मॉस्को की याद में

चन्द्र 99 2007-03-21 Comments

प्रेषक : रोबिन चन्द्र

अन्तर्वासना के सभी चाहने वालों को मेरा नमस्कार। कई दिनों से इस साईट पर आप लोगों की रचनाओं को पढ़ने के बाद आज मेरा दिल भी अपने कुछ राज बयां करना चाहता है।

पहले मैं अपने बारे में कुछ बता दूँ। मेरा नाम रोबिन है और मैं बीस वर्ष का नौजवान हूँ। दिखने में मैं बिलकुल सामान्य सा ही हूँ। भीड़ में पहचाना भी नहीं जा सकता। मैं इस समय भारत के एक विख्यात इंजिनीयरिंग कॉलेज में तृतीय वर्ष का छात्र हूँ। पिछले साल परीक्षाओं के बाद मुझे रूस के मॉस्को विश्वविद्यालय में ईटर्नशिप करने का मौका मिला। मन फ़ूला नहीं समा रहा था, आखिरकार पहली बार विदेश जाने का मौका जो मिला था।

मैं मई के महीने में मॉस्को पहुंचा था। हमारा यहाँ भारत में तो चिलचिलाती धूप थी पर वहाँ का मौसम बेहद सुहावना था। मॉस्को छोड़कर वापस आने का मन नहीं करता था मेरा। मॉस्को में उतरते के साथ ही मुझे इतनी सुंदरियों के दर्शन होने लगे थे। वहाँ लड़कियों में खूबसूरती की कमी नहीं थी, पर हाँ, कपड़ों की कमी जरूर थी। खैर अपने लिए तो यही अच्छा था। जिधर देखो उधर कोई न कोई बला देखने को मिलती थी। लगता था जैसे भगवान् ने सारी हसीनाओं को यहीं भेज दिया हो। बड़ी मुश्किल से अपने मन को संभाल पाता था मैं।

मुझे जिस प्रोजेक्ट पर काम करने को मिला उस पर मॉस्को विश्वविद्यालय की ही एक और लड़की को भी काम करना था। लड़की क्या थी, किसी हूर से कम नहीं थी। नाम था उसका मारिया ! मारिया तमारानोव ! जितना हसीं नाम था, वो उससे भी अधिक हसीं थी। हम-उम्र ही थी वो मेरी। पर विदेश में लोग जल्दी जवान होते हैं, पता नहीं क्यूँ ? बड़ी बड़ी आँखें, तीखी नाक, पतले गुलाबी होंठ, चांदी जैसे दमकते कमर तक लम्बे बाल, चेहरा बस ऐसा कि जो देख ले उसका दिन बन जाए बस। उसकी फिगर तो बिलकुल 36-24-36 की थी। उरोजों को देखकर तो एक बार हाथ लगाने का मन करता ही था मेरा। कमर तो कमाल थी। जब वो अदा से बल खाकर चलती थी तो उसके भरे हुए नितम्बों को देखकर मेरा पसीना छुट जाता था। सच कहूँ तो मुझे उससे प्यार हो गया था।

क्यूंकि हमारा काम साथ में था इसलिए हम जल्दी ही दोस्त बन गए। धीरे धीरे उसे मेरे प्यार का आभास भी होने लगा और हम आगे ही बढ़ते चले गए। मैं थोड़ा सीधा था इसलिए मैं कभी उससे अपनी शारीरिक इच्छाओं के बारे में नहीं बोलता था। पर पता नहीं लड़कियों को सब कैसे पता चल जाता है। इसी बीच उसने बताया कि वो कॉलेज से पहले मॉडेलिंग करना चाहती थी पर उसके पिता ने उसे पढ़ने को कहा और वो यहाँ चली आई। मॉस्को में वो भी अकेली ही रहती थी पर उसकी यहाँ कुछ सहेलियाँ भी थीं।

मैं भले ही कुछ नहीं बोलता था पर मन में इच्छा तो थी ही। मैं अभी तक कंवारा ही था, इसलिए जिज्ञासा और भी थी। कभी कभी तो उसकी मदमस्त कर देने वाली जवानी का स्पर्श पाकर मैं बिल्कुल बेकाबू ही हो जाता था।

एक दिन रविवार को उसने मेरे साथ घूमने की योजना बनाई। उसने फ़ोन करके मुझे सुबह 11 बजे बुलाया था। उससे पहले वाली रात तो मैं ख़ुशी के मारे सो ही नहीं पाया कि मैं उसके साथ डेट पर जा रहा हूँ।

रविवार को सुबह जब मैं उसके फ्लैट पर पहुंचा तो वो बोली कि अभी उसे नहाना था। मैं बैठा रहा।

थोड़ी देर बाद उसने मुझे अपने ड्रेसिंग रूम से आवाज़ दी,”रोबीन,प्लीज़ हेल्प मी आउट !”

