चाची की दो भानजियों की चुदाई की कहानी- 5

(Porn Aunty Ko Choda)

पोर्न आंटी ने अपनी बेटी के सामने मेरा लंड पकड़ लिया और फिर अपनी बेटी और खुद को नंगी कर लिया. उसके बाद मैं ने आंटी को उसकी नंगी बेटी के सामने चोदा.

मैं आपका प्यारा सा साथी जीशान एक बार फिर से सेक्स कहानी का मजा देने हाजिर हूँ.

कहानी के पिछले भाग
चाची की कुंवारी भानजी की चिकनी चूत
में अभी तक आपने पढ़ा था कि मैंने न केवल आलिया की चूत की सील फाड़ चुदाई का मजा ले लिया था, बल्कि उसकी गांड भी मार ली थी.

उसके बाद मैंने उसकी अम्मी सलमा आंटी की चुदाई भी की जिसे देख कर आलिया हैरान थी.

वो पूछने लगी- तुम दोनों की चुदाई बहुत मजेदार है, कब से कर रहे हो?
सलमा- छह महीने के पहले इसने तुम्हारी आंटी को पहली बार चोदा था.

आलिया- आंटी को भी?
सलमा- हां पहले छोटी बहन, फिर दीदी, उसके बाद मैं … और अब तू.

आलिया- बाप रे, इतने?
सलमा- अब तेरी दीदी चाहिए इसको. मादरचोद ख्वाहिशें तो ऐसे करके रखा है जैसे ये एक ही दुनिया का अकेला मर्द है.

आलिया- अंजुमन दीदी?
सलमा- हां.

मैं- हां मैं उसको भी चोदूंगा.

इस तरह से अब मेरा ध्यान अंजुमन पर टिक गया था.

अब आगे पोर्न आंटी को कैसे चोदा:

दो दिन आलिया के साथ खूब चुदाई करने के बाद मुझे अंजुमन की याद आ गई. अंजुमन को पहले मैं भी दीदी कह कर बुलाया करता था.

जब हमने पिछली बार बात की थी, तब मैंने उसे अंजुमन कहकर नाम से बुला दिया.
अंजुमन एकदम परवीन आंटी जैसी थी. मतलब आकार लगभग वैसे ही था.

अंजुमन की शादी को 3 साल हुए थे. उसकी उम्र 28 साल की थी.
वो एक खूबसूरत माल थी, लेकिन उसका शौहर एकदम अंकल टाइप का लगता है. गंजा, इतना मोटा और ज़्यादा उम्र का है. उसको देख कर ही पता चल जाता है कि अंजुमन खुश नहीं है.

अंजुमन उससे बेहतर पाना चाहती थी.

मैंने परवीन आंटी के घर जाने का प्लान बनाया.
सुबह बिना नाश्ता किए चला गया.

दस बजे मैं आंटी के घर के सामने था.
मैंने जैसे सी डोर बेल बजाई, वैसे दरवाजा खुल गया.

अंजुमन- अरे जीशान … कैसा है तू? कब आया बैंगलोर से?
मैं- मैं ठीक हूँ, एक हफ्ता पहले आया था.

अंजुमन- मैं भी तो एक हफ्ता पहले आई. तू यहां आया ही नहीं?
परवीन- वो यहां क्यों आएगा … वो सिर्फ उसकी चाची के घर जाएगा.

अंजुमन- यहां भी आया करो.
मैं- ऐसा कुछ नहीं है आंटी. एक हफ्ते से मैं घर में था, अभी बाहर आया.

सब अन्दर आ गए.
अंजुमन अपने बच्चे को लेकर अन्दर रूम में चली गई.

आंटी किचन में गईं.
मैं आंटी के पीछे गया और उनकी पीठ पर चूमने लगा.
आंटी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
कुछ तो गड़बड़ थी.

मैं- आंटी क्या हुआ? बताओ न?
आंटी- तू मुझसे बात मत कर. तुमको चाची और सलमा से ही मतलब है, उन्हीं के साथ रह जा.

मैं- अब मैं आ गया ना!
आंटी- सब मेरी तकदीर. मेरी तकदीर में ही ऐसा लिखा है.

मैं- आंटी, क्या हुआ? बताओ ना.
आंटी- तेरा पियक्कड़ अंकल कल मेरे ऊपर चढ़ गया.

मैं- तो मजे लिए होंगे ना?
आंटी- वो पियक्कड़ का लंड 2 मिनट में पानी छोड़ देता है और यहां अभी तक मैं ऐसे ही भूखी हूँ.

मैं- अब मैं आ गया ना!
आंटी- तू कब तक रहेगा, फिर बैंगलोर चला जाएगा?

