मालिनी और हम चार दोस्त

प्रेषक : साहिल भार्गव

क्या आपको लगता है कि मैं सुंदर हूँ? क्योंकि मेरे प्रेमी ने मेरी सबसे अच्छी सहेली (जैसा कि मैं उसके लिए सोचती थी) के साथ मिल कर मुझे धोखा दिया। मैं समझ नहीं पाई कि क्यों ?

मैंने उसे हर वो चीज दी जो भी वह चाहता था ! यहाँ तक कि मैंने उसे अपनी योनि के अंदर भी छुटाने दिया।

लेकिन अब मैं मूर्ख बनी नहीं रह सकती !

वास्तव में अब मैं भी अपने लिए कुछ खोज रही हूँ ! मैं मालिनी हूँ, और मैं अपने प्रेमी को सबक सिखाने के लिए और उसे वापिस पाने के लिए खूब सारे लड़कों से चुदना चाहती हूँ।

चिंता मत करो, मैं आपसे चिपक कर नहीं रहूंगी। बस एक गंदा विकृत सेक्स ! मैं आपसे इतना चाहती हूँ कि आप इस सबकी खूब सारी तस्वीरें लें ! जैसे बिल्कुल पास से एक तस्वीर लें जिसमें आपका बड़ा लण्ड मेरी चूत को फ़ाड़ रहा हो और एक जिसमें आप मेरी पसीने से भरी बड़ी-बड़ी चूचियाँ चूस रहे हों !

मुझे अभी फ़ोन करो ताकि हम मिल कर उस कमीने को एक सबक सिखा सकें !

आप जानना चाहते हैं कि मैं कैसा सेक्स चाहती हूँ? मेरे एक यार द्वारा लिखी मेरी इस कहानी को पढ़ कर आप जान जाएंगे कि मैं चाहती क्या हूँ।

अन्तर्वासना.कॉम के पाठकों को साहिल का प्यार भरा नमस्कार। मैं बहुत दिनों से अन्तर्वासना में कहानियाँ पढ़ रहा हूँ, पर आज तक अपनी कहानी भेज नहीं पाया। आज मैं आप सब लोगों को अपनी ज़िन्दगी की सबसे रोमांचक घटना बताने जा रहा हूँ।

क्योंकि मैं पहली बार अपनी कहानी बता रहा हूँ इसलिए मैं आप लोगों को अपना परिचय देना चाहूँगा। मेरा नाम साहिल भार्गव है और मैं अभी पुणे के एक कॉल सेंटर में काम करता हूँ। यह कहानी है मेरी पहली गर्ल फ्रेंड मालिनी के बारे में। उससे मेरी पहचान तब हुई जब मैं रायपुर से कोलकाता उसके मोहल्ले में रहने के लिए आया था।

कोलकाता में मेरा एक दोस्त राजीव रहता है। उसी के घर में मैं किरायदार था। कुछ दिन बाद उसी के कारण मेरी मालिनी से मुलाकात हुई। बाद में हम लोग अच्छे दोस्त बन गए। उससे मेरी बात ज़्यादातर फ़ोन पर ही होती थी। मेरी जब छुट्टी रहती थी तब हम लोग मिला करते थे। उससे बात करके मुझे पता चला कि वो आम लड़कियों की तरह नहीं थी, उसे नई नई चीज़ों का बड़ा शौक है। वो बहुत तेज़ थी। हमारे रिश्ते को सिर्फ दो ही महीने हुए थे और इन दो महीनो में मैंने उसकी तीन बार चुदाई कर डाली थी। उसे भी मेरे साथ सेक्स करने में मज़ा आता था। कभी अगर हम नहीं मिल पाते थे तो हम फ़ोन सेक्स किया करते थे और वो इसमें भी मेरा पूरा साथ दिया करती थी।

इसी फ़ोन सेक्स के दौरान मैंने एक दिन उससे पूछा- मान लो, अगर तुम एक से ज्यादा लड़के के साथ सेक्स करो तो?

इस पर उसने कहा- ऐसा कभी हुआ तो तुम्हें ज़रूर बताऊँगी।

तभी मेरे दिमाग में एक शरारत सूझी और मैंने उससे पूछा- अगर कभी एक साथ तीन या चार लड़कों के साथ सेक्स करना हुआ तो?

