मेरी शुरुआत -1

(Meri Shuruaat-1)

अर्चना जैन 2011-10-20 Comments

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अन्तर्वासना के मित्रों को प्यार ! मैंने अन्तर्वासना की सारी कहानियाँ पढ़ी हैं, मगर मुझे उनमें से कुछ ही रोचक लगी।
मेरा नाम अर्चना जैन है, मैं दिल्ली से ताल्लुक रखती हूँ और मेरे परिवार में मेरे अलावा मेरे पापा घनश्याम, मम्मी और मेरा एक छोटा भाई भी है। अपने बारे में बाकी बातें बताना मैं जरूरी नहीं समझती।

यह घटना उन दिनों की है जब मैं कॉलेज में पढ़ती थी। वैसे तो मैं एक अमीर परिवार से थी मगर अपने अतिरिक्त शौक पूरे करने के लिए अपने मम्मी-पापा से रोजाना पैसे मांगने पड़ते थे जो मुझे अच्छा नहीं लगता था। चूँकि मेरे ग्रुप में सभी अमीर परिवार से थे तो मुझे कई बार शर्मिंदा भी होना पड़ा।

एक बार जब मैं याहू पर ऑनलाइन थी तो एक मेरी औरत जिसका नाम श्वेता था उससे बात हुई, बात करने पर पता चला कि वो एक सेक्स रैकेट चलाती है और खुद भी एक नंबर की कॉलगर्ल है, उसकी उम्र 32 साल है, वो एक शादीशुदा औरत है और वो अपने पति के साथ मिलकर यह धंधा करती है। बातों ही बातों में उसने बताया कि वो एक बार के 5000 से लेकर 25000 तक लेती है। श्वेता ने

फिर मुझसे भी उसके दल में होने के लिए पूछा तो मैंने मना कर दिया। इस पर श्वेता ने मुझे उसका नंबर दे दिया और फिर से सोचने के लिए कहा।

उस घटना के ठीक अगले दिन मैं और मेरे फ्रेंड्स पार्टी के लिए और मुझे फिर से पैसों की वजह से शर्मिंदा होना पड़ा। बार-बार पैसों के शर्मिंदगी के कारण मैंने श्वेता को हाँ कर दी। श्वेता ने मुझे मिलने के लिए राजौरी गार्डन के डिस्ट्रिक्ट सेंटर में बुलाया।

हम दोनों जब मिले तो मैंने देखा कि श्वेता अपनी कार से निकली और उसके साथ दो लड़कियाँ और एक अधेड़ उम्र का आदमी भी था, पूछने पर पता चला कि वो लड़कियाँ भी कालगर्ल हैं और वो आदमी उसका पति है और उसका नाम महेश है। महेश पेशे से डॉक्टर भी है।

श्वेता मुझसे मिल कर काफी खुश हुई। इसके बाद हम कार में बैठ गए और कार को उन्होंने पंजाबी बाग की तरफ मोड़ दिया, वो दोनों

लड़कियाँ आगे बैठी थी। मैं श्वेता और महेश के बीच में बैठी थी।
रास्ते में श्वेता मेरी तारीफ़ करने लगी और बोली कि मैं काफी सुन्दर हूँ और मेरे उरोज भी काफी आकर्षक और बड़े हैं।

उसने यह कहा ही था कि महेश जो कि मेरे दाईं तरफ बैठा था मेरा एक चुच्चा दबा दिया जिस पर मैंने महेश को काफी कुछ सुना दिया।

मुझे विरोध करते हुए देखकर श्वेता बोली- अगर ऐसे करोगी तो ज्यादा पैसे कैसे कमा पाओगी।
यह सुनकर मुझे एहसास हुआ कि यह तो अब मुझे सहना ही पड़ेगा, अगर मुझे ज्यादा पैसे कमाने हैं तो।