मैं अन्दर गया तो सामने का नज़ारा देख कर तो मेरे दिल ने धड़कना बंद कर दिया। वो सामने बस काले अंडरवीयर-ब्रा में खड़ी थी। मैं दरवाज़े पर ही ठिठक गया और जी भर के उसके हुस्न का मुजायरा करने लगा। किसी हसीं लड़की को पहली बार इस हालत में देखा था। उसके अर्धनग्न उरोज जैसे बाहर ही निकलना चाहते हों ! उसकी गहरी नाभि जैसे मुझे आमंत्रण दे रही हो ! उसकी लम्बी, चिकनी, गोरी टांगें जैसे स्वर्ग की सीढ़ियाँ हों। मैं उसकी गहराइयों में उसी पल खो जाना चाहता था।

मुझे गौर से देखते हुए देखकर उसकर होंठों पे कातिलाना मुस्कान उभर आई। वो मेरे करीब आई, मुझे दरवाज़े से टिकाया और बोली, “वुड यू हेल्प मी हूक माय ब्रा?”

हाथ अपने आप उठ गए और उसके मखमली जिस्म को स्पर्श करने लगे। मेरी उंगलियाँ उसके नग्न पीठ पर फिसलने लगीं। मैंने उसे जरा अपने पास खींचा तो उसके स्तन मेरी छाती से चिपट गए। उसके मुँह से एक ठंडी आह निकली, जैसे कि वो भी उतनी ही प्यासी हो जितना मैं था। पर अगले ही पल उसने मुझे जरा तेवर से देखा और मैंने जल्दी से काम तमाम करके उसको अपनी आगोश से आज़ाद कर दिया। वो दो कदम पीछे हटी और अपना मुँह फेर लिया। मुझे लगा कि वो गुस्सा हो गई है और मैं उसे मनाने की सोचने लगा। पर सामने के आईने ने उसका राज़ खोल दिया। मैंने देखा कि उसके होठों पे शरारत भरी हंसी तैर रही है।

अचानक वो मुड़ी और तेज़ी से बोली,”नॉउ, गेट आउट फ्रॉम हियर, कांट यू सी, आई ऍम चेंजिंग?”

मैं बिना कुछ बोले बाहर निकल आया। बाहर निकला तो देखा कि मेरा लिंग पूरा कड़ा हो गया था। शायद यही देखकर मारिया मुस्करा रही थी। अब मुझे पता चला कि यह तो मेरा इम्तहान था, अब मेरी कामनापूर्ति जल्द ही होने वाली थी। पर अभी इस लिंग महाशय का क्या करूँ? इसे तो बैठाना ही था। इतने में मारिया भी वैसे ही बाहर आ गई। उसकी नजर सीधे मेरे तने हुए लिंग पर गई। मुझे झिझक हुई पर वो अदाओं से चलती हुई मेरे पास आई और बोली,”शुड आई सी यू डाउन दयर?”

मैं तो जोश के मारे बस हाँ ही बोल पाया। वो इठलाती हुई बैठ गई और उसने मेरी पैन्ट की जिप खोली। पिंजरे से बाहर निकलते ही लिंग फनफना उठा। उसने मेरे मोटे लिंग को देखकर बस इतना कहा, “ओह, इट्स ह्यूज ! आई लव इट !”

