तलाकशुदा की कामवासना और सेक्स का सुख- 6
(Second Suhagrat Xxx Kahani)
सेकंड सुहागरात Xxx कहानी में मैं अपनी सहेली के स्मार्ट पति के साथ बेड में अपनी चूत चुदाई का इन्तजार कर रही थी. उसने मेरी पैंटी उतार कर मेरी गोरी चूत को चाटा तो मजा आ गया.
दोस्तो, मैं आपकी जाह्नवी आपको अपनी सेक्स कहानी के रूमानी पलों का रस पिलाने के लिए हाजिर हूँ.
कहानी के पिछले भाग
सहेली के पति से चुदाई की बेकरारी
में अब तक आपने जान लिया था कि आपकी जाह्नवी अपनी सहेली के पति रमित की बांहों में मचल रही थी.
अब आगे सेकंड सुहागरात Xxx कहानी:
मैंने भी अपनी बांहें उसकी गर्दन में लपेट दीं और अपना सर उसके सीने से टिका दिया.
वह मुझे उठा कर बेड की तरफ बढ़ गया.
उसने आराम से मुझे बेड पर लिटाया और अपना ट्रॉउज़र और शर्ट खोल कर बेड पर आ गया.
वह मेरे पैरों की तरफ से मेरी टांगों को चूमने लगा.
घुटनों से चूमते हुए उसने जैसे ही अपने होंठ मेरी जांघों पर चलाए … तो मेरे मुँह से ‘आह रमित उफ़ उफ्फ्’ की आवाज़ आयी.
उसने जैसे ही ऊपर उठ कर मेरी तरफ देखा तो मैं पलट गयी.
अब वह मेरी जांघों के पिछले भाग को चूमते हुए नीचे की तरफ गया, मेरी पिंडलियों को चूमने लगा, फिर वह ऊपर आया, मेरे नितंबों को चूमा.
फिर वह मेरी पीठ के बीच में से मेरी रीड़ की हड्डी से चूमता हुआ मेरी गर्दन तक चूमने लगा.
तभी उसने मेरे बाएं कान के निचले भाग को होंठों में भर लिया और चूसने लगा.
फिर हल्का सा दांत से काटा भी.
मैंने कहा- तुम बहुत शरारती हो!
वह मेरे ऊपर से थोड़ा हटा तो मैं फिर से पलट गयी.
अब मैं सीधी थी.
मेरे बूब्स उसके सामने थे.
हम दोनों के होंठ फिर से मिल गए.
इस बार उसने मेरी जीभ को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा.
फिर मैंने उसकी जीभ अपने मुँह में लेकर चूसी.
उसने मेरे गाल पर तिल को चूमा और कहा- ये तिल तुम्हारी खूबसूरती को बढ़ा देता है!
मैंने कहा- अच्छा जी और इधर वाला?
यह कह कर मैंने अपनी उंगली से अपने बूब्स के ऊपर के तिल के बारे में पूछा.
उसने वहां पर हल्की सी किस की और बोला- ये तुम्हारी हॉटनेस को बढ़ा देता है!
मैंने कहा- इसीलिए तुम्हारी नजरें यहां आकर टिक जाती थीं न?
वह कुछ न बोल कर मेरे बूब्स के ऊपरी भाग को चूमने लगा.
मेरी क्लीवेज में उसने चुम्बन लेते हुए मेरी ब्रा के हुक खोल दिए.
हुक खुलते ही मेरे बूब्स ऐसे उछले जैसे वे कब से आज़ाद होना चाहते हों.
उसने ब्रा मेरे कंधों से निकाल कर अलग कर दी.
फिर उसने मेरे सख्त हो चुके दोनों निप्पलों पर हल्के हल्के चुम्बन लिए और बोला- जाह्नवी बदन का हर अंग में अलग सा न/शा है. तुम्हारी आंखें इतनी न/शीली हैं कि उनमें देखने से ही 4 पैग का न/शा हो जाता है … और तुम्हारे होंठों को पीने से आधी बोतल का! अगर तुम्हारे बूब्स पीयूंगा तो पूरी एक शैम्पेन का!
उसकी आवाज़ मदहोशी में डूबी थी.
मैंने कहा- क्या मैं शराब की दुकान हूँ?
