शनिवार की आखरी मेट्रो

(Saturday Ki Aakhiri Metro)

दोस्तो, मेरा नाम राहुल, उम्र 25 साल है, रंग गोरा, कद 6.1 फ़ीट और दिखने में ठीक ठाक ही हूँ. यह बात 2 साल पहले की है जब मैं एक इवेंट कंपनी में मार्केटिंग की जॉब करता था जो साउथ दिल्ली में है.
उस दिन ऑफिस में पार्टी थी जिसकी वजह से मैं ऑफिस से घर के लिए लेट निकला. मैं ज्यादातर मेट्रो में ही सफर करता हूँ. उस दिन मेट्रो स्टेशन पहुँचते पहुँचते ही 10:30 बज गए. मुझे लगा कि मैंने लास्ट मेट्रो मिस कर दी… पर लास्ट मेट्रो प्लेटफार्म पर ही खड़ी हुई थी, मैं भाग कर एक डिब्बे के अंदर घुस गया.
कुछ ही सेकंड बाद मैंने नोटिस किया कि जल्दबाजी में मैं लेडीज कम्पार्टमेंट में आ गया था जिसमें सिर्फ 3-4 लड़कियाँ और 2 भाभियाँ बैठी हुई थी.

सैटरडे की लास्ट मेट्रो थी और गिने चुने ही लोग थे ट्रेन में!
मैं भी थका हुआ था इसलिए लेडीज कम्पार्टमेंट में ही बैठ गया भाभी के साथ वाली सीट पर.

2-3 मेट्रो स्टेशन ही पार हुए होंगे कि मेट्रो अचानक से झटका खाकर रूक गई और मैं स्लिप होकर भाभी की साइड झुक गया और खुद को सँभालते हुए गलती से भाभी की कमर पर हाथ रख दिया और भाभी ने भी खुद को सँभालते हुए मेरे उस हाथ के ऊपर अपना हाथ रख दिया.
जैसे ही हम दोनों सम्भले, मैंने अपना हाथ वापस खींच लिया और सॉरी बोला.

पर भाभी मुझे घूरे जा रही थी गुस्से में.
मैंने अभी तक भाभी को ध्यान से नोटिस नहीं किया था.

जब भाभी ने मुझे घूरना बंद नहीं किया तो मैंने सीधे हाथ से कान पकड़ कर फुसफुसा कर सॉरी कहा.
तब भाभी ने स्माइल पास करी.

तब मैंने भाभी को ध्यान से देखा, लगभग 26 से 28 साल की उम्र की, गोरी जिसने क्रीम कलर के फ्लावर वाला सूट पहन रखा था. थोड़ी देर बाद केंद्रीय सचिवालय स्टेशन आ गया जहाँ से मुझे मेट्रो चेंज करनी थी.
भाभी भी उसी स्टेशन पर उतर गई मेरे साथ,

मुश्किल से 4-5 लोग ही थे इस प्लेटफॉर्म पर भी. भाभी आगे चल रही थी और मैं उनके पीछे… कि तभी मुझे सॉरी वाली बात याद आई और मैं तेज चल कर उनके पास गया और कहा- जरा सुनिए, वो मेरा हाथ गलती से आपकी कमर पर आ फिसला था… उसके लिए सॉरी!
उन्होंने कहा- कोई बात नहीं!
और हम दोनों साथ साथ दूसरे मेट्रो स्टेशन की तरफ जाने लगे.

मैंने बात स्टार्ट करते हुए पूछा- आप कहाँ जा रही हो?
भाभी- मैं पीतमपुरा जा रही हूँ.
मैं- मैं भी उसी साइड रहता हूँ!
भाभी- अच्छा, कहाँ पर?
मैं- रोहिणी में!

