मेरा गरूर-चकनाचूर

लेखिका : अंजू वर्मा

मेरा नाम अंजू है। मैं बीस साल की बी.ए फर्स्ट इयर की छात्रा हूँ। हम तीन सहेलियाँ है जो एक दूसरी की हर तरह से राजदार हैं। मोना, मोनिका दोनों सातवीं क्लास से मेरी दोस्त बनी। हम तीनों में से मैं शुरु से ही बहुत खूबसूरत और आकर्षक थी। शुरु से ही हमारा लड़कों में बहुत ध्यान रहता, ख़ास करके अमीर घर के लड़कों पर कुछ ज्यादा !

आठवी। क्लास में थी जब हम तीनों का पहला-पहला एफेअर चला। हमारा एक ही फ़ॉर्मूला था- लड़कों के पैसों से ऐश करनी ! क्यूंकि हम तीनों मध्यवर्गीय परिवारों से थीं। उनके पैसों से सिनेमा देखना, रेस्टोरेंट में जाकर खाना-पीना ! हमने कभी किसी को चूत तक नहीं पहुँचने दिया। हम तीनों के ही मम्मे बहुत दिलकश थे। सिनेमा जाकर सभी बॉयफ्रेंड उनसे ही खेलते रहते और हम ऐश करती, जब वो चुदाई तक जाना चाहते हम उनको लात मार किसी और से टांका फिट कर लेतीं और मज़े करती। हर लड़का हमारे गरूर को तोड़ने की कोशिश करता, बेचारे जगह का इंतजाम भी कर लेते।

एक बार मेरे से कुछ ज्यादा ही हो गया जब मैं अपने एक बॉयफ्रेंड को थप्पड़ मार वहां से निकल आई। मुझे नहीं पता था कि वो बाकी लड़कों जैसा नहीं था। वो गुंडा टाइप ग्रुप बाज़ी में लड़कों का लीडर था।

समय निकलता गया।

अब अपना गरूर टूटने की दास्ताँ सुनाती हूँ : उससे पहले सभी पाठकों को प्रणाम, गुरुजी को बहुत बहुत प्यार, सतिकार ! उम्मीद है वे मेरी पहली मेहनत तो जाया नहीं जाने देंगे और मेरी चुदाई ज़रूर सबके सामने लेकर आयेंगे।

सो अब मैं अपना गरूर टूटने की बात सबके सामने रख रही हूँ ! लौड़े थाम लो !

ऐसे ही दिन निकल रहे थे मुझ पर हुस्न, जवानी इतनी तेज़ी से आई कि बारहवीं क्लास तक जाते जाते मैं कयामत बन चुकी थी। इतनी सुन्दर, इतनी सेक्सी कि कोई भी मर्द, लड़का मुझे पाने के सपने देख मुठ मारता होगा। मुझे अपने जिस्म पर, जवानी पर गरूर था। अब भी मेरा वही फ़ॉर्मूला था हाथ फिरवाना, चूमा-चाटी करवानी, मम्मे मसलवाना लेकिन चूत किसी को नहीं देती। लड़कों के पैसों पर ऐश करना लेकिन अन्दर किसी का न डलवाती।

तभी आकाश नाम का एक लड़का रोज़ मेरा पीछा करने लगा, घर से स्कूल तक मेरे पीछे आता। वो बहुत खूबसूरत था, अमीर था, उसके नीचे काली होंडा सिटी कार थी, पैसा था ! उसको ज्यादा देर नहीं लगी मुझे फ़ंसाने में।

एक रोज़ उसने मेरे पास आकर दरवाज़ा खोला, मैं बैठ गई, उसने कार को एक खाली गली में लेज़ाकर रोका और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे “आई लव यू स्वीट हार्ट” कहा।

मैंने कहा- आई लव यू टू !

अपनी नशीली आखों से उस पर वार किया। मेरी आँखों में वासना के डोरे देख उसने अपनी तरफ खींचा और अपने होंठ मेरे तपते गुलाबी होंठों पर रख दिए और उसका हाथ मेरी शर्ट के अन्दर पहुँच गया। दूसरा मेरी सलवार पर से मेरी जांघें सहलाने लगा।

मैं गरम होने लगी उसने मेरा हाथ पकड़ अपने लण्ड पर रख दिया। जीन की टाईट पैंट को फाड़ बाहर आने को उतावला था उसका लण्ड !