मैं- वो तो है.
आंटी- और मेरी बेटी की तकदीर भी ऐसी ही है. जल्दबाजी में वो मोटे के साथ शादी कर दी. मैंने तो किसी तरह से अपनी जवानी को एन्जॉय कर ही लिया है, मगर मेरी बेटी तो जवानी में भी भूखी ही है.

मैं- कभी कुछ नहीं कर सकते, लेकिन ये वादा है, मैं तुम्हें और तुम्हारी बेटी को वो मजा दूंगा, जो तुम्हें अभी तक नहीं मिला है.
आंटी- सच्ची!

मैं- फिर से फार्महाउस का प्लान बनाया है.
आंटी- कब है?

मैं- पहले, अंजुमन को अपनी तरफ करना है.
आंटी- वो तो आसान है. अभी वो भूखी है. उसका पति बेकार है. उसको काबू में लेना आसान है. बोल … अब मैं क्या करूँ?

मैं- तुम बस मुझे उसके आगे छेड़ते रहना और बात बन जाएगी.
आंटी- समझ गई.

मैं- तो अन्दर चलो, अंजुमन से बात कर लेते हैं.

अन्दर जाने से पहले हम दोनों प्यार से चूमने लगे.
आंटी मुझे तो खाए जा रही थीं, मुँह में मुँह डालकर अन्दर तक आने लगी और एक हाथ से मेरा लंड को मसलने लगीं.

मैं आंटी के बूब्स को मसलने लगा.
दो मिनट की चुम्माचाटी के बाद हम अन्दर चले गए.

अंजुमन अपने बेटे को दूध पिला रही थी.
हम जैसे ही अन्दर गए, वो अपने आपको संभालने लगी.

हम दोनों जाकर बेड पर बैठ गए.

अंजुमन- दोनों की बातें खत्म हो गईं?

मैं- हां, आपसे अभी तक बात नहीं की, इसलिए आ गया.
अंजुमन- हां, हमने ठीक से बात नहीं की.

मैं- बच्चे की उम्र क्या है?
अंजुमन- एक साल पूरा हो गया.

मैं- अभी भी दूध पिला रही हो?
अंजुमन- हां, मेरी जिठानी तो 2 साल के बच्चे को भी दूध पिलाती है.

मैं- छह महीने ही दूध पिलाते है ना … अभी तक क्यों?
अंजुमन- जब कोई कुछ नहीं करेगा, हमको यही करना पड़ेगा.

मैं- मैं समझा नहीं.
परवीन- जब शादी कर लेगा, तब पता चलेगा.

मैं- आपका बच्चा भी कितना लकी है.
अंजुमन- ऐसा क्यों?

मैं- इसको अभी तक दूध पीने का मौका मिल रहा है. सबको नहीं मिलता है.
अंजुमन- ऐसा कुछ नहीं.

मैं- हमको भी दूध पीना है, नहीं मिलेगा ना, इसीलिए वो लकी है.
परवीन- दूध चाहिए तुम्हें, इतना बड़ा हो गया है तू … चल तेरी मम्मी को बोलती हूँ.

अंजुमन- तू दूध पिएगा, पागल!
मैं- अरे मैं मजाक कर रहा था.

अंजुमन- मजाक में सच बोल दिया ना!
परवीन- सब मर्द एक जैसे ही हैं.

मैं- कैसे?
परवीन- बस अपनी खुशी चाहते हैं, औरत की खुशी की परवाह ही नहीं.

मैं- लेकिन मैं ऐसा नहीं हूँ.
परवीन- अच्छा, तू खुश करेगा, इतनी ताकत है?

मैं- तुम दोनों को एक साथ खुश कर सकता हूँ.
अंजुमन- हम दोनों को … वाह क्या बात है!

परवीन- फेंकने की भी कोई हद होती है यार!
मैं- जब तक तुम ट्राई नहीं करोगी, तब तक पता नहीं चलेगा.

अंजुमन- अच्छा, अभी तक किसी को खुश किया है?
मैं- बहुत सारी खुश हुई हैं मुझसे.

अंजुमन- इतना बड़ा कब हो गया तू?
परवीन- देख कर ही पानी निकल जाएगा तेरा!

मैं- इतना भी कमजोर नहीं हूँ. चाहे तो चैक कर लो.
अंजुमन- तुझे दूध पीने को दूंगी अगर तू खुश करेगा तो!
मैं- मंजूर है.

इतने में परवीन आंटी ने मेरा लंड पैंट के ऊपर से ही पकड़ लिया.

परवीन- वाह, लंड भी बड़ा ही है.
अंजुमन- अम्मी, कुछ दिख नहीं रहा.

परवीन आंटी ने एकदम से पैंट नीचे खींच दी.
अंडरवियर में लंड खड़ा सलामी दे रहा था.

अंजुमन- बाप रे … काफी बड़ा है.
मैं- अभी क्या देखा, इसको हाथ में तो ले कर देखो.

