गर्मी का एहसास

girl_finder123 2008-01-05 Comments

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मेरा नाम शाहिद है, अहमदाबाद का रहने वाला हूं। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ।

मैं आज अपनी सच्ची दास्ताँ सुनाने जा रहा हूँ, आशा रखता हूँ आप सबको मेरी कहानी पसंद आएगी। मुझे मेल करें !

यह घटना करीब 6 महीने पहले की है। मेरी एक दोस्त है जिसका नाम वल्लरी है। हम दोनों साथ में ही पढ़ते है और एक ही क्लास में हैं। हम दोनों दो साल से सिर्फ दोस्त थे। उसके घर वाले भी मुझे जानते थे और अकसर हम एक दूसरे के घर आया जाया करते थे, मैंने कभी भी उसको उस नज़र से नहीं देखा था।

लेकिन एक दिन जब हमारे इम्तेहान चल रहे थे, मुझे उसका संदेश आया, उसमें लिखा था- आज हम मेरे घर पर पढ़ेंगे !

मैंने उसको पूछा- कौन- कौन आने वाला है?

तो उसने कहा- निल्ली, मैं और तू !

निल्ली हमारे क्लास में नई है इसलिए उसे कुछ दिक्कत थी पढ़ाई में !

तो मैंने कहा- ठीक है ! कितने बजे आना है?

तो उसने कहा- मैं तुझे फ़ोन करुँगी !

और करीब 5 बजे मुझे कॉल आया कि 7 बजे आ जा !

मैंने बोला- ठीक है ! मैं आ जाऊंगा।

उस समय ठण्ड का मौसम था तो मैं जैकेट पहन कर उसके घर पहुँच गया।

वहाँ वो और निल्ली बैठी हुई थी। हम 5 घंटे तक पढ़े और आधी रात होने को थी। जब घर जाने लगा तो वल्लरी ने कहा- आज यहीं रुक जाओ न ! मैंने मम्मी को बोल दिया है।

तो मैंने कहा- ठीक है ! पापा को कॉल कर देता हूँ !

और मैंने पापा को फ़ोन करके बता दिया कि मैं यहीं रुक रहा हूँ।

उसके बाद हम अलग अलग कमरे में सो गए थे।

तभी अचानक रात को तीन बजे वल्लरी मेरे पास आई और बोली- मुझे ठण्ड लग रही है !

मैं बोला- कम्बल ज्यादा ओढ़ लो !

तो वो बोली- इससे ठण्ड नहीं जाएगी !

तो मैंने कहा- फिर कैसे?

तो वो बोली- वो मूवी में होता है ना वैसे !

मैंने बोला- यह गलत है !

वो बोली- कुछ गलत नहीं होता।

फिर मुझे भी थोड़ा बहुत सेक्स का नशा चढ़ चुका था, मैंने उसको अपनी बाहों में कसा और फिर उसके सर पर एक चुम्बन दिया, फिर उसके गालों को चूमा और उसके होंठ चूमे।

उसने कहा- दरवाज़ा खुला है !

मैंने जाकर दरवाज़ा बंद कर लिया और वापस उसको अपनी बाहों में ले लिया।

निल्ली दूसरे कमरे में सो ही रही थी।

फिर मैं उसे लगातार चूमता गया। वो भी मस्त हो चुकी थी और भरपूर जोश में मेरा साथ दे रही थी।

उसने जैकेट पहना हुआ था। फिर मैंने धीरे से अपने हाथ उसके जैकेट में डाल दिए तो वो बोली- ऊपर से क्या कर रहे हो ! उतार दो इसे !

मैंने उसका जैकेट उतार दिया, उसने अन्दर सिर्फ ब्रा ही पहनी हुई थी।

मैंने कहा- पूरी तैयारी में आई हो !

तो उसने हाँ में सर हिलाया।

फिर मैंने उसके स्तन दबाने शुरु किए, वो सिसकारियाँ भरने लगी और आअई की आवाज़ें निकालने लगी।

फिर मैंने उसके स्तन चूसे !

क्या स्तन थे उसके चूसने में !

छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था !

तभी वो बोली- मुझे भी तो चूसने का मौका दो !

फिर उसने मेरी शर्ट उतारी और फिर पैंट उतारकर अन्डरवीयर नीचे करके मेरा लंड अपने मुँह से चूसने लगी !

क्या मज़ा आ रहा था दोस्तो ! क्या बताऊँ आपको !

दस मिनट चूसने के बाद वो बोली- अब मुझसे नहीं रहा जा रहा !

मैंने उसकी पैंट उतारी, फिर पेंटी और वहीं हाथ फेरने लगा तो देखा कि वो गीली हो चुकी थी।

फिर मैं उसकी चूत चाटने लगा। फिर मैंने उसकी चूत में ऊँगली डाल दी।

वो चिल्लाई- आई….

और सिसकारियाँ भरने लगी।

मैं जोर-जोर से ऊँगली अन्दर-बाहर करता रहा। थोड़ी देर में वो झड़ गई और बोली- अब और मत तड़पाओ !

फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और एक झटके में आधा अन्दर डाल दिया। वह जोर से चिल्लाई तो उसका मुँह बंद करने के लिए मैंने उसको चूमना शुरु कर दिया और धीरे से दूसरे झटके में पूरा लंड अन्दर डाल दिया। तब उसकी आँख से पानी निकल गया और वह छटपटा रही थी।

लेकिन मैंने बोला- अब दर्द नहीं होगा जान !

तो वो शांत हो गई और 5 मिनट बाद मैंने धक्के लगाने शुरु किये। अब उसे भी मज़ा आ रहा था। वो दो बार झड गई और अब मेरा भी होने ही वाला था।

मैं बोला- क्या करें?

तो वो बोली- छोड़ दो अन्दर ही ! तो ही गर्मी का एहसास होगा !

और मैंने अन्दर ही कर दिया और दस मिनट तक ऐसे ही पड़े रहे।

उस रात हमने 5 बार सेक्स किया। यह मेरा पहला अनुभव था।

मुझे मेल करें !

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