रुचि का शिकार-2

रुचि सीधे होकर मुझसे चिपक गई और बोली- सच राजीव, इतना मज़ा कभी चुदने में नहीं आया ! तुमने तो एक घंटे मेरी चूत में अपना लण्ड घुसा कर रखा। सच तुम तो वाकई मर्द हो ! मेरा आदमी तो दस मिनट में ही खाली हो जाता है।

मैंने रुचि को हटाते हुए कहा- चलो, एक एक ग्लास दूध पीते हैं, फिर दुबारा चोदता हूँ।

रुचि ने दूध गर्म किया और हमने एक एक ग्लास गरम दूध पिया।

दूध पीने के बाद रुचि मेरे सीने पर सर रखकर लेट गई और मेरा लण्ड अपने हाथ में पकड़ कर बोली- आपका लण्ड तो बहुत सुन्दर है, मुझे चुदने में जन्नत का मज़ा आया !

वो मेरे लण्ड की मुठ मारने लगी और बातें करने लगी, उसने पूछा- अब तक आपने अपनी बीवी के अलावा किस किस को चोदा है?

मैंने उसकी गाण्ड में चुटकी काटते हुए कहा- रानी, सच आज पहली बार दूसरी औरत की चूत में डाला है ! तुम्हारी चूत बहुत मस्त है, तुमने मुझे आज बहुत मज़ा दिया है, सच ! दूसरे की बीवी की मारने का अलग ही मज़ा है !

मैंने उसके चुचूक उमेठ-उमेठ कर खड़े कर रखे थे और उसकी योनि भी बीच बीच में सहला देता था।

रुचि बोली- आप बहुत बड़े झूठे हैं ! आपने सरीना की भी तो चूत चोदी होगी? तभी तो उन्होंने बताया कि आपका लण्ड इतना सुन्दर है, बिलकुल रवि जैसा !

रुचि एकदम संभलते हुए बोली- वो ! वो ! हीरो जैसा !

मैं बोला- रुचि जी, अब आपकी और मेरी दोनों की चोरी पकड़ी गई है ! बताइए, यह रवि कौन है?

रुचि बोली- मैंने कुछ दिन एक कोरियर कम्पनी में नौकरी की थी, उसके मालिक का 8 इंची लम्बा लण्ड था, दस हज़ार रु में उसने सरीना से मेरी चूत चोदने का सन्देश भिजवाया। मेरी चूत चुदने को मचल ही रही थी और मैंने पैसे लेकर अपनी चूत चुदवा ली। अब मुझे उससे चुदने में मज़ा आने लगा था कि उसकी बीवी ने पकड़ लिया और मुझे नौकरी छोडनी पड़ी। तब से मेरी चूत एक कड़क लण्ड के लिए मचल रही थी। सच, आज आपने इतने दिनों के बाद मेरी प्यास बुझाई है।

मैंने कहा- अब देखो, ये बेकार की बातें छोड़ो ! घोड़ा खड़ा हो गया है, दूसरे दौर के लिए तैयार हो जाओ।

रुचि बोली- ऊहं ! अभी थोड़ी बातें और प्यार करो न ! आपने एक घंटे मेरी मुनिया चोदी है ! अभी तक दर्द हो रहा है।

रुचि मेरे लण्ड की मुठ मार रही थी, मैंने अपनी एक ऊँगली उसके मुँह में डाल दी और उसे चुसवाने लगा। धीरे धीरे 2 उँगलियाँ मैंने उसके मुँह में डाल दीं। वो मस्त होकर मेरी उँगलियाँ चूस रही थी। रुचि ने अपनी आँखें बंद कर ली थीं।

इसके बाद मैंने बीच की ऊँगली पर अपना वीर्य लगाया और उसके मुँह में डाल दी।

हूँ… करती हुई उसने ऊँगली चूसी और आँखे खोलकर बोली- इसका स्वाद तो नमकीन सा, बड़ा अच्छा लग रहा है…

अब मैं ज्यादा सा वीर्य अपनी ऊँगली पर लगा कर चुसवाने लगा। इस बीच मैंने दूसरे हाथ की बिना वीर्य लगी ऊँगली उसके मुँह में डाल दी तो रुचि ने उसे निकालते हुए कहा- पहले वाली चुसवाओ ना !

