दोस्ती, सच्चा प्यार व प्यार भरी चुदाई-2

समीर जैन 2019-09-27 Comments

मेरी सेक्सी कहानी के पहले भाग
दोस्ती, सच्चा प्यार व प्यार भरी चुदाई-1
में आपने पढ़ा कि कैसे अपनी एक क्लासमेट से मेरा सम्पर्क हुआ, आपस में दोस्ती और प्यार का अहसास हुआ.

कुछ समय बाद, छन छन आवाज़ आई, उसने दरवाज़े के अंदर सिर्फ अपना हाथ किया और चुड़ी खनका कर उंगली से मुझे आने का इशारा किया.
मैं ड्राइंग रूम से बाहर निकला तो वो अपने बेडरूम के घुस चुकी थी.

मैं उसके बेडरूम में गया, और मेरी आँखें फैल गयी.

पूरे बेडरूम में सिर्फ मोमबत्तियां जल रही थी. खूब सारी मोमबत्तियां होने से बड़ी मादक रोशनी थी. कमरे में पिंकी के परफयूम की मस्त खुशबू फैली थी.

सामने बांहें फैला कर पिंकी खड़ी थी. ध्यान से देखा, पिंकी ने सिर्फ साड़ी पहन रखी थी, नीचे ब्रा एवम् ब्लाउज भी नहीं था. उसका शानदार गोरा जिस्म नीली साड़ी में चमक रहा था.
उसने बाल खोल रखे थे और चिकना बदन बहुत उत्तेजक लग रहा था.

दरअसल हम लोगों की फोन सेक्स वार्ता के दौरान उसने पूछा था- तुम मुझे कैसे देखना चाहोगे पहली चुदाई के दिन?
तब मैंने उसको बताया था कि मुझे तुम्हें गहरी नीली साड़ी में चोदना है, मोमबत्ती की मद्धम रोशनी हो, तुम्हारे शरीर पर साड़ी के अलावा अन्य कुछ भी ना हो.
बस मेरी उसी इच्छा की पूर्ति के लिए उसने पूरा माहौल मेरी इच्छा अनुरूप बनाया था.

वो मेरी आँखों में देखते हुए मेरे पास आई और हम एक दूसरे को फिर से चूमने लगे. मेरे हाथ उसकी चिकनी कमर पर घूम रहे थे. उसकी रेशम सी मुलायम त्वचा को छूने का मजा ही कुछ और था, हाथ जैसे रुई पर घूम रहे थे.

मैं बीच बीच में उसकी गर्दन पर भी चूम और काट रहा था जो उसकी कमजोरी थी. उसके होंठों को चूसने का पारलौकिक आनन्द ही कुछ और था. मैंने उसको चूमते हुए घुमा कर पीछे से आलिंगन कर लिया.

उसने अपना सर पीछे मेरे कंधे पर टिका दिया और मेरा नाम लेकर प्यार भरी बातें बुदबुदाने लगी. मैं अपने हाथ धीरे धीरे उसके बदन को सहलाते हुए उसके पेट पर ले आया और हल्के हाथ से उसके पेट को सहलाने लगा और थोड़ा झुक कर उसके नर्म होंठों को फिर से चूमने लगा.

हमारा चुम्बन प्रगाढ़ होता जा रहा था, एक दूसरे को जैसे पी जाना चाह रहे थे हम. मैंने मेरे हाथ उसके पेट को सहलाते सहलाते फिर से पल्लू के अंदर डाल दिए. धीरे धीरे मेरे हाथ अब उसके अनावृत मस्त रसीले बोबों पर चले गए, आहहह … मुलायम-मुलायम, गोल-गोल रसीले कड़क बोबों पर हाथ पड़ते ही हथेलियां उनको मसलने के लिए मचल उठी.

हम दोनों के मुँह से आनन्द की कराह निकाल गयी. मैं अब पूरे हाथों में उसके मस्त बोबों और चुटकियों के बीच उसके गुलाबी निप्पलों को मसलने लगा.

