चिकनी चूत चमेली की

मेरा नाम अनुराग है, कानपुर शहर में बी एस सी की पढ़ाई करने के लिये आया हूँ, एक किराये के मकान में रहता हूँ। मेरी उम्र 20 वर्ष है। मैंने चूत-बुर-चूची के बारे में अपने दोस्तों से सुन रखा था पर कभी इनके दर्शन नहीं हुये थे तो मैं इनके बारे में ज्यादा नहीं जानता था।

यह मेरी पहली कहानी है जोकि एक सच्ची घटना है। बात तब की है जब मैं प्रथम वर्ष में था, मैंने जीव विज्ञान ले रखी थी जिसमें मुझे बड़ा आनन्द आता था।

मैं जिस मकान में किराये पर रहता था उसकी मकान मालकिन के पति की हाल ही में मृत्यु हो गई थी, घर का खर्चा चलाने के लिये मकान को किराये के लिये दे रखा था, उनके दो बेटियाँ थी एक दसवीं की छात्रा थी और दूसरी बारहवीं की जिनका नाम मधु और राधा था, दोनों उम्र में तो छोटी बड़ी थी पर सुडौलपन एवं कद में बराबर टक्कर देती थी एक दूसरे को। राधा ने भी जीव विज्ञान ले रखी थी। आंटी जी मुझे बहुत मानती थी कभी कभी उनके ना होने पर घर की जिम्मेदारी भी मुझे ही दे जाया करती थी।

जब से मैं उस घर में रहने के लिये आया था तब से ही राधा को देखते ही मेरे सारे तन में आग सी लग जाती थी और उसके गुप्तांगों की कल्पना करके प्रायः मुठ मार ही लिया करता था। ऐसा होता भी क्यों नहीं ! वो कातिल हसीना जो थी ! पूरे मोहल्ले के लड़के उसके हुस्न के दीवाने थे और मैं भी उसे चोदने का ख्याल हमेशा मेरे मन में एक मिशन की तरह रखता था, जहाँ भी मुझे थोड़ा मौका मिलता था, उसे छेड़ ही देता था पर उसने कभी इस बात का बुरा नहीं माना।

हम एक दूसरे के साथ ज्यादा समय नहीं बिता पाते थे क्योंकि जब मैं कमरे पर रहता था तब वो स्कूल चली जाया करती थी और जब मैं कालेज जाता था तब वो घर पर होती थी। मुलाकात तो तब होती थी जब हमारे मोहल्ले की लाइट शाम को 7:30 पर रोज चली जाया करती थी और वो छत पर आती थी, हम तभी आपस में हंसी मजाक और बातें किया करते थे।

एक दिन उसने मुझे बताया कि उसके गाँव में बाढ़ आ गई है और मम्मी का वहाँ जाना बहुत जरूरी है। तभी मेरे मन में खयाल आया यही समय है जब हम अकेले एक दूसरे के साथ समय बिता सकते हैं।

तभी आँटी जी भी आ गईं और मुझसे कहा- बेटा मैं तुम्हें कोई जिम्मेदारी दूँ तो क्या तुम उसे निभा पाओगे?

मैंने कहा- हाँ क्यों नहीं ! जरूर !

उन्होंने कहा- बेटा, क्या तुम दो दिनों के लिये कालेज जाना बंद कर सकते हो?

मैं समझ तो सब रहा था, फिर भी मैंने पूछा- क्यों क्या बात है?

आँटी ने कहा- बेटा, घर पर रहना है, घर की और बेटियों की देखभाल के लिये !

मैंने तुरंत हाँ कर दी। उन्होंने मेरे मन की जो बात कह दी थी। उन्हें दूसरे दिन ही निकलना था।

उस रात मैं सो नहीं पाया और राधा के जान लेवा हुस्न, उसके बूब्स और उसकी चूत के बारे में सोच सोच कर रात भर में मैंने दो बार मुठ मारी। वो रात भर तैयारी करते रहे, मेरा कमरा उनके बगल वाला ही था तो सारी हलचल मुझे पता चलती रहती थी।

मधु भी राधा से कम नहीं थी, उसकी मन मोह लेने वाली चाल और चूतड़ों का एक एक करके हिलते देखते ही उसे चोदने के लिये मेरा लण्ड 6 इंच से 7 इंच हो जाता था।

