घर बुला कर चुदवाया

(Ghar Bula Kar Chudwaya)

अन्तरवासना के सभी पाठकों को प्यार भरा प्रणाम।

मैं अंकित गुप्ता दिल्ली से! अभी मैं स्टुडेंट हूँ, मेरी उम्र 24 साल और भरा पूरा शरीर है मैं रेगुलर जिम जाता हूँ।

यह एक बहुत ही प्यारी घटना है जो दो महीने पहले की है। मैं अपनी कक्षा में बहुत ही रिज़र्व रहता हूँ और पढ़ाई पर ध्यान देता हूँ।

एक दिन अचानक ही मेरी क्लास की लड़की जिसका नाम सपना (बदला हुआ) ने मुझसे मेरा नंबर माँगा और बोली- कुछ काम है।

सपना बहुत ही सुंदर और सेक्सी लड़की है, मैं उसे नंबर देकर जैसे ही घर गया, उसने फोन किया।
मैंने पूछा- क्या काम है?
तो बोली- बस ऐसे ही!

उसके बाद उसने कई बार फोन किया लेकिन बस इधर उधर की बातें करती रही।

तीन दिन बाद उसका फिर फोन आया और कहने लगी- मुझे तुझसे मिलना है।
मैंने कहा- ठीक है, कल क्लास में मिलते हैं।
तो बोली- नहीं, अभी मिलना है, कुछ काम है।
मैं बोला- ठीक है, पर कहाँ?

तो अपने घर पर बुलाया, मैं तैयार होकर अपनी बाइक से उसके घर गया तो वो घर में अकेली थी।
मैंने पूछा तो बताया- सब लोग बाहर गए हैं शाम को आयेंगे।

उस समय सपना ने एक प्यारा सा टॉप और कैप्री पहने थी पर मैंने ध्यान नहीं दिया क्योंकि मैं किसी भी लड़की को गलत नजर से
नहीं देखता और लड़की की इज्जत करता हूँ, मैंने पूछा- क्या काम है?
तो कुछ नहीं बोली और कोल्ड ड्रिन्क लाकर दिया।
मैं पीने लगा और मैंने फिर पूछा- क्या काम है?

तो उसने अचानक मेरा हाथ अपने हाथों में ले लिया और पूछने लगी- मैं तुम्हें कैसी लगती हूँ?
मैं हैरानी से उसे देखने लगा। तब मुझे सारी बात समझ में आ गई। वो भी सीधे बात पर आई और बोली- मैं तुम्हारे साथ सेक्स करना
चाहती हूँ।
मैंने पूछा- मुझसे ही क्यों?
तो बोली- तुम बहुत ही अच्छे लड़के हो और मुझे तुम्हारे ऊपर भरोसा है, तुम किसी से कूछ कहोगे नहीं!
और मुझे पकड़ कर मेरे गालों पर चुम्बन ले लिया।
मैंने पूछा- सपना, क्या यह सही होगा?
तो बोली- कुछ मत पूछो या सोचो! मुझे तुम पर विश्वास है तभी मैंने तुम्हें बुलाया है।

उसने मुझे सामने से पकड़ लिया और मेरे सीने पर सर रखकर बोली- अंकित, ऐसा मैं भी नहीं चाहती पर अपने आप को रोक नहीं पाई। मैंने धीरे से उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके गालों पर एक चुम्मा देकर बोला- ठीक है, पर ये सब किसी से बताना मत! तुम एक अच्छे परिवार की अच्छी लड़की हो और मैं बस तुम्हारी जरूरत पूरी करूँगा, तुमसे प्यार या कोई कमिटमेंट नहीं कर सकता।
वो बोली- ठीक है!
और मुझे अपनी बाहों में पकड़कर दबाने लगी, मैं भी उसे धीरे-2 सहला रहा था और उसके माथे को चूम लिया।
उसकी आँखों और गालों पर चूमा, थोड़ी देर हम ऐसे ही खड़े-2 एक दूसरे को प्यार करते रहे, फ़िर मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए, उसकी साँसें तेज हो गई।