कुछ ही देर में कार एक आलिशान कोठी के सामने रुकी और हम पाँचों ने अंदर प्रवेश किया। महेश और श्वेता ने उन दोनों लड़कियों से मुझे मिलवाया। उनका नाम मुस्कान और नगमा है और वो दोनों लड़कियाँ शादीशुदा थी और पिछले 4 साल से श्वेता के साथ जुड़ी हुई थी।

इसके बाद वो दोनों लड़कियाँ वहाँ से चली गई, श्वेता और महेश मुझे एक कमरे में ले गए और श्वेता ने मुझे एक बिस्तर पर बिठा दिया और मेरी अलग-अलग कोण से मेरी 3-4 फोटो ली, शायद ग्राहकों को दिखने के लिए और मुझसे कहा- तेरा रेट 10000 होगा, मगर उसमें से 5000 हम लेंगे और जो भी अलग से इनाम मिलेगा वो भी तेरा होगा।

10000 सुनकर मैं खुश हो गई, इसके बाद उन दोनों ने वापिस मुझे डिस्ट्रिक्ट सेंटर छोड़ दिया और जरूरत पड़ने पर मुझे कॉल करने का कहा और महेश ने 10000 मेरे हाथों में थमा दिए।

दो दिनों के बाद श्वेता का मुझे फोन आया, बोली- आज तेरे लिए एक ग्राहक आया है और तुझे 15000 हजार मिलेंगे।

मैंने अपने मम्मी-पापा से कहा- आज मेरी एक सहेली कि जन्मदिन की पार्टी है और मैं आज रात उसके ही घर पर रुकूँगी।
तो मेरे मम्मी-पापा मान गए।

शाम को करीब 6 बजे मुस्कान मुझे लेने पहुँच गई, मैंने मुस्कान से अपने मम्मी-पापा का परिचय करवाया। करीब 7 बजे हम दोनों श्वेता के घर पहुँच गए।

चूँकि मैं कुंवारी थी और आज तक किसी ने भी मुझे चोदा नहीं था इसलिए मैं काफी डरी हुई थी। ग्राहक 9 बजे आने वाले थे, मगर मैं नई थी इसलिए श्वेता ने ट्रेनिंग के लिए मुझे बुलाया था, मैं सीधा श्वेता के कमरे में घुस गई, महेश उस वक्त श्वेता को चोद रहा था, उनकी अवस्था को देखकर मैं बाहर जाने लगी तो श्वेता ने मुझे अपने पास बुलाया और महेश उसके ऊपर से हट गया।

मैंने उस वक्त टी-शर्ट और जींस पहन रखी थी। मुझे देख महेश ने मुझे बिस्तर पर खींच लिया, मेरी टी-शर्ट फाड़ दी और मेरी ब्रा पर हाथ फेरने लगा और ब्रा के ऊपर से ही मेरे बूब्स निचोड़ दिए। जिस पर श्वेता हंसने लगी और महेश को हटने को कहा।

मैंने कहा- अब मैं क्या पहनूँगी?
तो श्वेता ने अपने पास से लाल रंग की एक ब्रा और थोंग (पेंटी) का सेट निकाल कर दिया और इसे पहनने को कहा।

मैंने महेश से जाने को कहा तो श्वेता ने मेरे गालों पर तमाचा जड़ दिया और बोली- साली कुतिया, यहाँ रंडी बनने आई है और सतियों के नखरे दिखा रही है।

श्वेता के इस बर्ताव से मैं हैरान हो गई। चूँकि मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था इसलिए मैंने एक-एक करके अपने सारे कपड़े उतार दिए और श्वेता के दिए हुए कपड़े पहन लिए। ब्रा-थोंग में महेश के सामने मुझे बहुत अजीब सा महसूस हो रहा था।

मैंने ऊपर कुछ पहनने के लिए माँगा तो वो बोली- थोड़ी देर ऐसे ही घूमेगी तो तेरी सारी शर्म निकल जायेगी।
इसके बाद श्वेता ने एक सिगेरेट का पैकेट निकाल कर 3 सिगरेट जलाई और एक मेरी तरफ कर दी।

