बिजनेस के बहाने चुदाई का मजा- 2

(Unmarried Couple Sex Kahani)

सनी वर्मा 2025-05-19 Comments

अनमैरिड कपल सेक्स कहानी में शुरू से साथ रहते एक लड़का लड़की को कभी प्यार नहीं हुआ. पर एक दिन दोनों को अकेले रहने का मौक़ा मिला तो दोनों ने जिस्म भी साझा कर लिए.

कहानी के पहले भाग
आखिर जवानी ने जोश मारा
में आपने पढ़ा कि दो पास पास रहने वाले एक लड़का और एक लड़की साथ साथ बड़े हुए. दोनों दोस्त थे पर उनके बीच यौनाकर्षण जैसा कुछ नहीं था. लेकिन एक बार मौक़ा मिला तो दोनों ने एक दूसरे को बांहों में भर लिया.

अब आगे अनमैरिड कपल सेक्स कहानी:

दीपक उसे गोद में लिए उसके रूम में आया।
दोनों भीगे हुए थे।

पिंकी दौड़कर बाथरूम से टॉवेल लाई और दीपक के बालों को रगड़कर सुखाने लगी।

दीपक की टी-शर्ट भी भीग रही थी।
पिंकी ने उसे उतार दिया।

बस यही जुल्म हो गया!
दीपक के जिस्म से आते भभके ने पिंकी की कामवासना की आग को जला दिया।
वो लिपट गई दीपक से और कसमसाकर बोली, “मुझे अपना बना ले! मैं अब तेरी हूँ!”

दोनों बेड पर आ गए।
दीपक ने पिंकी की भीगी फ्रॉक को उतार दिया।
भीग तो ब्रा भी गई थी … तो उसका उतरना भी लाज़िम था।

कुल मिलाकर बात ये कि अगले कुछ पलों में दोनों निपट नंगे, एक-दूसरे की बाहों में समाए बेड पर थे।

दीपक ने जिंदगी में पहली बार किसी लड़की के जिस्म को बिना कपड़ों के अपने नज़दीक महसूस किया था।
पोर्न तो उसने खूब देखी थीं।

दीपक पिंकी के मम्मे मसलने लगा।
पिंकी के हाथ में उसका लंड आ गया।

पिंकी का तो दम सूख गया।
उसे मालूम था कि इस लंड को उसकी चूत में जाना है।

दीपक का एक हाथ उसकी चूत पर आ गया।
पिंकी ने चूत बिल्कुल चिकनी करी हुई थी।
उसकी चूत पानी बहा रही थी।

दीपक ने उसकी चूत में उंगली कर दी।
पिंकी की आह निकल गई।

वो और नज़दीक हुई तो दीपक की उंगली पूरी अंदर हो गई और लगी मचलने!

दीपक ने अपनी उंगली की स्पीड बढ़ा दी और पिंकी के दाने को अच्छे से रगड़ने लगा।
अब पिंकी मछली की तरह तड़प रही थी।

दीपक ने पोर्न मूवीज़ की फिल्म को दिमाग में दोहराया और नीचे हो गया।

पोर्न मूवीज़ तो पिंकी ने भी देखी थीं।
वो समझ गई कि दीपक क्या करने वाला है।
उसने भी अपनी टाँगें चौड़ा दीं।

दीपक ने उसकी जाँघों को खोलते हुए उसकी चूत को चूमा और फिर जीभ अंदर घुसा दी।
पिंकी सिहर गई … उसका पूरा जिस्म मचलने लगा।

जैसे-जैसे दीपक की जीभ अंदर घूमती, पिंकी की कामाग्नि उमड़ने लगी।

उसने दीपक के बालों को कसके पकड़ रखा था।

जब बात बर्दाश्त से बाहर हुई तो पिंकी कसमसाकर दीपक से बोली, “अब बर्दाश्त नहीं हो रहा! तुम ऊपर आ जाओ!”

दीपक अपने घुटनों पर होता हुआ आगे आया।
उसका लंड फनफना रहा था।

पिंकी घबरा रही थी, बोली, “आराम से करना, प्लीज़!”

