मेरी गर्लफ्रेन्ड मनीषा

मनीष 2006-02-13 Comments

प्रेषक : मनीष गौतम

सबसे पहले मैं दोनों हाथों का समागम करते हुए गुरूजी का धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने मेरी कहानी ‘बुलबुल के साथ सेक्स’ प्रकाशित की और उन तमाम लड़के-लड़कियों, दोस्तों का भी धन्यवाद करता हूँ जिन्होंने मुझे ई-मेल किए।

तो दोस्तो पेश है मेरी नई कहानी !

मनीषा !

उसके रूप के बारे में बस इतना ही कहूँगा कि लगता है भगवान ने गलती से उसे नीचे भेज दिया। वो तो वो मेनका है कि अगर एक बार जिसे देख ले बेहोश हो जाए ! एक अट्ठारह साल की लड़की जो बला की खूबसूरत हो, आपको तो पता ही है उसके चाहने वाले कितने होंगे।

तो दोस्तो बात तब की है जब मै दसवीं मे पढ़ता था और वो जब वो स्कूल में आती थी तो ऐसा लगता था कि मानो बहार आ गई हो ! मैं उसे दिल ही दिल में प्यार करता था पर क्या कहूँ यार हम सब की यही परेशानी है कि हम कहने से डरते हैं !

एक बार मैने उसे पत्र लिखा और उसे कैसे दूँ, यही सोच रहा था कि तब तक वो मेरे पास आ गई, और मैंने झट से पत्र को अपनी किताब में रख लिया। फिर मुझ से बात करके वो चली गई, मै उस पत्र की बात भूल गया। फिर वो मुझसे वही पुस्तक मांगने आई। मुझे याद न रहने की वजह से मैंने वो किताब उसे दे दी।

थोड़ी देर बाद उसने मुझे जब किताब वापस की तो मुझे याद आया- यार ! उसमें तो मेरा पत्र था !

मैंने जब किताब को खोला तो देखा कि वो पत्र वैसे ही है जैसे था, पर मुझे डर सा लगने लगा कि कुछ गड़बड़ ना हो जाए।

अगले दिन मैं स्कूल नहीं गया। मुझे शक था कि उसने मेरा पत्र पढ़ लिया है।

वो मेरे घर आई मेरी बहन से मिलने के लिए !

मुझे थोड़ा बुखार था, मैं सो रहा था। वो आई और मुझसे पूछा- पूनम कहाँ है?

मैंने बोला- अंदर है !

वो बोली- आज स्कूल क्यूँ नहीं आए?

मैंने कहा- यार, देखने से भी नहीं पता चल रहा क्या?

तो बोली- बुखार सच का है या झूठ मूठ का बहाना बना रखा है !

तब तक मेरी बहन आ गई और फिर दोनों अंदर चली गई। जब थोड़ी देर बाद वो जाने लगी तो मेरे पास आकर बैठ गई।

मेरी बहन भी बोली- आज मनीष बहुत बीमार है, इसीलिए स्कूल नहीं गया।

फिर उसने अपना हाथ मेरे सर पे रखा और बोली- बुखार तो अभी तक है ! दवाई ली या नहीं? कल फिर स्कूल नहीं जाना !

यार मुझे बहुत जोर से गुस्सा आ रहा था। मैंने मन ही मन सोचा- साली डाँट तो ऐसे रही है जैसे मेरी घरवाली हो !

फिर जब वो दोनों आपस में बातें करने लगे। तो मैं कंबल के नीचे से उसका हाथ दबाने लगा। उसने मेरी तरफ देखा और इशारे करने लगी कि पूनम यहीं है।

पर मैं कहाँ मानने वाला था। मैंने उसका हाथ कंबल के अंदर करके दबाने लगा तो वो भी अपना हाथ टाईट कर के मेरा साथ देने लगी मेरी तो मानो मैं तो यही सोच रहा था कि मुझे यूँ ही कुछ दिनों तक बुखार रहे और मैं उसके हाथ के साथ खेलता रहूँ, पर कुछ देर बाद वो चली गई और मै बिस्तर पे पड़ा रहा।

उसके जाने के बाद मैं बिस्तर से उठा और थोड़ा टहलने लगा। फिर सुबह मैं ठीक हुआ तो स्कूल जाने के लिए तैयार होने लगा कि इतने में मेरे मामा जी आए और बोले कि चलो आज सब बाहर चलते हैं !

मेरा भी मूड हो रहा था बाहर जाने का पर मैने मना कर दिया।

यार कैसे-कैसे तो पटी है और ये मौका अगर हाथ से गया तब तो मैं लण्ड पकड़े ही रह जाऊँगा और कोई नहीं मिलेगा चोदने को !

तो दोस्तो, मैं उस दिन, जब घर वाले बाहर चले गए, तो मैं स्कूल के लिए तैयार हो के निकलने लगा और घर में ताला लगाने लगा, तो मैंने देखा- मनीषा इधर ही आ रही है।

आते ही बोली- आज तुम्हारे घर वाले कहाँ गए?

मैंने कहा- यार ! वो आज घूमने गए हैं !

उसने कहा- तुम नहीं गए?

मैंने कहा- तुम्हारे बगैर क्या फायदा जाने का कहीं !

तो हंसने लगी और बोली- अच्छा चलो, मुझे पानी पीना है ! पिलाओगे?

मैने कहा- बस पानी?