पिंकी के होंठ और बोबे उसकी कमजोरी थी और दोनों का मर्दन एक साथ होते ही पिंकी बेकाबू होने लगी.

मैंने उसका पल्लू नीचे गिरा दिया और उसके कन्धों को चूमते हुए उसको मेरी तरफ घुमा लिया. मैंने उसके चेहरे को ऊपर किया, उसने मेरी आँखों में देखा और हम दोनों की आँखें नम हो गयी.
“आई लव यू पिंकी, पहले क्यों नहीं मिली तुम!”
हम दोनों फिर से आलिंगनबद्ध हो गए, हमने कस कर एक दूसरे को आलिंगन किया था.

मेरा कड़क लंड पिंकी की जांघों से टकरा रहा था. अब कामवासना की हवाएं चलने लगी थी. तभी पिंकी ने मुझे कस कर चूमा और मेरी टीशर्ट उतार दी.
और फिर पिंकी ने मुझे कमर से जकड़ लिया और मेरे निप्पलों को बारी-बारी से चूसने लगी. इसी के साथ ही उसको काट भी रही थी.

फिर वो अपनी जीभ छाती के बीच में चलाते हुए नाभि तक आती और फिर दोनों निप्पल को चूसने लगी. मैं अपनी हथेली से उसके मुलायम बोबों को मसल रहा था. बीच बीच में साड़ी के ऊपर से उसकी गांड भी दबा रहा था.

मैंने पहले से ही गिरे पल्लू को पकड़ कर साड़ी को खोलना चालू कर दिया, पिंकी की वासना अब एकदम भड़क चुकी थी जिसके कुछ निशान वो अपने दांतों से मेरे सीने पर छोड़ चुकी थी.

फिर वापस उसी तरह जीभ चलाते हुए धीरे धीरे नीचे की ओर बढ़ते हुए वो मेरे सामने घुटनों के बल बैठ गयी. उसने मेरी आँखों में देखते हुए मेरी जींस को खोला और नीचे खींच दिया.
फिर उसने बड़ी अदा से मेरे लंड को अंडरवियर से भी आजाद कर दिया और फिर उसने मेरे लंड को गप से मुँह के अन्दर लेकर ओरल चुदाई शुरू कर दी.

उसकी जीभ जैसे ही मेरे लंडमुंड से छुई, जैसे पूरे बदन में तरंगें दौड़ गयी, उसका गर्म मुँह और गीली जीभ मेरे लंड को बहुत सुहायी. और फिर मेरा लंड उसके मुँह में ही स्वतः ही फुदक पड़ा.
वो जीभ बाहर निकाल कर पूरे लंड को मुँह में गहरा ले लेकर चूस रही थी. पिंकी अपनी जीभ से मेरे पूरे लंड को रगड़ कर चाट रही थी, लंबा होने के बावजूद वो मेरे लंड को पूरा अंदर ले रही थी.
यह मेरा आजतक का सर्वश्रेष्ठ मुखमैथुन का अवसर था जिसकी लज्जत को मेरा रोम रोम महसूस कर रहा था.

पिंकी के लिए इतने दिनों की उत्ते =जना, नए बदन की लज़्ज़त, प्यार और सेक्स का मिश्रण इन सबके परिणाम स्वरूप मैं बहुत देर नहीं टिक पाया और पांच मिनट में ही स्खलित हो गया.
मेरे वीर्य को पिंकी ने तुरंत ही एक कपड़े में पौंछ लिया और जो मुँह में रह गया उसको बाथरूम में मुँह धोकर गिरा दिया.

बाथरूम से वापस आती हुई पिंकी ने मुस्कुराते हुए विजयी भाव से मेरी तरफ देखा और मेरे चेहरे को हाथों में पकड़ कर फिर से एक गर्मागर्म चुम्बन शुरू कर दिया.

मैंने फिर से पिंकी के रसीले बोबे दबाने शुरू कर दिए. वो भी मेरा साथ दे रही थी. मैं उसको चूमते हुए उसके बोबों को मस्ती से दबाने लगा. वो भी मेरी कमर पर अपने हाथ फेर रही थी.

