एक उपहार ऐसा भी- 18

(Ek Uphar Aisa Bhi- Part 18)

संदीप साहू 2020-06-09 Comments

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नमस्कार साथियो, इस रसीली कहानी के पिछले भाग में आपको बताया था कि हल्दी की रस्म के बाद उधर डांस सिखाने का कार्यक्रम चल रहा था, जिसमें चुलबुली और अति सेक्सी पायल मुझे डांस सीखने के लिए पकड़े जा रही थी.

वहां बैठी सभी लड़कियां मेरी बेबसी का मजा ले रही थीं और मुस्कुरा कर तमाशा देख रही थीं.

अब आगे:

मैंने गिड़गिड़ाते हुए फिर से मना किया और वहां से उठ के भागने लगा. पायल ने मुझे लपक के पकड़ लिया और वहां बैठी कुछ और लड़कियों ने पायल का साथ दिया.

अब पायल ने ब्रम्हास्त्र का उपयोग किया. वो मुझे खींचते हुए स्टेज के दूसरी ओर दादी के पास ले गई, जहां प्रतिभा, खुशी, सुमन, आंचल सभी बैठे थे. मेरी हीना भी वहीं मेंहदी लगाती बैठी थी और चोरी छुपे मुस्कुरा रही थी.

आपको तो याद होगा, हीना वही थी, जिसकी जवानी का प्रसाद मुझे इस सेक्स कहानी की एक कड़ी में मिला था.

पायल ने वहां जाकर बूढ़ी दादी से मेरी शिकायत की- दादी देखो ना … ये कल के संगीत में भाग नहीं ले रहे हैं!

दादी ने कहा- क्यों बेटा क्या हुआ? छोरियों जैसे शर्माओगे … तो सबकी हंसी का पात्र नहीं बन जाओगे.
मैंने दादी के पैर छुए और कहा- पर दादी जी … मुझे सच में नाच गाना नहीं आता!
इस पर आंचल ने मुस्कुरा कर और लपक कर कहा- पायल है ना! … और कोरियोग्राफर भी हैं ना … वो आपको सिखा देगा.

आंचल तो जैसे आज मेरे मजे ही लेने में लगी थी.

फिर मैंने दूसरा बहाना किया- पर मेरे पास पार्टनर भी नहीं है.
इस पर प्रतिभा तपाक से बोल पड़ी- मैं हूँ ना! मैं बनूंगी तुम्हारी पार्टनर!

अब मेरे पास कोई बहाना नहीं बचा, तो मैं सर खुजाने लगा.

इस पर दादी ने कहा- कोई छोटा सा गाना ढूंढ ले बेटा … और थोड़ा सा ठुमक कर सबका दिल रख ले. और खुशी का चेहरा तो देख, तुम्हारे मना करने से कैसे उतर गया है.

सच में मुझे तो खुशी का ध्यान ही नहीं रहा, वो मुझे ही उम्मीद से निहार रही थी.
मैंने खुशी की आंखों में आंखें गड़ा दीं और कहा- हां, मैं खुशी की शादी की खुशी में नाचूंगा!

मेरे हां कहते ही पायल ने दूसरी बच्चियों के साथ ताली ठोंक कर जश्न मनाया और सभी बहुत खुश हुए, दादी ने भी आशीर्वाद दिया.

अब गाने का चयन और तैयारी का टेंशन मुझे ही था. क्योंकि प्रतिभा तो अभी खुशी के साथ मेंहदी लगवा रही थी और पायल से कहता, तो वो मुझे और फंसा देती.

मैं उन लोगों से थोड़ी दूर जाकर डबल सीट सोफे पर बैठ गया और मोबाइल में सर्च करके गाना ढूंढने की कोशिश करने लगा.

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था, मैं परेशान होकर सर खुजाते हुए हल ढूंढने का प्रयास कर रहा था.

तभी मेरे कानों पर आंचल की खनकती आवाज टकराई- मैं कुछ मदद करूं आपकी?
मैंने कहा- हां आइए ना बैठिए! अगर कुछ मदद कर दोगी, तो अच्छा ही होगा.