इतना कहकर उसने मेरे लिंग पर ही अपने रसीले होठों से एक चुम्मा जड़ दिया। हाय, वो चुम्मा तो जैसे मेरी जान ले गया। 440 वोल्ट का झटका लगा जैसे मुझे। उसने मेरा पूरा पैन्ट नीचे कर दिया और लगी मेरे लिंग और अन्डकोशों को चाटने और चूमने। “आह ऊह्ह ,आह्ह आआआअ, ऊऊओ, आआह्ह्ह्ह, आआह्ह्ह्ह ” मेरे से ज्यादा आवाजें तो वो कर रही थी। उसकी मधुर सीत्कारों से जैसे कमरा भर गया था। मेरा लिंग पूरे जोश में था। उसने पहले मेरे सुपारे को धीर धीरे चाटा, फिर उसे अपने मुँह में लेकर पूरा ही चूसने लगी। उसके जीभ की लगातार रगड़ से मेरा सारा संयम छुटने लगा। प्री-कम की एक जबरदस्त धार मैंने उसके मुँह में ही निकाल दी। वो और मस्त होकर चूसने लगी मुझे। मेरा लिंग ८ इंच लम्बा और ४ इंच मोटा था। उसे भी लेकर चूसने में उसे कोई दिक्कत नहीं हो रही थी। उसने इशारे से मुझे साथ देने को कहा और मैं लगा धक्के मारने।

“अआह्ह, ओह, उन्म्मम्म्म्म , आह्ह्ह्हह्ह बेबी, येस , येस।।।।ऊऊऊ ” बस इन्हीं आवाजों से वो मेरे होश लिए जा रही थी। मैं जैसे उसका मुँह ही चोदने लगा था। इतना मजा आज तक मुठ मारने में नहीं आया था जितना मारिया ने एक पल में दे दिया था। मैंने मारिया के स्तनों को पकड़ लिया और उन्हें दबाने और मसलने लगा। ब्रा की कैद से आज़ाद कर मैं उसके चुचूकों को मरोड़ने और चूसने लगा। मारिया बड़ी तेज़ी से अपनी नाज़ुक उंगलियाँ मेरे लिंग पर फिराने लगी। मैं काबू से बाहर हो गया। मैं और तेज़ धक्के मारने लगा और अपने पूरा लिंग जड़ तक उसकी मुँह में डाल दिया। इतने पर भी मारिया बड़े मजे से चूसे जा रही थी।

“आः, आः , आअ , आअ ,आआअह्ह्ह , उम्म्मम्म, येस येअह बेबी, येअह , ऊऊऊऊऊऊऊऊऊओ, आः अआह ” जैसे शब्दों ने मुझे पागल ही कर दिया था। करीब पंद्रह मिनट तक हम ऐसे ही चिपके रहे। मारिया के होंठों, जीभ और उँगलियों की करामत से मैं झड़ने तक पहुँच गया था। मैं अपना वीर्य उसके मुँह मैं नहीं निकलना चाहता था। पर अब खुद पर मेरा कोई वश नहीं था। मारिया ने मेरे लिंग तो ऐसे जकड़ा हुआ था की छुड़ाना मुश्किल था। आख़िरकार मैंने अपने सारा मुठ उसके मुँह में ही उगल दिया। वो मजे से अपने उरोजों को उछालती हुई मेरे मुठ को पीने लगी। कुछ बूँदें उसके बड़े बड़े स्तनों पे भी गिरीं। मैंने उसके दोनों स्तनों को हाथ में लेकर एक बार फिर मसल दिया।

उसकी गर्म आहों ने सारा माहौल गर्म कर दिया था। अब मैं आराम से कुर्सी पर बैठ गया। पहले मुख मैथुन की ख़ुशी को मैंने पूरा समा लेने दिया खुद में। इसी बीच मारिया खुद को साफ़ करके कपड़े पहन आई। मुझे देख कर एक नशीली मुस्कान के साथ बोली,”कम ऑन, लेट्स गो आउट नॉओ।”

बाहर बाज़ार-मॉल घूमने में अब मेरी दिलचस्पी नहीं रह गई थी। अब तो लग रहा था कि कब मारिया को अकेले में दबोच लूँ। हर पल जैसे पहाड़ बन गया था। उसने मूवी देखने का प्रस्ताव रखा, पर मेरी आँखों में भूख देखकर शायद वो भी गरम हो गई। उसने झट गाड़ी घुमाई और हम वापस उसके फ्लैट पर पहुँच गए। फ्लैट की सीढियां चढ़ते चढ़ते ही हम दोनों अर्ध-नग्न हो गए थे, इतना जोश था। दरवाज़ा खोलते ही मैंने उसे गोद में उठाया और सीधा बेड-रूम में ले जाकर बिस्तर पर पटक दिया।

