बिस्तर से मण्डप तक

हेल्लो दोस्तो, मैं विकास, आज मैं अपनी सच्ची कहानी सुनाता हूँ। मेरी उम्र 19 साल है। मेरा एक दोस्त है। उसका नाम रोहण है। हम लोग साथ हमारे शहर से दूर कॉलेज में एक ही क्लास में पढ़ते थे और हॉस्टल में एक ही कमरे में रहते थे। हम एक ही शहर से थे। छुट्टियों में एक बार में उसके घर गया। हम लोग बातें कर रहे थे। तभी उसकी बड़ी बहन दिना जो उससे दो साल बड़ी थी, वो चाय लेकर आई।

मैंने उसे पहली बार देखा था और देखता ही रह गया। वह भी मुझे गौर से देखती रही।

क्या लड़की थी ! सचमुच जन्नत की परी थी। मैं रोहण के घर से निकला, वो मुझे गेट तक छोड़ने आया।

मैं बाइक चालू कर रहा था तो देखा कि दिना मुझे खिड़की से देख रही थी।

मैं उसकी ओर देख कर मुस्कुराया और चल दिया।

घर आकर तो मैं उसी के बारे में सोचता रहा।

रात को सपनों में भी दिना ही दिखती थी। ऐसी परी मिल जाये तो जीवन सफल हो जाये।

दूसरे दिन मैंने रोहन को फ़ोन किया तो दिना ने उठाया।

मैंने पूछा- रोहण है?

तो बोली- रोहण नहा रहा है।

मैं बोला- थोड़ी देर बाद फ़ोन करता हूँ।

तो रोहन अन्दर से बोला- दिना, फ़ोन मत काटना में आ रहा हूँ।

तो दिना बोली- वो दो मिनट में आ रहा है। तुम फ़ोन चालू रखो।

वो बोली- तुम लोग हॉस्टल में पढ़ते भी हो या बस पिक्चरें ही देखते हो?

मैं बोला- दोनों काम करते हैं।

वो बोली- तुम्हारी कितनी गर्लफ्रेंड हैं?

तभी रोहण आ गया और उसने फ़ोन ले लिया, वो बोला- यार मुझे कम्पयूटर लेना है। तू शाम चार बजे मेरे घर आ जाना, हम शोपिंग सेंटर चलेंगे।

मैंने हाँ कह दी। मुझे तो उसके घर जाने की जल्दी थी, दिना से जो मिलना था।

चार बजे तक का टाइम मुश्किल से निकला।

मैं उसके घर गया। दिना फिर से चाय लेकर आई। मुझे देख कर मुस्कुराई।

फिर हम शोपिंग सेंटर जाने के लिए निकले। छुट्टियाँ ख़त्म हो जाने के बाद हम दोनों वापस हॉस्टल चले गए।

कॉलेज में शनिवार और रविवार को छुट्टी होती है, रोहण बोला- तू इस शनिवार को घर जाने वाला है?

मैं बोला- हाँ !

तो वो बोला- मैंने कुछ कपड़े घर भेजने हैं। तू मेरे घर पहुँचा देना।

मैं बोला- ठीक है।

मुझे तो लगा कि रोहन ने मौका दिया है दिना से मिलने का तो क्यों छोड़ें।

मैं तो शनिवार को घर आकर बाइक लेकर उसके घर गया। उसके घर के कोर्नर पर पहुँचा तो देखा कि उसके मम्मी-पापा बाइक पर आ रहे हैं।

उन्होंने और मैंने बाइक रोकी, मैं बोला- मैं आपके ही घर आ रहा था, रोहण ने कपड़े भेजे हैं।

वो बोले- हम एक रिश्तेदार के यहाँ जा रहे हैं। तुम घर जाओ, वहाँ दिना है, उसको दे देना और चाय पीकर ही जाना।

मैं बोला- ठीक है।

मेरी तो जैसे लाटरी लग गई। मैं घर पहुँचा और बेल बजाई।

दिना ने दरवाजा खोला और बोली- विक्की तुम?

मैं बोला- रोहण ने कपड़े भिजवाये हैं, वो देने आया हूँ।

उसने कहा- आओ।

मैं सोफे पर बैठा। कपड़ों का बैग उसको दिया।

वो बोली- मैं चाय बनाती हूँ, तुम बैठो।

और वो रसोई में चली गई।

मैंने तय किया कि आज तो कुछ करना ही है।

मैं भी रसोई में गया तो वह बोली- तुम बैठे क्यों नहीं?

मैं बोला- बस ऐसे ही।

वो बोली- उस दिन मैंने तुम्हें फ़ोन पर पूछा था कि तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है? तो आज बताओ।

मैं झूठ बोला- मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है।

उसने बोला- तुम मेरे बारे में क्या सोचते हो?

