आंटी की बेटी और आंटी की चूत चुदाई, मोमबती से गांड मारी

(Aunty Ki Beti Aur Anty Ki Chut Chudai)

spandan2sparsh 2005-02-24 Comments

हाय मित्रो!
आज मैं आपको अपनी एक सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ।
हमारे पड़ोस में रूपा आंटी रहने आई थी। वैसे तो वो हमारी दूर की रिश्तेदार थी इसलिए जान-पहचान बनाने की जरूरत नहीं थी।
उनकी लड़की थी गुड्डी, बड़े बड़े स्तनों वाली, जांघें भी गोरी गोरी और थोड़ी कामुक थी लेकिन सीधी होने का दिखावा करती थी। मैं थोड़ा इश्कबाज़ लड़का हूँ इसलिए मेरी उससे जमती थी।

एक बार गुड्डी मुझे सब्जी मण्डी में मिल गई, बोली- बिपिन मेरे पास बहुत वज़न है, मुझे अपनी मोटरसाईकिल पर बिठा लो!
मैंने कहा- चलो!

वो मेरे पीछे बैठ गई। बाज़ार में भीड़ के कारण मोटरसाईकिल चलाते समय मैंने बहुत बार ब्रेक लगाए तो वो मेरे ऊपर गिरती थी। दो तीन बार थोड़ा शरमाई पर बाद में वो सेट हो गई और बोली- एक बार तुम्हारे घर पर मिलते हैं।

दस दिन बाद वो दिन आ ही गया। मेरे घर पे कोई नहीं था। मैंने उसको सुबह ही इशारा कर दिया था। फ़िर गुड्डी सबह नौ बजे आई, बोली- स्कूल जाने के बहाने नज़र छुपा के निकली हूँ।
मैंने कहा- अन्दर आ जा! और उसे बेडरूम में छुपा दिया।

मैंने सारे दरवाज़े बंद कर लिए और बेडरूम में गया तो मेरे से रहा नहीं गया। मैंने उसको जोर से अपनी बाहों में ले लिया।
मैंने कहा- सलवार उतारो!
वो बोली- ऐसे नहीं!

इतना बोल कर वो घुटनों के बल बैठ गई और मेरी पैन्ट की ज़िप खोल कर मेरा लण्ड सहलाने लगी, फिर मुंह में ले लिया खूब रगड़ा उसने अपने मुंह से। और धीरे धीरे मेरे हाथ पकड़ कर अपने बूब्स पे ले आई। मेरे से रहा नहीं गया। मैंने अपनी पैन्ट और टी-शर्ट उतार दी, मैं पूरी तरह नंगा हो गया और उसको भी नंगा कर दिया।
फिर मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया। उसे बहुत मजा आ रहा था ‘अह्ह्ह…अहह हह…अह हह…अह ह’ करने लगी और उसके नंगे बदन पे मेरे हाथ फिरने लगे।

फिर 69 पोसिशन में सेक्स करते रहे तो वो बोली- सोफे पर बैठ जाओ।
मैं बैठ गया तो वो फ़्रेंच स्टाईल में मेरा लण्ड चूसने लगी। उसके चूसने से मेरा लौड़ा लोहे जैसा हो गया।
फ़िर वो धीरे से मेरे कान में बोली-मुझे उठा कर बिस्तर पर पटक दे!

मैंने वैसा ही किया, उसके दोनों पैर मैंने फ़ैला लिए और चोदने लगा।
मेरे हर एक धक्के पर वो सिसकती थी।

फ़िर अचानक गुड्डी बोली- उतर जाओ!
मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- कुछ नहीं!
और मैं उतर गया।

मेरे उतरने के बाद उसने अपनी गाण्ड मेरे लण्ड के सामने रख दी। मैं समझ गया और धीरे से उसकी गाण्ड में अपना लण्ड पिरो दिया।

शुरू में डालते हुए उसको दर्द हुआ और चिल्ला उठी- ओ… माँ .. ओह… धीरे यार!
बाद में पूरा लण्ड उसकी गाण्ड में घुसा दिया और वो चिल्लाती हुई बोलती जा रही थी- बिपिन! फ़ाड़ दे मेरी गाण्ड को यार! बहुत मजा आ रहा है य्यार!