उसने हवस भरी नज़रों से देखा मुझे। उसकी गुलाबी फ़्रॉक को खोल फेंका तो पता चला कि उसने नई सफ़ेद रंग की ब्रा और गुलाबी रंग की थोंग-पैटी पहनी हुई थी। देख कर दिल बाग़ बाग़ हो गया। मैंने उसके शराबी होंठों को चूमा। उसने अपने जीभ मेरे मुँह के अन्दर डाल दी और मैं उसके जीभ और होंठ चूसने लगा।

वो अपनी कलाइयाँ मेरी छाती से होकर मेरे लिंग पर फिराने लगी। कुछ ही पलों में मेरा लंड आज़ाद होकर उसकी आगोश में झूमने लगा। वो हलके हाथों से मेरा मुठ मारने लगी। मैं एक हाथ से उसके स्तनों को दबाने और मसलने लगा और दूसरे हाथ की उंगलियाँ उसकी योनि पर फिराने लगा। वो पहले ही बहुत गीली हो चुकी थी। उसकी चूत से मधुर खुशबू आ रही थी। जैसे मुझे बुलावा दे रही हो अपनी चूत का। मैंने अपनी एक ऊँगली से उसकी पैंटी किनारे की और अब उसकी नंगी चूत पर उंगलियाँ चलने लगा। उसके होठों को छोड़कर मैं नीचे आने लगा। पहले उसकी भरी हुई चूचियाँ मैंने अपने मुँह में ली जिसका अरमान न जाने कब से पाल रहा था मैं दिल में। उसके चुचूकों पर दांत से काटा मैंने।

एक मदमस्त आह से स्वागत हुआ मेरा। और अब मैं उसकी नाभि चाटने लगा। रुका मुझसे भी नहीं जाता था पर उसे तड़पाने में अलग ही मजा था। जब मैं उसकी चूत पर पहुंचा तो उसे देख कर तो मेरा रोम रोम खिल गया। मारिया की योनि इतनी सुन्दर और मन-मोहक होगी मैं नहीं जानता था। बिलकुल साफ़, बस छोटे छोटे सुनहरे बाल। उसकी चूत किसी गुलाब की पंखुड़ियों की तरह ही गुलाबी थी।

रहा न गया और मैंने भी एक जबरदस्त चुम्मा उसकी चूत पर जड़ ही दिया। उसकी एक लम्बी सीत्कार ने मेरे जोश को दोगुना कर दिया। अब तो रहा नहीं जाता था। मैंने झट उसी चूत में अपनी दो उंगलियाँ डाल दी। उसे उँगलियों से ही जबरदस्त ढंग से चोदने लगा। उसने सीत्कारों, और कराहों की जैसे छड़ी लगा दी।

” ओऊ य़ा, उम्म्म्मम्म्म्मम्म्म्म, याआआआआआआ, येस, येस, येस ” जैसे शब्दों से मेरे कान गूंज गए।

मेरी कामेच्छा और बढ़ने लगी। मैंने उसकी टांगों को ऊपर किया और उसकी पतली सी पैंटी को निकाल कर अलग किया। उसकी गोरी संगमरमर जैसी जाँघों को चूमा और सहलाया। अब वो पूरी नग्न थी मेरे सामने।

मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया, पहले धीरे धीरे, सिर्फ जीभ से उसके दाने को चूसा, फिर रहा न गया तो मैं अपनी जीभ से उसकी चूत को चोदने लगा। तेज़ी से उंगलियाँ और जीभ चला चला कर मैंने उसे पागल कर दिया।

” अआह। अआह, याह्ह्ह, फक मी बेबी, फक माय पुस्सी, फक इट। फक येअह, फक इट हार्ड , ऊऊ येअह , येःह “

वो पूरी तरह गरम हो गई थी। मारिया मेरी उँगलियाँ अपनी चूत से निकालकर चाटने लग गई, जैसे अपनी ही चूत का स्वाद चखना चाहती हो। फिर उसने अपनी गांड उछाल-उछाल कर मुझसे अपनी चूत चटवाना शुरू किया।