परवीन- ये छोटा क्यूट सा बच्चा जवान कब हो गया … इसका लंड तो काफी तगड़ा है.
परवीन आंटी ने मेरी अंडरवियर नीचे खींच दी और लंड को हाथ से पकड़कर ऊपर नीचे करने लगीं.

मैं- तुम लोग अपने कपड़े नहीं उतारोगी?
परवीन- क्यों नहीं.

वो दोनों एक दूसरे के कपड़े उतारने लगीं.

मैं- पहले कौन आएगा?
अंजुमन- जैसे बोला था, पहले अम्मी को खुश करो, फिर बेटी का दूध पी लो.

ये बात सुनकर परवीन आंटी बहुत खुश हो गईं.
वो बेचैन औरत सोच रही थी, आज मुझे लंड मिलेगा कि नहीं.

इधर मैं आप सबको एक बात बताना चाहता हूं.
ये सब इतना आसान होने का कारण कल आंटी और अंजुमन दोनों मिलकर खुलकर बात करने लगी थी.

उन दोनों की बात मैं अभी आपको बता देता हूँ.

कल का वाकिया.

परवीन- अंजू, तू क्यों उदास रहती है?
अंजुमन- क्या तुझे पता नहीं है अम्मी. आप लोगों ने ऐसा शौहर दिया है मुझे.

परवीन- कभी कभी तकदीर इतनी बुरी होती है, क्या करें!
अंजुमन- वो दिखने में अंकल जैसा है. ना मैं अपनी सहेलियों के आगे उसे ले जा सकती हूं … न ही घर वालों के आगे. अगर वो मुझे खुश भी कर पाता तो भी चल जाता.

परवीन- मैं मेरी तकलीफ किसको बताऊं बेटी.
अंजुमन- क्यों अम्मी, पापा के साथ खुश नहीं हो?

परवीन- कुछ साल पहले तक सब सही था. अभी तुम्हारा बाप इतनी ज्यादा दारू पीता है कि उसको बीवी की याद ही नहीं आती. अगर कभी आएगी भी तो वो मुझे खुश नहीं कर पाता. दो मिनट में ही ढेर हो जाता है.
अंजुमन- जो मर्द औरत को खुश नहीं कर सकता, उसको शादी ही नहीं करना चाहिए. क्या करें साली तकदीर ही ऐसी है हमारी.

परवीन- तू मेरे जैसी मत रहना बेटी. अपनी तकदीर को बदल दे.
अंजुमन- कैसे?
परवीन- अगर कोई तुझे खुश करने वाला मर्द मिल गया तो उसको छोड़ना मत!

अंजुमन- मतलब अपने शौहर को धोखा दे दूँ?
परवीन- जिसको तेरी खुशी की परवाह नहीं, उसके बारे में क्या सोच रही हो. मैंने भी तय कर लिया है, मेरी उम्र अभी 47 की है. अभी भी मैं 5 साल मजे ले सकती हूं. ये 5 साल ही मैं अच्छे से मजे लूँगी किसी गैर मर्द से.

अंजुमन- तुमने ठीक कहा अम्मी. हम अपनी ख्वाहिशें पूरी करेंगे. थैंक्स अम्मी मुझे इतना सब बताने के लिए, आज से तुम मेरी अम्मी नहीं, सहेली हो. लेकिन अम्मी हमें ऐसा मर्द कहां मिलेगा?

परवीन- मर्द उसी समय खुश कर पाएगा जब उसके ऊपर कोई टेंशन ना हो. ऐसा बिंदास रहने वाले तो 18 से 25 साल के उम्र के लड़के होते हैं.
अंजुमन- अगर किसी को पता चला तो?

परवीन- अगर वो अपने ही परिवार वाला होगा तो?
अंजुमन- हां, तब वो किसी को नहीं बता सकता, क्योंकि उसकी भी इज्जत जाएगी.

परवीन- ठीक कहा.
अंजुमन- लेकिन वैसा लड़का कहां से मिलेगा? अपने परिवार में तो ऐसे कोई नहीं है.

परवीन- तुम्हारी खाला आंटी के परिवार में है ना!
अंजुमन- यानि जीशान?

परवीन- हां.
अंजुमन- लेकिन वो मासूम है, क्या वो सब कर पाएगा?
परवीन- कल देख लेते हैं.

इतना सब आंटी मेरे लिए पहली ही तैयार कर चुकी थीं. अब बस मैंने वहां उन दोनों को और भड़का दिया था.

अब पहले आंटी को पेलना था और अंजुमन को अपना बनाना था.
अगर कोई औरत तुम्हें प्यार करेगी ना, तो वो तुम्हारे लिए कुछ भी करेगी.