यह सारा कार्यक्रम दो बार चला। फिर मैंने घड़ी में देखा तो दोपहर के 2 बजने वाले थे, मैंने कहा कुछ खा लिया जाए. मैं रसोई में गया, गुड्डी भी मेरे पीछे पीछे आ गई फिर उसने बहुत सारा मक्खन, जैम और टोमाटो सॉस अपनी चूत और बूब्स पे लगाया वो सारा मैंने चाट लिया और जो मक्खन, जैम और टोमाटो सॉस मैंने अपने लण्ड पे लगाया वो उसने पूरा चूस लिया। फिर चद्दर बिछाके मैंने उसको रसोई में चोदा और चोदते समय बोली तू मुझे चोदते चोदते बिस्तर तक लेजा और मैंने वही किया मेरे लण्ड को उसकी चूत से अलग किए बिना चोदते चोदते बिस्तर तक ले गया और खूब चोदा।

तभी घर की घंटी बजी। मैंने देखा तो रूपा आंटी दरवाजे पे खड़ी थी।
मैंने जल्दी से गुड्डी को कपड़े रखने वाली अलमारी में छुपा दिया। दरवाजा खोला तो आंटी सामने खड़ी थी, बोली- बेटा! तेरी मम्मी कहाँ है?
मैंने कहा- सब जयपुर गए हुए हैं, मैं अकेला ही हूँ।
बोली- कल मैंने तुम्हारी मम्मी के कमरे में दो साड़ियाँ रखी थी, वो लेने आई हूँ।
मैंने कहा- ले लो!

रूपा आंटी बहुत ही हट्टी कट्टी थी जबकि अंकल दुबले और पतले से थे। मैं अपने कमरे में गया और गुड्डी को कहा- मैं अपना कमरा बाहर से बंद कर देता हूँ और आंटी जब जायेगी तब खोलूँगा।
गुड्डी बोली- ठीक है!

और मैं मेरी मम्मी के कमरे में गया जहाँ रूपा आंटी साड़ियाँ ढूंढ रही थी। साड़ियाँ मिलने पर आंटी मुझे कहने लगी- इनमें से मुझ पर कौन सी अच्छी लगेगी?
मैं तो इश्कबाज था ही, मैंने कहा- आंटी आप तो अप्सरा हैं, आप पर तो कोई भी साड़ी अच्छी लगेगी।
वो भी मेरे इशारे समझ गई, बोली- ठीक है मैं एक एक पहन के दिखाती हूँ! तू बता देना कौन सी अच्छी लगती है।
मैंने कहा- आंटी आज फ्री हो क्या?
हाँ, गुड्डी सुबह से स्कूल गई है और तुम्हारे अंकल ऑफिस के ऑडिट में हैं देर से आयेंगे! कहते हुए वो साड़ी बदलने गई। जैसे ही वो साड़ी बदल के बाहर निकली उसका पल्लू गिर गया और बड़े बड़े स्तन दिखने लगे। मेरा लण्ड खड़ा हो गया और नाईट सूट में से लण्ड बाहर उभर कर दिखने लगा।

आंटी समझ गई और वो शीशे के सामने खड़ी हो गई। मैंने पीछे से आंटी की कमर पकड़ी। वो कुछ नहीं बोली। बस इतना बोली- दरवाजा ठीक से बंद किया है न?
और मुझे लगा ग्रीन सिग्नल मिल गया है, मैं टूट पड़ा आंटी के ऊपर। बोली- धीरे धीरे चोद मुझे!

मैंने उसके सारे कपड़े निकाल दिए। मैंने उनकी चूत में लण्ड डालना चाहा, वो बोली- रुक जा यार! और मेरा लण्ड पकड़ के मुंह में ले लिया खूब जोर से मुंह में अन्दर बाहर करने लगी। थोड़ी देर में बोली- मेरे से रहा नहीं जाता, प्लीज़, मुझे पलंग में पटक कर चोद!प्लीज़ चोद! बिपिन प्लीज़ चोद! यार चूत में बहुत खुजली हो रही है!

मैंने कहा- आंटी मैं भी सीधा लण्ड आपकी चूत में नहीं डालूँगा!
तो बोली- क्या करेगा?
मैंने कहा- आप पलंग के कोने पे पैर फैला के रखो, मुझे तुम्हारी चूत चाटनी है!
वो खुश हो गई- यार! पहली बार कोई मेरी चूत चाटेगा! चाट ले…जल्दी से चाट ….चाट!

