मौसी की कुंवारी बेटी की चुदाई- 2

(Desi Girl Xxx Chudai Kahani)

देव 1996 2023-01-30 Comments

देसी गर्ल Xxx चुदाई कहानी में मैंने अपनी मौसी की कमसिन जवान बेटी की चूत की चुदाई की. मेरी कामुक नजर उसकी उभरती जवानी पर पड़ी तो मैंने उसे जल्दी पटा लिया.

दोस्तो, मैं अनुज अपनी मौसी की कुंवारी लड़की आकांक्षा की सील तोड़ चुदाई की कहानी में आपका स्वागत करता हूँ.
कहानी के पहले भाग
मौसी की सेक्सी जवान बेटी
में अब तक आपने पढ़ा था कि आकांक्षा की नियत भी मुझसे चुदने की होने लगी थी, ये मैं समझ चुका था.

अब आगे देसी गर्ल Xxx चुदाई कहानी:

मैंने उसकी दोनों चूचियों को अपने हाथों से मसलते हुए कहा- अब बताओ मैं गंदा हूं.
वो हंसती हुई बोली- आप तो मेरे प्यारे भैया हो.

मैंने उससे कहा- अब यही प्यारा भैया तुम्हें चोदेगा और तुमको कली से फूल बनाएगा.
उसने मुस्कुराते हुए कहा- भैया, ऐसा मत कहो … मुझे शर्म आ रही है.

मैंने आकांशा के चेहरे को अपने दोनों हाथों में भर लिया और उसके माथे पर किस करके उसे उठने का इशारा करते हुए कहा कि मेरी जांघों पर आकर बैठ जाओ.
आकांक्षा उठकर मेरी गोद में आकर जांघों पर मेरी तरफ मुँह करके बैठ गई.
मैं उसके चेहरे को हाथों में लेकर चूमने और चाटने लगा.

कुछ देर बाद मैंने चूमना बंद किया, तो आकांक्षा ने अपनी आंखें खोल मेरी तरफ देखा.
मैंने उससे कहा- अब तुम्हारी बारी है.
आकांक्षा मेरे चेहरे को हाथों में लेकर मुझे चूमने लगी.

कुछ देर बाद मैंने आकांक्षा से कहा- मेरी शर्ट उतार दो.
उसने शर्ट के बटन खोल कर उसे उतार दिया और मेरी बनियान को भी निकाल दिया.

अब मैं बिस्तर पर उसको गोद में बैठाए हुए ही लेट गया.
मैंने आकांक्षा से कहा- मेरे सीने और पेट पर किस करो.
वो मेरे सीने और पेट पर किस करने लगी और मेरे निप्पल चाटने लगी.

थोड़ी देर बाद मैंने उसे अपने निप्पल चूसने का कहा.
वो मेरे निप्पल अपने होंठों लेकर चूसने लगी.
मैं धीरे-धीरे उसकी नंगी पीठ को अपने हाथों से सहलाता रहा.

कुछ देर बाद मैंने आकांक्षा से कहा कि मेरी पैंट खोल दो.
उसने शर्माते हुए मेरी पैंट का हुक खोलकर चैन को नीचे खिसका दिया और पैंट को मेरे पैरों से निकाल दिया.

उससे मैंने अपना अंडरवियर निकालने के लिए कहा तो उसने शर्माते हुए मना कर दिया.
मैंने उसको अपनी कसम दी.

तब उसने यह कहते हुए मेरी अंडरवियर उतार दी कि भैया हर बात में अपनी कसम मत दिया करो.
मेरा लंड उसके सामने था.

उससे मैंने अपने लंड को चूसने के लिए इशारा किया तो उसने मना कर दिया.
मैंने एक बार फिर उसको अपनी कसम दी, तो उसने अपने हाथ में मेरा लंड पकड़ते हुए कहा- आज के बाद आपको मेरी कसम है कि आप मुझे कोई कसम नहीं देंगे.

वो मेरे लंड को चूसने लगी.
कुछ देर बाद मैंने अपना लंड उसके मुँह से निकाल लिया और खड़ा हो गया.
आकांक्षा को अब घुटनों के बल बैठाकर उसके सामने खड़ा हो गया और उसके चेहरे को अपने हाथों में लेकर अपना लंड घुसा कर मुँह में डाल दिया, अपने लंड से उसका मुँह चोदने लगा.

