पुराने लौंडेबाज से मुलाक़ात हुई तो गांड मराई

(Purane Laundebaz Se Gand Marwayi)

एक दिन मैं टेलर से अपने कपड़े लेने गया तो वहां एक साहब मुझे देखकर मुस्कुराने लगे. मैंने पहचानने की कोशिश की. मुझे याद आया कि उन्होंने मेरी गांड मारी थी.

आपने मेरी पिछली कहानी
पुराने लौंडेबाज से मुलाक़ात और गांड मराई
पढ़ी.

अब इसके बाद का किस्सा सुनें.

एक दिन मैं बाजार गया.
नफीस टेलर के यहां मेरे पैंट शर्ट सिलने पड़े थे.
मैं उठाने गया.

वहां मुझे एक तीस बत्तीस के सज्जन दिखे, वे मुझे ध्यान से देख रहे थे.

मैं सीधे टेलर मास्टर साहब के सामने खड़ा हो गया था.
मास्टर साहब मुझे देख कर बोले- अभी काज बटन रह गए हैं.

तभी वे सज्जन पास आ गए.
उनसे निगाहें मिलीं तो वो मुझे कुछ पहचाने से लगे.
वे मुझे देख कर मुस्कराने लगे.

मैंने नमस्कार किया, वे सवालिया निगाहों से देख कर बोले- पहचाना?
मैं- जी.

वे बोले- नाम बताओ?
मैं थोड़ा सोच कर बोला- नवाज भाई जान.

वे हल्की नाराजगी व्यक्त करते बोले- नाम बताने में बड़ी देर लगी.
मैं- भाई जान. बहुत दिनों बाद मिले हो न इसलिए, आप कहां थे और यहां कैसे?

नवाज- मैं बम्बई चार पांच साल रहा. वहां सूट कटिंग सीखी, फिर अपने कस्बे में तो केवल सूट से काम नहीं चलता, तो लेडीज के ब्लाउज, फ्रॉक, सलवार, कुर्ते, पैंट शर्ट, सब काम आता है. यहां सीजन पर जब काम बढ़ जाता है, तो नफीस चाचा मदद को बुला लेते हैं. फिर वापस अपने शहर चला जाता हूं.

मैं हूँ हां कर रहा था.
वे फिर बोले- आप नफीस चाचा को नहीं जानते?

मैं- जानता हूं, जब से आया हूं, उन्हीं से कपड़े सिलवाता हूं.
वे- अरे आप नहीं जानते, चचा इशहाक के ससुर हैं.

मैं- अरे हां. भाभी के अब्बा. मैं भाभी को जानता हूं. उनसे मिला भी हूँ, पर यह बात मालूम नहीं थी. इशहाक भाई से अभी दो महीने पहले मिला था, उन्हीं के पास रूका था.

मैं नवाज भाई को यह बता नहीं पाया कि उनसे गांड मराए दो महीने हुए हैं, उन्होंने मेरी कसके रगड़ दी थी. एक ही रात में दो बार मारी थी, तीन दिन तक दर्द करती रही, छिल गई थी. वह भी तब, जब मैं अट्ठाईस साल का जवां मर्द था, लम्बा तगड़ा पुराना गांडू था. न जाने कितने लंड लिए थे.

वे नए माशूक लौंडों की क्या हालत करते होंगे, ऐसी जबरदस्त गांड फाड़ू चुदाई करते थे. लंड है कि आफत, लम्बा मोटा लोहे सा सख्त और क्या चुदाई, कैसे भूल सकता हूं.

उस पर एक बार कोई लौंडा उन्हें जम जाए, तो यो बिना उसे निपटाए छोड़ते नहीं.

वे अब यही कोई पैंतीस छत्तीस साल के रहे होंगे, उस पर मोटे हो गए थे.

