समय के साथ मैं चुदक्कड़ बनती गई-2

नीनू 2011-02-11 Comments

प्रेषिका : नीनू

उसने और अंदर किया, फिर रुक कर और अंदर कर पूरा घुसा दिया। मैं हिम्मत करके सह गई, उसको नहीं रोका।

जल्दी वो भी आराम से रगड़ने लगा और मुझे मजा आने लगा।

आधे घंटे बाद जब वो रुका तो मैं संतुष्ट थी, मैंने उसके होंठ चूम लिए।

“पसंद आया तुझे?”

“बहुत !”

उसने मुझे दस हज़ार रूपये दिए, मैं उसकी दीवानी हो गई, मौका मिलते ही उसके घर चली जाती।

मुझे मालूम चला कि वो शादीशुदा है, मैं पूरी उम्र उसके साथ बीताना चाहती थी, उसके लौड़े ने मुझे बाकी लड़कों की तरफ से ध्यान हटवा दिया। उसके लौड़े ने मुझे बाकी लड़कों की तरफ से ध्यान हटवा दिया।

मुझे एक दिन चक्कर आये, भगवान का शुकर था कि मैं उस वक़्त अपनी सहेली के घर थी, उसकी बहन स्टाफ नर्स थी, मुझे उसने चैक किया तो मैं पेट से पाई गई।

यह सुन मेरे पाँव के नीचे से ज़मीन निकल गई लेकिन उसने कहा- टेंशन मत ले, अभी शुरुआत है।

मनोज का हब्शी जैसा लौड़ा पहले ही मेरी फ़ुद्दी की धज्जियाँ उड़ा चुका था, मैं उसके पास गई, बताया और पूछा- हम शादी कब करने वाले हैं?

वो बोला- अभी नहीं कर सकता।

मैं उस पर बरसी- अभी नहीं का क्या मतलब है? मेरे पेट में तेरा बच्चा पलने लगा है।

“साली, यह है किसका? मेरा या सोहन का या फिर और किसी का? साली रंडी है तू ! मेरा बसा बसाया घर मत उजाड़ !”

उसने तीस हजार फेंकें, बोला- पेट की सफाई करवा ले और अगर रंडी बन कर मेरे विशाल लौड़े से चुदना चाहती है तो आती रहना। शादी-वादी मैं नहीं करूँगा तेरे साथ !

मुझे मालूम था कि कुछ कुछ ऐसा ही होगा।

खैर कुछ दिन मैंने उसको त्याग दिया लेकिन जिस लड़के के साथ मैंने और अफेयर चलाया, वो चुदाई के मामले में बच्चा निकला तो मैं खुद को मनोज के पास जाने से नहीं रोक पाई और जम कर फ़ुद्दी मरवाई, तब जाकर फ़ुद्दी शांत हुई।

ऐसे कई लड़कों से मेरे चक्कर चलने लगे। मेरे चर्चे काफी थे आसपास !

बहुत ही मुश्किल से मुझे रिश्ता मिला और मेरी शादी हो गई, रोते यारों को छोड़ ससुराल चली गई।

जिससे शादी हुई, मुझसे से काफ़ी बड़ा था उम्र में, पर उसका लौड़ा नहीं बड़ा था। पहले तो मुझे काफी डर था कि मेरी फ़ुद्दी मार कर वो जान जाएगा कि मैं चुदक्कड़ हूँ, चुदवा चुकी हूँ। लेकिन हुआ उल्ट, वो चुदाई में फिसड्डी था अगर मेरी फ़ुद्दी सील बंद होती तो उससे मेरी सील ही मुश्किल से टूटती।

हमारा घर दोमंजिला था, हमें ऊपर का पोर्शन मिला था, नीचे सासू माँ, ससुर जी और ननद थी। सास सौरा घर में रहते थे, ऊपर से पतिदेव मुझे रोज़ प्यासी छोड़ते थे, उनसे चुदाई होती ना थी। मेरी आग अलग से जला देते, मुझे जलती छोड़ खुद खर्राटे भरने लगते। रिवाज़ के चलते शादी के बाद कुछ दिन बाद मायके आ गई, सहेली से मिलने के बहाने में मनोज के घर चली गई।

मुझे लाल चूड़े में देख वो पागल हो गया, बोला- वाह आज तो एक भाभी की फ़ुद्दी मारनी है, मजा आएगा।

किसी की चीज़ को अपने साथ लिटा वो खुश था। पाँचों दिन मैं मनोज से चुदवाने गई, फिर ससुराल आकर बांध दी गई। हमारे घर के साथ वाले घर जिसकी छत से छत मिलती थी, के मालिकों ने ऊपर का पोर्शन किराए पर दे दिया था, दोनों लड़के हॉस्टल छोड़ कर बाहर किराए पर रहने आये थे, दोनों हैण्डसम थे, स्मार्ट थे।