आँटी गाँव के लिये रवाना हो गई, मैं भी अपने कमरे में खाना बनाने के लिये चला गया।

तभी राधा आ गई, कहने लगी- लाओ मैं खाना बना देती हूँ। और रात को हमारे यहाँ ही खा लेना, मम्मी ने बोला है।

मैंने कहा- रहने दो, मैं बना लूँगा।

राधा- मुझसे कभी बात मत करना, अगर मैं खाना बना दूँगी तो क्या हो जायेगा।

“सॉरी ! चलो, पर मैं भी साथ में तुम्हारी मदद करूँगा।”

राधा ने कहा- ठीक है, पर शाम को तुम मेरे यहाँ आना खाने के लिये।

उसने पतले कपड़े की मैक्सी पहन रखी थी जिससे उसके स्तन और चूतड़ कुछ ज्यादा ही सेक्सी लग रहे थे। और वो तो मानो सेक्स की देवी लग रही थी।

मैंने कहा- तुम्हें पहले कभी ऐसे कपड़ों में नहीं देखा ! कुछ कहूँ तो बुरा तो नहीं मानोगी?

उसने कहा- कहो !

मैंने मौका पाते ही चौका मारने की सोची, मैंने कहा- तुम आज बहुत सेक्सी लग रही हो !

उसका जबाब सुनकर मेरा लण्ड तो मेरा कच्छा ही फाड़े दे रहा था, उसने शरमाने की जगह कहा- अच्छा ! तो रोज सेक्सी नहीं लगती हूँ?

मेरी हिम्मत और बढ़ गई, मैं उसके पास गया और उसके पास रखी टोकरी से टमाटर लेने के बहाने से उसे स्पर्श करने लगा। मेरा लण्ड कैपरी में से 90 डिग्री का कोण बनाये एक तम्बू की तरह तना था और उसकी जाँघ को छू रहा था। वो भी सब कुछ जान कर अनजान सी बन रही थी।

मेरा लण्ड सर झुकाने से मना कर रहा था, चाह कर भी उस पर मेरा काबू नहीं था।

खाना बन गया और वो किचन से कमरे में आ गई और खाना लगा कर रख दिया, मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मन मुठ मारने को कर रहा था। मैंने उसको घर जाने को कहा तो उसने कहा- तुम खाना खा लो ! और मुझे तुमसे जीव विज्ञान में कुछ पूछना है।

मैं खाना खाने लगा और उसे किताब निकाल कर दे दी। मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैंने जल्दी से खाना खत्म किया और कहा- मैं अभी पेशाब करके आता हूँ।

बाथरूम उसी कमरे में था मैंने जान बूझ कर दरवाजा हल्का सा खुला छोड़ दिया और राधा के नाम की मुठ मारने लगा। मुझे अहसास हुआ कि शायद राधा मुझे देख रही है, मैं भी दरवाजे की तरफ खड़ा होकर मुठ मारने लगा। मुझे बाहर आते देखकर वो कुर्सी पर जाकर बैठ कर पढ़ाई करने लगी जैसे बहुत मन से पढ़ रही हो।

मुझसे सम्भोग का पाठ खोलकर पूछा- सम्भोग क्या होता है, यह तो मेरे सलेबस में नहीं है, क्या तुम मुझे बताओगे?

मैं पहले तो घबरा गया पर हिम्मत करके हाँ कह दी। उसकी सांसें तेज हो रही थी और वो भी पूरे उन्माद में दिख रही थी।

मैंने कहा- अच्छा तुम शरीर के गुप्तांगों के बारे में क्या जानती हो?

वह हिचकिचाते हुये बोली- गुप्तांग मल-मूत्र त्यागने के लिये हैं।मैंने कहा- क्या तुमने कभी किसी लड़के के गुप्तांगों को देखा है?

उसने कहा- नहीं !

मैंने कहा- यार, मैंने भी कभी लड़की के गुप्तांग को नहीं देखा है !

वो अचानक बोली- अच्छा? क्या तुम देखना चाहते हो?

उसने तो मेरे मन की बात कह दी। मैंने तुरंत हाँ कर दी।

उसने कहा- पर एक शर्त है कि तुम मम्मी से कुछ नहीं कहोगे और तुम्हें भी अपने अंग दिखाने पड़ेंगे।

मैं मान गया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

उसने अपनी मैक्सी ऊपर की, उसने नीचे कुछ नहीं पहन रखा था, उसकी चूत पर अभी बाल नहीं थे, केवल रोयें से लग रहे थे।

मैंने कहा- क्या मैं इसे छू कर देख सकता हूँ?

