चूत की आग के लिए मैं क्या करती-8

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प्रेषिका : सुरभि तिवारी

सुनील आ गया। मैंने उन दोनों का परिचय करवाया। खाना बना हुआ था, हमने साथ बैठ कर खाना खाया।

बात करते हुए मैंने सुनील से कहा- सुनीता मेरी अच्छी दोस्त है, इसके पति सेक्स नहीं करते हैं ठीक से इसके साथ !

सुनील- अरे इतनी खूबबसूरत बीवी के साथ सेक्स नहीं करता है? आप बहुत खूबसूरत हैं सुनीता जी ! आप जैसी बीवी मेरी होती तो मैं कम से कम 4-5 बार रोज सेक्स करता। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।

मैं- तो अब क्या इरादा है?

सुनीता- हे सुरभि, क्या बात करती है, मुझे शर्म आती है।

सुनील सुनीता के हाथ पर हाथ हुए बोला- सच सुनीता जी, मैंने आपसे ज्यादा खूबसूरत औरत नहीं देखी।

हमने खाना खत्म किया और कमरे में बैठ कर बात करने लगे। मैंने सुनील के लंड पर हाथ रख दिया। सुनीता यह सब देख रही थी, सुनील का लंड कड़क हो गया उसने मेरे वक्ष दबाना चालू कर दिए, सुनीता सब देख देख कर गर्म हो रही थी।

मैंने सुनील की जिप खोल दी और लंड बाहर निकाल लिया। सुनीता उसे देख कर आह किये बिना नहीं रह सकी।

मैंने कहा- सुनीता, ऐसे दूर से आह करने से कम नहीं चलेगा ! आओ यहाँ।

वो बिना किसी संकोच के पास आ गई आते ही सुनील ने सुनीता को किस किया और उसके वक्ष दबाये।

सुनील- वाह ! क्या बूब्स है सुनीता जी आपके ! मजा आ गया, आपका गोरा बदन और ये छोटे छोटे से चूचे 30 नम्बर के होंगे ! और इतने कठोर जैसे पहले कभी किसी ने नहीं छुआ हो ! आपका संगमरमरी बदन जैसे दूध हो ! इतनी गोरी हैं आप, मैंने ऐसे क्या पुण्य किए थे जो आप जैसे दो दो खूबसूरत बलाएँ मेरे साथ हैं और दोनों मेरे साथ सेक्स करने को आतुर हैं। वो भी एक साथ !

फिर सुनील सुनीता के एक एक करके सारे कपड़े उतारने लगा और साथ मई वो भी नंगा हो रहा था। मैं देख रही थी कि वाकई सुनीता का बदन काफी सुंदर था, उसके वक्ष काफी ठोस थे और छोटे भी, जैसे अभी अनछुए हों।

मुझसे रहा नहीं गया, मैंने सुनीता के वक्ष दबा दिए और उसके मुँह में मुँह डाल कर उसको प्यार करने लगी।

सुनील उसकी गोरी चूत चाट रहा था, मैं उसके बूब्स दबा रही थी, सुनीता को काफी मजा आ रहा था, वो आह उह कर रही थी।

अचानक सुनीता चिल्ला उठी- बस बस ! अब नहीं रुक जाता ! मैं जा रही हूँ !

और आह उह्ह करते हुए झड़ने लगी, सुनील उसका सारा पानी चाट चाट कर साफ कर रहा था।

अब सुनील उठा और अपना लंड सुनीता के मुँह के पास ले गया।

सुनीता ने कहा- छीः !

मैंने कहा- सुनीता, एक बार ले लो ! फिर मजा न आये तो कभी मत करना !

उसने मन मार कर मुँह में ले लिया तो थोड़ी देर में उसको अच्छा लगाने लगा।

मैंने पूछा- क्यों सुनीता? मजा आया ना मुँह में लेकर?

सुनीता ने हाँ में सर हिला दिया और जोर जोर से सुनील का लिंग अन्दर बाहर करने लगी। इधर सुनील मेरी फ़ुद्दी को मजे दे रहा था। यह कैसा मंजर था बिल्कुल सेक्सी मूवी जैसा ! अब मेरी भी बारी थी झड़ने की, मैं भी जोश में झड़ गई, सुनील ने मेरा माल भी चाट कर साफ कर दिया।

उधर सुनीता के मुँह में सुनील भी तेजी से करने लगा तो मुझे लगा कि अब वो झड़ने वाला है तो मैंने कहा- मेरे मुँह में डालना अपना सारा माल !

पर सुनील को तो सुनीता कुछ ज्यादा ही भा गई थी, उसने अपना सारा माल सुनीता के मुँह के हवाले कर दिया।

मैंने सुनीता को बोला- अंदर ले लो ! मजा आ जायेगा।

सुनीता ने ऐसा ही किया।

मैंने कहा- क्यों सुनीता? कैसा लगा इसका माल? और आज का प्रोग्राम?

अब तक सुनीता काफी खुल चुकी थी, बोली- मजा आ गया ! और यह भी अच्छा लगा माल ! बस इसका हाल बुरा है !

उसने अपनी चूत की तरफ इशारा किया।

मैंने कहा- बस, अब इसकी ही बारी है !

और मैंने सुनील का लंड मुँह में ले लिया, उसको चूसने लगी, कभी सुनीता की चूत का रस ले लेती, कभी सुनील लंड का रस ले लेती। थोड़ी देरमें सुनील फिर से तैयार हो गया तो मैंने कहा- अब देर न करो सुनील ! इसको पहले शांत कर दो !

सुनील को भी बस सुनीता ही दिख रही थी, उसने आव देखा न ताव, सुनीता की चूत में लंड डाल दिया। सुनीता सिसक कर रह गई क्यूंकि उसके होंठ मेरे होंठ में थे, मैं उसके बूब्स दबा रही थी। क्या नज़ारा था ! बस मजा ही मजा !

सुनील को मस्ती सूझी, उसने मुझे भी पास लेटने का इशारा किया। जैसे ही मैं पास आई, उसने सुनीता की चूत से निकाल कर मेरी चूत में डाल दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।

थोड़ी देर मेरे साथ करने के बाद फिर सुनीता की चूत में ! और ऐसे वो करता रहा।

हम दोनों इस खेल में दो दो बार झड़ चुकी थी, अब बारी सुनील के झड़ने की थी, मैंने उसका लंड मुँह में ले लिया और हिलाने लगी। उसकी पिचकारी छुट गई, सुनीता भी पास आ गई और थोड़ा उसके मुँह में भी डलवाने का इशारा कर दिया, दोनों ने थोड़ा-थोड़ा वीर्य अपने मुँह में लिया और गटक गई।

फिर हम लेटे लेटे बात करने लगे, मैंने कहा- कल और मजा आएगा, कल सुशील भी आ जायेगा।

सुनीता- अब यह सुशील कौन है?

मैंने कहा- यहीं पास में रहता है, काफी अच्छा लड़का है और हम तीनों खेल चुके हैं।

सुनील- हाँ सुनीता जी, काफी अच्छा लड़का है और उसका लंड काफी सुंदर और बड़ा है, आपको आज से ज्यादा मजा आएगा, बहुत अच्छे से चोदन करता है।

और उसकी तारीफ करते हुए हम तीनों कब सो गए पता ही नहीं चला।

कहानी अभी बाकी है।

आपके मेल के इन्तजार में

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