वो मेरे बगल में बैठ गई, हम डबलसीट सोफे पर बैठे थे … इसलिए काफी नजदीक बैठे थे. आंचल कभी मेरे इतनी नजदीक भी आएगी, ये मैंने सोचा भी नहीं था.

बैठने के बाद उसने कहा- क्या सोचा है अभी तक आपने?
मैंने कहा- सोचा तो कुछ भी नहीं है … बस यूट्यूब से कुछ मिल जाए, इसी लालच में कुछ गाने देख रहा था.

फिर मैंने मोबाइल को थोड़ा सा आंचल की ओर किया और आंचल भी थोड़ा मेरी ओर झुक कर मोबाइल देखने लगी. मैंने कुछ गाने सर्च किए थे, मैं वही दिखाने लगा.

पर आंचल उन्हें ना देख कर और वीडियो की तलाश में आगे बढ़ाने लगी. अब मेरा ध्यान मोबाइल की तरफ ना होकर आंचल की तरफ जा रहा था.

आंचल काम की देवी तो नहीं, पर प्रेम की देवी जरूर थी. कुछ लोगों की खूबसूरती लाजवाब तो होती है, पर उनकी मासूमियत और तहजीब की वजह से वो कामवासना की नजर से नहीं देखी जाती हैं, बल्कि प्यार और पूजा की नजरों से देखी जाती हैं. आंचल भी उन्हीं में से एक थी.

उसने कुछ देर गाना ढूंढने के बाद खुश होते हुए कहा- हां आप ये देखिए, ये कैसा रहेगा?

मैंने वो गाना और उसके डांस स्टेप देखे, वो मुझे कुछ कठिन से लगे, तो मैंने कुछ और देखने को कहा. उससे दूसरा गाना ढुंढवाने का एक कारण ये भी था कि मैं कुछ देर और आंचल के करीब इसी तरह रहना चाहता था.

आंचल ने बहुत मेहनत करके मुझे चार पांच गाने दिखाए, पर मुझे एक भी आसान नहीं लगा.

फिर आंचल ने थक कर कहा- तो आप ही बताइए ना … आप क्या चाहते हैं?
मैंने कहा- मैं जो चाहता हूँ, वो मिलेगा?
आंचल ने चौंक कर और गंभीर होकर कहा- क्या मतलब?
मैंने कहा- मेरा मतलब पुराना गाना मिलेगा?
आंचल ने कहा- हां, क्यों नहीं!

वो गूगल पर सर्च करके गाने दिखाने लगी. पुराने गानों की लिस्ट आते ही मुझे बहुत से गाने पसंद आने लगे.

पर मैंने कहा- पल पल … दिल के पास तुम रहती हो.
आंचल ने कहा- हाय राम … आप तो मुझको बदनाम ही कर दोगे.

मैंने कहा- अरे आप मुझ गलत समझ रही हैं. किशोर कुमार जी का गाया हुआ गाना है … फ़िल्म ब्लैकमेल का ये गाना है.
आंचल ने कहा- हां ये गाना मैंने भी सुना है. पर आपके बोलने का तरीका मुझे अन्दर तक डरा गया. वैसे अच्छा गाना चुना है आपने … सबको बहुत पसंद आएगा.

मैंने आंचल को धन्यवाद कहा, फिर आंचल ने पायल को बुलाया और गाने के बोल बताकर वीडियो दिखाई.

पायल ने कहा- ठीक है. मैं इस नए अदाज में परफार्म करवाऊंगी, सच में समधी जी, आपकी हर बात निराली है, क्या खूब गाना चुना है आपने! आई लाइक इट!
मैंने उसे छेड़ना चाहा- गाना या मैं?
पायल ने भी कहा- दोनों में से एक चुनना जरूरी है क्या? अगर मैं कहूं दोनों. तो!
मैंने कहा- चलिए मैडम डांस सिखाइए, बातों में तुमसे नहीं जीता जा सकता.

पायल ने वहां से चलते हुए मेरे कानों में धीरे से कहा- बातों में नहीं, मुझसे किसी चीज में नहीं जीता जा सकता!