वह मुस्करा कर बोला- जाह्नवी, तुम्हारी हर अदा तुम्हारा हर अंग, तुम्हारा चलने का तरीका … तुम्हारा बोलने अंदाज़ … तुम्हारी शख्शियत को बयां करता है. बयां करता है कि तुम बहुत क्रिएटिव हो!
मैं उसके इस जवाब से मुस्कुरा दी.
वह इतने में ही नहीं रुका, बल्कि मेरे साइड में आकर थोड़ा ऊपर को उठा और उसने अपने एक हाथ को नीचे ले जाकर मेरी कमर और नितंबों पर रख दिया.
अपने हाथ को फिराते हुए उसने आगे कहा- जान यहां तक कि तुम्हारी ब्रा और तुम्हारी ये पैंटी भी बता रही है कि तुम कितनी काबिल फैशन डिज़ाइनर हो.
यह कह कर उसने मुझे अपने सीने से कस लिया.
वह आगे बोला- मैं आज तुम्हारी कामयाबी पर खुश भी हूँ और गर्व भी महसूस कर रहा हूँ … और तहे दिल से शुक्रगुज़ार भी हूँ कि तुमने अपनी कामयाबी के इन खूबसूरत पलों में मुझे शामिल किया. आज मैं अपनी किस्मत पर रश्क भी कर रहा हूँ कि देवलोक से उतरी एक अप्सरा मेरी बांहों में है, जिसके हर अंग के रस का स्वाद चख रहा हूँ.
रमित की आवाज़ मदहोशी में डूबी हुई थी.
मेरा मन कर रहा था कि उसकी इस न/शीली आवाज़ में डूबती जाऊं.
अभी तक तो मुझे रमित के शरीर और उसके नेचर से ही प्यार हुआ था पर अब मुझे उसकी आवाज़ से भी प्यार हो गया था.
उसका हर शब्द मुझमें गहरा उतरता जा रहा था और मेरा मन बेलगाम घोड़े की तरह भागता हुआ अनगिनत इच्छाएं कर रहा था, जो कभी पूरी नहीं हो सकती थीं.
फिर भी मैं अपनी सेकंड सुहागरात Xxx के ये पल भरपूर जीना चाहती थी.
मैंने ‘ओह रमित आई लव यू …’ बोलते हुए अपनी बांहों का घेरा उसके इर्द-गिर्द और कस दिया.
मैं उसके होंठ चूमने लगी.
मेरे होंठ रमित के होंठों में फंसे थे और उसका एक हाथ मेरे सख्त हो चुके दूध को हल्के से सहला रहा था.
वह अपने हाथ को नीचे से ऊपर की ओर करते हुए ऐसे हाथ फेर रहा था … जैसे वह मेरे स्तन को मसाज दे रहा हो.
फिर उसने अपनी हथेली मेरे कड़क निप्पल पर रखी और गोल गोल घुमाने लगा.
मेरे मुँह से उफ़ आह आह की आवाजें निकल रही थीं.
अब रमित मेरे ऊपर चढ़ गया और अपनी जीभ मेरे निप्पल के ऊपर फिराने लगा.
वह एक निप्पल को जीभ से चुभलाता, तो दूसरे को अपनी उंगली और अंगूठे से मसलता.
वह ये सब इतने आराम से और कोमल स्पर्श से कर रहा था कि मुझे लग रहा था कि वह इस बात का पूरा ख्याल रख रहा है कि मुझे दर्द न हो.
फिर वह मेरे निप्पलों को बारी बारी से चूसने लगा, कभी अपने होंठों में भींच कर दबा देता, कभी पूरे बूब को मुँह में लेकर चूसने की कोशिश करने लगता.
कभी हल्के से निप्पल पर अपने दांत से काट लेता.
पर इसमें भी रमित पूरा ध्यान रख रहा था कि कहीं मुझे दर्द न हो.
मुझे तो इस समय उसके दिए हर दर्द में भी मज़ा आ रहा था.
मैं उसकी हर एक हरकत पर कराह रही थी.
मेरे मुँह से ‘उह्ह आह…’ निकल रही थी.
तभी उसने मेरे दूध को चूसना छोड़ा और मेरे पेट को चूमने में लग गया.
वह मेरी नाभि में जीभ डाल कर घुमाने लगा.
उसकी इस हरकत से मुझे गुदगुदी होने लगी थी और काम वासना के बढ़ जाने से नीचे मेरी चूत से कामरस निकल कर मेरी पैंटी को भिगो रहा था.