अब तक मेरा धैर्य जवाब दे चुका था, मेरे लंड ने अपना आपा खो दिया. मेरा बीज उसके मुँह में निकाल गया.
मैं उसके चेहरे को अपने हाथों में पकड़े रहा, उसे ना चाहते हुए भी मेरा सारा माल पीना पड़ गया.

जब मैंने अपना लंड उसके मुँह से बाहर निकाला तो वो बोली- कितना गंदा स्वाद है इसका!
मैंने कहा- पहली बार बुरा लगता है, फिर अच्छा लगने लगता है.

मैंने आकांक्षा गोद में उठा कर बिस्तर पर पटक दिया और उसके ऊपर चढ़कर उसकी चूचियों को चूमने चाटने काटने और मसलने लगा.
एक बार लंड का पानी निकल जाने के कारण मेरा लंड ढीला हो गया था और उसके फिर से टाइट होने में समय लगना था.

तब तक मैं आराम से आकांक्षा को जीभर कर रगड़ सकता था.
उसकी चुचियों को रगड़ने मसलने और काटने के कारण आकांक्षा एकदम मदमस्त हो गई थी.

वो बोली- भैया कुछ करो ना … मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है.
मैंने उसके पेट पर जीभ फिराते हुए कहा- बर्दाश्त करो मेरी जान, यही तो मजा है.

पूरे कमरे में टीवी की आवाज के साथ अब आकांक्षा की आहें भी गूँज रही थीं, उससे माहौल और भी नशीला हो गया था.
मेरा लंड अभी भी बेजान पड़ा था इसलिए मैं आकांक्षा के बदन से आराम से खेल सकता था.

आकांक्षा अभी तक एक भी बार स्खलित नहीं हुई थी, इसलिए उसकी आहें पूरे कमरे में लगातार गूँज रही थीं.

मैंने आकांक्षा की सलवार की डोरी खोल दी और उसकी सलवार को उसकी टांगों से निकाल दिया.
उसके बाद मैंने आकांक्षा की दोनों टांगों को फैला दिया और काले रंग की पैंटी के ऊपर से उसकी बुर पर किस किया.

इतना करते ही उसकी एक तेज सिसकारी पूरे कमरे में गूंज गई.
अब मैंने आकांक्षा की पैंटी को भी निकाल दिया और उसे पूरी तरीके से नंगी कर दिया.
मैं उसके बाएं पैर को अपने हाथों में लेकर पैर की उंगलियों और अंगूठे को बारी-बारी से चूमने लगा.

उनको चूमने के बाद उसके बाएं पैर की एड़ी और तलवे को चूमते हुए ऊपर आने लगा.
घुटनों से होकर चिकनी जांघों को चूमते हुए उसकी बुर पर चूमा.
फिर दाईं जांघ से होते हुए घुटने से नीचे उतरने लगा.
उसके दाहिने पैर की एड़ियों और तलवे को चूमते हुए अंगूठे और उंगलियों को चूमने और चूसने लगा.

आकांक्षा की आहें और तेज हो गई थीं.
मैंने उसकी दोनों टांगों को फैला कर उसकी बुर पर अपना मुँह रख दिया और उसे चूमने लगा.

आकांक्षा मेरे सर को पकड़ कर अपनी बुर पर दबाने लगी.
मैंने अपनी जीभ उसकी बुर के अन्दर डाल दी और जीभ से उसकी बुर चाटने लगा.

आकांक्षा बुरी तरह छटपटाने लगी और अपने पैर पटकने लगी. मैं उसकी कमर को पकड़ कर तब तक उसकी बुर के अन्दर अपनी जीभ डाल कर चाटता रहा, जब तक उसने पानी नहीं छोड़ दिया.

आकांक्षा झड़ कर शांत पड़ गई थी और मेरे लंड में अब तनाव आ गया था.

मैं उसे पेट के बल लिटा कर उसकी पीठ कमर उसके चूतड़ों पर और जांघों पर चूमने और चाटने लगा.
कुछ देर में आकांक्षा फिर से गर्म होकर आहें भरने लगी.