मैंने मुस्कुरा कर हामी भरी और हम स्टेज के पास चले गए. पहले मैंने मोबाइल में गाना डाउनलोड किया, फिर पायल ने उसे सिस्टम में लगाकर बजवाया और एक कोरियोग्राफर के साथ डांस सिखाने आई. कोरियोग्राफर ने एक बार परफार्म करके दिखाया, जो मुझे बहुत कठिन लगा.

फिर पायल और कोरियोग्राफर प्रतिभा के पास गए और उन्होंने कुछ बातें की. पायल और कोरियोग्राफर ने स्टेज पर जाकर परफार्म करके दिखाया.

मुझे गौर से देखने और सीखने के लिए कहा गया था, इस बारे मुझे कुछ चीजें आसान लगीं, लेकिन दो जगह ऐसे स्टेप थे कि उसे देख कर ही मैं झैंप गया.

पायल की मस्ती के साथ खुशी की शादी मेरे लिए और भी मजेदार हो गई थी. अब प्रतिभा दास से मिलन का समय भी नजदीक आता जा रहा था.

गाने के बीच में दो बार नायिका, नायक की बांहों में आएगी, नायक उसके कमर में हाथ रखकर सपोर्ट करेगा और नायिका पीछे की ओर लगभग पूरी तरह झुक जाएगी.

मैं सोच रहा था कि मैं ये स्टेप कैसे कर पाऊंगा, लेकिन फिर सोचा अब हर चीज़ के लिए मना करना भी ठीक नहीं है. इसलिए मैंने किसी भी स्थिति के लिए अपना मन बना लिया.

फिर पायल ने पास आकर कुछ देर कुछ बातें समझाईं, म्यूजिक को चलाया, रूकवाया और कब क्या करना है … ये सब कुछ स्पष्ट करने के बाद मुझे स्टेज पर चलकर रिहर्सल करने का न्यौता दिया.

मैं शरमाते हुए स्टेज पर गया, वैसे मैं साहित्यिक गतिविधियों के लिए बड़े बड़े स्टेज पर गया हूँ, पर नृत्य एक अलग ही बात है, इसलिए मेरा लजाना अप्रत्याशित नहीं था.

मैंने पायल की बताई सारी बातों को स्टेज पर करने की पूरी कोशिश की, युगल नृत्य होने के कारण मुझे पायल को बार बार छूना पड़ रहा था और पायल को भी मुझसे बार-बार लिपटना पड़ रहा था. मैं संकोच में तो था, पर उस सुकन्या की सुकोमल देह का स्पर्श आनन्द भी ले रहा था.

अब वो स्टेप भी आ गया, जब मुझे पायल की कमर को पकड़ कर उसे सहारा देना था. पायल ने इस स्टेप के पहले डांस रोक कर समझाया कि मैं उसे कैसे पकडूंगा और वो क्या करेगी.

पायल ने इस दौरान मेरा हाथ पकड़कर अपने खुली कमर पर रखकर एक सांकेतिक अदा के साथ दबा दिया. उसी के साथ उसके चेहरे पर मुस्कान तैर गई.

पर दूसरे ही पल उसने अपने आव-भाव सामान्य करते हुए मुझसे कहा- समझ गए ना!

मैं तो अभी भी उसकी हरकत पर हतप्रभ था, मैंने यंत्रवत हां कह दिया.

फिर एक बार अभ्यास शुरू हुआ और मैं कमर पकड़ने वाले स्टेप पर संकोच करते हुए परफार्म कर रहा था.

इस पर पायल झल्लाते हुए रूक गई … और नाराजगी दिखाने लगी.
सभी का ध्यान हमारी ओर ही था.

आंचल ने तुरंत कहा- क्या हुआ पायल … ऐसे क्यों रूक गई?
पायल ने कहा- दीदी, ये मेरी कमर को सहला रहा है!

अब तो मेरी गांड फट गई, साली कमीनी कुतिया खुद लिफ्ट देती है … और खुद झूठा इल्जाम लगाती है. मैं हक्का बक्का रह गया था. समझ ही नहीं पा रहा था कि क्या कहूं.