रमित मेरे पेट से चूमता हुआ नीचे की और सरक रहा था.
मेरी कमर के कर्व्स को चूमता हुआ वह कमर के ऊपर जहां बेल्ट लगाई जाती है, वहां चूमने लगा.
फिर मेरी पैंटी के ऊपर से चूमता हुआ वह नीचे की तरफ आया.
आह मैं तो समझो मर गई थी.
दोस्तो, यहां मैं आपसे कुछ ऐसे वर्ड्स यूज़ करने की इजाजत चाहूंगी, जिन्हें लड़की के मुँह से सुनना बेशर्मी लगती है. कोई भी अच्छी लड़की ऐसे गंदे शब्द इस्तेमाल नहीं करती है.
पर जब वह बिस्तर पर अपने मनपसंद मर्द के साथ होती है, तो वह सारी लोकलाज, शर्म छोड़ देती है और बेशर्म हो जाती है.
वह सेक्स का मज़ा खुल कर लेने लगती है, इससे उसका मजा दोगुना हो जाता है.
रमित चूमता हुआ नीचे की तरफ बढ़ रहा था, उसने मेरी उभरी हुई चूत पर पैंटी के ऊपर से ही चुम्बन लिया, फिर वह प्यूबिक बोन यानि मेरे बिकनी एरिया में चूमने लगा.
चूमते हुए उसने फिर से अपने होंठ मेरी उभरी हुई चूत पर लगा दिए.
अब उत्तेजना मेरे बस से बाहर होती जा रही थी.
वह मेरी जांघों को अन्दर से चूमने लगा.
कमरे में मेरी उह्ह आह की आवाजें गूँज रही थी और बाहर बारिश और तेज़ हो चुकी थी.
बाहर काले बादल पानी बरसा रहे थे और अन्दर रमित मुझे अपने प्यार की बरसात में भिगो रहा था.
तभी रमित की उंगलियां मेरी पैंटी की इलास्टिक में फंस गईं और वह मेरी पैंटी को नीचे की और खिसकाने लगा था.
जैसे जैसे पैंटी नीचे जा रही थी, रमित के चुंबनों की बरसात भी तेज़ हो रही थी.
मैंने भी अपने चूतड़ ऊपर उठा कर पैंटी उतारने में पूरा सहयोग किया.
रमित ने जैसे मेरी बाल रहित एकदम गोरे रंग की चूत देखी तो सन्न हो गया.
वह बोला- वाओ ब्यूटीफुल … यार शेव करने से यह जगह थोड़ी काली पड़नी शुरू हो जाती है, पर तुम्हारी बिल्कुल गोरी है!
मैंने कहा- मैं शेव नहीं, यहां भी वैक्सिंग करती हूँ.
रमित मुस्कराया- तुम हर बात में लाजवाब हो जान!
यह कह कर उसने अपने होंठ मेरी चूत के ऊपर रख दिए.
जैसे ही उसने चूत का चुम्बन लिया, मेरे मुँह ज़ोर के सिसकारी निकली.
पर रमित रुका नहीं, वह अपने होंठ मेरी चूत के इर्द गिर्द चलाता रहा, चूमता रहा … और मैं मीठी आहों से सिसकती रही.
तभी उसने मेरी चूत की एक फांक को अपने होंठों में पकड़ा और खींच कर चूसने लगा.
मैं और ज्यादा तड़पने लगी.
फिर उसने ऐसा ही दूसरी फांक के साथ किया.
अब रमित ने अपनी जीभ मेरी चूत की दरार में फेर शुरू की. वह जीभ को ऊपर से नीचे … और नीचे ऊपर की तरफ चलाने लगा.
उसकी खुरदुरी जीभ से मुझे अपनी चूत रगड़वाने में इतना ज्यादा मज़ा आ रहा था कि न मैं रमित को शब्दों में बता सकती थी और ना यहां उस मज़े को लिख कर बयां कर सकती हूँ.
हां रमित को जरूर अपने एक्शन से बता सकती थी, जैसे जीभ ऊपर नीचे चल रही थी तो मैं भी अपने चूतड़ उठा कर उसकी जीभ के साथ ही ऊपर नीचे कर रही थी.
तभी रमित ने मेरी भगनासा को अपने होंठों में दबा लिया और खींच कर उसे चूसने लगा.
