एक कुंवारी एक कुंवारा-2

(Ek Kunvari Ek Kunvara- Part 2)

मेरी कहानी के पहले भाग
एक कुंवारी एक कुंवारा-1
में अभी तक आपने पढ़ा कि मैं अपने स्कूल के दोस्त गौतम के घर पहली बार प्री-बोर्ड के एग्ज़ाम की तैयारी के लिए गया। वहां उसके लंड को शार्ट्स में देखकर उससे अपने मुंह में वीर्य के शाट्स मरवाने को मचला लेकिन हिम्मत और टाइम दोनों की ही कमी थी।

उस दिन वापस घर लौटते हुए मन में अजीब सी बेचैनी थी। कितना सेक्सी और जवान है यार ये, इसके लंड को कैसे मुंह में लूँ। वो मेरे कितने करीब था फिर भी मैंने कुछ क्यों नहीं किया?
मुझे खुद पर ही झुंझलाहट हो रही थी। पता नहीं फिर कब ये अपने घर बुलाएगा, पता नहीं कब उसका लंड देखने का मौका मिलेगा, कितना बेवकूफ हूं मैं, इतना अच्छा मौका मैंने हाथ से जाने क्यों दिया।

यही सब सोचते-सोचते मैं घर पहुंच गया और नोटबुक अपने कमरे में रखकर सीधा बाथरूम में घुस गया। लंड निकाला तो वो गौतम के बदन की छुअन को फील करते-करते चिकना पदार्थ निकाल निकाल कर मेरे अंडरवियर को एक बड़ी गोलाई में गीला कर चुका था। लंड की गीली टोपी को पीछे की तरफ खींचा तो मज़ा सा आ गया.

बस मैंने आंखें बंद कर ली और उसके शार्ट्स में खड़े लंड की तस्वीर को फिर से मन की नज़रों से अपने सामने लाते हुए अपने लंड को तेज़-तेज़ हिलाना शुरू कर दिया। हाय… उसकी छाती, हाय उसका लंड, मुंह में गया… आह्ह्ह… मैं चूस रहा हूं, उसका वीर्य पी रहा हूं… वो मेरे मुंह को चोद रहा है… ओह्ह्ह्ह… गौतम…

2 मिनट में ही मेरे लंड ने अपने सारा जोश बाथरूम के फर्श पर पिचकारी मारते हुए गिरा डाला; मैं शांत हो गया। थोड़ी कमज़ोरी सी महसूस हो रही थी लेकिन मन अब भी नहीं भरा था।
मन तो कर रहा था कि आज उसके लिए इसी तरह लंड को हिला-हिलाकर घायल कर दूं लेकिन फिर वापस बाहर आ गया।
थकान हो रही थी; मैं बिस्तर पर आकर गिर गया।

उसके ख्यालों में नींद भी कब आ गई पता नही चला.
जब उठा तो शाम हो चुकी थी। चाय पीकर सीधे फोन उठाया और उसको एक नॉन वेज चुटकुला भेज दिया। उसका कोई रिप्लाई नहीं आया। मैंने फोन को एक तरफ फेंका टीवी देखने लगा।
दो घंटे बाद खाने का टाइम हो गया। आज किताब उठाने का बिल्कुल मन नहीं कर रहा था जबकि प्री-बोर्ड के एग्जाम में तीन-चार दिन ही बाकी थे।

बड़ी ही अंधी होती है ये हवस। खाना खाकर मैंने फिर से टीवी ऑन कर लिया मगर मन में उसी के ख्याल चल रहे थे। कुछ देर में ही टीवी से बोर होकर फिर से बाथरूम में जाकर लंड निकाल कर मुट्ठ मारने लगा।

अबकी बार मैंने कल्पना करते हुए हुए उसके नीले शार्ट्स को उसकी गोरी जांघों से नीचे खींचकर उसको नंगा किया, उसके लंड को मुंह में ले लिया… उसने मेरे बालों में उंगलियों से सहलाते हुए मेरे मुंह में लंड को प्यार से… धीरे… धीरे… अंदर बाहर करना शुरू किया. मैं मज़े से गौतम के लंड को चूसने लगा और वो मेरे मुंह को चोदने लगा। कल्पना में उसके वीर्य का स्वाद चखने से पहले ही मेरे लंड ने फिर से वीर्य निकालते हुए मुझे तीन-चार जोर के झटके दिये और मैंने दोनों हाथ बाथरूम की दीवार पर टिका दिये और हांफने लगा।
लंड नीचे लटक रहा था और उससे निकलने वाले बाद के पतले वीर्य की चिपचिपी लार जैसी लकीर फर्श पर गिर रही थी।