उसने कहा- पहले तुम दिखाओ !

मैंने भी देर नहीं की, अपनी कैपरी नीचे सरका दी, मेरा लण्ड अभी सो रहा था।

उसने कहा- अभी तो तुम्हारा लण्ड काफी बड़ा और मोटा था? अब यह क्या हुआ इसको?

मैंने कहा- तुमने कब देखा था?

उसने कहा- जब तुम बाथरूम गये थे, दरवाजा खुला था तो मेरी नजर पड़ गई थी।

मैंने कहा- कोई बात नहीं ! यह अभी पहले की तरह हो जायेगा, इसे अपने हाथ में ले लो केवल।

उसने हल्के से मेरे लण्ड पर अपनी उंगली छुआई, मेरा लण्ड फनफना उठा जैसे भूखे शेर को उसका शिकार मिल गया हो। देखते ही देखते उसका हाथ मेरे लण्ड को सहलाने लगा, वो सब कुछ भुला कर मेरे लण्ड से खेलने लगी।

अब मेरा लण्ड 7 इंच का लोहे जैसा स्खत और मोटा हो गया जो उसकी मुट्ठी में नहीं आ रहा था। अब वो मेरे लण्ड को देखकर बहुत खुश थी।

मैंने कहा- चलो तुम्हें प्रेक्टिकली सम्भोग के बारे में बताऊँ !

उसने कहा- जल्दी बताओ, ये क्या होता है?

मैंने कहा- यह जो लण्ड है, इसे तुम्हारी इस चूत में डाल कर आगे पीछे करने को ही सम्भेाग कहते हैं।

मैं उसकी चूत पर उंगली रख कर बोला।

“यह इतना बड़ा मेरी चूत में कैसे जायेगा? तुम झूठ बोल रहे हो !” उसने कहा।

मैंने कहा- चलो, तुम्हें करके दिखाता हूँ ! चलो इस बेड पर लेट जाओ !

मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिये, उसने भी !

मैं उसके मुँह पर अपने घुटनों के बल खडा हो गया और लण्ड का सुपाड़ा उसके मुँह पर रख दिया और उससे उसे मुँह में लेने को कहा। पहले तो उसने मना किया पर फ़िर मान गई और मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से ही चाटने और चोदने लगा।

उसकी चूत से निकल रहे रस की गंध ने मुझे मस्त कर दिया, वह भी मेरे लण्ड को लॉलीपोप की तरह चाटने लगी। उसे बहुत आनन्द आ रहा था।

उसकी चूत क्या जन्नत थी ! शायद वह पहली बार सेक्स करने जा रही थी। मुझसे भी रहा नहीं गया और उसका कुंवारापन तोड़ने को मेरा लण्ड उफान भर रहा था।

मैंने जैसे ही लण्ड उसकी चूत पर रखा, वह डरने लगी और चिल्ला उठी- अगर यह अंदर गया तो मैं मर जाऊँगी।

मैंने कहा- राधा तुम इसे एक बार डलवा तो इसके बिना जी नहीं पाओगी।

धीरे से मैंने एक झटका मारा और वो चीख कर मेरे सीने से चिपट गई। मैंने उसे थोड़ी देर चूम कर शाँत किया और फिर धीरे से दूसरे झटके में पूरा लण्ड उसकी चूत में उतार दिया। उसकी तो मानो जान ही निकल गई।

मैं उसके चुच्चे दबाने लगा उसके होंठों को अपने मुँह में भरकर उसकी जवानी का रस चूसने लगा। अब उसका दर्द कम हो गया था, मैंने लण्ड को थोड़ा बाहर निकाला, उसमे लगा खून देख कर वो डर सी गई, उसकी सील तोड़ने में बड़ा आनन्द आया।

फिर मैं लण्ड को आगे पीछे करने लगा, अब उसे मजा आने लगा था, वो भी मस्त होकर मेरा पूरा साथ दे रही थी। मैं 20 मिनट के बाद झड़ने वाला था, लण्ड बाहर निकाल लिया और अपना माल उसकी चूत के ऊपर गिरा दिया। उसकी चूत से भी गाढ़ा पानी गिरना चालू हो गया और वो मस्त होकर अंगड़ाई लेने लगी।

बिस्तर खून से और हम दोनों के वीर्य से गीला हो गया। हम करीब दो घण्टे तक एक दूसरे के साथ लिपट कर सोते रहे।

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प्रकाशित : 15 सितम्बर 2013

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