मुझे इसमें बहुत से भी बहुत आनन्द आ रहा था.
मेरी उंगलियां रमित के सर के बालों में चलने लगीं.
मैंने अपनी टांगें मोड़ कर और ज्यादा खोल दीं.
मैं अपनी चूत को उसके मुँह पर धकेल रही थी, कभी उसके सर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबा की चेष्टा करती तो कभी उसके बा पकड़ कर अपनी चूत पर उसे दबाने लगती.
सच में उस वक्त मैं आनन्द के सागर में गोते लगा रही थी.
फिर जब मैं झड़ने के करीब पहुंच रही ही थी कि रमित ने अपना मुँह वहां से हटा लिया.
मैंने आंखें खोल कर देखा और आंखों के इशारे से ही पूछा तो रमित जवाब में सिर्फ मुस्कराया और साइड पर होकर सीधा लेट गया.
मैं उसका इशारा समझ गयी और उसके ऊपर आ गयी.
पहले मैंने उसके होंठ पिए, फिर उसे चूमती हुई उसके निप्पलों पर चूमने लगी.
उसके निप्पलों को अपनी जीभ से थोड़ा छेड़ा, तो इस बार आह निकलने की बारी रमित की थी.
फिर मैं उसकी एब्स को चूमते हुए नीचे आयी और उसके अंडरवियर में से उठे उभार पर हाथ फिराया.
उसके लौड़े को अपनी मुट्ठी में भींच कर उसकी मोटाई का अंदाज़ा लिया.
ऐसा करते हुए मेरे होंठों पर मुस्कान आ गयी.
फिर मैंने उस जगह को चूमा और रमित की फ्रेंची नीचे करने लगी.
रमित ने अपने चूतड़ उठा कर उसे उतारने में पूरी हेल्प की.
जैसे ही अंडरवियर उतरा तो रमित का लंड सीधा तना हुआ खड़ा था.
पहले मैंने बड़े प्यार से उस पर हाथ फिराया, फिर अपने होंठ उसके लंड (माफ़ करना दोस्तो, थोड़ा और बेशर्म होना पड़ेगा क्योंकि लिखते हुए भी मैं वही सब फील कर रही हूँ) के अगले भाग पर रख दिए.
फिर मैंने उसे थोड़ा सा मुँह के अन्दर लिया और उसके लंड को ऊपर से नीचे तक चूमा.
उसका लंड मेरे थूक से पूरा गीला हो चुका था.
मैंने उसके लंड को फिर से मुँह में भर लिया, तो रमित मेरे को थोड़ा नीचे की और दबाने लगा.
वह कराह कर बोला- यस्स यस्स जाह्नवी … बहुत मज़ा आ रहा है!
रमित की आंखें बंद थीं और मैं उसके लंड को अपने मुँह में लिए ऊपर नीचे कर रही थी.
तभी मैंने लंड मुँह से निकाला, तो रमित ने मेरी तरफ देखा.
मैंने कहा- रमित अब नहीं सहन होता यार … प्लीज मुझे मंज़िल पर पहुंचा दो, मेरे अन्दर समा कर मेरा ये अधूरापन पूरा कर दो … अब ये बर्दाश्त नहीं हो रहा!
रमित ने मुझे अपनी बांहों में लिया और मेरे ऊपर आ गया.
हम दोनों के होंठ और जीभ आपसे में लगे हुए थे.
कभी उसकी जीभ मेरे मुँह में, कभी मेरी उसके मुँह में चल रही थी.
तभी उसने अपने एक हाथ अपना लंड मेरी चूत पर सैट किया और धक्का लगा दिया.
मेरी चूत इतना काम रस छोड़ चुकी थी और अन्दर पूरी चिकनाई थी … तो उसका लंड फिसलता हुआ मेरी चूत की दीवारों को चीरता हुआ मेरी चूत में पूरा समा गया.
मेरे मुँह से एक सिसकी एक आह और उसके बाद एक बार उफ़ निकली.
रमित का लंड एक जगह जा कर रुका तो उसने थोड़ा पीछे होकर पुनः धक्का दे दिया.
इस बार उसका लंड मेरी चूत की जड़ तक उतर गया.
मेरे मुँह से ‘उई मर गयी.’ निकला.
रमित वहां रुका रहा और उसने धीरे से मेरी बंद आंखों की पलकों को चूमा, फिर मेरे नाक पर चुम्बन लिया और एक हल्का सा चुम्बन होंठों पर देने लगा.