चाची ने मुझे उनकी दो बहनों से मिलवा दिया. सलमा आंटी ने आलिया की चूत दिलवा दी. अब परवीन आंटी अपनी बेटी अंजुमन को मेरी तरफ करवा दी.

मेरे परिवार में दूसरी औरतें भी हैं, जैसे मामी फूफी भाभी. लेकिन उनको पाना मुश्किल था क्योंकि वो सब खुश थीं अपने पतियों से.
लेकिन चाची की फैमिली साइड सब आसान से मिलने लगा.

आंटी एकदम नंगी होकर मेरे आगे आने लगीं.
मैंने उन्हें कसके पकड़ा, मेरा लंड चूत के अन्दर जाने के लिए तड़प रहा था.

लेकिन आंटी को पहले और गर्म करना जरूरी था.
मैं अपने दोनों हाथों से आंटी के मम्मों को मसलने लगा. मैं अपना मुँह आंटी के मुँह में डालने लगा और ज़ोर ज़ोर से चूमने लगा.

आंटी के बारे में आपको पता ही है वो कितनी रोमांटिक है.
वो भी अन्दर तक अपनी जीभ डालने लगीं, कभी कभी वो मेरे होंठ काट रही थीं, कभी अपने हाथों से मेरे बाल खींच रही थीं.

दस मिनट लगातार ऐसे ही चूमते रहने के बाद हम दोनों गर्म हो गए.

परवीन- वाह क्या किस किया? तू तो इतना भी मासूम नहीं है रे!

मैंने भी आंटी को बेड पर गिरा दिया, अब उनके मम्मों की बारी थी. मैं एक बूब को मसलने लगा और एक को चूसने लगा.
मैं उनके मम्मों को काटने लगा.

परवीन- हाय मैं मर गयी … उम्म धीरे …
उनकी मादक सिसकारियां और तेज़ होने लगीं.

मैं अभी आंटी की नाभि चाट रहा था. आंटी की सेक्सी कमर को चूम रहा था. मैं एक पागल की तरह आंटी के बदन को चूम रहा था, चूस रहा था, क्या नहीं किया मैंने … मैं सब कुछ कर रहा था.

परवीन- आह उम्म आओउ … मस्त कर रहे हो.

मैं पोर्न आंटी गदराई हुई जांघों को मसल रहा था, चूम रहा था.
मुझे मज़ा आने लगा था.

आंटी का इतना कामुक फिगर और उनकी गुलाबी चूत … मुझे नशा सा छाने लगा.
आंटी की गुलाबी चूत के ऊपर काले घने झांट के बाल मस्त थे.

मैं- आंटी झांट साफ नहीं की?
परवीन- किसके लिए करूँ, कोई इसको इस्तेमाल ही नहीं करता.

मैं- अब मैं आ गया ना, अब से साफ रखना.
मैं आंटी की चूत को चूमने लगा.

उम्म आंटी अपनी दोनों जांघों से मेरा सर चूत के बीच में दबा रही थीं.
मैंने उनकी चूत को चाटना शुरू कर दिया … अन्दर तक जीभ डालने लगा. चूत का नमकीन स्वाद … वाह मजा आने लगा.

परवीन- आआईई ऊऊह … बड़ा मजा आ रहा है … इसी के लिए सालों से तड़प रही थी.
मैं- अब और नहीं.

मैं और ज़ोर चूत को चाटने लगा.

वहां आग अंजुमन की चूत में भी लगी थी.
वो भी अपनी चूत में उंगली कर रही थी और सिसकारियां भरने लगी थी- अभी तक अम्मी को कितनी बार चोदा है?
मैं- नहीं चोदा.

अंजुमन- नाटक बंद कर, पहली बार ही इतना बॉन्डिंग नहीं रहता.
मैं- ऐसा कुछ नहीं है.

अंजुमन- अम्मी बता दो मुझे!
परवीन- ये तो मुझे 6 महीनों से मज़ा दे रहा है.

अंजुमन- साली 6 महीने से तू मजे ले रही है और मुझे भूखी छोड़ रखा है.
मैं- चल आज अभी तुझे भी लंड मिल जाएगा.

मेरे इतना कहते ही अंजुमन हम दोनों के बीच आ गई और मुझसे ज़ोर ज़ोर से चूमने लगी.

अंजुमन एकदम मस्त माल थी. गुलाबी होंठ और वो मीठा स्वाद. उसके चुम्बन में मजा आने लगा.

परवीन- ये मुझे अकेली को नहीं तेरी दोनों आंटियों को भी मजे देता है. बहुत तगड़ा है ये.
अंजुमन- आज मैं भी देखूंगी, कितना तगड़ा है?

आगे क्या हुआ, वो अगली कड़ी में लिखूंगा.

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पोर्न आंटी की कहानी का अगला भाग: चाची की दो भानजियों की चुदाई की कहानी- 6

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