मैंने भी अपने पहले आशिकों की तरह उसका भी जिप खोल, निकाल सहलाया और उसने मेरा सर उस पर दबाते हुए मुझे चूसने को कहा।

मैंने लण्ड को चूम कर मना कर दिया। खैर ऐसे दिन निकले। सिनेमा, रेस्टोरेंट में, कारों में घूमना फिरना ! वो मुझ पर खुल कर पैसा लुटाता, ऐश करवाता।

एक दिन उसने मुझे स्कूल से बंक मरवाया और मुझे अपने साथ अपने फार्म हाउस में ले गया। मुझे उसने कहा था कि सिनेमा चलेंगे नई मूवी देखने !

यह कहाँ ले आये ?

बोला- यहाँ हम दोनों लव बर्ड्स के अलावा कोई नहीं है ! आज मैं तुझे हमेशा के लिए अपनी बना लूँगा !

मैंने उसको कहा- मुझे यह सब पसंद नहीं ! सब तब करना जब मुझे अपनी दुल्हन बना कर अपने घर लेकर जाना !

मैं सच में यह सोच चुकी थी कि इसको ऐसा शो करुँगी कि मैं बस उसके लिए बनी हूँ, उसके इलावा किसी को देखती नहीं ! मैं सपने देखने लगी थी एक अमीर घर की बहू बनने के !

उसके सामने ड्रामा करने लगी। लेकिन मुझे क्या मालूम था कि मैं एक गहरे जाल में फंसने वाली हूँ, उसने मुझे कोल्ड ड्रिंक दी जिसमें कुछ मिला दिया। मेरा सर थोड़ा घूमने लगा। उसने मेरे पास आकर मेरे गले में बाहें डाल दी, मुझे किस करने लगा। उसने मेरी कुर्ती के बटन खोल दिए और मेरे बदन से अलग कर दी।

प्लीज़ छोड़ो ! यह गलत है !

कुछ नहीं होगा ! तुम जान हो मेरी ! आज मत रोको !

उसने अपनी शर्ट उतार दी, मुझे उठाया और बिस्तर पर ले गया। कंबल के अंदर ही उसने मेरी सलवार उतार दी। मुझे होश आने लगा। तब तक मैं सिर्फ पैन्टी में थी। मेरे दोनों मम्मे उसके हाथों में थे और वो एक एक कर मेरे निपल चूस रहा था। उसने सिर्फ अंडरवीयर पहना हुआ था, उसका लन उछल रहा था, मेरी फुद्दी मारने को तैयार !

मैं विरोध नहीं कर पा रही थी। उसने मेरी फुद्दी चाटनी शुरु कर दी। मैं पागल हो गई, मैं बेबस पड़ी थी। सारी चालाकी आज ख़त्म होने वाली थी, मेरा गरूर टूटने वाला था।

उसने आज अपना लन आखिर मेरे मुँह में डाल ही दिया। सच कहूँ तो मुझे चूसने में बहुत मजा आने लगा। उसने मेरी कच्छी उतार दी और मेरी फुद्दी को मसला। लेकिन तभी मैंने होश करते हुए उसको पीछे धक्का दिया। तभी कमरे में मेरा वो आशिक सामने था जिसको मैंने चांटा मारा था। मेरे रंग उड़ने लगा। मैं पूरी नंगी थी और वो सामने से ताली बजाता हुआ बोला- साली, हरामजादी ! चांटा मारा था तूने मुझे ! यह मेरा ही दोस्त है जिसने तुझे पटाया मेरे कहने पर मेरी कार प्रयोग करके !

अभी मेरा ध्यान उसकी ओर था, दरवाज़े से पिंटू आया और बोला- बहुत बडिया माल है ! वाह ! वाह !

मेरी फटने लगी, मैं उठी झट से, अपनी ब्रा पेंटी की ओर हाथ बढ़ाया। लेकिन पिन्टू ने मेरी ब्रा-पैन्टी उठा ली। मैंने कहा- दे दो !

उसने नहीं दी- चल साली ! बहुत गरूर था तुझे अपनी जवानी पर ! अमीर लड़कों के पैसे पर ऐश करती थी ! कितने लड़कों को फांसा है तूने ?

