भाई की साली मेरा पहला प्यार

(Bhai Ki Sali Mera Pahla Pyar)

आप सभी को मेरी प्यार भरी नमस्ते। आज मैं आपके सबके सामने अपनी पहली कहानी प्रस्तुत करने जा रहा हूं। अगर कोई गलती हो तो माफ़ कर देना।
मेरा नाम राहुल है और मैं चण्डीगढ़ के पास रहता हूं। मेरी उम्र 22 वर्ष है और मैं एक स्टूडेंट हूं।

मेरी सेक्स कहानी हिन्दी में मेरी और मेरे कजन की साली की है। मेरा कजन और उसकी बीवी गांव में रहते हैं पर उसकी बीवी का वहां मन नहीं लगता था तो वह हमारे पास शहर में रहने आ गये। उन्होंने अपने बच्चे यही पढ़ने लगा दिए।
कजन घर से बहुत दूर एक कम्पनी में जाब करता था और तीन चार महीने बाद छुट्टी पर आता था।

मैं बहुत खुश था कि भाभी हमारे पास रहने लगी थी। भाभी रोज फोन पर अपने मायके घंटों बातें करती थी।

एक दिन हम सब शादी में गए तो भाभी भी अपने मायके चली गई.
और जब भाभी लौटी तो साथ में अपनी छोटी बहन और भाई को साथ लेकर आई। उनके भाई का नाम जस्सी था और बहन का नाम डिम्पल था।
उनका भाई जस्सी भी यही पर रह कर कोई काम सीखने लगा। पर उसका काम में मन नहीं लगा और कुछ दिन बाद वह अपने घर चला गया।

मैं लड़कियों से बात करने में शर्माता हूँ तो शुरू में तो मेरी बात डिम्पल से नहीं हुई लेकिन पांच छह दिन बाद मेरी भी डिम्पल से बात होने लगी। डिम्पल एक पतली लम्बी और तीखे नैन-नक्श वाली दिखने में सुंदर लड़की है।

मैंने उन दिनों कालेज शुरू किया था और कालेज जाता था। कालेज से आता तो डिम्पल पूछती कैसा रहा आज का दिन।
फिर मुझे खाना देती।

अभी उन्हें हमारे पास तीन महीने ही हुए थे और भाभी की चुत या गर्भाशय में रसोली की प्रोबलम हो गई, उस से कोई काम भी नहीं होता था तो वह आप्रेशन करवाने अपने मायके चली गई पर उनके बच्चों के पेपर थे तो वह अपनी छोटी बहन को उनके पास छोड़ गई।

भाभी तीन महीने तक नहीं आई। इस बीच उनकी बहन जो यहां थी उनके बच्चों का ख्याल रखती थी। शवह हम सबसे अच्छी तरह बात करने लगी। वह मेरे घरवालों का भी ख्याल रखती थी मेरी बीवी की तरह।

धीरे समय निकलता गया। फिर फरवरी का महीना आया, फरवरी में किस डे वाले दिन की बात है मैं बाहर से आया और खाना खा रहा था। वह मुझे खाना दे रही थी.

खाना दे कर वो मेरे पास बैठ गई और फरवरी में चल रहे दिनों के बारे में बात करने लगी और अचानक से बोली- आप ने कभी किसी को किस किया है?
मैंने चुपचाप ना में गर्दन हिला दी क्योंकि मेरा छोटा भाई वही बैठा था.
और वह चली गई.

फिर थोड़ी देर बाद मैंने उसे कमरे में बुलाया।
कमरे में हम दोनों अकेले ही थे तो मैंने कहा- तुम कहो तो अभी किस डे मना लेते हैं?
तो वह कुछ नहीं बोली और मैं उसे वहीं किस करने लगा।

मैंने उसे दस मिनट किस किया और उसके उरोज दबाये।
उसके बाद वह चली गई।

फिर हम दोनों सेक्स करने का मौका ढूंढते रहते थे पर घर पर सब होने की वज़ह से सम्भव न हो सका। मैं भगवान से रोज प्रार्थना करता कि कोई मौका मिल जाए।