बहुत थकान हो रही थी’ मैंने लंड को ठंडे पानी से धोया तो लाल हो चुके लंड में हल्की सी मिर्ची लगने जैसा तीखा दर्द हुआ। लंड को धोकर मैं सीधा सोने वाले कमरे में जाकर बिस्तर पर गिर गया। फोन उठाकर देखा तो उसका मैसेज आया हुआ था। उसने भी मेरे नॉन वेज जॉक के बदले में एक नॉन वेज जोक भेजा हुआ था।
मैं खुशी से खिल उठा। खुशी जोक की नहीं बल्कि उसके मैसेज की थी। अजीब सा पागलपन था मेरे अंदर गौतम के लिए।

खुशी-खुशी में मैंने 4-5 मैसेज कर दिए। हालांकि उस वक्त इनकमिंग के भी पैसे लगते थे और मैसेज तो 2 या 3 रूपये का होता था लेकिन मैं उसके लिए पागल था, उसको हर हाल में पाना चाहता था। पॉकेट मनी बचा-बचाकर फोन में उसके लिए रिचार्ज करवाता था।

आधे घंटे तक उसके रिप्लाई की प्रतीक्षा की मगर रिप्लाई आने की बजाय नींद आ गई। दो बार जबरदस्त मुट्ठ मार चुका था इसलिए नींद सुबह भी बड़ी मुश्किल से खुली। आधे घंटे में तैयार होकर स्कूल के लिए निकल गया लेकिन अब स्कूल जाने का मकसद पढ़ाई न होकर गौतम का लंड हो गया था.

स्कूल पहुंचा तो क्लास में बैठकर उसका इंतज़ार करने लगा। प्रार्थना की घंटी भी बज गई लेकिन वो नहीं आया। प्रार्थना में हाथ भले ही जुड़े हुए थे लेकिन बंद आंखों में उसी के आने का इंतज़ार…
क्लास शुरू हो गई लेकिन गौतम नहीं आया। वो नहीं आया तो मेरा मन भी क्लास में लगा ही नहीं। मैंने पेट दर्द का बहाना किया और क्लास टीचर से हाफ डे की छुट्टी लेकर मैं भी स्कूल से भाग आया।
घर आकर उसको मैसेज किया, तो उसका कोई रिप्लाई नहीं मिला।

लेकिन बात हुए बिना चैन कहां… मैंने उसको सीधा कॉल ही कर दिया।
कई बार बेल जाने के बाद उसने फोन उठाकर कहा- हैल्लो..!
मैंने कहा- गौतम?
वो बोला- हां बोल, क्या हुआ?
तू स्कूल क्यों नहीं आया आज?
उसने कहा- आज माँ मेरे मामा के यहां गई हुई है तो घर पर कोई देख-रेख करने वाला नहीं था। मैंने छु्ट्टी मार ली…
मैंने कहा- ठीक है मगर परसों से पेपर शुरू होने वाले हैं… तुझे पास नहीं होना क्या?
वो बोला- पढ़ लेंगे यार… क्यों टेंशन ले रहा है… प्री-बोर्ड ही तो है। कौन सा फाइनल हो रहे हैं।

थोड़ी हिम्मत करते हुए मैंने कहा- मैं तेरे घर आ जाऊं क्या?
वो बोला- अभी नहीं 2-3 घंटे बाद आना…
अभी मैं कुछ काम कर रहा हूं…
मैंने कहा- ठीक है।

2 घंटे बाद मैं गौतम के घर के लिए निकल पड़ा, मुझे पता था कि मैं पढ़ाई नहीं बल्कि उसके लंड की चुसाई करने के चक्कर में जा रहा हूं लेकिन अपने ही मन को झूठ-मूट बहला रहा था कि उसने पास जाऊंगा तो कुछ पढ़ाई हो जाएगी।
20 मिनट में मैं उसके घर पहुंच गया…

डोरबेल बजाई तो भीतर किसी कौने से आवाज़ आई- कौन?
मैंने कहा- मैं अंश…
वो अंदर से चिल्लाया- साले तो अंदर आ जा ना… मैं बाथरूम में हूं.
मैं गेट खोलकर अंदर घुस गया और गेट अंदर से बंद कर दिया…

मैं सीधा उसके कमरे में गया तो देखा कि कमरे का सामान यहां-वहां बिखरा हुआ है…कॉन्डॉम का एक पैकेट फर्श पर फटा हुआ पड़ा था। उसी के साथ एक फटा हुआ कॉन्डॉम भी पड़ा हुआ था। उसके बेड पर चादर नहीं थी और तकिया भी इधर-उधर पलटे पड़े हुए थे।
मैंने उसको आवाज़ दी- गौतम…
वो बोला- अबे भोसड़ी के, मैं बाथरूम में हूं.
मैंने कहा- लेकिन तू कर क्या रहा है वहां…
वो बोला- गांड मरवा रहा हूं साले, आजा तू भी मरवा ले.
मैंने कहा- बकवास ही करेगा या कुछ बताएगा भी?