उसके होंठ बहुत ही सुंदर हैं बिल्कुल गुलाब की तरह! वो मुझे दोनों हाथों से पकड़ कर बेतहाशा चूमने लगी, हम दोनों की जीभ आपस में टकराने लगी, वो मुझे जोर से पकड़ कर अपने आप में दबाने लगी, वो मेरे होंठ छोड़ने का नाम नहीं ले रही थी। मैं भी उसकी कमर पकड़ कर सहलाने लगा।

हम काफी देर तक एक दूसरे को चूमते रहे, फिर मैंने अपना एक हाथ धीरे से उसके वक्ष पर रख दिया और दबाने लगा। उसे बहुत अच्छा लगने लगा, मैं एक हाथ से उसके मम्मे दबा रहा था, दूसरे हाथ से उसकी कमर दबा रहा था, वो मस्ती में आँखे बंद किये मुझे चूमती रही।

फिर मैंने उसे धीरे से अलग करके उसकी आँखों में देखा तो उसकी आँखें मस्ती में लाल हो रही थी।
वो मुझसे फिर से लिपट गई और बोली- आई लव यू अंकित!
मैंने उससे धीरे से कहा- सपना, तुम मुझसे प्यार की उम्मीद मत करना, तुम जानती हो मैं किसी भी लड़की को हर तरह से खुशी दे सकता हूँ लेकिन प्यार व्यार के चक्कर में नहीं पड़ता, अगर तुम्हें सही लगता है तो ठीक, नहीं तो मैं अभी वापस चला जाता हूँ।

उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और चूमते हुए बोली- अंकित, मुझे पता है तुम्हारी नेचर का, बस आज मुझे ढेर सारा प्यार करो और मेरे अरमानों को पूरा कर दो।

मैंने उसे पकड़ कर उसके जलते होंठों से अपने होंठ लगा दिए और चूसने लगा, अपना एक हाथ उसके टॉप में डाल दिया और उसके मम्मे दबाने लगा। वो सिसकारने लगी। फिर मैं धीरे से उसका टॉप ऊपर करके निकाल दिया, वो गुलाबी ब्रा पहने थी जिसमें उसके गोरे-र मम्मे बहुत ही अच्छे लग रहे थे।

ससे पहले कि मैं उसका ब्रा उतारता, वो मेरा हाथ पकड़ के खींचते हुए अपने कमरे में ले गई और मुझे बिस्तर पर धक्का देकर गिरा दिया। मैंने भी उसकी पतली कमर को पकड़ कर अपने ऊपर खींच लिया और उसके होंठ चूसने लगा।

और मेरे दोनों हाथ उसकी मखमली पीठ पर फिरने लगे तो कभी उसके चूतड़ों को दबा देता तो कभी जांघों को सहला देता।

फिर धीरे से मैंने उसकी ब्रा खोल दी, उसके दोनों उरोज मेरी आँखों के सामने थे, बिल्कुल गुलाबी-2 कोमल-2, लगता जैसे छू लो तो मैले हो जायेंगे।

अब मुझसे नहीं रुका जा रहा था, दोनों हाथों से उसकी बलखाती नाजुक कमर को पकड़ कर उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर आ गया, फिर उसके दोनों चूचों को पकड़ कर प्यार से मसलने लगा।

उसे मजा आने लगा। उसके मम्मे बिल्कुल अनछुए और सख्त थे, पहली बार किसी लड़के के सख्त स्पर्श से सपना के दोनों स्तन थिरकने लगे।

फिर मैं उसके मम्मे दबाते हुए उसके होंठों पर चुम्बन करने लगा, फिर गाल पर, फिर गले पर, उसके बाद उसके कान पर!