मैं आकांक्षा को बिस्तर पर लेटा कर ऊपर आ गया और उससे कहा- एक दिन इसी बिस्तर पर तुम्हारी मम्मी को सुहागरात के दिन तुम्हारे पापा ने चोद कर कली से फूल बनाया था. आज इसी बिस्तर पर मैं तुम्हें चोदकर कली से फूल बनाऊंगा.

यह सुनकर आकांक्षा हंस कर बोली- पागल, मेरी मम्मी की सुहागरात वाला कमरा और बेडरूम बगल वाला है. अब वो मेरा कमरा है.
मैंने उसे गोद में उठाते हुए कहा- मेरी प्यारी बहना की सील भी वहीं टूटेगी, जहां उसकी मम्मी की टूटी थी.

मैंने उसको लाकर बगल वाले कमरे में बेड पर लिटा दिया.
उधर ही उसका मोबाइल भी रखा था.

मैंने आकांक्षा की दोनों टांगें फैला दीं और उसकी टांगों के बीच में घुटने के बल आकर बैठ गया.
अपने लंड पर वैसलीन लगा कर मैंने उसे सहलाया और उसकी बुर पर भी वैसलीन लगा दी.

फिर अपने लंड को उसकी बुर के छेद पर रगड़ते हुए कहा- आकांक्षा तैयार हो?
उसने इशारे में हां कहा.

तभी उसके मोबाइल पर मौसी का फोन आ गया.
मैंने आकांक्षा से कहा- फोन मत रिसीव करना.

उसने इशारे में हां कहा.
मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी बुर की छेद पर रखकर दबाते हुए अन्दर फंसा दिया और उसकी कमर को पकड़ कर एक जोरदार झटका दे मारा.

मेरा लंड आकांक्षा की सील तोड़ते हुए उसकी बुर में जड़ तक समा गया.
अचानक पूरा लंड उसकी बुर में घुसने से आकांक्षा के मुँह से एक जोरदार चीख निकल गई.

दर्द के कारण उसकी आंखों से आंसू निकलने लगे और वो मेरे नीचे पड़ी छटपटाने लगी.
हाथ में मोबाइल होने के कारण मौसी का कॉल अचानक से रिसीव हो गया था और उधर से मौसी की आवाज आने लगी.

‘क्या हुआ आकांक्षा?’
मैंने इशारे से आकांक्षा को चुप होने के लिए कहा, पर दर्द के कारण वो रोती रही.

तब तक अचानक मैंने कहा कि क्या हुआ आकांक्षा?
मैंने फोन लेकर मौसी से हैलो बोला.

उधर से आवाज आई- क्या हुआ आकांक्षा को, वो रो क्यों रही है? और तुम कौन हो?
मैंने कहा- मौसी, मैं अनुज बोल रहा हूं, कुछ नहीं हुआ. बस फिसल कर बाथरूम में गिर गई है.

मौसी ने कहा- ज्यादा चोट तो नहीं लगी और तुम कब आए अजय?

मैंने मौसी से कहा- मैं अभी आया हूं मौसी, अभी ये बताएगी तब न कुछ बता पाऊंगा, अभी तो ये बस रोए जा रही है.

उधर से मौसी ने कहा- देख, ज्यादा चोट लगी हो, तो दवा दिलवा देना. ये ज्यादा दर्द नहीं सह पाती है.
मैंने कहा- आप परेशान न हो, इसे ऐसी दवा दूंगा कि फिर दर्द न हो.

उधर से मौसी की आवाज आई- हां, ठीक से देख लेना बेटा!
उनका फोन कट गया.

मैंने फोन दूसरी ओर रखते हुए कहा- देख ही तो रहा हूं मौसी, अब आपको कैसे बताऊं कि आपकी फूल जैसी नाजुक बेटी को उसी बिस्तर पर चोद कर कली से फूल बना रहा हूं, जिस बिस्तर पर कभी आपको चोदकर मौसा जी ने कली से फूल बनाया था.

मेरे लौड़े के नीचे दबी मेरी बहन अचानक से हंस दी.

मैं बोलता गया- मौसी जी, आपकी बेटी को बाथरूम में गिरने से दर्द नहीं हुआ … बल्कि कली से फूल बनाते समय मेरे लंड से मेरी प्यारी बहना की सील टूटते हुए हुआ था.