आखिर एक दिन भगवान ने मेरी सुन ली। थोड़ी दिन बाद मेरी मम्मी और छोटा भाई मासी के घर दो दिन के घूमने चले गए और पापा को भी कोई काम से बाहर जाने पड़ गया.
मैंने उनसे पूछा- पापा आप कब आओगे?
तो उन्होंने कल सुबह बोला।

घर पर मैं, मेरे कजन की साली, मेरे कजन के बच्चे और दादी थी।
हमारे घर में दो पोरशन हैं दादी वाले पोरशन में दादी सो गयी ओर दूसरे में मैं और डिम्पल। मेरा ओर डिम्पल का कमरा साथ साथ था। मैं अपने कमरे में अकेला सोता हूं और डिम्पल के साथ उसकी बहन के बच्चे।

उस रात हमारे पास मौका था, मैंने डिम्पल को बोला- रात को कमरे का दरवाजा खुला रखना, मैं आऊंगा.

उसने वैसा ही किया।

रात करीब दस बजे में डिम्पल के कमरे में गया और उसके साथ लेट गया।
मैंने उसे लेटे लेटे हग किया, वह खुश हो गई. पहले मैंने उसके गालों को किस किया और फिर होंठों को चूसने लगा.

करीब 15 मिनट चुम्मा चाटी के बाद हम अलग हो गए।
मैंने उसे कहा- बाथरूम में आ जाओ, यहां बच्चे उठ जायेंगे.
वह बोली- तुम चलो, मैं आती हूं।

जैसे ही मैं गया तो कुछ देर बाद वह भी आ गई।
हम फिर एक दूसरे को चूमने लगे; चूमते चूमते मैंने उसके उरोजों पर भी हाथ लगाया और नीचे चूत पर भी।
फिर हमने जल्दी से सारे कपड़े उतार दिए।

अब मैं उसके उरोज चूसने लगा और वह मेरा लण्ड मसलने लगी। फिर मैं उसकी चुत चाटने लगा तो वह सिसकारियां भरने लगी और तड़फने लगी, बोली- जल्दी करो!
मैंने भी देर न करते हुए उसकी चुत पर अपना 7 इंच का लण्ड टिकाया और धक्का मारा.
पर मेरा लंड उसकी चूत के अंदर नहीं गया.

फिर मैंने उसकी चुत पर थूक लगाया और धक्का मारा तो मेरे लण्ड का सिर्फ टोपा ही अंदर गया, उसे बहुत दर्द हुआ और मेरे लण्ड पर खून लगा. मैं बहुत खुश हुआ कि मुझे सील बंद चुत मिली है
मैं अब रूका और उसे किस करने लगा.

जब उसने साथ देना शुरू किया तो मैंने दो धक्कों में पूरा लण्ड उसकी चुत में डाल दिया।
हमें बहुत मज़ा आ रहा था. थोड़ी देर में डिम्पल झड़ गई और मेरा भी झड़ने वाला था तो मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया और मुठ मार कर बाहर झर गया.

और फिर हम दोनों ने एक दूसरे को साफ किया।
फिर मैंने डिम्पल को बोला- पहले तुम चली जाओ कमरे में!
डिम्पल के जाने के बाद में भी उसके पीछे पीछे कमरे में जाकर कर डिम्पल के साथ लेट गया और मैंने पूछा- मजा आया?
उसने कहा- हां… पर दर्द हो रहा है!
मैंने कहा- लाओ मालिश कर दूँ।

फिर मैं डिम्पल की चुत की मालिश करने लगा. मालिश करते करते हमारा फिर मूड़ बन गया और हमने फिर सेक्स किया और फिर मैं आकर अपने कमरे में सो गया।
सुबह मैं उठा तो डिम्पल मुझे देख कर खुश हो गई।

मैंने रात के बारे में पूछा तो उसने कहा- बहुत मज़ा आया?
तो दोस्तो, यह थी मेरी पहली कहानी… अगर कोई गलती हो गई हो तो माफ करना।
आपको मेरी सेक्स कहानी हिन्दी में कैसी लगी, मुझे मेल जरूर करें!
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