उसने कोई जवाब नहीं दिया, जब उत्सुकता वश मुझसे रहा नहीं गया तो मैं खुद ही उसको आवाज़ लगाता हुआ बाथरूम की तरफ बढ़ा..
उसने दरवाज़ा खुला छोड़ा हुआ था।
मैं बाथरूम की दहलीज से अंदर झांका तो वो नंगे बदन और नंगे पाव नीचे फर्श पर केवल फ्रेंची पहन कर बैठा हुआ था। उसके सामने बेडशीट थी जिसपर वो पानी डाले जा रहा था और पानी डालते ही बेडशीट से लाल रंग का पानी बाहर निकल रहा था.

मैंने घबरा कर पूछा- ये क्या है? ये खून का रंग है क्या?
वो बोला- पूछ मत बहनचोद, गांड फटी हुई है।
मैंने कहा- अरे हुआ क्या… तुझे चोट लगी है क्या कहीं?
वो बोला- साले मुझे क्यों लगेगी?
मैंने कहा- तो फिर, ये सब क्या है.?

वो बोला- शीतल की चूत फट गई… साली ने सारा काम खराब कर दिया.
मैंने कहा- साले पागल है क्या… कहां है वो?
वो बोला- वो तो भाग गई, लेकिन सारी बेडशीट का सत्यानाश हो गया।

“अबे… सच में… तूने चोद दी क्या वो?” मैंने हैरानी से पूछा।
वो बोला- हां, लेकिन साली सील पैक थी, मैंने डाला तो फट गई उसकी।
मैं वहीं हक्का-बक्का खड़ा होकर उसको देखे जा रहा था।

उसकी ब्राउन रंग की फ्रेंची में बैठे हुए उसके लंड का साइज देखकर मेरे अंदर की वासना भी भड़कनी शुरू हो गई थी।
लेकिन शीतल की चूत मारने की बात सुनकर मैं झल्ला उठा… मैंने कहा- ठीक है, तू धो ले, मैं वापस चला जाता हूं.
वो बोला- साले रुक ना…मेरी यहां गांड फटी पड़ी है, तुझे जाने की लगी है। अगर उसने घरवालों को बता दिया तो?
मैंने कहा- वो क्यूं बताएगी?
वो बोला- तू कमरे में चल मैं आता हूं..

मैं वहां से वापस उसके कमरे में आ गया.
अब कहानी मेरी समझ में आ गई थी कि गौतम आज स्कूल क्यों नहीं आया।

कुछ देर बाद वो उसी हालत में कमरे में दाखिल हुआ, उसने तन पर केवल एक वी-शेप फ्रेंची पहनी हुई थी। उसकी छाती बिल्कुल नंगी थी और फ्रेंची भी केवल लंड को ही कवर कर रही थी। फ्रेंची में उसके सोए हुए लंड की शेप का अंदाजा भी साफ-साफ हो रहा था… लंड का नुकीला सा सिरा साफ-साफ पता चल रहा था। फ्रेंची पर लंड से निकला प्रीकम का गीला पदार्थ भी लंड की टोपी पर लगा हुआ था। उसके बदन से पसीने की हल्की सी गंध भी आ रही थी।

वो आकर सीधा बेड पर गिर गया।
मैंने पूछा- तूने सच में उसकी चूत मार ली क्या?
वो बोला- हां… आज फंस गई साली।
मैंने पूछा- कैसे, तू तो कह रहा था वो भाव ही नहीं देती।

वो बोला- अरे, वो तो साली ड्रामे करती थी, तैयार तो थी वो… तुझे पता है कि साली लड़कियाँ जब तक अपने भाव ना दिखाएँ, उनकी तसल्ली नहीं होती.