जैसे ही अपनी जीभ से कानों की लटकनों को चाटने लगा, तो एकदम से मचलने लगी वो, उसे बहुत अच्छा लग रहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

फिर मैं उसके एक मम्मे को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरे को हाथ से धीरे-धीरे दबाने लगा। ऐसा करते ही सपना तड़पने लगी और मेरा सर पकड़कर अपने मम्मों पर दबाने लगी। मैं उसके निप्पल को दांतों से धीरे से दबा देता तो चिहुंक जाती तो कभी चूसने से तड़पने लगती।

अभी तक मैंने उसकी जींस को हाथ भी नहीं लगाया था क्योंकि किसी भी लड़की को प्यार और सब्र से करो तो उसे ज्यादा मजा आता है।

फिर मैं उसके पेट को चूमने लगा और अपनी जीभ उसके पेट पर चारों तरफ और उसकी नाभि में घुमाने लगा तो वो बिल्कुल पागल हुई

जा रही थी और उत्तेजना व गुदगुदी के मारे हंसने लगी।

फिर मैंने धीरे से उसकी जींस खोली और उसके पैरों के तरफ जाते हुए उसकी जींस निकाल दी। वो गुलाबी रंग की ही पेंटी पहने थी। मैंने धीरे से उसकी गर्म हो चुकी चूत पर अपना हाथ फिराया और पेंटी के ऊपर से ही एक जोरदार चुम्बन लिया। फिर मैं उसके ऊपर जाते हुए उसके होंठों पर, उसके गले पर और उसके मम्मे चूसने लगा, वो सिसकारने लगी और मेरे कपड़े निकालने की कोशिश करने लगी।

तब मैंने अपनी टीशर्ट और बनियान निकाल दिए, मेरे सीने को देखते ही उसने दोनों हाथों से पकड़ कर मेरे सीने के उभार सहलाए और बोली- ये इतने सख्त?
मैं बोला- क्यों नहीं? रेगुलर कसरत जो करता हूँ।

फिर मैं अपने हाथ नीचे ले जाकर उसके पेंटी के ऊपर से उसकी योनि सहलाने लगा और उसकी जांघों को दबाने लगा। फिर धीरे से मैंने उसकी पेंटी निकाल कर उसके पैरों से अलग कर दी तो वो शरमा गई और अपने हाथों से अपनी योनि को ढक लिया। मैंने प्यार से उसके हाथ हटाये और देखा तो देखता ही रह गया, उसका योनिस्थल एकदम गोरा बिल्कुल अनछुआ, गुलाबी दाना चूत पर, चिकनी छोटी सी प्यारी सी, एक भी बाल नहीं और मक्खन की तरह मुलायम!

मुझसे रहा नहीं गया और मैंने एक पप्पी ले ली उसकी चूत की तो वो चिहुँक गई जैसे करेंट लगा हो।

मैंने उसके पैरों को दोनों फ़ैला कर अपने गर्म होंठ रख दिए उसकी चूत पर और धीरे धीरे चूसने लगा उसके दाने को अपने होंठों से और जीभ की नोक से छेड़ने लगा, तो कभी धीरे से जीभ की नोक उसकी चूत के अंदर डालने की कोशिश करने लगा।

सपना तड़पने लगी, मचलने लगी और मुख से अजीब-2 आवाजें निकलने लगी- आह ओह आहाआ!

वो बिल्कुल पागल सी हो रही थी। उसकी चूत बिल्कुल गर्म होकर गीली हो चुकी थी। उसने दोनों हाथों से मेरा सर पकड़ लिया और अपनी चूत पर जोर जोर से दबाने लगी, मैं उसकी चूत चूमता जा रहा था और उसके मुंह से जोरों से सिसकारने की आवाजें आने लगी तो कभी ‘अई मम्म्म्मी’ करने लगी।

सच में जिंदगी में पहली बार उसे ऐसा सुख मिल रहा था, थोड़ी देर में वो अकड़ने लगी और मेरे सर को जोर से अपनी चूत पर दबाने लगी और चिल्लाने लगी- अंकित, और जोर से चूसो!
और कमर उछालने लगी।
उसके मुंह से आवाज आई- अंकित चूसो! और चूसो… आआहा… उईई… माआअमाआआ…