जब वे मेरे ऊपर चढ़े थे तो लंड से ज्यादा मुझे उनका वजन अखर रहा था. गलती उनकी नहीं थी, वे तो मना कर रहे थे. मेरी ही गांड लंड पिलवाने को तड़प रही थी, सो मजा ले लिया.

बहुत दिनों से तमन्ना थी एक बार इशहाक भाई से गांड मरवाने की, वे बड़ी मुश्किल से मेरी मारने के लिए तैयार हुए थे.

शुरू में इशहाक भाई मुझे इसलिए छोड़ देते थे कि तुम छोटे हो.

तब मैं सच में दुबला पतला था, वे लम्बे तगड़े. हां, मैं गोरा माशूक था, उन्होंने मेरे कई दोस्तों की मारी थी.

अब कह रहे थे कि तुम बड़े हो गए, अफसर हो गए. बहुत मक्खन लगाना पड़ा.

आप हंसेंगे कि गांड मराने के लिए मक्खन लगाना पड़ा. पर यह सच है, मराने वाले जानते हैं. जब गांड मराने की इच्छा होती है, तो बिना मराए चैन नहीं पड़ता है … और फिर मन पसन्द लंड गांड में जाए, तो क्या कहना.

उन्होंने बहुत सावधानी से मारी थी, पर जब लंड में जोश आ जाता है तो क्या कोई मारने वाला धीरे धीरे कर पाता है, रगड़ ही देता है.

मैंने अपनी फड़वा ली, तब चैन मिला, तसल्ली मिली.

उनकी बात चलते ही गांड फिर से कुलबुलाने लगी.

नवाज भाई इशहाक के कजिन थे, छोटे भाई थे. लम्बे, गोरे, स्लिम, छरहरे माशूक, शार्प तीखा चेहरा, गर्दन तक बाल, हल्की दाढ़ी.

मैंने नफीस चाचा से पूछा- तो कब आऊं?
नफीस चाचा- बोले तीन दिन बाद, आजकल काम बहुत है.
मैं बोला- ठीक है.

अभी मैं लौट ही रहा था कि नवाज भाई बोले- आप पता बता दें, मैं दे आंऊगा.

मैं हामी भरकर नफीस चाचा को रूपये देने लगा तो नवाज भाई बोले- अरे मेरी तरफ से …
पर मैंने चाचा को कीमत बिल के मुताबिक दे ही दी और नवाज को अपने घर का पता बता दिया.

तीसरे दिन रात नौ-साढ़े नौ का टाईम होगा, किसी ने मेरे फ्लैट की घंटी बजाई.

मैंने दरवाजा खोला तो सामने नवाज भाई जान खड़े थे. मैंने उन्हें अन्दर करके दरवाजा बंद कर लिया.

वे बोले- घर में और कोई नहीं है?
मैं- फैमिली के सब लोग गांव गए हैं.

वे बैठ गए, उन्होंने मेरे कपड़े दिए.
मैंने उन्हें नाश्ता कराया.

वे जाने की कहने लगे तो मैंने कहा- आपके साथ कौन रहता है, कहां रहते हैं?

वे बोले- अकेला रहता हूं.
मैं- तो फिर यहीं रूक जाइए, बातें करेंगे सुबह चले जाना.

वे झट से मान गए; वो आए ही मूड बनाकर थे.
हम दोनों ने कपड़े उतार दिए और अंडरवियर बनियान में आ गए.

हम पलंग पर लेट गए और गांव की पुरानी बातें करते रहे, दोस्तों को याद करते रहे.

वे बार बार मुझे देख रहे थे.
फिर बोले- पहले तो बहुत दुबले पतले थे, अब अच्छा बदन बनाया है. क्या पुट्ठे बनाये … कसरत करते हो क्या?

मेरे सीने पर हाथ फेरते रहे, फिर करवट बदल कर मेरे से चिपक गए. मेरी जांघों पर हाथ फेरने लगे.
उन्होंने अपनी एक टांग टेढ़ी करके मेरी जांघों के ऊपर रख ली.