तो वो हंसने लगी। मेरी तो नियत खराब हो रही थी और वो हंस रही थी। मैने सोचा- बेटा, आज मौका अच्छा है ! लग जा काम पे।

मैने उसे बिठाया और किचन में पानी लाने चला गया। मैं जब अंदर आया तो वो भी साथ आने लगी। मैंने कहा- मैं लाता हूँ न यार !

तो बोली- नहीं ! तुम कुछ मिला के पिला दोगे तो?

मैंने कहा- अरे नहीं यार ! तुम्हें पिला के नहीं बिना पिलाए सब कुछ करने का इरादा है !

तो बोली- क्या-क्या ?

मैने कहा- कुछ नही !

नहीं ! आपने कुछ बोला था !

मैंने कहा- तुम पानी पियो ! कुछ खाओगी ?

तो बोली- क्या खिलाओगे?

मैंने कहा- कहाँ से खाओगी?

तो बोली- कहाँ से खिलाओगे?

मैं बोला- जहाँ से तुम खाना चाहो !

तो बोली- ठीक है ! तो फिर चले?

मैने कहा- कहाँ?

तो बोली- खाने !

यार, मैं तो बस बातों से मजा ले रहा था, पर यह तो सच में मजा देने आई थी !

फिर कहती- आज सिर्फ चूमना!

मैने कहा- क्यो जी? आज व्रत है क्या?

तो बोली- नहीं तो !

मैंने कहा- तो क्या बात है?

बोली- कौन्डम है? तो अभी करते हैं ! नहीं तो कल !

तो मैंने कहा- इस कल कल में पता चले कि तुम्हारी शादी हो जाए और तुम चली जाओ यहाँ से !

फिर बोली- है क्या?

मैने कहा- क्या?

तो बोली- कौन्डम !

मैने बोला- है न !

तो बोली- तुम कौन्डम रखते हो? छि-छि !!

मैने कहा- अरे यार, ये मेरा नहीं, मेरे भाई का है ! उन्होंने भाभी के लिए लिया था पर मेरे हाथ लग गया।

तो दोस्तो ! मैंने उसे अपने बेड पे चलने के लिए कहा, तो बोली- मेरे पांव में दर्द है !

मैं उसे गोद में उठा के अपनी बिस्तर पे ले जाने लगा तो उसने मेरे होंठ चूसने शुरू कर दिए।

वाह-वाह-वाह क्या बताऊँ यार ! क्या चूसती है होठ ! मुझे पता नहीं था यार जब कोई लड़की आप के होंठ को चूसे तो इतना आनंन्द आता है।

फिर मैंने आराम से उसे बिस्तर पे रखा और उसका साथ देने लगा और उसके मस्त-मस्त मोम्मे को मसलने लगा। यार दिल तो ऐसा कर रहा था इनको काट के रख लेता हूँ रात को अकेले में दबाऊँगा ! पर क्या करूँ साली काटने थोड़े ही देगी।

दोस्तो वो तो पूरी वासना में डूबी हुई थी और साथ में मेरी हालत तो जैसे मुझे कुछ करने की जरूरत ही नहीं पड़ी। उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए और अपने भी उतारने लगी और बोली- मनीष ! क्या तुम वो करोगे जो मैं करूँगी?

मैंने कहा- आपका औरडर सर आंखों पर मैडम !

तो वो मेरा लन्ड अपने मुँह में लेके चूसने लगी।

वाह ! क्या बताऊँ यार, दिल तो कर रहा था कि इसके मुँह में ही सारा का सारा डाल दूँ पर क्या करूँ यार! वो जो कर रही थी बहुत मजा आ रहा था। मेरा तो एकबार उसके मुंह में ही हो गया।

फिर मैंने कहा- अब मेरी बारी !

मैं उसकी चूत को चाटने लगा और वो क्या आवाज निकाल रही थी यार ! पूरे कमरे में मानो अजीब सी आवाज गूंज रही हो आऽऽ इइइइइ आउ उउउउउउउउउउउ आउउउउउउ आााााा

क्या कहूँ यार! क्या आवाजें थी ! मजा आ रहा था ! यार उसकी आवाज को सुन के !

फिर अचानक वो जोर-जोर से चूत को उछालने लगी, मैं और जल्दी-जल्दी चाटने लगा। फिर उसकी चूत से सफेद पानी निकला और वो शान्त हो गई। फिर मेरे ऊपर आके लेट गई। मैं नीचे से ही अपना लन्ड निकाल के उसकी चूत के ऊपर रगड़ने लगा और वो आहहह आहहहहहह करने लगी। फिर उसने मेरा लन्ड अपने हाथ में लेकर चूत के मुँह पे लगा लिया और हिलाने लगी और फिर उस के ऊपर बैठ गई। एक ही झटके में ऐसा लगा मानो मैं स्वर्ग में आ गया। फिर मैं नीचे से उसे पूरा सहयोग देने लगा और वो ऊपर से जोर-जोर से हिलने लगी और आहहहहआहहहहह आहहहहह एएएएएएएहहहहहह करने लगी।

कुछ देर बाद मैं उसके ऊपर आ गया और फिर जोर-जोर से धक्का लगाने लगा। कुछ देर बाद हम दोनों अपनी चरम-सीमा पर पहुँच चुके थे। उस दिन हमने ४ बार काम किया और फिर वो अपने घर चली गई आज की क्लास ले के।

दोस्तो, आप को मेरी कहानी कैसी लगी?

मुझे अवश्य लिखिएगा और अपने सुझाव हमें जरूर बताईएगा।

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