वीर्य वाली ऊँगली चूसने में उसे बहुत मज़ा आ रहा था।

मैंने उसका हाथ लण्ड से हटा दिया और उसके चुचक उमेठते हुए बोला- रानी, यह जो स्वाद आ रहा है, यह लण्ड-रस का है जिसे ऊँगली में लगा कर मैंने तुम्हें चटाया है, मेरे लण्ड के अगले भाग को चाटो, मस्त हो जाओगी, आज रांड बन जाओ, फिर पता नहीं कब मज़ा लेने का समय आएगा।

रुचि बोली- आप लण्ड चुसवाने के लिए झूठ बोल रहे हैं !

मैंने बोला- तुम इस पर जीभ फिराओ अगर मज़ा न आये तो मुझे बताना।

रुचि उठी और मेरे लण्ड पर जीभ फिराने लगी। स्वाद चखते ही उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी। मैंने उसकी चूत अपने मुँह की तरफ कर ली, अब हम 69 आसन में थे। रुचि ने मेरा लण्ड अब मुँह में ले लिया था। मैं उसकी चूत के दाने को होंठों में दबाये था, रुचि लपालप लण्ड चूस रही थी। मुझे लगा उसने झूठ बोला था कि उसने लण्ड कभी नहीं चूसा।

सामने एक पतली लम्बी गाज़र पड़ी थी, उस पर कंडोम लगा कर मैंने उसे रुचि की गाण्ड में घुसा दिया।

ऊह करते हुए उसने अपना मुँह हटाया और बोली- डार्लिंग, यह क्या कर रहे हो?

मैंने कहा- बहन की लौड़ी, गाज़र से घबरा रही है? जब गाण्ड में लौड़ा घुसेगा तब क्या करेगी? चुपचाप लौड़ा चूस ! मज़े भी लेना चाहती है और नखरे भी करती है?

रुचि मुस्करा दी और एक रण्डी की तरह फिर लौड़ा चूसने लगी।

मैंने भी अपना मुँह उसकी चूत में लगा दिया था और लम्बी गाज़र उसकी गाण्ड में आगे पीछे कर रहा था। तीनो छेदों का मज़ा रुचि ले रही थी।

कुछ देर बाद मैंने लौड़ा निकाल लिया और उससे बोला- पलंग पर हाथ रखकर तू जमीन पर घोड़ी बन ! तुझे अब घोड़ी बनाकर चोदता हूँ।

रुचि प्यार से घोड़ी बन गई तो घोड़ी बनी रुचि की चूत में मैंने लण्ड पेल दिया और उसे तेज धक्कों से चोदने लगा।

उसकी मस्ती भरी चीखें कमरे में गूंज रहीं थी- चोदो चोदो ! आह आह ! धीरे से ! फाड़ो ! मर गई राजीव ! धीरे से !

मैं जितनी तेज मार सकता था उतनी तेजी से धक्के मार रहा था, रुचि चिल्ला रही थी- राजीव, थोड़ा धीरे धीरे !

रुचि की सुरंग में लण्ड पूरी स्पीड से दौड़ रहा था। मैं भी मस्ती में चिल्लाने लगा- साली, चुद रण्डी ! हरामिन मुझे तेरी इस कसी चूत की भोंसड़ी बनानी है ! ले चुद ! चुद रण्डी साली चुद ले !

और मैंने उसकी फाड़नी जारी रखी। 2-3 मिनट बाद रुचि फिसल गई और जमीन पर गिर गई। मैंने उसे उठाया और चिपका लिया सामने कुर्सी पर वो मुझसे चिपट कर बैठ गई, रुचि बोली- राजीव तुमने तो सच मेरी फाड़ डाली है, बड़ा मज़ा आया !