मैं पहले तो चित लेटा था, फिर मैंने भी करवट बदल कर चेहरा उनकी तरफ कर लिया.
अब हम दोनों चिपक गए. उनका हाथ मेरी पीठ पर था, मेरा हाथ उनकी पीठ पर था.

मैंने कहा- भाई जान, आपकी बॉडी भी स्लिम है, छरहरी और मस्त है. आप दुबले पतले नहीं, स्मार्ट लगते हैं.
वे प्रसन्न हो गए.

मैं- चेहरे से तो आप मेरे से छोटी उम्र के लगते हैं, मैं इतना खूबसूरत नहीं हूँ.
वे हंस कर बोले- मक्खन लगा रहे हो.

असल में नवाज भाई मेरे से बड़े थे.
वे माशूक भी थे, मोहल्ले में कई लौडों से गांड मराया करते थे.

मैंने उन्हें खंडहर व सूनी जगहों पर लौडों से गांड मराते देखा था.
वे अपने से छोटे लौंडों की मारते भी थे.

एक बार वे मुझे गर्मियों में बेर खिलाने एक सुनसान बेरी के पेड़ के पास ले गए थे. वहां उन्होंने मेरा अंडरवियर उतार कर मुझ जमीन पर लिटा दिया व मेरे ऊपर चढ़ बैठे थे.

मैं तब एक चिकना लौंडा था. उस समय उन्होंने अपना भयंकर लंड थूक लगा कर मेरी छोटे छेद वाली चिकनी गांड में पेल दिया.
तो मैं बिलबिला उठा था. मैंने तब तक इतना बड़ा लंड लिया नहीं था तो मेरी गांड चिरने को हो गई थी.

पर वे रूके ही नहीं, उन्होंने मेरी कमर पकड़ कर अपना पूरा पेल ही दिया.

अन्दर जाते ही फौरन से धकापेल मचा दी; अन्दर-बाहर अन्दर-बाहर शुरू हो गए.

मेरी गांड फट गई, खून निकल आया. मेरे गाल दांतों से काट लिए गए थे.

वो तो एक दूसरा लड़का मेरी चीख सुन कर आ गया. उसने उन्हें मुझसे अलग किया व उन्हें डांटा.

मेरी गांड बहुत दिनों तक दर्द करती रही. ठीक से चलने में परेशानी भी रही.
मेरे दोस्तों को भी पता लग गया था. वे मुझसे थोड़े कटे कटे से रहने लगे थे.

यह कई साल पुरानी घटना थी, पर अब भी याद थी. वे तब नए नए लौंडेबाज थे, अनाड़ी थे. शिकायत हुई तो संभल गए.

अब मैं वर्तमान में आ गया.

मैंने कहा- भाई जान, मेरे पुट्ठे भले थोड़े ज्यादा हों, पर हथियार तो आपका मजबूत है. मुझे अब भी बेर के नीचे की घटना याद है.
वे थोड़ा झैंप गए और बोले- अरे पुरानी बात हो गई.

मैंने कहा- अब भी तो पूरा जानदार होगा, दिखाओ.
वे अचकचा गए- नहीं नहीं …

पर मैंने उनके अंडरवियर में हाथ डाल ही दिया और लंड को बाहर निकाल लिया.
मैं लंड का सड़का मारने लगा.

उनका मस्त लंड मेरी मुट्ठी में दबा था. वे देख रहे थे. फिर उनका हाथ जो मेरी पीठ पर था, अब मैंने अनुभव किया वह मेरे चूतड़ सहला रहा था, उन्हें मसल रहा था.

मैंने कहा- अब भी शौक रखते हैं?
वे बोले- अब मिलते नहीं, दोस्त बाहर चले गए, कभी कभी कोई मिल जाता है.

मैं- तो आज हो जाए!
वे बोले- अरे नहीं.