मैं अब मूड में आ गया था, मैंने बोल दिया- दिना, जब से मैंने आपको देखा है, मैं अपना होशोहवास खो बैठा हूँ। मैं सचमुच आपको बहुत प्यार करता हूँ। अगर आपको मुझ में इंटरेस्ट है तो मुझे बताइए प्लीज़।

वो नज़रें नीची करके बोली- मैं तुमसे तीन साल बड़ी हूँ।

मैं बोला- मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है तो तुम्हें क्या प्रॉब्लम है।

तो वो बोली- विक्की, मैं भी तुमको लाइक करती हूँ। आई लव यू। मुझे तो जैसे ज़न्नत मिल गई हो।

मैंने उसका हाथ पकड़ा और झटके से अपनी ओर खींच लिया, उसके गुलाबी गालों पर किस किया।

उसने भी मुझे किस किया। मैं उसके होंठों को चूमने लगा।

यह चूमाचाटी दस मिनट तक चली होगी। मैं जाने लगा तो वो बोली- मेरे जानू ! फिर कब मिलोगे?

मैंने कहा- जान जब भी तुम कहो।

उसने बोला- कल मम्मी-पापा बाहर गाँव जाने वाले हैं। सुबह नौ बजे निकल जायेंगे, शाम छः बजे से पहले नहीं आएंगे। कल तुम यहाँ आ जाना पूरा दिन साथ बिताएंगे।

मैंने कहा- जरूर !

फिर मैं चला आया।

दूसरे दिन मैंने मम्मी को बोला- मेरे एक दोस्त के घर सत्संग है, उसमें जा रहा हूँ तो शाम को ही लौटूंगा ! खाना भी वहीं खाना है। मम्मी बोली- ठीक है।

मैं साढ़े नौ बजे उसके घर पहुँचा, उसने झट से दरवाज़ा खोला जैसे मेरी ही राह देख रही थी।

उसने कसी जींस और टॉप पहन रखे थे, क्या गज़ब लग रही थी।

मैंने दरवाजा बंद किया और दिना को बाँहों में भर लिया और होंठ चूसने लगा। उसके हाथ मेरी पीठ सहला रहे थे। वह मुझे अपने बेडरूम में ले गई। हम दोनों बिस्तर पर बैठे बैठे एक दूसरे की बाँहों में खो गए। मेरा लिंग सख्त हो गया था, स्वर्ग की परी जो मेरी बाँहों में थी।

मैंने उसका एक स्तन दबाया तो वो हंस पड़ी। फिर उसके टॉप के ऊपर से ही स्तनों को चूसना शुरू किया। वो मेरे सर पर हाथ फेर रही थी। धीरे धीरे मैंने दिना का टॉप सरका कर निकाल दिया, फिर ब्रा, फिर चूमते चाटते जींस और पैन्टी भी उतर गई !

तब तक वो भी मुझे नंगा कर चुकी थी।

वो लेट गई और बोली- आओ मेरे साजन ! मेरा कौमार्य भंग करो।

मैं उसके ऊपर छा गया, उसके होंठों को चूसते हुए मैंने लिंग को उसकी योनि पर रखा धीरे धीरे करके पूरा घुसा दिया। उसका कौमार्य खंडित हो गया। अब वो एक युवती से स्त्री बन गई थी। हमने 15 मिनट सहवास किया। मैंने अपना पूरा वीर्य उसी की योनि में छोड़ा। फिर अलग हुए।

मेरे जाते समय उसने मुझे चूमते हुए कहा- आज का दिन मैं जिंदगी में कभी नहीं भूलूँगी।

उसके बाद जब भी मौका मिलता हम सहवास कर लेते। पर कहावत है न कि प्यार छुपाये नहीं छुपता।

धीरे धीरे मेरे और दिना के घर वालों को पता चलने लगा। रोहण को जब पता चला तो वह बहुत नाराज़ हुआ, वो बोला- तुमने मुझे धोखा दिया है।

मैंने बोला- मैंने धोखा नहीं किया ! तुम्हारी दीदी से सच्चा प्यार किया है मैंने। मैं तुम्हारी दीदी से शादी करना चाहता हूँ। तुम मेरा साथ दो तो मेरी और दिना की शादी हो सकती है।

वो बोला- यहाँ कोलेज में तुम्हारे कितनी लड़कियों के साथ अफ़ेयर हैं। तुमने कितनी लड़कियों के साथ सेक्स किया होगा। ये सब जानते हुए भी मैं अपनी बहन की शादी तुमसे क्यों करवाऊँ।

मैंने उसे 3-4 दिन समझाया और वो मान गया। उसने अपने मम्मी पापा को मेरी और दिना की शादी के लिए समझाया। हमारी बिरादरी अलग अलग होने के कारण उसके मम्मी पापा ने थोड़ा विरोध किया पर अंत में मान गए।

22 साल की उम्र में दिना से मेरी शादी हो गई। आज मेरे और दिना के दो बच्चे हैं।

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