मैंने उसकी कमर पर हाथ फेरते हुए उसे कस कर बाँहों में ले लिया जैसे मैं उसे अपने अन्दर समा लेना चाहता हूँ.
बदले में उसने भी मुझे उतना ही जोर से बांहों में जकड़ लिया.

आज हमारा इस तरह से मिलने का पहला अवसर था … लेकिन हम दोनों अच्छे से जानते थे कि आज हमारे प्यार की मंजिल को पाना है.

मैंने अब उसकी साड़ी को पूरा उतार दिया और मेरे सामने एक और उपहार था, पिंकी ने साड़ी के नीचे पेटीकोट एवम् पेंटी भी नहीं पहनी थी. अब पिंकी मेरे सामने पूरी अनावृत हो चुकी थी, खजुराहो की सेक्सी मूर्ति के तरह उसका सेक्सी बदन मेरे सामने था.

मैंने पिंकी को अपने से दूर किया और उसके मादक बदन को निहारने लगा, जैसे साक्षात् कामदेवी मेरे समक्ष खड़ी थी. हम दोनों ही नग्न थे, एक दूसरे को प्यार से निहार रहे थे, मेरा लंड एकदम तनकर उसकी तरफ सलामी दे रहा था.

मैं पिंकी की तरफ बढ़ा, उसके चेहरे जो अपने हाथों में लेकर उसके होंठों को फिर से चूमा ‘आई लव यू पिंकी’ कह कर मैंने पिंकी को पलंग पर धकेल दिया.
इस बार मैंने उसके पांव को अपने हाथों में लेकर धीरे धीरे चूमना शुरू कर दिया.

पिंकी मुझे बोलने लगी- प्लीज़ तड़पाओ मत! अब मेरी प्यासी चुत में अपना लंड डाल भी दो. तुम्हारे लिए बहुत दिनों से तड़प रही हूँ.

मैंने उसको अनसुना करते हुए, अपना ध्यान उसके खूबसूरत पाँवों को चूमने में लगाया. ताज़ी वैक्सिंग होने के कारण, एकदम रुई की तरह मुलायम त्वचा को चाटते हुए ऊपर बढ़ता गया. अब मैंने उसके पांव को फैलाया और उसकी जाँघों को अंदर की तरफ से चूमने लगा चाटने लगा.

पिंकी उठ गयी और मुझे ऊपर खींचने लगी. मैं उसको फिर चूमने लगा और जमीन पर घुटनों के बल बैठ गया और पिंकी के रसीले बोबों को चूसने लगा.

पिंकी मुझे फिर से बोलने लगी- प्लीज़ चोदो अब मुझे.
मैंने फिर भी उसको अनसुना कर दिया और पीछे धकेल दिया और उसकी एकदम गोरी गुलाबी चुत को चूम लिया.

‘आआह्ह …’ पिंकी आनन्द के अतिरेक में कराह उठी और मेरे सर को पकड़ कर अपनी चुत पर दबा दिया.
पिंकी सिसकारियां भरती हुई बोलने लगी- ईस्स्स्स … आज पहली बार किसी ने मेरी चुत चाटी है.

मैं अपनी जीभ से उसकी चुत के होंठों को चूसने लगा, बीच बीच में उसकी भग को भी चाट रहा था. कभी जीभ को गोल कर उसकी चुत में घुसा कर अंदर तक चाट रहा था. उसकी चुत का स्वाद कुछ खट्टा सा था लेकिन वासना के अतिरेक में वो गौण था.

मैं अपने हाथ बढ़ा कर उसके बोबों को मसलने लगा. तभी पिंकी चीखती हुई झड़ गयी.
शायद एक दूसरे से असीम प्रेम और चाहत के फलस्वरूप वो बेहद जल्दी झड़ गयी.

पिंकी जोर जोर से लंबी सांसें लेती हुई आँख बंद कर लेटी रही.