तो उसने कुछ नहीं कहा।

फिर दिन इसी तरह बीतते चले गए। मैं अक्सर उससे यह सवाल पूछता रहता था। एक दिन उसने कहा- मुझे उस दिन का इंतज़ार रहेगा।

बस तब क्या था, ज्यादा जोश में मैंने उससे पूछ डाला- क्या तुम मेरे दोस्तों के साथ सेक्स करना चाहोगी?

मालिनी ने कुछ नहीं कहा। एक दिन हम लोग बाहर मिले। मुझे कुछ चीज़ें खरीदनी थी तो मैंने उसे कहा मेरे साथ चलने को। सामान खरीदने के बाद हम लोग एक रेस्तरां में गए। वहाँ मैंने फिर यही बात पूछी। वो मेरी तरफ देखने लगी। पर उसकी आँखों में गुस्सा नहीं था, जैसे एक जोश सा था, उसने कहा – जिस दिन बोलोगे, मैं आ जाऊँगी।

फिर हमने अपना खाना ख़त्म किया और वापिस अपने अपने घर चले गए।

ऑफिस में काम करते हुए मेरी दोस्ती तीन लड़कों से हुई थी- विजय, नीरज और ज़फर। उनकी आदत थी कि वो हर बार एक नई लड़की पटाते और कुछ दिन में उनके साथ सेक्स कर लेते थे। ऐसी बहुत लड़कियाँ होती हैं जो सिर्फ सेक्स के भूखी होती हैं। ये तीनों उन्हीं लड़कियों से जान पहचान बनाते थे।

मैंने उनसे मालिनी की बात बताई। मैंने उनसे मालिनी के साथ सेक्स करने का प्रस्ताव भी रखा।हालांकि उन्होंने कभी एक साथ किसी लड़की को नहीं चोदा था, उनके लिए यह एक नया रोमांच था। वो तैयार हो गए। मैंने उनसे इंतज़ार करने को कहा। ऑफिस में छुट्टी जल्दी नहीं मिलती थी।

हम चारों ने एक दिन यह काम करने का सोचा और तय किया कि नीरज के किराए के घर में यह जलसा मनाएंगे।

उस दिन मैंने मालिनी को बाहर मिलने के लिए बुलाया। हम दोनों एक पार्क में मिले और मैंने उसे अपने तीनों दोस्तों के बारे में बताया। वो मेरी बात सुनकर तैयार हो गई। और इस तरह हम सबने आने वाले रविवार को मिलने का कार्यक्रम बनाया।

रविवार को हमने काम नहीं किया। हमने ऑफिस से ज़रूरी काम के बहाने छुट्टी ले ली। तय हुआ था कि सब दस बजे नीरज के घर पर मिलेंगे, तो उस हिसाब से हम लोग सब उसके घर पहुँच गए। ज़फर थोड़ी देर से आया। वह अपने साथ बीयर की बोतलें लाया था, विजय एक ब्लू फिल्म की सी डी लाया था।

योजना के मुताबिक मालिनी को मैं साथ लेकर आया था। उसने टी-शर्ट पहनी थी जिसमे में उसकी चूचियां साफ़ नज़र आ रही थी, और नीचे उसने जींस पहनी हुई थी, जो उसकी गांड का पूरा नज़ारा दिखा रही थी। मैंने उसको अपने दोस्तों से मिलवाया, सबके बारे में अच्छे से बताया, उनकी लड़कियों वाली आदत भी।

बात करते हुए नीरज ग्लास लेकर आया और सबको बीयर डाल कर दी। मैंने मालिनी से भी थोड़ी बीयर पीने के लिए कहा ताकि उसे तकलीफ न हो, पर उसने मन कर दिया और कहा कि वो यह सब होश में रह कर करना चाहती है।

फिर सबने मालिनी से उसके बारे में पूछा। मालिनी कोलकाता का एक मशहूर कॉलेज में साइंस की छात्रा थी। उसका दूसरा साल चल रहा था। इसके अलावा वो संगीत की क्लास किया करती थी।

नीरज ने पूछा- आज जो कुछ भी होगा उसके लिए तुम दिल से तैयार हो या नहीं?

