहा- वो सब छोड़ो दीदू, आप ये बताओ आपने चाची की चुदाई कैसे देख ली?
नेहा- चाची का भोसड़ा ही था ना उस समय!

नेहा- हां, वो तो चाचू के साथ शादी से पहले ही चुदवा चुकी थीं.
स्नेहा- जिस दिन चाचू और चाची अपने घर आए, तब सुबह का टाईम था. तू और चिराग स्कूल में थे … और मैं कॉलेज गई हुई थी. जब दोपहर को मैं घर पहुंची, तो चाची और मॉम हॉल में ही मिल गईं.

फ्लैशबैक:

नेहा खुश होते हुए- नमस्ते चाची, आप लोग कैसी हो?
संध्या- नमस्ते बेटा, सब ठीक है … तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है?

नेहा ने उनके पास बैठते हुए कहा- पढ़ाई एकदम बढ़िया चल रही चाची, वो छोटा बाबू कहां है?
संध्या- वो अभी सो रही है. बहुत परेशान करती है.

नेहा- और चाचू कहीं दिखाई नहीं दे रहे?
संध्या- बाप बेटी दोनों आराम से सो रहे हैं.

नेहा- बाबू का नाम क्या है?
संध्या- पीहू नाम रखा है.

संगीता- नेहा, तू चेंज करके आ जा, तब तक मैं खाना लगाती हूँ … और संध्या, तू राज को भी उठा दे. सब साथ ही खाना खाते हैं.

नेहा ने स्नेहा को बताया कि चाची और मेरा रूम अगल बगल में ही था. हम दोनों ऊपर गए. मैं बाथरूम में जाकर फ्रेश हुई और अपने रूम में आकर कपड़े बदले, फिर नीचे चल पड़ी. पर जैसे ही मैं चाचू के रूम के सामने से गुजरने लगी, तो अन्दर से कुछ आवाजें आ रही थीं.

स्नेहा- कैसी आवाज दीदू?
नेहा- शायद चाचू का मन चाची को चोदने का था, पर चाची मना कर रही थीं.

स्नेहा- फिर!
नेहा- फिर मैं उनके रूम के पास खड़ी हुई, तो देखा कि चाची चाचा से बात कर रही थीं.

संध्या- मेरे राजा, शाम तक रुक जाओ … आज रात को मैं तुम्हें इतना खुश कर दूंगी कि तुम ये रात कभी नहीं भूल पाओगे.
राजवीर(राजू)- पर अभी एक बार मेरा लंड चूस ले … बस बाकी तेरी जो मन में चुदवाना हो … वो रात को चुदवा लेना.

स्नेहा- हम्म.

नेहा- मैं समझ गई अन्दर का खेल क्या होना है. मैंने उसी समय एक प्लान बना लिया था.
स्नेहा- कैसा प्लान दीदू … उनकी चुदाई देखने का?

नेहा- हां, तू तो जानती है, जैसे तेरे मेरे और चिराग के रूम के बीच ऊपर एक वेंटिलेशन है, ठीक वैसा ही सभी गेस्ट रूम के बीच में भी वेंटिलेशन है.
स्नेहा- ओह … तो आपने वहां से देखी थी उनकी चुदाई, पर दीदू मुझे भी तो बता सकती थीं आप!

नेहा- नहीं, तू उस समय छोटी थी इसलिए मुझे ये सही नहीं लगा. उसके बाद मैं सीढ़ियों तक आई और पलट कर चाची को आवाज दी कि चाची जल्दी चलो … ताकि उनको किसी प्रकार का कोई शक ना हो.

फिर हम सबने साथ मिल कर लंच किया और सब अपने अपने कमरे में जाने वाले थे कि तभी पीहू उठ गई. मैं दौड़ते हुए गई और बाबू को लेकर नीचे चाची के पास आ गई. ऐसे ही बात करते शाम हो गई.

फिर शाम को मैं और मॉम किचन में डिनर की तैयारी कर रहे थे कि चाची वहां बाबू को लिए हुए आईं.

संध्या- क्या पक रहा मां बेटी के बीच?
मैंने बाबू को चाची की गोद से लेते हुए- अले मेला छोना बाबू, चाची आप इसे मुझे दीजिए और मॉम को खाना बनाने में हेल्प कीजिये … लाइये.

संध्या चाची ने हंसते हुए कहा- हां हां ले जा इसको, थोड़ी देर कहीं घुमा ला. तब तक मैं अपनी भाभी को पकाती हूँ.

मैं जाने लगी तो मॉम बोलीं- नेहा इसकी बॉटल ले ले साथ में.

पीहू को लेकर मैं बाहर गॉर्डन में आ गई और उधर किचन में दोनों काम में लग गईं.

संध्या- क्या बात है भाभी आपका पिछवाड़ा तो कुछ ज्यादा ही बाहर आ गया?
संगीता- क्या करूं … तेरे जेठ जी मानते ही नहीं, रोज पीछे लग जाते हैं कि आज तो तेरी गांड मार कर रहूँगा.

दोस्तो, यहां मैं आपको बता दूँ कि इनके बीच इस तरह की चुहलबाजी चलती रहती थी.