वह मेरे कान में फुसफुसाया- लव यू जाह्नवी, यू आर सो सेक्सी एंड ब्यूटीफुल!
उसने अपने मुँह को मेरी गर्दन में छिपा कर धीरे धीरे धक्के मारने शुरू कर दिए.
मेरे मुँह से फिर से ‘आह यस्स …’ की आवाजें आने लगीं.
वह बहुत धीरे धीरे से धक्के लगा रहा था.
चलो मैं थोड़ी और बेशर्म हो जाती हूँ …
वह धीरे धीरे मेरी चुदाई कर रहा था.
उसने फुसफुसा कर मुझसे पूछा- जाह्नवी तुम्हें मेरे लंड अच्छा लग रहा है न … चूत चुदवाने में मजा आ रहा है न?
मैं मदहोशी में डूबी बोली- रमित यू आर सो गुड इन लव मेकिंग … थैंक्स मुझे इतना प्यार करने के लिए … तुमने आज मेरा एकतरफा इश्क़ मुक्कमल कर दिया. मैं इस एक रात की याद करके सारी ज़िन्दगी बिता सकती हूँ.
रमित ने फिर से अपने होंठ मेरे होंठों से मिला दिए.
हम दोनों एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे या यूँ कहिये कि खा रहे थे.
रमित अपना लंड चूत के मुहाने तक बाहर खींचता, फिर झटके से पूरा लंड मेरी चूत की गहरायी में उतार देता.
अब मैं भी अपने चूतड़ ऊपर उठा कर उसका साथ दे रही थी.
मैंने उसकी पीठ से खुद को पूरी तरह से जकड़ रखा था.
उसकी दोनों बांहें मेरी गर्दन के नीचे से निकल कर मुझे पूरी तरह अपने आलिंगन में समेट रही थीं.
मैंने अपनी टांगें घुटनों से मोड़ कर पूरी खोल दी थीं ताकि उसका लंड मेरी चूत की गहरायी के आखिरी बिन्दु तक पहुंच जाए.
रमित बहुत धैर्य से मेरी चुदाई कर रहा था और मैं भी नीचे से उसकी ताल से ताल मिला रही थी.
चुदाई को कोई बीस पचीस मिनट बीत चुके थे.
अब मैं चरम पर पहुंचने वाली थी.
मेरे मुँह से आवाजें निकलनी तेज़ हो गयी थीं.
रमित भी ‘आह जाह्नवी आह …’ करता हुआ तेज़ी से धक्के लगाने लगा था.
वह भी चरम पर पहुँचने वाला था.
उसने पूछा- जाह्नवी … मैं आने वाला हूँ. डिस्चार्ज कहां करूं?
मैंने कहा- रमित मेरे अन्दर ही करना प्लीज … मैं तुम्हें पूरी तरह पाना जाती हूँ, तुम्हें पूरी तरह अपने अन्दर समा लेना चाहती हूँ!
हम दोनों के होंठ मिले और रमित ने ज़ोर लगा कर आखिरी झटका दे दिया.
उसने अपना लंड मेरी चूत की गहरायी के अंतिम छोर पर पहुंचा दिया.
उसका गर्म लावा मेरे अन्दर निकलने लगा.
मैंने भी जोर की हुंकार भरी और रमित को कसके जकड़ लिया.
काफी देर हम दोनों इसी पोजीशन में एक दूसरे को अपने चिपकाये लेटे रहे.
जब रमित का लावा पूरी तरह से निकल कर मेरी चूत में समा गया और कुछ चूत से निकल कर मेरे कामरस के साथ मिल कर मेरी जांघों को गीला कर रहा था.
रमित मेरे ऊपर से हटा और साइड में आ गया.
मैंने भी करवट लेकर उसके सीने पर अपना सर रख लिया.
हम दोनों ही हम खामोश थे.
दोस्तो, मुझे उम्मीद है कि आपकी टांगों के बीच में कुछ कुछ हुआ होगा.
बस आप मेरी इस सेकंड सुहागरात Xxx कहानी पर अपने प्यारे प्यारे कमेंट्स भेजते रहें और मैं आपकी टाँगों के बीच की जरूरत को पूरा करती रहूँगी.
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सेकंड सुहागरात Xxx कहानी का अगला भाग:
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