दीपक ने अपने लंड पर ढेर सारा थूक लगाया और पिंकी की चूत के मुहाने पर रख दिया।
पिंकी ने डर के मारे आँखें बंद कर ली थीं।

दीपक ने उसे चूमा और धीरे से लंड को अंदर घुसाया।

पिंकी चीख पड़ी, “मर जाऊँगी! प्लीज़ अंदर मत करो! फट जायेगी मेरी! मुझे डर लग रहा है!”

दीपक ने उसके होठों से अपने होठ भिड़ा दिए और एक हल्के झटके से लंड को अंदर दरकाया।

पिंकी ने उसे बाहर निकाल दिया और रोने लगी, “नहीं, मुझे नहीं करना! मुझे बहुत दर्द हो रहा है!”

दीपक हटने लगा.
तो पिंकी ने उसे कसके पकड़ लिया और बोली, “मत जाओ! अच्छा, धीरे से करना, प्लीज़ मेरे लगे नहीं!”

दीपक मुस्कुरा दिया।
उसने पूछा, “क्रीम है?”

पिंकी ने सामने की ओर इशारा किया।

दीपक ने जाकर क्रीम की शीशी उठाई और ढेर सारी क्रीम अपने लंड पर और पिंकी की चूत में लगा दी।

और अबकी बार बिना पिंकी की सुने, पेल दिया अपना मूसल!
पिंकी चिल्लाती रही पर दीपक ने एक न सुनी और पेलम-पेल शुरू कर दी।

अब पिंकी ने भी उसका साथ उचक-उचक कर देना शुरू कर दिया।

बिन ब्याहे सुहागरात मना रहे थे दोनों!

पिंकी की जवानी भी उफान मार रही थी।
उसे दीपक पर पूरा भरोसा था इसलिए आज वो दीपक को पूरे मज़े देना चाहती थी।

पिंकी ने भी देखी हुई पोर्न मूवीज़ की ताल पर दीपक को नीचे किया और चढ़ गई उसके ऊपर!
उसके मोटे-मोटे मांसल मम्मे दीपक की पकड़ में झूल रहे थे।

अब दोनों के जिस्मों में उठा ज्वार पूरे वेग पर था।
दीपक को लग रहा था कि पिंकी तो उसे निचोड़ ही देगी।

सच भी यही था कि पिंकी दीपक पर चुदाई में भारी ही पड़ रही थी।
उसने पूरी तरह से जकड़ा हुआ था दीपक को!

अब दीपक ने झटके से पिंकी को वापस नीचे पलटा और उसकी टाँगें पूरी चौड़ा कर चुदाई का फाइनल राउंड शुरू किया।

पिंकी बहुत हल्ला मचा रही थी।
बेशर्म तो वो थी ही!

वो दीपक को अब ललकार रही थी और उकसा रही थी।

दीपक ने अपनी पेल बढ़ाते हुए कहा, “मेरा होने वाला है!”
पिंकी बोली, “दीपक, अंदर मत करना, निकाल ले बाहर!”

पर जब दीपक ने बाहर करना चाहा, तो पिंकी ने उसे बालों से पकड़कर अपने से चिपटा लिया और कसके दबोच लिया।
दीपक ने एक झटके में अपना सारा माल पिंकी की चूत में निकाल दिया।

दोनों निढाल होकर पड़ गए।
पिंकी की चूत से खून के कतरे और वीर्य बाहर आ रहा था।

सारी बेडशीट खराब हो गई थी।

अब पिंकी को भी दर्द का अहसास होना शुरू हुआ।
वो बाथरूम जाने के लिए खड़ी हुई तो लडखड़ा गई।

दीपक उसे सहारा देकर बाथरूम तक ले गया।
पिंकी सुबक रही थी।
उससे दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था।

दीपक रसोई से पानी गर्म करके लाया सिकाई करने के लिए।

तब दीपक ने एक अच्छे दोस्त का फर्ज़ निभाते हुए बेडशीट को साफ किया और उसके ऊपर एक सूखा टॉवेल डाल लिया।

बेड पर आकर दोनों एक-दूसरे की बाँहों में लिपटकर सो गए।

सुबह जल्दी उठकर दोनों ने कमरे को ठीक किया।

दीपक अपने घर आने से पहले मेडिकल स्टोर से पेनकिलर और एक गर्भ न ठहरने की गोली पिंकी को दे आया।

पिंकी के घरवाले शाम तक आने वाले थे।

एक-दो दिन बाद दीपक और पिंकी ने एक साथ अपने-अपने घर में कहा कि हम आपस में शादी करना चाहते हैं।
बस पिंकी की माँ ने पिंकी से इतना ही कहा, “बेटा, जो करो, सोच-समझकर फैसला करना। तू बहुत चंचल है, दीपक से निभ पाएगी तेरी?”