मैंने जैसे ही मना किया तो उसने एक और तमाचा मेरे गालों पर जड़ दिया जैसे कि मैं कोई रंडी हूँ और कुत्तों से अपनी चूत चुदवाती हूँ, मैंने भी इस पर श्वेता के गालों पर चाटा मार दिया।

महेश इस पर ताली बजाते हुए बोला- इस धंधे में इसी गुस्से की जरूरत है।

वो दोनों मेरा उत्साह ऐसे बढ़ा रहे थे जैसे मैं कोई बहादुरी का काम करने जा रही हूँ। इस उत्साहवर्धन को देख मैं भी बिना रोक सिगरेट पीने लगी तो श्वेता बोली- अब लग रही है तू पक्की रंडी !

तब मुझे एहसास हुआ कि यह सब भी जरूरी है। इस सब में करीब 8:30 बज चुके थे, श्वेता ने मुझे एक लाल ही रंग की नाइटी दी और मुझे ब्रा-थोंग के ऊपर पहनने को बोला।

करीब 9 बजे ग्राहक आ गए, श्वेता अंदर आई और बोली- दोनों तेरा इन्तजार कर रहे हैं।
मैं बोली- दो? मैं दो आदमियों का लंड एक साथ कैसे सहन करुँगी?
तो श्वेता बोली- एक बार सीख जायेगी तो 3-4 भी लेने लगेगी।

मैं लाल रंग की नाइटी में सिगरेट फूंकती हुई ग्राहकों के कमरे में घुसी, उन दोनों आदमियों को देखकर मैं हैरान रह गई क्योंकि वो दोनों और कोई नहीं बल्कि मेरे सगे चाचा मतलब मेरे पापा के भाई थे।

मैं शर्म के मारे वहीं खड़ी रह गई, मेरे एक चाचा जिनका नाम राधेश्याम था वो उठे और दरवाजा बंद कर दिया और दूसरे मोहन बिस्तर पर बैठे मुझे देखते रहे मगर मैं अपनी जगह से एक कदम भी नहीं हिली।

मैं हैरान थी क्योंकि मैं नहीं जानती थी कि मेरे ग्राहक कौन है मगर मेरे दोनों चाचा जानते थे कि वो किससे मिलने वाले हैं। फिर भी उन्होंने मुझे बुक क्यों किया।

मैं यह सब सोच ही रही थी कि राधेश्याम ने मुझे पीछे से मेरे चुच्चे पकड़ लिए, मैं उन दोनों से माफ़ी मांगने लगी और बोली- चाचाजी मैं आज पहली बार यह करने जा रही थी, अगर मुझे पता होता कि मुझे आप दोनों के साथ करना है तो मैं कभी हाँ नहीं करती !

इस पर मोहन बोला- हम जानते हैं, तू पहली बार कर रही है, मगर हम कब से तुझे चोदना चाहते थे। और 15000 तो बहुत कम हैं अगर 2-3 लाख भी तेरे लिए देने होते तो हम मना नहीं करते।
तो मैं बोली- मैं आपकी भतीजी हूँ !
तो वो बोले- आज तू हमारी भतीजी नहीं बल्कि एक रंडी है और हम तेरे ग्राहक हैं।

मैं वहाँ से जा भी नहीं सकती थी क्योंकि वो पैसे दे चुके हैं तो मैंने सोचा कि जब उन दोनों को रिश्ते कि परवाह नहीं तो मैं क्यूँ करूँ,
जबकि मुझे तो इसके लिए पैसे मिल रहे हैं।

इसके बाद मैंने सारे रिश्ते भुलाकर वो किया जो एक औरत एक वासना के प्यासे मर्द के साथ करती है। क्योंकि आज मेरा काम उन दोनों को खुश करने का था इसलिए मैंने अपनी नाइटी उतार फेंकी, मेरे इस रूप को देखकर दोनों के लंड खड़े हो गए। राधेश्याम जो कि मेरे छोटे चाचा थे खड़े हुए और मुझसे आकर चिपक गए और मेरे होंठों का रसपान करने लगे जबकि मोहन अभी भी बिस्तर पर बैठा था और अपनी बारी का इन्तजार कर रहा था।