इतने में दूसरा प्लेटफार्म आ गया. यहाँ भी मेट्रो के गेट बंद होने को थे. भाभी भागने लगी और मैं भी उनके पीछे उनकी गांड देखते देखते भागने लगा. मेट्रो में घुसते ही भाभी रुक गई पर मैं पीछे से भागता हुआ आ रहा था तो अपने आपको रोक नहीं पाया और भाभी की गांड से अपना लंड गलती से टकरा दिया.

भाभी फिर से मुझे घूरने लगी और मैंने फिर से सॉरी बोला.
पर इस बार वो मुझे घूरती रही, मैंने भी हिम्मत करके आँखों से आंखें मिलायी और पहले की तरह कान पकड़ कर सॉरी कहा और भाभी ने स्माइल पास की.

मेट्रो खाली थी पर हम दोनों खड़े हुए थे. मैंने भाभी को बैठने के लिए कहा तो वो गेट के कोने में टेक लगा कर खड़ी हो गई. मैं भी उनके पास में ही खड़ा रहा और हम दोनों के बीच सामान्य बातें होती रही.

थोड़ी देर बाद मेट्रो का गेट दूसरी साइड से खुलने लगा और हम दोनों दूसरी साइड वाले गेट पर चले गए, अब मैं कोने पर था और भाभी मेरे सामने. तभी अचानक मेट्रो ने फिर से झटका खाया और भाभी ने सँभालते हुए मेरे लंड को जोर से पकड़ लिया और लंड पूरा खींच लिया.
मैं शर्म से पानी पानी हो गया, भाभी दूसरी साइड मुँह करके हंसने लगी.

कुछ देर हम यों ही खड़े रहे, मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरा लंड खड़ा हो गया और भाभी छुप छुप कर मेरे लंड को देखने लगी.
मैंने लंड को एडजस्ट करने की कोशिश की पर वो और ज्यादा खड़ा हो गया. भाभी कभी मेरे खड़े लंड को देख रही थी कभी मुझे!
भाभी को मेरे लंड की तरफ घूरते देख मुझे भी मजा आने लगा और मैं लंड को आगे पीछे ठुमके देने लगा.

मुझे ऐसा करता देख भाभी हंसने लगी. मैंने भाभी का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया, भाभी बिना हिले डुले वैसे ही खड़ी रही और मैं अपने लंड को आगे पीछे ठुमके देने लगा.
अब भाभी भी मेरे लंड को सहला रही थी धीरे धीरे.

मैंने भाभी को कोने में किया और शर्ट के ऊपर से उनके चुचे मसलने लगा.
तभी भाभी ने मेरी पैन्ट की चैन खोलकर अपना हाथ अंदर डाल दिया और खड़े लंड का साइज लेने लगी. पूरे 7 इंच नापने के बाद मेरी बॉल्स से खेलने लगी.

मैं भाभी के शर्ट के अंदर हाथ डालने ही वाला था कि कश्मीर गेट मेट्रो स्टेशन आ गया, मैंने जल्दी से ज़िप बंद करके शर्ट बाहर निकाल ली ताकि खड़ा लंड छुपा सकूँ.

हम रेड लाइन की तरफ जा रहे थे एकदम चुपचाप… हम दोनों में से कोई भी नहीं बोल रहा था. प्लेटफॉर्म पर 2 मिनट वेट करन के बाद मेट्रो आ गई और हम पहले की ही तरह खड़े हो गए.

इस मेट्रो में कुछ लोग थे तो हम ज्यादा कुछ नहीं कर रहे थे. भाभी कार्नर में थी, मैंने अपना फेस उनकी तरफ किया हुआ था और वो मेरी पैन्ट के ऊपर से मेरा लंड मसल रही थी, मैं भी मौका देखकर उनके निप्पल पर उंगली घुमा रहा था.

पीतमपुरा मेट्रो स्टेशन आने वाला था तो मैंने अपना विजिटिंग कार्ड दे दिया भाभी को और उन्होंने मुझे मेरे गाल पर किस किया और बाई बोल कर चली गई.

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