तभी आंचल ने कहा- पायल मैं तुझे अच्छी तरह जानती हूँ, तू शैतानी मत कर … वो हमारे मेहमान हैं. उन्हें ऐसे डरा मत … नहीं तो तुझ बहुत मारूंगी.
आंचल की बात से मुझे काफी सुकून मिला.

अब पायल ने कान पकड़कर कहा- सॉरी दीदी, पर इन्हें भी कहो ना कि मुझे ठीक से पकड़ें. ऐसे शर्मीले बने रहेंगे, तो मैं तो गिर ही जाऊंगी.

आंचल ने मेरी ओर देखते हुए कहा- अब लज्जा की चादर निकाल कर हमें दे दो प्रभु … और कुछ देर नृत्य सीखने में मन लगाओ.
मैंने भी जवाब में कहा- जी … अब कोई शिकायत का मौका नहीं दूगा.

इसके बाद पायल और मेरी नजरें मिलीं और नजरों ही नजरों में बहुत सी बातें भी हो गईं. मेरी नजरें कह रही थीं कि तुम भरोसा रखो, डांस तो क्या मैं तुम्हें कभी भी गिरने नहीं दूंगा … और उसकी नजरें कह रही थीं कि अब सब कुछ तुम पर छोड़ दिया है, चाहे गिरा दो, चाहे उबार लो!

अब मैंने खुल कर नृत्य करना प्रारंभ किया, पायल नाम की अप्सरा से लिपटने या उसकी गोरी चिकनी कमर को पकड़ने में अबकी बार मैंने जरा भी झिझक नहीं दिखाई. इसका नतीजा ये हुआ कि पांच छह बार के अभ्यास के बाद मैं उम्मीद से अच्छा डांस करने लगा. पायल समेत बाकी लोगों ने भी हौसला बढ़ाने के लिए मेरी तारीफ की.

अब तक प्रतिभा सुमन के हाथों में मेंहदी लग चुकी थी, शाम से रात होने वाली थी. मैं कुछ दूर सोफे में बैठ कर आराम करने लगा, यहां से मैं खुशी को देख पा रहा था और उससे नजरें मिलने पर मुस्कुरा कर जीवन के हसीन पलों की पूंजी एकत्रित कर रहा था.

उधर मेंहदी लगाने में व्यस्त हीना से भी नजरें मिल रही थीं, जिससे मिलने की घटना मैंने पहले बताया था. हम दूर से ही मुस्कानों के द्वारा भावनाओं का आदान-प्रदान कर रहे थे.

तब तक प्राची भाभी भी डांस प्रैक्टिस के लिए आ गई थीं. मुझे समझदार आंचल की तीखी डांस प्रस्तुति देखने को भी मिली.

खुशी, प्रतिभा और सुमन की मेंहदी सूख जाने के बाद उन्होंने हाथ धो लिए थे. फिर मैंने अपनी डांस पार्टनर प्रतिभा के साथ अभ्यास को अंतिम रूप दिया.

इस दौरान मुझे प्रतिभा की कमर पकड़नी थी, जिसमें मैंने संकोच की जगह बेशर्मी दिखाई.
तो प्रतिभा ने मेरे कान में कहा- रूक जा बच्चू … रात को देखती हूँ कितनी गर्मी है तुम्हारे अन्दर!
मैंने भी कहा- देख लेना … मुझे भी उस पल का इंतजार है.

फिर डांस के अभ्यास को नई उर्जा मिल गई, चार पांच बार में ही प्रतिभा के साथ मैंने ट्यूनिंग अच्छी कर ली.

मेरी प्रतिभा दास के साथ बनी इस ट्यूनिंग को बिस्तर पर कैसे परफॉर्म करना है, ये मैं सोच रहा था.

आगे के भाग में मैं आपको प्रतिभा दास के साथ इस परफॉरमेंस का जिक्र करूंगा.

आप मेल करते रहिए.
[email protected]
कहानी जारी है.

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