मैंने राधेश्याम के सारे कपड़े उतार दिए, उनका लंड पकड़ लिया और अपने मुँह में ले लिया। चूँकि मैंने पहले भी ये सब इन्टरनेट पर देखा था इसलिए मैं जानती थी कि मुझे क्या करना है।

मेरे इस बर्ताव को देखकर मोहन ने खुद ही अपने सारे कपड़े उतार दिए। इसके बाद राधेश्याम ने मुझे गोद में लिया और बिस्तर पर लिटा दिया, मैंने भी एक अच्छे मेजबान कि भांति कोई विरोध नहीं किया।

राधेश्याम बिल्कुल मेरे ऊपर आ गया और मेरे होंठों का रसपान करने लगा। इसी बीच मोहन ने मेरी ब्रा निकाल दी और मेरे चुच्चों से खेलने लगा। चूँकि दोनों को कोई जल्दी नहीं थी क्योंकि आज पूरी रात के लिए मैं उनकी रखैल थी। इसके बाद दोनों ने मेरा एक-एक चुच्चा अपने मुँह में ले लिया जिसके कारण मैं भी जोश में आ गई और एक असली रंडी की तरह गालियाँ देने लगी, मैं बोली- साले हरामजादो, अपनी बेटी समान भतीजी को चोदने के लिए तो इतने पैसे खर्च कर रहे हो? वैसे इतनी कंजूसी दिखाते हो, साले भड़वो, जब तुम्हारी बेटी को कोई रंडी बना कर चोदेगा तब पता चलेगा।

मेरा गाली देना उन्हें भी अच्छा लग रहा था मगर मुझे चुप करने के लिए मोहन ने 6 इंच का लौड़ा मेरे मुँह में डाल दिया और मेरा मुँह चोदने लगा, राधेश्याम ने मेरे शरीर के आखिरी कपड़े मेरी थोंग को भी उतार फेंका और अपने हाथ की उँगलियों को मेरी चूत ने घुसाने लगा।

इतने में मोहन मेरे मुँह में ही झड़ गया और पूरा लेस मेरे होंठों के आसपास आ गया और कुछ मेरे मुँह में चला गया जिसे मैं पी गई।

मोहन झड़ने के बाद हट गया मगर राधेश्याम मैदान छोड़ने वालों में से नहीं था और वो अपना लंड मेरी चूत में घुसाने की तैयारी करने लगा्।

चूँकि पहली बार मैं अपनी चूत में लंड डलवाने वाली थी इसलिए मैंने राधेश्याम चाचा से क्रीम के लिए कहा मगर उसने कोई रहम नहीं दिखाया और मेरी कुंवारी चूत पर अपना लंड रगड़ने लगा।

चूत कुंवारी थी इसलिए लंड अंदर नहीं जा रहा था इसलिए राधेश्याम ने क्रीम लगाई और अपना लंड अंदर घुसाने लगा, वो धीरे-धीरे शोट लगाता रहा और मैं चिल्लाती रही, जब तक कि उसका 7 इंच का लंड मेरी चूत में नहीं घुस गया।

20 मिनट तक वो मेरी चूत मारता रहा। इसके बाद उसने अपना लेस मेरे चुन्चों पर झाड़ दिया। मैं उस वक्त गर्म हो चुकी थी और दुबारा चूत मरवाने के लिए भी तैयार थी इसके बाद मोहन मेरे ऊपर आ गया और फिर मैंने भी मोहन को अपनी चूत के दर्शन करा दिए।
दोनों बारी-बारी से रात के 2 बजे तक मेरी चूत बजाते रहे।

कहानी जारी रहेगी।
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