मैं उन पर लाइन मारती, उनको मालूम नहीं चला कि मैं किस पर मारती हूँ, मुझे तो चुदना था जो मर्जी जो मर्जी समझे।

मैं रात को अपने कमरे की बत्तियाँ जला कर कपड़े बदलती थी, वो भी रोज़ मुझे नंगी देख मुठ मारते थे बत्ती जला कर।

एक रात पति शहर से बाहर थे, मैं खाना-वाना खा कमरे में आई, सासू माँ ने कहा- अगर चाहे तो पूनम को साथ सुला ले।

पर उसने पढ़ाई करनी थी, उसका काम अपने पी.सी पर था।

मैंने कहा- नहीं, सो जाऊँगी।

ससुर जी की तबियत ढीली थी इसलिए सासु माँ को उनका ख्याल रखना था।

मैंने कमरे का दरवाज़ा बन्द किया, परदे हटा दिए, आज बैड पर खड़ी हुई, पहले कमीज़ उतार फेंकी, फिर सलवार खोल दी, उंगली होंठों से चूसी, निकाल उनको उंगली से इशारा मारा, दोनों आज पागल हुए जा रहे थे।

पैंटी-ब्रा में, वो भी लाल रंग की, बाँहों में लाल चूड़ा, एक जवान औरत कॉलेज बॉयज़ को अपनी तरफ खेंच रही थी, फ़ुद्दी को रगड़ती हुई ! मैंने उनको आने का इशारा दे मारा।

मैंने नाईटी पहनी, पानी लेने के बहाने नीचे गई। सासू माँ, ससुर जी सो गए थे, वापस आती ने बीच का दरवाज़ा ही बंद कर दिया।

जब मैं कमरे में लौटी, फिर से उनको बुलाया। शायद थोड़ा घबरा गए थे लेकिन फिर पहले इक आया, मैं बिस्तर पर फैली पड़ी थी, उठकर उसका स्वागत किया !

अभय नाम था उसका !

“क्यूँ इतना घबरा रहे थे आने को?”

“नहीं तो !”

मैंने अचानक से उसके लौड़े को पकड़ लिया- या फिर यह खड़ा नहीं होता?

“ऐसी बात नहीं है !”

मैंने नाईटी उतार फेंकी, ब्रा खोलकर बोली- मेरे लाल, दूध पियोगे?

वो पागलों की तरह मेरे मम्मे चूसने लगा, अब खुलने लगा। मैंने इतने में उसकी निक्कर खोल लौड़ा बाहर निकाल लिया और सहलाने लगी। उसका लौड़ा था तो ठीक ठाक लंबा, लेकिन अभी बच्चा सा था, मैंने उसको प्यार करते हुए कहा- अभी, लगता है, अभी हाथ से ही हिलाते होगे !”

“हाँ भाभी, कोई ऐसी नहीं मिलती जो इसको जवान कर दे !”

“क्यूँ? लड़कियों की तुम जैसे युवक को कैसी कमी?”

“भाभी, लेकिन कोई वो करने नहीं देती !”

वो शरमा सा गया।

“आज से तुम दोनों की यह भाभी सब मजे देगी ! लोगे ना?”

उसने मुझे बाँहों में कसते हुए मेरे होंठ चूमे- भाभी, आप जैसी भाभी को कौन छोड़ेगा ! लगता है भैया कुछ करते नहीं !

इतने में राहुल भी वहाँ आ गया, अंदर घुसा मैंने दरवाज़े को पूरी तरह लॉक किया और बड़ी लाईट बुझा दी, छोटी लाईट जला दी, परदे आगे किये, बिस्तर पर टांगें फैला पसर गई, उनको दिखा दिखा उंगली मुँह से निकालती, फिर फ़ुद्दी में डालती !

यह देख राहुल ज्यादा दीवाना बन गया।

“दोनों ऊपर आ जाओ, मेहमान हो मेरे, फिर कहोगे भाभी ने बैठने को नहीं कहा।”

राहुल बोला- साली, हम तो तेरे साथ लेटना चाहते हैं !

“यह हुई मर्द वाली बात, तुम दोनों कुत्ते हो और मैं तुम दोनों की कुतिया हूँ !’

मैंने पैंटी भी उतार फेंकी, एकदम चिकनी फ़ुद्दी देख राहुल ने कपड़े उतार दिए। उसका लौड़ा बहुत बड़ा निकला।

“तेरा बहुत बड़ा है ! लेकिन अभी है बच्चा !”

बाकी अगले भाग में !

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top