मैंने पास पड़े तौलिये से मुँह साफ किया और बाथरूम में जाकर मुँह धोकर आ गया. जब तक पिंकी अपनी सांसें संभल चुकी थी.
मुझे देखकर वो शर्मा गयी. फिर अपनी बांहें फैला कर मुझे अपने पास बुलाया और अपने ऊपर खींच कर चूमने लगी और बार बार आई लव यू कहने लगी.

मेरा लंड उसकी चुत चुसाई के दौरान ही खड़ा हो चुका था. अभी इस आलिंगन के दौरान मेरा लंड उसकी चुत के ऊपर था.

पिंकी ने मुझे फिर से चूमते हुए कहा- अब चोदो ना प्लीज़.
मैंने भी अब पहले तो अपने आप को पिंकी के ऊपर लेटकर ठीक से व्यवस्थित किया। मेरा लंड भी तनाव में था, इसलिये अब मैं भी देर ना करते हुए तुरन्त ही पिंकी पर टूट पड़ा।

उसने भी अपनी जाँघों को पूरा खोलकर मुझे अब अपनी दोनों जाँघों के बीच में ले लिया और अपने एक हाथ से मेरे कड़क लण्ड को पकड़कर सीधा ही अपनी भूखी चूत के मुंह पर लगा लिया।
मैंने अपनी कमर को हल्का झटका दिया और एक बार में ही मेरा आधे से ज्यादा लण्ड उसकी चूत में उतर गया.

और उसके मुंह से आनन्द की एक हल्की सी कराह ‘आह्ह्ह्ह …’ निकल गयी। यह कराह पीड़ा की नहीं थी बल्कि आनन्द की‌ कराह थी.

मैंने फिर से अपनी कमर को उचकाकर एक धक्का लगा दिया। पिंकी तो पहले से तैयार थी, उसने भी अपनी कमर को लय में उचका दिया, उसकी चूत भी कामरस से लबालब थी और एक बार में लगभग मेरा पूरा ही लण्ड उसकी चूत में उतर गया।
पिंकी के मुंह से एक बार फिर से ‘आह्ह्ह्ह …’ की एक मीठी सी कराह निकल‌ गयी।

पिंकी ने मुझे अब तुरन्त ही अपनी अपनी दोनों जाँघों के बीच अपनी टांगों से जकड़ सा लिया. मैंने भी अब एक बार तो उसके रसीले होंठों को प्यार से चूम लिया फिर अपनी कमर से प्यार भरे धीरे धीरे धक्के लगाने शुरु कर दिये जिससे पिंकी के मुंह से अब ‘उम्म्ह … अहह … हय … ओह … मस्त लग रहा है आह्ह … ईईश्श्श … आह्ह …’ की सिसकारियाँ फूटनी शुरु हो गयी।

एक एक बार झड़ने के कारण अब जल्दी नहीं थी और मेरा मन पूरा आनन्द लेने का था.

कुछ देर धीरे धीरे धक्के, चुम्बन और बोबों के मर्दन और चुसन के बाद, मैंने कभी धीरे और कभी एकाएक जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए. मेरे धक्के लगाने से पिंकी भी अब अब जोर से कराहें लेने लगी, उसकी चूत भी कामरस से भरी थी और उसने‌ भी मेरा पूरा साथ देना‌ शुरु कर दिया।

उसकी कराहें भी अब आनन्द भरी सिसकारियों में बदल गयी और वो भी मेरे साथ साथ अब नीचे से जल्दी अपने‌ कूल्हों को‌‌ उचकाने लगी जिससे मेरा जोश अब और भी बढ़ गया।

मेरे धक्के धीरे-धीरे बढ़ते गए और हम दोनों के बदन गर्म होने लगे. मेरी छाती से उसकी छाती, मेरे पेट से उसका पेट और मेरी जांघों से उसकी जांघें चिपक गईं उसकी चूत से कामरस इस तरह रिस रहा था कि मुझे ये पता भी नहीं लग रहा था कि मेरा लंड चूत की चमड़ी में रगड़ खा रहा है या कहीं मक्खन में घुसा जा रहा है.