मैंने उसे सीधा किया और अपनी जाँघों पर बैठा लिया। मेरा लण्ड हाथ में पकड़ते हुए बोली- तुम्हारा शेर तो अभी भी खड़ा है ! क्या गोली खाई है?

मैंने उसके चुचूक नोचते हुए कहा- गाली क्यों दे रही हो? यह सब तो सरीना की शिक्षा का असर है। दस दिन पहले तेरे पति की तरह मैं भी अपनी बीवी की 5-6 मिनट से ज्यादा नहीं चोद पाता था।

रुचि को मैंने अपने से चिपका लिया।

मैंने रुचि की चूचियाँ मसलते हुए कहा- एक बार और लण्ड पर बैठ लो !

रुचि मुस्कराते हुए सीधी हुई और मेरे लण्ड के मुँह पर अपनी चूत रख दी। मैंने हाथ से लण्ड उसकी चूत में थोड़ा सा घुसा दिया तो रुचि की गीली चूत मेरे लण्ड पर फिसल गई और एक बार फिर उसकी चूत में मेरा लण्ड घुसा हुआ था।

अब बिना कहे वो मेरे लण्ड पर उछलने लगी उसकी चूचियाँ भी मस्त हिल रहीं थीं, तभी सामने से उमा आ गई।

रुचि ने उछलना रोक दिया लेकिन लण्ड उसकी चूत में अंदर तक घुसा था।

उमा बोली- वाह भाई वाह ! क्या लण्ड घुसा हुआ है ! नज़र न लगे इसी तरह चूत चुदने का मज़ा लेती रहे मज़ा आ गया तेरे को चुदते देख !

चुचूकों को उमेठते हुआ उमा ने कहा- उछलो रुचि उछलो ! मज़ा लो इस जवानी का !

मैंने अब उसके दूध दोनों हाथों में दबा लिए थे और उसे कुर्सी पर बैठे-बैठे धीरे धीरे चोद रहा था। रुचि के कान में मैं बोला- उछल लो ! ऐसा मज़ा दुबारा कब मिलेगा !

रुचि फिर लण्ड पर उछलने लगी। उमा उसकी चुदाई देख देख कर मुस्करा रही थी।

कुछ देर बाद मैंने उसकी चूत से लण्ड निकाल कर उसे चारपाई पर सीधा लिटाया और उसके मुँह में लण्ड डाल दिया। रुचि ने दो बार ही लण्ड चूसा होगा कि मेरा वीर्य उसके मुँह में छुट गया। रुचि ने पूरा वीर्य अपने गले में ले लिया, मेरा लण्ड पकड़ कर उसे चाटने लगी और बोली- सच राजीव तुम्हारा लण्ड-रस तो बहुत ही स्वादिष्ट है।

थोड़ी देर में मेरा लण्ड ठंडा हो गया और मैं उसकी चूचियों पर मुँह रखकर लेट गया।

उमा बोली- भाई आठ बज़ रहे हैं ! चलो खाना खा लो ! नौ बजे शाकाल साहब के अड्डे पर रुचि को नंगी करवाती हूँ, बड़ा मज़ा आएगा।

रुचि बोली- नहीं उमा, मुझे डर लगता है ! धारावी में तो गुंडे चोदते भी हैं और मार भी डालते हैं।

उमा बोली- तेरी चूत राजीव जी के अलावा किसी और से चुदने नहीं दूँगी ! यह मेरा वादा ! और अगर तुझे नंगी अदाओं में मज़ा न आये तो कल मेरी जान ले लियो।

चल अब खाना खाते हैं। सरीना तो शाकाल जी के अड्डे पर चुदने में लगी है थोड़ी देर में हम भी चलते हैं।

कहानी का अगला भाग “शाकाल और नंगी हसीनाएँ” जल्दी आपको पढ़ने को मिलेगा।

आपकी उषा

What did you think of this story??

Click the links to read more stories from the category चुदाई की कहानी or similar stories about

You may also like these sex stories

Download a PDF Copy of this Story

रुचि का शिकार-2

Comments

Scroll To Top