अब तक आकांक्षा ने भी दर्द पर काबू पा लिया था.
वो मुझे हल्के हाथों से मेरे सीने पर मारती हुई बोली- बहुत गंदे हो भैया … आप कितनी गंदी बात करते हो?

मैंने कहा- अभी मैं तुम्हारा भैया था, अब तुम्हारा सैंया हूं.

मैं आकांक्षा के ऊपर लेट गया और उसके होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा.

थोड़ी देर में आकांक्षा ने मुझे कसकर अपनी बांहों में भर लिया.
मैं समझ गया कि अब आकांक्षा चुदाई के लिए तैयार है.

मैंने धीरे से अपना लंड बाहर निकाल कर एक जोरदार झटका मारा.
आकांक्षा की फिर से चीख निकल गई.
वो देसी गर्ल Xxx चुदाई कराती हुई मुझसे बोली- आराम से करो ना … दर्द होता है.

मैंने उससे कहा कि थोड़ी देर में यह दर्द भी खत्म हो जाएगा. फिर पूरी जिंदगी सिर्फ मजा मिलेगा. तुम्हारी मम्मी ने भी तो कहा है कि तुमको दर्द की दवा दे दूँ.
आकांक्षा ने कहा- मम्मी नहीं जानती हैं कि उनकी बेटी को दर्द भी तुम ही दे रहे हो.

मैं इसी तरह रुक रुक कर धक्के मारता रहा. थोड़ी देर में आकांक्षा भी कमर उठा उठा कर साथ देने लगी.
फिर मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी और आकांक्षा को जमकर चोदने लगा.

कुछ देर बाद आकांक्षा का बदन अकड़ने लगा और उसने पानी छोड़ दिया.
उसका बदन अब शांत हो गया था, पर मैं उसी रफ्तार से उसको चोदता रहा.

पहले चुदाई का दर्द उसके चेहरे पर साफ नजर आ रहा था. वो मुझे रोकने के लिए बोल रही थी, पर मैं रुका नहीं.
कुछ देर बाद मेरे लंड ने भी पानी छोड़ दिया, जिसे मैंने उसकी बुर में ही निकाल दिया.

मैं पानी निकलने के बाद भी उसकी बुर को तब तक चोदता रहा, जब तक मेरा लंड एकदम ढीला नहीं पड़ गया.
लंड को उसकी बुर में ही छोड़कर उसके ऊपर लेट गया और उसे अपनी बांहों में भर कर करवट बदल कर उसे अपने ऊपर कर लेटा रहा, उससे बातें करता रहा.

तकरीबन आधा घंटा बाद मैंने घड़ी पर नजर दौड़ाई तो 2:00 बज रहे थे.
मेरे लंड में फिर से तनाव आ रहा था, जिसे आकांक्षा अपनी दोनों जांघों के बीच साफ महसूस कर रही थी.

वो मुझसे बोली- भैया, आपका तो फिर से टाइट हो रहा है!
मैंने उससे कहा- जब इतनी खूबसूरत लड़की बांहों में लेटी हो, तो लंड बेचारा टाइट ना होगा तो क्या होगा?

आकांक्षा बोली- भैया, आज और बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगी. यदि आपने दुबारा किया, तो मर जाऊंगी.
मैंने उसको पलट कर नीचे करते हुए कहा- आज तक चोदने से कोई लड़की मरी है क्या?

वो बोली- भैया, प्लीज अब रहने दो, राज भी अब आ सकता है.
मैंने कहा- राज से मेरी बात हुई थी. वह पांच बजे के पहले नहीं आएगा.

कुछ देर के बाद मैंने देसी गर्ल Xxx चुदाई की.
उसके बाद मार्केट जाकर मैं दर्द की दवा लेकर आया और आकांक्षा को दे दी.
उसे खाने के बाद उसका दर्द कम हो गया.

शाम को मौसी और मौसा भी घर आ गए. रात में वहीं रुककर अगले दिन मैं वापस आ गया.

आपको मेरी देसी गर्ल Xxx चुदाई कहानी कैसी लगी, आप मुझे इसके बारे में अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें.
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