अब मुझसे भी रहा नहीं जाता था। उसकी चुदाई के ख्वाब न जाने कब से देख रहा था।

अब मैंने मारिया को गोद में उठाया और पलट कर बिस्तर पर उल्टा लिटा दिया। वो झट से कुतिया स्टाइल में आ गई। पीछे से खुली उसकी मस्त चूत और गांड देखकर लंड और कड़ा होने लगा। मैंने उसकी चूत के मुहाने पर अपने लंड लगाया और एक ही धक्के में अपने आधा लंड उसकी चूत में उतार दिया। मारिया कुँवारी नहीं थी पर अभी भी उसकी चूत बहुत टाईट थी।

उसकी चूत रस से बिल्कुल तर हो गई थी। अन्दर जाते ही वो बड़े ही जोश से मेरे लंड को चोदने लगी। हम दोनों मिलकर धक्के मारने लगे। जोश के मारे दोनों को कोई ख्याल नहीं था। दूसरे धक्के में तो मेरे सारा लंड उसकी चूत में जड़ तक बैठ गया। वो अपनी चूत से जैसे मेरे लंड को निचोड़ने लगी। हाय, इतनी टाईट चूत को चोदने में मजा इतना आता था, बता नहीं सकता। आज भी याद करके एक बार मुठ मारना पड़ता है मुझे।

वो पूरे जोश में चुद रही थी। जैसे पूरा मुझे ही अन्दर ले लेना चाहती हो। मैंने झुक कर उसके रसीले होंठों का चुम्बन किया, और उसके लटके हुए गोल और मस्त स्तनों को दबाने लगा। धक्के पे धक्का लगते हुए हम दोनों हांफ रहे थे पर न मैं झड़ा था न वो।

“फक मी। फक मी, ऊऊऊ येः , ऊऊ येस, फक मी रोबिन, फक मी हार्डर, फास्टर, फक मी प्लीज़, फक इट, फक, फक, येआह्ह्ह !” वो तो बस यही सुर लगाये हुए थी। अपने रेशमी बालों को झटका झटका का वो अपनी कमर को आगे पीछे फेंके जा रही थी। मेरा लंड उसकी कसी हुई चूत में जैसे अमृत पान कर रहा था। उसकी चूत इतनी कसी हुई थी कि अब तो मैं अपने कामरस को निकलने से रोक नहीं सकता था।

मैंने धक्के और तेज़ कर दिए। वो मेरे जोश का अंत जान कर खुद भी और तेज़ धक्के मारने लगी। अंत मैं हम दोनों साथ साथ झड़े।

मैंने अपने लंड को झड़ने से पहले ही उसकी चूत से निकाल लिया। वो मुड़ी और झट से मेरे लंड को पकड़कर अपनी हाथों से निचोड़ने लगी और फिर मुँह में लेकर उसने मेरा मुठ मार दिया।

आह ! लावा की तरह मेरा मुठ निकल पड़ा और उसके मुँह से निकलकर उसके स्तनों के ऊपर से बहता हुआ नीचे आ गिरा, उसने अंतिम बूँद तक चूसा मेरे लंड को। फिर हम अलग होकर गिर पड़े बिस्तर पे।

मुझे बड़ी गहरी नींद आई। जब मैं उठा तो देखा कि वो रसोई में है, वो कुछ बना रही थी। मैंने अपने कपड़े पहन लिए और उसके पास गया।

वो बोली,” सो, हाउ डीड यू लाइक यौर फर्स्ट टाइम???”

मैं उसे बस चूम सका और बोला,”आई वांटेड टू लिव आल माय लाइफ विद यू, बट आई नो दैट इस नॉट पौसिबल ! सॉरी, बेबी !”

मेरा गला रुंध गया पर वो मुस्करा कर बोली,”इट वाज़ ओनली फॉर दीज मोमेंट्स दैट वी हैड मेट। इट्स ओके (शायद हम इन्हीं खास क्षणों के लिए मिले थे)” पता नहीं ये लड़कियां इतने भारी लम्हों में भी ऐसा कैसे बोल लेती हैं !

खैर, हमारा प्रोजेक्ट ख़त्म हुआ और मैं उसे छोड़कर वापस आ गया। आज भी वो मेरी यादों में जिन्दा है पर अब न मैं उससे मिलने की कोशिश करता हूँ न वो मुझे याद करती है।

अगर आपको मेरी कहानी अच्छी लगे तो मेरे लिए दुआ कीजियेगा, शायद इसके बाद अब कोई कहानी मैं न भेज सकूँ।

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