जब तेरा फोन आया तो वो घर पर लस्सी लेने आई हुई थी। मां घर पर थी नहीं, मैंने उससे कहा कि किचन में फ्रिज में रखी होगी, जाकर ले ले. जब वो फ्रिज में से लस्सी निकालते हुए झुकी हुई थी तो मैं पीछे दरवाज़े पर ही खड़ा हुआ था, उसकी गांड देखकर मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ. मैंने पीछे से जाकर उसको बाहों में भरते हुए उसके चूचे दबा दिए।
वो पहले तो भाव दिखाने लगी; छुड़ाने लगी लेकिन उसके चूचों पर हाथ जाते ही मैंने उनको और ज़ोर से दबाना शुरू कर दिया, मैंने उसको वहीं किचन में दीवार से लगाकर उसकी गांड पर पीछे सूट के ऊपर ही लंड लगा दिया और उसके चूचों को मसलने लगा। वो कुहनियां पीछे की तरफ मारते हुए छुड़ाने की कोशिश करती रही लेकिन उसकी हवस जाग चुकी थी, मुझे दिखाने के लिए नौटंकी कर रही थी.
मैं उसकी कमर की बगल से सूट को ऊपर उठाकर अपने दोनों हाथों में उसके दोनों चूचों को ब्रा के ऊपर से ही पकड़ कर दबाने लगा। फिर मैंने पीछे से उसकी गर्दन पर किस करना शुरू कर दिया। उसका छटपटाना कम होने लगा और वो मेरी तरफ घूम गई। मैंने वहीं किचन में उसका कमीज निकलवा दिया और उसके होठों को चूसने लगा।

उसने अब विरोध करना बंद कर दिया था और मैंने उसकी ब्रा का हुक खुलवा कर उसके चूचों को नंगा करवा दिया। क्या चूची थी यार… शीतल की… बिल्कुल गोरी और जवान टाइट। उसके निप्पल तो गजब ही थे। मैंने ब्रा को नीचे फेंका और उसके टाइट गोरे चूचों के बीच में तने निप्पलों को मुंह में ले लिया। उसने मेरे सिर में हाथ फिरा दिया तो मेरी हिम्मत और जोश पहले ज्यादा बढ़ गया।
मैं उसके चूचों को नोचने काटने लगा, वो वहीं पर सिसकारियां लेने लगी- आह्ह्ह्ह… गौतम… दर्द हो रहा है…
वो मुझे छुड़ाना चाहती थी लेकिन उसकी छटपटाहट मुझे और ज्यादा उकसा रही थी।
5-7 मिनट तक उसके चूचों को चूसने के बाद मैं उसको रूम में ले आया। मैंने गेट अंदर से बंद कर दिया कमरे में वापस आकर उस पर टूट पड़ा..
मैंने शीतल की सलवार का नाड़ा खोलकर उसको नंगी कर दिया, उसकी पैंटी को भी उतार दिया। पहली बार उसकी चूत के दर्शन हुए..मैं तो पागल हो गया और उसकी हल्के बालों वाली चूत पर मुंह रख दिया.. उसने टांगें फैला दीं, लेकिन मुझसे ज्यादा कंट्रोल नहीं हुआ। मैंने टी-शर्ट और लोअर निकालकर फ्रेंची को भी निकाल फेंका और लंड को सीधा उसकी चूत पर लगा दिया..
वो बोली- नहीं रूको ..ये क्या कर रहे हो..
मैंने कहा- क्या हुआ..
वो बोली- नीचे नहीं गौतम प्लीज़.
मैंने उसको होठों पर चूमते हुए कहा- बस एक बार करवा ले यार!
वो बोली- नहीं, नीचे नहीं…मैं प्रेग्नेंट हो गई तो?
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा एक बार से…
वो नहीं मानी..

फटाक से मैंने बेड की दराज से कॉन्डॉम का पैकेट निकाला और कॉन्डॉम निकालकर लंड पर चढ़ा दिया।
मैंने उसके दोनों हाथों को अपने हाथों से बेड पर दबा लिया और उसकी चूत पर लंड ऱखकर लेटता चला गया और उसके होठों को चूसने लगा।
लंड थोड़ा सा अंदर जाते ही वो चिल्लाने लगी। मैंने उसके मुंह पर हाथ रखा और पूरा लंड उसकी चूत में जबरदस्ती घुसा दिया…एक हाथ से उसके होठों को दबाए हुए मैंने उसकी चूत में लंड अंदर-बाहर करने की कोशिश की लेकिन लंड चूत में फंसा हुआ था।