पिंकी मुस्कुरा दी।
दोनों ने घरवालों को इस बात के लिए मना लिया कि शादी मंदिर में करेंगे, कोई फालतू खर्चा नहीं। जो पैसे उन्होंने जोड़े हैं शादी के लिए, वो पैसे दोनों परिवार दीपक को दे दें। दीपक जालंधर जाकर सप्लाई का काम करना चाहता है।
घर वालों ने थोड़ी ना-नुकुर के बाद उनकी सब बात मान ली।
शादी अगले महीने होनी तय करी।

दीपक अगले हफ्ते ही जालंधर शिफ्ट हो गया।
उसने वहाँ सप्लाई का काम किया हुआ था तो उसे संपर्क बढ़ाने में दिक्कत नहीं हुई।

उसने वहाँ एक कॉलोनी में किसी कोठी के ऊपर का छोटा-सा पोर्शन किराए पर ले लिया।

कोठी के मालिक साल में छह महीने अमेरिका रहते थे।
आजकल गए हुए थे, तो पूरी कोठी में बाहर गार्ड के अलावा वो अकेले रहने वाले थे।
किराया थोड़ा ज़्यादा था, पर उस पोर्शन में एसी और फर्नीचर पूरा फिट था।

दीपक ने मकान मालिक से बात करके गार्ड को हटवा दिया और उसकी तनख्वाह के बराबर कुछ किराए में ले ली।
उसके पापा और मम्मी ने बार-बार वहाँ आकर उसकी पूरी गृहस्थी जमा दी।

उसके पापा को भी अच्छा लग रहा था कि उनका सप्लाई का काम अब दो-दो शहरों में होने लगा था।

अगले महीने एक सादे-से फंक्शन में मंदिर में दोनों की शादी हुई।
विदा कराकर दीपक पिंकी को पहले तो अपने मम्मी-पापा के घर ले गया, फिर रात को दोनों जालंधर आ गए अपनी सुहागरात मनाने।

पिंकी की यही इच्छा थी कि उनकी सुहागरात उनके अपने मकान में मने।

दीपक के पिताजी ने अपने एक मित्र के सहयोग से उनका कमरा फूलों से सजवा दिया था।

टैक्सी से उतरकर पिंकी, दीपक का हाथ थामे, अपने नए मकान में दाखिल हुई।
उनका कमरा फूलों से सजा था।

दीपक ने फ्रिज में बियर और फ्रूट्स वगैरह रख रखे थे।

डोर लॉक करते ही पिंकी दीपक से लिपट गई।

ये एक पति-पत्नी का मिलन था!
दोनों के होठ मिल गए।

पिंकी का जिस्म थरथरा रहा था।
उसे अपनी किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा था।
उसे ये पूरा यकीन था कि दीपक उसके लिए कुछ भी कर गुज़रेगा।
और उसने भी अपने मन में यही ठान लिया था कि वो जिंदगी के हर मोड़ पर दीपक का पूरा साथ देगी।

अब दीपक ने उसे गोद में उठाया और अपने छोटे-से आशियाने का पूरा चक्कर लगाकर बेड पर बिठा दिया।

दीपक ने उससे पूछा, “व्हिस्की-शिस्की पियेंगी?”
पिंकी बोली, “कुछ नहीं पीना, बस तू आ जा पास मेरे!”

पिंकी ने खिलखिलाते हुए अपनी चुन्नी चेहरे पर कर ली।

दीपक मुस्कुराया और बेड पर चढ़कर उसका घूँघट हटाया और जेब से एक चेन और उसमें लगा दिल के आकार का पेंडेंट उसे दिया और कहा, “ये मैंने अपने बचाए पैसों से खरीदा है!”