तो उसने कहा- मैं खुद ऐसा चाहती थी।

इससे उन लोगों को और हौसला मिला।

अब विजय की लाई हुई सी डी नीरज ने चलाई, उसमें एक लड़की एक साथ चार लोगों के साथ चुदाई के मजे ले रही थी।

मालिनी को बड़े ध्यान से सी डी देखने के लिया कहा गया। वो देख रही थी।

थोड़ी देर में जैसे उसकी जवानी डोलने लगी और यह बात सबसे पहले ज़फर ने पकड़ी। उसने मेरी तरफ़ इशारा किया और मैं धीरे धीरे उसके दाईं जांघ को सहलाने लगा।

विजय उसकी बाईं तरफ बैठा था। थोड़ी ही देर में उसने उसके बाईं तरफ की जांघ को सहलाना शुरू कर दिया। अचानक नीरज ने सी डी बंद कर दी।

उसने मालिनी से कहा कि सी डी में जो कुछ भी हो रहा था वैसा नहीं होगा। कुछ अलग तरीके से तुम्हारी चुदाई होगी।

वो मान गई।

फिर नीरज ने कहा- सामने जाकर खड़ी हो जाओ।

वो सामने खड़ी हो गई।

नीरज ने फिर उसे कहा- एक एक करके अपने कपड़े उतारो और हर एक कपड़ा उतरने के बाद सबसे पास एक बार आओ।

मालिनी ने पहले अपनी शर्ट उतारी, उसके उतारते ही ब्रा में लिपटी उसकी चूचियाँ सामने आ गई।

फिर विजय ने उसे ब्रा उतारने के लिए कहा तो उसने वो उतार दी। अब वो एक एक करके सब के पास गई। सबने एक एक करके उसको दूध को सहलाया, जब वो ज़फर के पास गई तो उसने दूध को सहलाने के साथ उसे थोड़ा चूसा भी। उसके बाद मैंने उसे अपनी जींस उतरने के लिए कहा, जो उसने किया।

फिर सबने एक एक करके उसकी गांड को छुआ।

फिर विजय ने उसे चड्डी उतारने को कहा तो उसने कहा- यह हक़ उसको दे रही हूँ जो सबसे मेरी पहले मेरी चूत को चाटेगा।

तो विजय ने कहा- मैं करूंगा इस काम को।

अब मैंने मालिनी से कहा कि वो सबको एक एक करके चूमे और साथ ही सबके लंड को भी पकड़े।

मालिनी सबसे पहले मेरे पास आई और उसने यही काम किया। उसके बाद विजय, नीरज और ज़फर के पास जाकर भी उसने सबके लंड खड़े किये।

अब उससे नीरज ने कहा- अरे हमारी एक दिन की बीवी ! चलो सबकी पैंट उतार और हमारा लंड चूस। हम भी तो देखें हमारे दोस्त को कितना मज़ा मिला है।

मालिनी थोड़ी मुस्कुराई और फिर उसने सबकी पैंट उतारी।

अब उसके सामने चार सात इंच के मोटे मोटे लंड थे। उसने मेरी तरफ देखा तो मैंने उसे पहले नीरज का लंड चूसने को कहा।

उसने नीरज का लंड अपने मुँह में डाला और विजय और ज़फर का लंड अपने दोनों हाथों से मसलने लगी। मैं अपना लंड खुद ही मसल रहा था क्यूंकि वो कई बार मेरे लिए यह कर चुकी थी। सबका लंड एक एक करके चूसने में उसे एक घंटा लग गया।

उसके बाद उसने मेरे लंड को अपने मुँह में डाला और चूसने लगी। उसने मेरा लंड 15 मिनट तक चूसा।

अब नीरज ने उसे बिस्तर पर लिटाया और फिर हम लोगो से उस पर टूट पड़ने के लिए कहा।

उसने मालिनी से कहा – मेरी जान, आज तुम्हें इतना प्यार देंगे, ऐसा चोदेंगे कि तुम मरने के बाद भी नहीं भूल पाओगी।

इसके बाद हम लोगों ने अपनी-अपनी जगह पकड़ ली। मैंने उसको होंठ, ज़फर ने उसके दाईं और नीरज ने उसकी बाईं चूची पर अपना मुँह रख दिया और तीनों चूसने लगे और वादे के मुताबिक विजय ने उसकी चड्डी उतारी और चूत को चाटने के लिए तैयार हो गया।