पिंकी भी पूरी मस्ती में आ गयी थी. वो भी मुझे चूमने और काटने लगी. कभी-कभी अपनी गांड को इस तरह उचकाती थी कि ऐसा लगता था कि मेरे लंड को और अंदर तक लेना चाहती हो.
मेरे लंड के मुंड को मैं उसकी बच्चेदानी पर टकराते हुए महसूस कर रहा था, उसके बाद कुछ पल तक शान्त हो जाती और फिर से मेरा साथ देने लगती.

मित्रो, क्या मस्त मज़ा आ रहा था. लंड की चमड़ी की उसकी चुत की दीवारों पर रगड़ असीम आनन्द दे रही थी. बीस मिनट से ज्यादा समय हो गया था उसकी चूत चोदते हुए मुझे।

फिर मैं पिंकी के बदन से ऊपर उठकर मैं अब अपने हाथों बल‌ हो गया और अपनी‌ पूरी तेजी व ताकत से धक्के लगाने शुरु कर दिये। पिंकी ने भी अपनी गांड को ऊँचा कर लिया जिससे लंड की ठोकर एकदम बच्चेदानी पर लग रही थी. दोनों में मुँह से आनन्द भरी आवाजें निकाल रही थी.

मेरे और पिंकी के मुंह से कराहें और सिसकारियाँ तो निकल ही रही थी, वहीं हमारी इस घमासान से अब ‘पट्ट … पट्ट …’ और ‘फच्च … फच्च…’ की आवाजें भी निकलना शुरु हो गयी जिससे कमरे में अब पट्ट … पट्ट … फच्च … फच्च … की आवाज के साथ मेरी व पिंकी की सिसकारियों से गूंजने लगी थी।

मगर हमें उसकी परवाह ही‌ कहां थी … अब जितना मैं अपनी मंजिल पर पहुचने की‌ जल्दी में था, उतनी ही अब पिंकी भी अपनी मंजिल‌ को‌ पाने के लिये उतावली हो रही थी। कड़क सर्दी के मौसम‌ में भी हमारी इस घमासान चुदाई से दोनों के पसीने निकल‌ आये और हमारी सांसें जोर से चल रही थी।

मगर फिर भी मैं और पिंकी अपनी वासना के इस घमासान में लगे रहे। ऐसा लग रहा था हमारी चुदाई के अलावा इस दुनिया में कुछ और था ही नहीं.

और फिर कुछ ही देर और लंड चुत की रगड़ाई के बाद मेरा प्यार अपने चरम पर जाकर पिंकी की चूत में किसी लावे की तरह फूट पड़ा। मैंने उसे कसकर अपनी बांहों में जकड़ लिया और मेरे लंड ने फुदक फुदक कर उसकी चूत को अपने रस से भरना शुरु कर दिया।
मुझे महसूस हो रहा था जैसे आज मेरे लंड से रोज से दुगना वीर्य निकल रहा है.

मेरे गर्म वीर्य की धार के कारण पिंकी भी अब अपनी मंजिल पर पहुंच गयी थी जैसे मेरे ही झड़ने का इन्तजार कर रही थी। जैसे ही मेरे लण्ड से उसकी चूत में वीर्य की पिचकारियाँ निकलना शुरु हुई, उसने भी अपने हाथ पैरों को समेटकर मुझे कसकर अपनी बांहों में भींच लिया और अपनी चूत में ही मेरे लण्ड को दबोचकर उसे रह रह कर अपने प्रेमरस से नहलाना शुरु कर दिया।
उसकी चुत लपलपा कर मेरे लंड को चूस रही थी.

मैं और पिंकी दोनों ही एक दूसरे की बांहों में समाये पड़े रहे। फिर धीरे से मैंने साइड में होकर पिंकी को पीछे से आलिंगन कर लिया, अपने हाथों से उसके बोबों को पकड़ कर, उसकी गांड की दरार में अपना लंड दबा कर हम दोनों सुस्ताने लगे ओर हमारी आँख लग गयी.

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