पिंकी की आँखों में आँसू आ गए।
वो लिपट गई दीपक से और लगी बेतहाशा चूमने।

थोड़ा तूफान शांत होने पर दीपक ने उससे कहा, “कपड़े चेंज कर लो!”

पिंकी कपड़े लेकर बाथरूम में गई शावर लेने।
उसने जानबूझकर डोर नहीं बंद किया।

वो शावर के नीचे खड़ी हुई ही थी कि पीछे-पीछे दीपक आ गया।

पिंकी शरमाई और बोली, “प्लीज़ लाइट बंद कर दो!”
दीपक ने बात मानते हुए लाइट बंद कर दी।

बाहर रूम से हल्की रोशनी आ रही थी।

दीपक भी कपड़े उतारकर पिंकी से चिपट गया।
अनमैरिड कपल सेक्स के वशीभूत एक-दूसरे में समाने को लिपट गए।

दोनों की जीभें एक-दूसरे के मुँह में समाने की लड़ाई में लगी थीं।
ऊपर से पड़ती फुहार उनके जिस्म की आग को और भड़का रही थी।

पिंकी के हाथ-पैर मेहंदी से भरे हुए थे।
मेहंदी की सौंधी-सौंधी खुशबू कमरे में फैल रही थी।

पिंकी का जिस्म ऐसा दमक रहा था मानो स्वर्ग की कोई अप्सरा नीचे उतर आई हो।

अब दोनों को बिस्तर पर जाने की जल्दी थी।
हालाँकि पिंकी बहुत खूबसूरत झीनी-सी नाइट ड्रेस लाई थी सुहागरात पर पहनने के लिए, पर दीपक ने उसे टॉवेल में लपेटकर ऐसे ही गोद में उठा लिया।

पिंकी ने चलते-चलते अपनी नाइट ड्रेस उठा ली।

दीपक ने उसे रूम में ड्रेसिंग टेबल के आगे खड़ा कर दिया।
आज पिंकी एक नवविवाहिता की तरह शरमा रही थी।

उसने टॉवेल लपेटे-लपेटे अपने को सजाया और संवारा और फिर जल्दी से वो ड्रेस पहन ली।
ड्रेस पहननी और न पहननी बराबर थी।
पिंकी के मादक जिस्म का एक-एक उभार उसमें झलक रहा था।

पिंकी ने लाइट बहुत धीमी कर दी।

दीपक तो फटाफट अपनी लुंगी पहनकर बेड पर से शोर मचा रहा था।
पर पिंकी अपने दूल्हे के लिए सोलह शृंगार करना चाह रही थी।

वो फटाफट सजी और अदा बिखेरती बेड पर पहुँच गई।
उसे दीपक ने अपनी बाहों में समेट लिया।

थोड़ी देर तक एक-दूसरे के आगोश में समाए, दोनों जीवन भर के वायदे करते रहे।

दीपक पिंकी को अपनी बाहों के घेरे में समेटे हुए था.
और पिंकी भी उसमें समा जाने को पूरी तरह समर्पित थी।

अब पिंकी ने शरारत शुरू की।
उसने दीपक की लुंगी में हाथ डालकर उसका फनफनाता हुआ लंड पकड़ लिया और लगी मसलने!

दीपक ने भी पिंकी के होठ चूमते हुए उसके मम्मे ड्रेस के ऊपर से ही मुँह में ले लिए।

पिंकी की कसमसाहट शुरू हो गई।
वो दीपक से अलग हुई और उसकी लुंगी खोल दी और नीचे होकर लंड को मुँह में ले लिया।
उसकी आँखों में चमक थी। वो लपर-लपर चूसते हुए बार-बार दीपक को नज़र उठाकर देखती और मुस्कुराती।

दीपक ने उसे ऊपर खींचा और उसकी नाइट ड्रेस उतार फेंकी और लपक लिए उसके मम्मे।
वो पागल हुआ जा रहा था।
बारी-बारी से वो मम्मों को चूमता, निप्पल चूसता और दाँतों से दबाता।

पिंकी उसे प्यार से झिड़क रही थी, “क्या खा जाओगे इन्हें!”