मेरे पहले आशिक ने अपना लन मेरे मुँह में घुसा दिया। मैं चूसने लगी। आकाश ने पूरी उंगली मेरी कुंवारी चूत में घुसा दी, पिंटू मेरे निपल चूसने लगा।

आकाश ने मेरी टाँगे खोली और मेरे पैर पकड़ लिए। मेरा आशिक बीच में आया और अपना लन मेरी फुद्दी पर रख कर धक्का मारा, मेरी कुंवारी फुद्दी में फंस गया, मैं रोने लगी- इतना दर्द ! इतना दर्द ! पिंटू मेरी छाती पर बैठ गया और अपना लन मुँह में घुसा दिया और दोनों पैर मेरे हाथों पर टिका दिए ताकि हिल न सकूं मैं !

मेरे आशिक ने झटके मार कर सारा अन्दर कर दिया, खून के साथ उतने ही आंसू बह रहे थे, बेदर्दी ने अपना पूरा डाल कर ही दम लिया। लेकिन कुछ पलों में दर्द गायब होने लगा, मुझे बहुत मज़ा आने लगा। यह देख पिंटू ने मुझे छोड़ दिया। आकाश ने भी आखिर फाड़ डाली मेरी ! उसके झटके मुझे मदहोश करने लगे। उसकी रफ़्तार बढ़ने लगी और मुझे उतना ही मजा आने लगा- और तेज़ी से मार !

दो तीन ऐसे धक्के दिए और मुझ पर गिर कर हांफने लगा उसके माल का एहसास मेरी फुद्दी में मुझे हुआ। उसने लण्ड बाहर निकाल लिया और बगल में लेट गया।

आकाश ने मुझे उल्टा किया, कुतिया बन चुकी थी मैं ! घुसा दिया आकाश ने मेरी फ़ुद्दी में ! उसका लन बहुत मोटा था मुझे चुभने लगा क्यूंकि मैं झड़ चुकी थी। लेकिन वो ज्यादा लम्बा नहीं चला और उसने जल्दी ही अपना माल छोड़ दिया और अलग हो गया।

मैंने पिंटू के सामने हाथ जोड़ दिए- पिंटू बाद में तुझे दे दूंगी ! आज छोड़ दो !

चल साली ! अभी स्कूल से छुट्टी का टाइम नहीं हुआ है ! उसने अपना लन मेरे मुँह में घुसा दिया और मैं चूस रही थी।

उसने जल्दी ही मुझे लिटा लिया, मेरी टाँगें अपने कन्धों पर रख दी और लन को फुद्दी में डाल दिया। उसका कौन सा कम बड़ा था, एक बार फिर से दर्द हुआ लेकिन जल्दी ही मुझे वो भी अच्छा लगने लगा और धन धना धन ठोकने लगा।

वाह ! वाह ! मेरे शेर तू तो इसको हमसे भी मज़े में चोद रहा है !

उसकी बहुत रफ़्तार बढ़ गई और मशीन की तरह रगड़ने लगा वो मुझे ! वो था भी बहुत हैण्डसम, स्मार्ट ! उसकी मस्कुलर छाती के साथ मेरी कसी हुई जवान चूचियाँ घिसने पर स्वाद आ रहा था।

आई लव यू पिंटू !

उसका जोश और बढ़ा।

मैं फ़िदा हूँ तुझ पर राजा !

उसने मुझे गोदी में अपने लन पर बिठा लिया जिससे मेरे दोनों मम्मे उसके होंठों के सामने थे और वो चूस-चूस कर चोद रहा था। जल्दी ही उसने भी अपना माल मुझे दे दिया। मुझे नीचे डाल मुझ पर गिर गया।

तीनों ने तीन बजे तक मुझे दो दो बार चोदा। मेरी फुद्दी की सील टूट गई, मेरा गरूर चूर चूर होकर मेरी फुद्दी की तरह फट गया। तीनों ने मेरी चाल बदल दी।

वो दोनों चले गए, आकाश ने मुझे एक बार फिर से बाँहों में भर लिया और बाथरूम में ….

उम्मीद है आपको मेरी कहानी अच्छी लगेगी। इससे आगे मेरी चुदाई का सफ़र कैसे चला यह मैं अगली बार अन्तर्वासना डॉट कॉम पर लिखूंगी। गुरुजी मेरी चुदाई को सबके सामने लाना ताकि मैं अपनी चुदाई का सफ़र लड़ीवार भेजती रहूँ और लोग मुठ मारते रहें !

बाय बाय !

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