संध्या- तो मेरे ये कौन से कम है, उनको भी बस चोदने का बहाना मिलना चाहिए.
संगीता- संध्या एक काम करते हैं … इस विषय में कल सुबह बात करते हैं. कल क्या है कि बच्चे पढ़ने चले जाएंगे और यहां हम दोनों ठीक से बात करेंगे.

फिर दोनों ने इधर उधर की बातें करते हुए खाना तैयार किया. बाद में सबने मिलकर खाना खाया.

मैंने अन्दर आकर कहा- मॉम आज मैं बहुत थक गई हूँ. किचन आप साफ कर लो ना. मैं आज जल्दी सोना चाहती हूँ. कल सुबह जल्दी उठ कर पढ़ भी लूंगी और कॉलेज भी चली जाऊंगी.
संध्या चाची मेरी बात सुनकर मन ही मन खुश होते हुए बोलीं- हां नेहा तू जा बेटी, मैं और भाभी सब देख लेंगी, गुड नाईट बेटा.

मैं मन में बुदबुदाई कि मुझे पता है आप क्या देखने की सोच रही हो थैंक्यू चाची.

मैंने संध्या चाची को पीछे से हग करते हुए उनके गाल चूम कर कहा- गुड नाईट एण्ड टेक केयर चाची.

ये बोल कर मैं मुस्कुराती हुई अपने रूम में आ गई.

स्नेहा- फिर दीदू चुदाई की बात बताओ न.
नेहा- रुक तो जा मेरी छुटकी … वही तो बता आ रही हूँ. मैंने रूम में आते ही फटाफट अपने कपड़े उतार फेंके, केवल ब्रा पैंटी पहने बाथरूम में गई और जल्दी वापस आ कर नाईट गाउन पहन कर चाची के बगल वाले रूम में आ गई. मैंने एक नजर वेंटिलेशन पर डाली और वहां पड़ी एक टेबल उसके नीचे लगा कर ऊपर चढ़ कर देखा, तो मैं वहां तक पहुंच ही नहीं पाई थी. अब क्या करूं … ये सोचते हुए मैंने टेबल अपनी जगह वापस रख दी और रूम के नाईट बल्ब को फोड़ दिया.

स्नेहा- फिर!
‘फिर मैंने चिराग को बुला कर सीढ़ी मंगवाई.’

चिराग- क्या हुआ दी, इतनी रात को सीढ़ी का क्या काम पड़ गया?
मैं- कुछ नहीं, वो नाईट बल्ब फ्यूज हो गया था तो सोचा देख लूं.
चिराग- ओके दी, अभी लाया.

ये कह कर वो चला गया और थोड़ी देर में सीढ़ी लेकर ले आया और कहने लगा कि लाओ मैं खुद ही चेंज कर देता हूँ दी.
नेहा- नहीं भाई तू रहने दे, मैं बाद में देख लूंगी. गुड नाईट

चिराग- गुड नाईट दी उम्महा.

नेहा- फिर वी शेप वाली उस सीढ़ी को लेकर मैं उस रूम में गई और जब उस सीढ़ी के ऊपर चढ़ कर देखा, तो मैं आसानी से उस पार का नजारा देख सकती थी. मैंने सीढ़ी से नीचे उतर कर रूम लॉक किया और अपने कमरे में आ गई. इस बार गाउन के साथ ब्रा पैंटी भी उतार दी और अपने आपको एक बार आईने में देखा. मन ही मन खुश होते हुए मैं ठंडे पानी का शॉवर लेने का सोच कर बाथरूम में चली गयी.

थोड़ी देर बाद मैं अपना शरीर पौंछते हुए नंगी ही बाहर आ गई.

मैंने बिना ब्रा पैंटी के एक फ्रॉक पहन ली, जो मेरे घुटने से ऊपर तक की थी. इसके बाद मैंने अपने रूम की सभी लाईट ऑफ कर दीं. कमरे को बाहर से लॉक कर दिया और चाची के बगल रूम में आकर उसे भी अन्दर से लॉक कर लिया. मैं किसी भी तरह का खतरा नहीं उठाना चाहती थी. अब मैं वहां बिछे पलंग पर लेट कर चाचा चाची की चुदाई शुरू होने का इंतजार करने लगी.

फ्रेंड्स, इस सेक्स कहानी की लेखिका सोनिया आपको एक बार नेहा को उसके रूप को बताने चाह रही हूँ. इस नग्न सुंदरी नेहा का एक एक अंग देखने काबिल है. इसके 34 इंच के मस्त चूचे और उन पर पिंक कलर के एकदम कड़क निप्पल. उसके नीचे सपाट चिकना पेट और पेट पर ही छोटी, किंतु गहरी नाभि … और उसके ठीक नीचे सेक्सी, सुंदर, प्यारी सी बिना बालों वाली चिकनी चूत, जिसमें से बाहर को निकला हुआ दाना चुत की छटा को चार चांद लगा रही थी.

अगली बार आपको नेहा की चाची चाचा की चुदाई की कहानी का लाइव टेलीकास्ट पढ़ने को मिलेगा. आप बस जल्दी से मेरी इस इन्सेस्ट सेक्स कहानी के लिए अपने मेल लिख डालें.

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चाची चाचा की चुदाई कहानी का अगला भाग: लंड चुत गांड चुदाई का रसिया परिवार- 6

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