अब दीपक नीचे हुआ और पिंकी की चूत पर मुँह लगा दिया।
दीपक तो होश खो बैठा।

क्या मदमस्त खुशबू आ रही थी पिंकी की चूत से!
उसने डियो भी लगाया था।
बिल्कुल मखमली फाँकें थीं पिंकी की चूत की।

आज पिंकी के जिस्म के किसी हिस्से पर एक भी बाल नहीं था।

पिंकी ने भी अपनी टाँगें चौड़ा दीं और अपनी उँगलियों से अपनी चूत की फाँकों को चौड़ा दिया।
दीपक ने बाहर से चूमते-चाटते अपनी जीभ पूरी घुसा दी थी गुफा में।

पिंकी कसमसाते हुए मछली की तरह तड़पने लगी।
दीपक ने जीभ के साथ-साथ एक उंगली भी अंदर कर दी और उसके दाने को रगड़ने लगा।

पिंकी ने उसके बालों को कसके पकड़ रखा था।

वो उसके सर को अपनी ओर खींच रही थी मानो कह रही हो, “और अंदर आ जाओ!”

दीपक ने एक हाथ ऊपर करके उसके मम्मे मसलने शुरू किए।
वो उसके निप्पल्स को उँगलियों से दबा रहा था।

मम्मे दबाने में पिंकी उसका साथ दे रही थी।
उसने भी अब अपने हाथ ऊपर किए और अपने मम्मे दबाने शुरू किए।

पिंकी की चुदास अब काबू में नहीं थी।
वो आह भरते हुए दीपक से बोली, “जानू, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा! तुम ऊपर आ जाओ!”

दीपक ने ढेर सारा थूक उसकी चूत में लगाया और बेड की दराज़ से कंडोम निकाला।

पिंकी मुस्कुराते हुए बोली, “आज बिना कंडोम के कर लो, सेफ हूँ! बस क्रीम अच्छे से लगा लो!”

दीपक ने उसकी टाँगों को चौड़ाते हुए ऊपर किया और पेल दिया अपना मूसल!
हालाँकि उसने अपने लंड और पिंकी की चूत में वेसलीन लगा ली थी पर अचानक के हमले से पिंकी की चीख निकल गई।

वो बोली, “पूरे जंगली हो! आराम से करो! फट गई, तो फिर छुट्टी हो जाएगी!”

अब दीपक के धक्के शुरू हो गए।
पिंकी उसका पूरा साथ दे रही थी।

हर धक्के के साथ उसकी पायजेब की खन-खन माहौल बना रही थी।

पिंकी ने दीपक को इशारे से नज़दीक बुलाया और दोनों के होठ मिल गए।

अब चूमाचाटी और चुदाई की संगत चल रही थी।

दीपक तो पिंकी के गोल-मटोल मम्मों का दीवाना हो गया था।
उसने उन्हें गोरे से गुलाबी कर दिया था।

अब पिंकी ने दीपक को जोर लगाकर नीचे किया और उसके ऊपर चढ़कर अपने हाथों से लंड को चूत में सेट करके लगी उछलने।
अब उसके मुँह से थूक बाहर आ रहा था।
वो हाँफ रही थी, पर चुदाई की स्पीड में कमी नहीं थी।

उसके लंबे नाखूनों ने दीपक के पेट और कमर पर कई जगह निशान डाल दिए थे।

अब दोनों का होने को ही था।
दीपक ने उसे एक झटके में वापस नीचे पलटा और पूरा दम लगाकर चुदाई का फाइनल राउंड शुरू किया।

अब दोनों हाँफते हुए चुदाई के मज़े ले रहे थे।
पिंकी ने दीपक को कसके जकड़ लिया।
उसका स्खलन हो चुका था।

दीपक भी पिंकी के ऊपर झुकता चला गया।
उसने अपना सारा माल पिंकी की चूत में निकाल दिया।

दोनों इसे ही निढाल होकर पड़ गए।
रात भर चुदाई के सेशन चलते रहे।
बीच में दोनों ने बियर भी पी।

सुबह 4 बजे करीब दोनों थककर एक-दूसरे की बाँहों में लिपटकर सो गए।

अनमैरिड कपल सेक्स कहानी कैसी लग रही है?
आप हर भाग पर अपनी राय लिखें.
धन्यवाद.
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अनमैरिड कपल सेक्स कहानी का अगला भाग:

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