करीब आधे घंटे तक मैंने उसकी चूत और उसने मेरा लण्ड चाटा। फ़िर बोली- तुम सामने सोफे पे बैठ जाओ। मैं सोफे पे बैठ गया और वो मेरे ऊपर इंग्लिश स्टाइल में बैठ गई और मेरा लण्ड अपनी चूत में डालकर पागलों की तरह गोद में कूद रही थी। मेरा ध्यान सामने लण्ड शेप में पड़ी हुई मोमबत्ती पर था और मेरी उंगली आंटी की गाण्ड में।
मुझे मोमबत्ती देखते हुए देख के बोली- जो तू सोच रहा है, वो कर दे!
और मैंने मोमबत्ती लेकर आंटी की गांड में घुसेड दी। आधे घंटे तक वो मेरे ऊपर सोफे में रही और मोमबत्ती उनकी गांड में।
फिर बोली- चलो बिस्तर पे चलते हैं!

और वो उसकी गांड मेरे लण्ड के सामने रख कर लेट गई। मैंने भी उनकी चूत में से हाथ डालकर चिकनाई को अपने लण्ड पे लगाया और उनकी गांड में घुसेड़ दिया। अब वो बहुत चिल्लाई- ओह माँ…ओह माँ…ओह…ओह…खूब मजा आ रहा है!
मेरा हाथ उसकी चूत में था और लण्ड उसकी गांड में!
तब वो बोली- मोमबत्ती कहाँ है?

मैं समझ गया, मैंने मोमबत्ती लेकर उनकी चूत में डाल दी और जोर से उनके बूब्स खींचने लगा। 2 घंटे तक उसको मैंने प्यार से चोदा।
बाद में बोली- अब मैं थक गई हूँ, तू अपना वीर्य मेरे मुंह में डाल दे!
और फिर मैंने लण्ड को आंटी के मुंह में डाल दिया लेकिन झड़ने का नम नहीं ले रहा था। मैंने आंटी से कहा- अपने बूब्स मेरे हाथ में दो, दूध निकलना है!
तो वो हंस के बोली- दूध निकलना तेरा काम नहीं!

हमने शर्त लगाई कि पहले मेरा वीर्य निकलता है या आंटी के बूब्स में से दूध (पानी)
फिर मैंने शुरू किया उनके स्तनों को मथना! 20 मिनट हुए और अ आ आ अआः…आ अ आ आह…अह हह ह्ह्छ मैं झड़ गया और साथ में ही आंटी के बूब्स में से पानी निकल गया। मैंने पूरा वीर्य आंटी के मुंह में डाल दिया।
अब वो भी थक गई और मैं भी थक गया।
आंटी बहुत खुश होते हुए मेरे लौड़े पे हाथ रखके बोली- कभी भी मेरी याद आए तो मुझे बुला लेना! मैं तुम्हारे साथ किया हुआ सेक्स कभी नहीं भूलूंगी।

वो अपने घर चली गई और मैं दरवाजा बंद करके अपने कमरे मैं आया तो देखा गुड्डी तो सो गई है, खर्राटे लेने लगी है। मैं रसोई में गया, 2 ग्लास दूध पीकर वापस आया। गुड्डी के बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था और वो पैर फैलाये बिस्तर पे पड़ी थी।
मैं भी उसकी चूत को चाटने लगा और गुड्डी गरम हो गई। आधी नींद में ही कहने लगी- तुम कहाँ चले गए थे यार मुझे अकेली छोड़ कर!
मैं ये नहीं कह सका कि मैं तेरी माँ को चोद रहा था।

फिर वो पुराने रंग में आ गई और मेरा लण्ड चूसने लगी। बाद में बिस्तर पर लेट के दोनों पैर खोल दिए और मैंने उसकी चूत में अपना लण्ड डाल दिया और बहुत चोदा।
फिर मैंने पूछा कि तेरे बूब्स में से दूध निकलेगा?
तो वो बोली- नहीं! अभी तो पानी निकलेगा!
और मैंने उसके बूब्स खींचना शुरू किया, वो मेरा लण्ड मुंह में ले रही थी। 20 मिनट तक ये चलता रहा और एक जोर से झटके ने मेरा सारा वीर्य गुड्डी के मुंह में डाल दिया और गुड्डी के स्तन से पानी निकल गया।

शाम के 6 बज चुके थे। गुड्डी ने मुझे किस करके कहा- आज का दिन मुझे पूरी जिन्दगी याद रहेगा।
मैंने हंसके गुड्डी से कहा- तुझे याद रहे न रहे पर मुझे आज का दिन सात जन्मों तक याद रहेगा!
पाठकों को मेरा ढेर सारा प्यार!
यह मेरी पहली असली कहानी है पसंद आई या नहीं, जवाब देना!
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