सोनू से ननदोई तक-1

(Sonu Se Nanadoi Tak-1)

नन्दिनी 2008-04-03 Comments

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सबसे पहले तो गुरुजी को प्रणाम जिनकी वजह से हमें इतने हसीन किस्से पढ़ने को मिल पाते हैं, फिर प्रणाम है अन्तर्वासना के पाठकों को जिनके लिए मैं अपना एक हसीन किस्सा ब्यान कर रही हूँ जिसे पढ़कर उम्मीद है सबके अंडरवीयर तम्बू का रूप, आकार अपना लेंगे।

मेरा नाम है नंदिनी ! मैं एक दिलफेंक पंजाबन हूँ, मेरी पतली कमर, गोल-गोल गांड है, दो खरबूजे जैसे आकार में आ चुके मेरे मम्मे, जिन पर शायद ही किसी मर्द की नज़र न जाती होगी। मेरे मम्मों पर तो औरतों तक की नज़र टिकने लगती है। मैं एक शादीशुदा लड़की हूँ।
स्कूल से ही मैं एक चालू लड़की रही हूँ। फिर कॉलेज में तो मैं हसीन रंडी बन गई, कई लड़कों के लौड़े चूत में डलवाए और उनके साथ होटलों में चुदाई करवाई। कभी-कभी लड़के किसी के दोस्त के घर की चाभी लेकर मुझे ले जाते और ठोकते।

मैं कुछ यादगार लम्हों से आपको रूबरू कराना चाहती हूँ जैसे कि मेरा पहला अवसर : किस से चूत की सील खुलवाई !
मेरा बचपन गाँव में निकला, वहीं मैं पली-बड़ी हुई, दसवीं तक मैंने पढ़ाई वहीं सरकारी स्कूल से की, हमारा संयुक्त परिवार था, चाचा-चाची, छोटे चाचा-चाची, हम लोग, दादा जी, दादी जी, घर तीन मंजिला था लेकिन सबका रसोई घर एक, खाना एक साथ खाया जाता था।

तब मैं जवान हो रही थी, करीब चौदह की थी जब चाची दुल्हन बनकर घर आई, क्या रूप था उन पर, गोरी-चिट्टी दूध जैसी, लेकिन वो चालू माल ही थी, उनमें बहुत हवस भरी हुई थी, है भी, मौका देखते ही चाचा को लेकर घुस जाती कमरे में !

एक दिन मैंने छुप कर देखा परदे से कि चाचा के ऊपर उनकी जांघों पर बैठी हुई चाची उनकी पैन्ट की जिप खोल उनका लौड़ा अपने आप ही निकाल कर हिला रही थी। ऐसे ही कई बार देखा। मुझसे भी अटपटे सवाल पूछती रहती थी।

खैर छोड़ो, अट्ठारहवें में कदम रखते ही लड़कों की नज़र मुझ पर आई और अब मेरे कूले कूले पटटों में चूत नाम की भट्ठी तपने लगी। लड़कों के इशारे देख देख आग में से मानो ओस गिरने लगी हो।

सोनू था नाम उसका जिस पर मैं सबसे पहले मर मिटी थी। बांका जवान गबरू पंजाबी लड़का था, गाँव में बस टांका फिट करने तक बात होती है, मिलने जुलने का प्रबंध खुद हो जाता है, छत से छत मिली होती हैं, खेत होते हैं, वहाँ तो पूरी ऐश होती है, न पुलिस का डर !

सोनू तो मानो मुझे चोदने के लिए पागल हुआ फिर रहा था। तीन चार बार उसने मुझे सूनी गली में पकड़ मेरे मम्मे दबाये थे, साथ में उसने मुझे चूमा था।
दिन में घर में लगभग कोई कोई होता था, उस दिन किसी वजह से पंजाब में हाफ-डे की घोषणा हो गई थी लेकिन हमारे घर कौन सी अखबार आती थी। खेतीबाड़ी का काम था, उस दिन सुबह ही सोनू ने मुझे बता दिया कि आज हमारा मिलन हो सकता है, छुट्टी के बाद कच्चे वाले रास्ते से घर लौटना, खेतों में से होकर वो रास्ता आता था, कोई नहीं होता था, पूरी गर्मी !

आधे रास्ते आई कि किसी ने मेरी कलाई पकड़ी और मुझे गन्ने के खेत में खींच ले गया।
हाय सोनू ! मेरी कलाई छोड़ो ! दर्द होता है !
हाय मेरी जान ! आज तो दर्द देकर तुझे जन्नत में पहुँचाऊँगा !
कोई देख लेगा ! जाने दो !
कोई ना आवे !

वो मुझे खेतों के बीच में ले गया। वहाँ लगता था पहले किसी ने चुदाई के लिए जगह बना रखी थी, गोल सा दायरा बना हुआ था। सोनू ने मुझे बाँहों में ले लिया और चूमने लगा खुलकर। उसने मेरी कुर्ती में हाथ घुसा दिया, चुटकी से मेरे मनके मसलने लगा।
मैं सी सी सी करके जलने लगी।

उसने एकदम से मेरी सलवार का नाड़ा खींच दिया, सलवार नीचे गिर गई, मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया। उसने अपना हाथ मेरी टाँगों पर फेरा।

जब हाथ मेरी फुद्दी पर गया तो मैं उछल पड़ी। उसने तुरंत मेरे होंठ चूसने शुरु किये, बोला- आज प्यास बुझा दे रानी !

उसने अपनी पैंट की जिप खोली और मोटा सा लौड़ा निकाल लिया, काफी लंबा भी था, बोला- चल, पकड़ कर सहला और मुठ मार !
बोला- इसको मुँह में लेगी?
मैंने मना किया- छीः गंदा !
एक बार स्वाद लेकर देख ! माँ कसम, रोज़ चूसने को कहेगी ! बैठ जा एक बार !

पहले अजीब सा महसूस हुआ, पर फिर अच्छा लगा तो मैं चूसने लगी।
बोला- चल, लेट जा नीचे !

मुझे नीचे सूखी घास पर चित्त लिटा कर मेरी टांगों के बीच में आया और बोला- जरा टाँगें खोल दे रानी ! तभी मजा आएगा !
मैंने टाँगें फैला ली, उसने अपने कन्धों पर रखवा कर अपने लौड़े के टोपे को फुद्दी पर घिसाया।
हाय, कुछ हो रहा है सोनू !

उसने सुपारा मेरी कोरी फुद्दी पर रख झटका मारा, उसका लन मेरी फुद्दी को उधेड़ता हुआ अपनी जगह बनाता हुआ अन्दर घुस गया।
मर गई सोनू ! फट गई मेरी ! निकाल दे ज़ालिम ! क्यूँ मुझे यमलोक दिखने लगा है !
साली आज तेरी खुजली मिटा कर तुझे परलोक से स्वर्ग लेकर जाऊँगा !
हाय कोई है? फट गई मेरी !

उसने देखते ही पूरा लन मेरी फुद्दी में उतार दिया और जोर-जोर से झटके लगाने लगा।
मैं हाय-हाय करती गई, लेकिन कुछ देर बाद न जाने खुद ही मेरे कूल्हे उठने लगे।

दोस्तो ! मैं लुट चुकी थी ! रंडी बनने का रास्ता मिल गया था मुझे !
उसने मुझे कई तरीकों से चोद-चोद निहाल कर दिया।
घर जाकर भी मेरी फुद्दी दुखती रही लेकिन जो मजा मुझे आया था वो भी नहीं भूला जा रहा था।

आगे क्या क्या हुआ ! पढ़ना मत भूलना !
आपकी चुदक्कड़ नंदिनी
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