जब उसने उसकी चड्डी उतारी तो मालिनी एक बार झड़ चुकी थी। तो विजय ने अपनी जीभ से उसकी चूत को साफ़ किया। वो और कामोन्माद में आ गई। अब विजय उसकी चूत को चाटने लगा। मालिनी को जैसे स्वर्ग के दर्शन हो गए। इतनी देर तक वो चुप चाप सब कर रही थी। अब उसकी अकेली जवान जिस्म पर चार मर्द हावी थे। वो धीरे धीरे मज़े लेने लगी।

विजय को उसने कहा – और अच्छे से मेरे राजा इसे चाट कर इसी बची कुची प्यास बुझा दो। आज तुम सब मेरे जिस्म को बरबाद कर दो। मेरी चूत फ़ाड़ दो तुम लोग।

सब लोगों ने बारी बारी अपने जगह बदले और मालिनी को मज़ा दिया।

इसी दौरान मालिनी फिर एक बार झड़ गई। पर उसकी जवानी रुकने का नाम नहीं ले रही थी। हमने फिर उसको बिस्तर से उठाकर नीचे बिठाया और फिर उसे हमारे लंड चूसने को कहा। वो फिर से सबके लंड चूसने लगी और इस बार हम सब बारी बारी झड़ गए। उसने सबका पानी पी लिया और सबके लंड को अपने जीभ से साफ़ कर दिया।

थोड़ी देर रुक कर हमने अपना कार्यक्रम आगे बढ़ाया। अब सवाल यह था कि कौन उसकी चूत में अपने लंड पहले डालेगा।

नीरज को उसका लंड चुसवाने में मज़ा आ रहा था इसलिए उसने मालिनी फिर अपना लंड चूसने को कहा।

ज़फर ने कहा- विजय ने इसकी चूत सबसे पहले चाटी थी इसलिए मैं चूत पहले मारूंगा।

तो तय यह हुआ कि ज़फर उसकी चूत में और विजय उसकी गांड में लंड डालेगा, नीरज का लंड वो चूसेगी और मेरा लंड लेकर वो हाथों में खेलेगी।

सबसे पहला राउंड ऐसा ही हुआ। सबने एक एक करके उसके तीनों छेदों में अपने अपने लंड डाल दिए और मालिनी ने मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया। एक साथ तीन लंड का झटका उसके लिए दर्दनाक था पर वो मज़े से उस दर्द को सह रही थी।

बारी बारी सबने अपने जगह बदल कर उसके जिस्म का मज़ा उठाया और उसको भी मज़ा दिया। इस दौरान हम लोग तीन बार झड़ चुके थे पर मालिनी अब रुकने का नाम नहीं ले रही थी। उसकी प्यास और बढ़ गई और उसने सबको काम जारी रखने को कहा।

पर हमारी हालत बहुत खराब हो गई थी। पहली बार की चुदाई लगभग तीन घंटे चली थी। हमने मालिनी को रोका और कहा कि थोड़ा आराम करने के बाद फिर नए सिरे से चुदाई चुरू होगी।

मालिनी मान गई।

हम सब बाथरूम में एक साथ चले गए। मालिनी ने हम सबको नहलाया और हमने उसे।

फिर हम लोग बाहर आ गए। नीरज ने पहले ही खाना मंगवा लिया था तो हमने नंगे बदन ही खाना खा लिया। फिर हम सब नंगे ही सो गए। नीरज मालिनी को लेकर साथ में सोया था और उसके दूध को सहलाये जा रहा था।

दो घंटे बाद सब जब नींद से उठे तो फिर दूसरा दौर शुरू हुआ और इस बार चुदाई चार घंटों तक चली। शाम को आठ बजे हम लोग नीरज के घर से बाहर निकले और अपने अपने घर चले गए।

उसके बाद करीब 6 महीने हमने साथ में कई दिन बिताये और न जाने कितनी बार चुदाई-लीला चलाई।

फिर मेरा तबादला पुणे हो गया। आज भी मालिनी के साथ मेरा जान पहचान है और जब भी मैं कोलकाता जाता हूँ, मैं उससे मिलता हूँ और हम साथ में कई घंटे बिताते हैं।

दोस्तों आप लोगों को कहानी कैसी लगी? क्या आप भी मिलना चाहते हैं मालिनी से ?

तो मालिनी का फ़ोन नम्बर यहाँ से लीजिए।

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