पर मैंने करवट बदल ली उनकी तरफ पीठ कर ली.
वे अंडरवियर के ऊपर हाथ फेर रहे थे.

मैंने खुद ही अंडरवियर को नीचे कर लिया.
वे मेरे नंगे चूतड़ मसलने लगे.

उनका लंड खड़ा हो गया था, झटके लेने लगा था.

उन्होंने मुझे औंधे होने का हाथ से इशारा किया.
मैं झट से पेट के बल औंधा लेट गया.

मेरे ऊपर वे चढ़ बैठे, छेद में थूक लगाने लगे तो मैंने तेल की बोतल की ओर इशारा कर दिया.

वे उठा लाए और लंड पर अच्छी तरह चुपड़ लिया. फिर तेल से भीगी उंगली उन्होंने मेरी गांड में डाल दी.

बड़ी देर तक अन्दर घुमाते रहे, फिर तेल से लसड़ा लंड मेरी गांड पर रखा और धक्का दे दिया.

पहले धक्के में सुपारा अन्दर किया और मेरी पीठ पर लेट गए.

उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरे कंधों के नीचे से निकाले और कमर से एक जोरदार झटका दिया.
अब भी उनका हथियार मस्त था.
मैंने दांत भींच लिए.

उन्होंने एक और झटका दिया; अब पूरा अन्दर चला गया.
गांड में हल्का हल्का दर्द तो हो रहा था पर मजा आ रहा था.

गांड मराने में दर्द तो होता है पर गांड मराने वाला हर लौंडा इसे खुशी खुशी सहन करता है.

मैं गांड उचकाने लगा. वे ऊपर से झटके दे रहे थे.

वे- हां हां हां हूं हूं हूं आज मजा आया!
मैंने कहा- हां अब आप एक्सपर्ट हो गए हैं.

वे मेरा किस करने लगे. बहुत धीरे धीरे कर रहे थे.

मैंने कहा- मस्ती से करें, डरे नहीं … अब मरा ही रहा हूं, तो झटकों का क्या डर.
मेरी बात से वे थोड़ा रिलैक्स हुए और उनके झटके जोरदार हो गए.

गांड की मस्त रगड़ाई हुई, फिर वे झड़ गए, तब हम दोनों अलग हुए.
हम दोनों ने बाथरूम में जाकर अपना बदन साफ किया व सो गए.

सवेरे वे जाने लगे, अपनी पैंट पहन ही रहे थे कि मैंने कहा- तबियत हो, तो एक बार फिर हो जाए.
वे आदत के मुताबिक न न करने लगे, पर मैंने अपनी चड्डी नीचे खिसका दी व उन्हें चूतड़ दिखाए, तो उनका खड़ा हो गया.

उन्होंने मुझे वहीं दीवार से टिका कर मेरी में थूक लगा कर पेल दिया.
मैं आ आ कर उठा.

वे बोले- ज्यादा लग रही है क्या?
मैं उन आंह करता रहा.
वो पूरा लंड डाल कर झटके देने लगे.

फिर अपनी पर आ गए. दे दनादन दे दनादन धूम मचा दी. अब वो पूरे जोश में आ गए थे. रगड़ कर मलाई फैंक दी, मजा आ गया.

मैंने कहा- भाई जान, अब जोश में आए, रात में तो संकोच कर रहे थे. आपके हथियार में बड़ा दम है.
वे प्रसन्न हो गए और बोले- चलो तुम्हें मजा आया, तो काम सही रहा. मुझे भी तसल्ली रही कि तुम्हें खुश कर सका.

वे चले गए.

इस तरह दो तीन बार हम मिले, फिर वे गांव चले गए.

मेरी गांड मराने मारने की कहानियाँ मैं आपको एक के बाद एक बताता रहूंगा. मेरी कहानियाँ आपको पसंद आ रही हैं, इसका प्रमाण यह है कि आप मुझे अपने मेल भेज रहे हैं.
आपका आजाद गांडू

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