मैंने धीरे से एक उंगली उसकी चूत के अंदर थोड़ी सी डाल दी और जीभ से उसके दाने को रगड़ता रहा। सपना एकदम से अकड़ गई और तो आआई माम्म्मम्म्मी करती हुई ढेर होने लगी, उसका यौवन रस छुट पड़ा और जोर-जोर से हाँफने लगी।

तब मैं उसके ऊपर आकर उसके मम्मे पकड़ कर उसके होंठ चूसने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी और अपना हाथ नीचे करके पैंट के ऊपर से सहलाने और बेल्ट खोलने की कोशिश करने लगी।

सपना बोली- अंकित, अब कुछ करो न! अब रहा नहीं जा रहा है।
मैंने पूछा- क्या करूँ?
तो गुस्से में बोली- मुझे नहीं पता।
मैं हंसने लगा!

फिर मैंने अपनी जींस निकाल दी और नीचे लेटकर उसे अपने उपर खींच लिया। वो मेरे सीने के साथ खेलने लगी और चूमने लगी, फिर मेरा अंडरवियर निकाल कर उसने मेरा लंड पकड़ लिया। उसके कोमल हाथों के स्पर्श से मेरा लंड एकदम सख्त हो गया और कूदने लगा।

सपना उसे निहारने लगी और अपने कोमल हाथ से दबाने लगी।
मैंने उससे पूछा- टेस्ट करोगी?

तो उसने धीरे से लंड के ऊपर किस किया और जीभ से चाट लिया पर मुंह में नहीं लिया। मैंने भी उसे दुबारा नहीं बोला और उसे लिटाकर उसकी चूत सहलाने लगा और सपना फिर से सिसकारने लगी, उसकी सांसें एक बार फिर उफान पर थी, वह मुझे अपनी तरफ खींचने लगी। मुझे लगा कि वो बहुत गर्म हो गई है, मैंने उससे पूछा- अब डाल दूँ?
तो बोली- जल्दीईईईइ प्लीज!

मैंने उसके कमर के नीचे एक तकिया लगाया और उसकी फूली हुई चूत पर एक चुम्बन किया तो बोली- अंकित, जल्दी कुछ करो! अब और मत तड़पाओ।

मैं अपना लंड पकड़कर और एक हाथ से उसकी कमर पकड़ कर डालने लगा पर चूत काफी तंग थी तो आराम से नहीं जा रहा था। यह उसका पहली बार था, मैंने उससे पूछा- वेसलिन है?

तो उसने ड्राअर की तरफ इशारा किया। मैंने वेसलिन अच्छी तरह उसकी चूत पर और अपने लंड पर लगा ली क्योंकि वह कुँवारी थी और मैं उसे दर्द नहीं देना चाहता था, वो क्या, किसी भी लड़की को आज तक मैंने ज्यादा दर्द नहीं होने दिया।

फिर मैंने लंड उसकी चूत पर सेट किया और उसकी कमर को पकड़ कर धीरे से दबाया, लंड थोड़ा अंदर चला गया तो मैं उसके ऊपर झुक गया और उसके होंठ चूसने लगा, बूब्स दबाने लगा। फिर मैंने एक धक्का दिया जिससे लंड उसकी चूत में आधे से ज्यादा घुस गया। अब मैं ऐसे ही धीरे धीरे हिलने लगा और लगातार उसके होंठ चूसे जा रहा था।

8-10 धक्कों के बाद मैंने एक जोर का धक्का मारा तो लंड उसकी झिल्ली फाड़कर पूरा उसकी चूत में घुस गया, मैंने जोर से पेल दिया पूरा का पूरा, उसने मुझे जोर से पकड़ लिया और अपने हाथों से जकड़ लिया। उसे दर्द हो रहा था तो मैं उसके ऊपर लेट गया और उसके मम्मों को मसलने लगा, उसके होंठ चूसने लगा।