मैंने और ज़ोर लगा दिया वो छटपटाने लगी लेकिन मुझे इतना मज़ा आ रहा था यार … क्या बताऊं … मैंने बहुत कोशिश की उसकी चूत को ब्लू फिल्मों की तरह चोदने की लेकिन लंड साला फंसा हुआ था और पागलों की तरह उस पर धक्के मारे जा रहा था… जब मैंने नीचे देखा तो उसकी चूत से खून निकल रहा था.
मैंने लंड बाहर निकाल लिया और वो उठकर बैठ गई और चूत को जांघों के बीच में दबाकर दर्द से कराहने लगी।
मैंने कहा- सॉरी यार… ज्यादा दर्द हो रहा है क्या?
वो रोने लगी. मैंने बड़ी मुश्किल से उसको चुप करवाया लेकिन तब तक बेडशीट पर खून के कई धब्बे बन गए थे.
मैंने कहा- सॉरी शीतल..
वो कुछ नहीं बोली और रोते हुए कपड़े पहनने लगी।
मैंने कहा- देख यार, तू घर पर इस बारे में कुछ नहीं बोलना, सब ठीक हो जाएगा। कुछ नहीं हुआ है।
उसने कपड़े पहने और बाहर निकल गई…
मेरा ध्यान अपनी तरफ गया तो कॉन्डॉम फट गया था और लंड पर भी खून लग गया था। बेडशीट को देखा तो गांड फट गई। खून के धब्बे…
तब से ही इसको धोने में लगा हुआ था इतने में तू आ टपका…

मैंने कहा- साले अगर उसने अपने घर पर बता दिया तो?
वो बोला- वही तो टेंशन हो रही है.
मैंने कहा- अब तो मुझे भी डर लग रहा है..
“हां यार, पता नहीं था कि चूत के चक्कर में खून-खराबा हो जाएगा.”

मैंने कहा- देख जो होना था वो हा गया … अब क्यों बेवजह टेंशन ले रहा है… और वैसे भी अगर उसको कुछ करना नहीं होता वो कपड़े उतरवाती ही क्यों? मन उसका भी कर रहा था करवाने का, तभी तो उसने करवा लिया.

वो बोला- हां, बात तो तू सही कह रहा है… लेकिन इन लड़कियों का कोई भरोसा नहीं होता यार… साली मजे भी ले जाती हैं और फिर कहती हैं जबरन कर दिया!
मैंने कहा- कोई बात नहीं तूने कौन सा उसकी चूत में गीजर छोड़ा है, कुछ पता नहीं चलेगा… डर मत!

मेरी बातें सुनकर गौतम को कुछ दिलासा मिली … वो बोला- यार मेरी तो फटी पड़ी है, तू भी यहीं रुक जा ना… वैसे भी आज माँ मामा के घर गई हुई है, कल आएगी।
मैंने कहा- मैं घर में माँ को बताकर नहीं आया हूं यार… नहीं तो रुक जाता, पर तू टेंशन मत ले कुछ नहीं होगा। चल रूम को ठीक कर लेते हैं और ये कॉन्डॉम बाहर फेंक दे।

हमने जल्दी से रूम को व्यवस्थित कर दिया और रूम से चुदाई के सारे निशान मिटा दिए।
शाम के 4 बज गए थे… मैंने कहा- मैं घर जा रहा हूं यार… नहीं तो मेरी माँ भी यहीं आ पहुंचेगी।
वो बोला- ठीक है..रात को आएगा क्या?
मैंने कहा- मुश्किल है यार… माँ नहीं मानेगी।
कहकर मैं वहां से निकल आया।

घर आकर मैं भी सोच रहा था कि साला बड़ा ठरकी है, इसे ज़रा भी डर नहीं लगा ये कांड करते हुए।

उन दोनों की चुदाई के बारे में सोचकर इधर मेरे मन में उसका लंड चूसने का चस्का बढ़ता ही जा रहा था। लेकिन साथ ही शीतल के साथ हुई घटना को सोचकर मैं उससे जल रहा था।
बहनचोद मुझे लड़की क्यों नहीं बनाया… भगवान ने.. गौतम मुझे ही चोद देता।

घर पहुंचा ही था कि आधे घंटे बाद गौतम का फिर से फोन आ गया…
मैंने हैल्लो किया तो उसने सीधे बोला- बहनचोद शीतल की माँ आई थी घर पर… मेरी माँ को पूछ रही थी। लगता है उस बहन की लौड़ी ने बता दिया घर पर! यार मेरी तो गांड में पसीना आया हुआ है, समझ नहीं आ रहा क्या करूं?

कहानी अगले भाग में जारी रहेगी…
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कहानी का अगला भाग: एक कुंवारी एक कुंवारा-3

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