करीब दो तीन मिनट बाद उसे थोड़ा रिलेक्स हुआ तो वो उचकने लगी, मैं भी धीरे -धीरे आगे पीछे करने लगा। थोड़ी देर में ही उसको बहुत मजा आने लगा और जोर-जोर से मुझे पकड़ कर अपने ऊपर दबाने लगी, मुझे चूमने लगी, उसके मम्मे ऊपर नीचे होने लगे, मैं दोनों हाथों से मम्मे दबाता हुआ धीरे धीरे धक्के लगाने लगा। उसने दोनों हाथों से मेरी कमर पकड़ कर अपने ऊपर दबा लिया, मैं बहुत ही प्यार से धक्के लगाये जा रहा था ताकि उसे भरपूर मजा मिले।

मैंने देखा तो उसकी चूत से थोड़ा खून निकल रहा था।
मैंने उसे बताया तो बोली- जानती हूँ, पहली बार होता है।

मैं बड़े प्यार से उसे चोद रहा था, वो भी अपनी कमर उठाकर मेरा साथ दे रही थी और जोर-जोर से सिसक रही थी, बोल रही थी- और करो! और करो जोर से!
और मैं धक्के लगा रहा था पर जोर से नहीं क्योंकि वो जल्दी झड़ जाती।

करीब दस मिनट बाद मैं नीचे हो गया और उसे अपने ऊपर कर लिया फिर बोला- अब तुम करो!

तो वो मेरे लंड पर अपनी चूत दबा कर मेरे ऊपर बैठ गई और धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगी। मैं भी उसकी कमर पकड़ कर नीचे से धक्के लगाने लगा, तो वो जोर जोर से मुझे किस करने लगी और अपनी पतली कमर हिलाने लगी। मैं भी उसके मम्मे दबा रहा था।

फिर मैंने उसे नीचे कर दिया और उसके दोनों हाथ पकड़ कर धक्के लगाने लगा, मैंने धीरे-धीरे धक्के तेज कर दिए, अब वो नीचे से कमर उछालने लगी तो मैं भी जोश में धक्के लगाने लगा।

वो चिल्लाने लगी- अंकित… सस्सस… फक मी फास्ट! फक मी! फक मी! फक्क्क्कक मी! आह… आह… ओह… ओह… आह…

वो पूरी मदहोश होती जा रही थी, मस्ती से उसकी आँखें बंद हो गई थी और झड़ने के करीब थी, और जोर से… और जोर से… और जोर्र्र्रर्र्र से… बोले जा रही थी और मैं भी पूरे जोश में धक्के लगाने लगा।

थोड़ी ही देर में वो बिल्कुल अकड़ गई, उसने अपनी कमर को जोर से उछाला, आखिर वो चरमसीमा पर थी, आसमान की सैर करके धम्म से नीचे गिर पड़ी, उसकी मस्त चूत ने पानी छोड़ दिया और वो झर झर झरने लगी आई… आई…ईईई… करते हुए, मैं भी जोर से आने वाला था तो पूरी ताकत से धक्के लगते हुए लंड निकाल कर उसके पेट पर अपनी पिचकारी छोड़ दी और थोड़ी देर मैं उसके ऊपर ही लेटा रहा, उसने प्यार से मुझे पकड़ लिया और बोली- आज मुझे बहुत खुशी मिली है अंकित! आज तुमने मुझे लड़की होने का एहसास करा दिया! थैंक्यू सो मच!

मैं उसके होंठ चूमने लगा, सच में वो बहुत खुश थी उसकी खुशी देखकर मैं भी खुश हो गया।

थोड़ी देर में हम दोनों बाथरूम जाकर फ्रेश हुए और कपड़े पहन लिए। वो फिर आकर मुझसे लिपट गई और एक किस करके बोली- थैंक्यू!

और मैं अपने घर आ गया, चार दिन बाद उसका फिर फोन आया और इस बार वो अपनी एक सहेली के साथ एक होटल में आई जो मैंने पहले से ही बुक किया था।

कहानी कैसी लगी जरूर बताना…
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