स्कूल वाली दोस्त को चोदा

(School Wali Dost Ko Choda)

अनुज सिंह 2016-09-27 Comments

दोस्तो, मैं दीपक, सोनीपत, हरियाणा से एक बार फिर आपकी सेवा में हाजिर हूँ।
मेरी कहानियाँ पढ़कर बहुत सी मेल आई, जिनमें एक मेल विकास ने भेजी हुई थी।
उसने मुझे अपनी कहानी भेजने के लिए रिक्वेस्ट की।

तो अब विकास की कहानी उसकी जुबानी

दोस्तो, मेरा नाम विकास है (बदला हुआ नाम) और मैं चंडीगढ़ में रहता हूँ।
मैं दिखने में थोड़ा सांवला हूँ, मेरी हाइट 5’11” है…मेरी पर्सनेलिटी भी एकदम मस्त है।

मुझ सेक्स की भूख करीब कई साल पहले से लगी और कभी जब बहुत ज्यादा मन करता तो रंडियों के पास चला जाता या फिर हाथ से हिलाकर शांत हो जाता था।

मैं अन्तर्वासना की कहानियाँ 4 साल से पढ़ रहा हूँ, बहुत मज़ा आता है आप सबकी कहानियाँ पढ़ कर!

सोचा, मैं भी आज अपनी एक कहानी लिखूँ।

बात आज से दो महीने पहले की है। मेरी एक दोस्त थी, जो मेरे ही साथ 12 में पढ़ती थी, उसका नाम निधि था।

उसक परिवार चंडीगढ़ से जाकर अम्बाला रहने लग गया तो उसने मुझे एक दिन अपने घर मिलने के लिए बुलाया।
उसके मम्मी पापा तो मुझे स्कूल से ही जानते थे तो मैं भी एक दिन अम्बाला के लिए निकल पड़ा और एक घण्टे में मैं अम्बाला पहुँच गया।

उसके घर पहुंचने के बाद उसने मुझे अपने मम्मी पापा और अपने छोटे भाई से मिलाया और बैठकर बात करने लगे।
उसके बाद हम सबने खाना खाया और कुछ देर बाद मैंने जाने की इजाजत मांगी तो घर वालों ने बोला- आज यहीं रुक जाओ, कल चले जाना।

तो मैं भी मान गया और वहीं रुक गया।

उसके बाद हम दोनों और उसका छोटा भाई शाम को एक पार्क में घूमने के लिए चले गए।
पार्क में वैसे कुछ ज्यादा भीड़ नही थी, तो हम झूला झूलने लगे।

पहले मैं बैठा, थोड़ी देर झूला झूला। उसके बाद उसका भाई साथ वाले झूले में चला गया।
फिर मैंने बोला- अब तुम बैठो!

वो जैसे ही बैठने के लिए झुकी तो एकदम से उसका पैर फिसल गया और गिर गई।
मैंने उसको उठाया तो मेरा एक हाथ उसके मम्मों पर लग गया, मैंने जानबूझ कर उसको दबा दिया।

एक अजीब सा एहसास पूरे शरीर में दौड़ गया और शायद वो भी इस एहसास को समझ गई।
फिर हम घर चले गए।

शाम को उसने घर जाने के बाद बोला कि मेरे पैर में थोड़ा दर्द हो रहा है, क्या तुम दबा सकते हो?

मैंने भी हाँ में सिर हिलाया और पैर दबाने लग गया।
पैर का एहसास पाकर मुझे कुछ होने लग गया।

मैंने धीरे धीरे हाथ उसके जाँघों में लगाया तो वो आंखें बंद करके बोलने लगी- प्लीज हाथ हटा लो।
मैं समझ चुका था आग वहाँ भी लगी है।

फिर मैं उसके कमरे से बाहर आकर हाल में बैठ कर टीवी देखने लग गया।

रात को हम सबने मिलकर खाना खाया तो उसके बाद उसकी मम्मी ने बोला- तुम रोहन के कमरे में सो जाना।
तो मैंने भी हाँ बोल दिया।
उसके माँ पापा अपने कमरे में सोने चले गए और निधि अपने कमरे में।

जैसे ही मैं सोने वाला था तो निधि का मेरे फ़ोन पर मैसेज आया- क्या कर रहे हो?
मैंने रिप्लाई करके बोला- कुछ नहीं, बस वैसे ही लेटा हुआ हूँ।

उसने अपने भाई के बारे में पूछा- रोहन सो गया है?
मैंने बोला- हाँ जी सो गया है।

फिर कहने लगी कि मुझे नींद नही आ रही, मेरे कमरे में आ जाओ।
मैंने बोला- थोड़ा डर लग रहा है कि कहीं मम्मी पापा न उठ जाएँ?
उसने बोला- नहीं उठेंगे, क्योंकि वो जल्दी सो जाते हैं। वैसे भी पापा को कल किसी काम से गुड़गांव जाना है।

इससे मेरी हिम्मत और बढ़ गई और मैं चुपचाप उसके कमरे को तरफ गया तो दरवाज़ा खुला ही हुआ था।

मेरे अंदर जाते ही उसने दरवाज़ा बन्द कर दिया।
मैं अंदर गया तो वो बेड पर उलटी लेटी हुई थी।

मैं उसके पास जाकर बैठ गया और बात करने लगा। बात करते करते मैंने अपना एक हाथ उसके कंधे पे रख दिया।
जब उसने कुछ नहीं बोला तो फिर धीरे धीरे मैंने अपना हाथ उसके मोमों पर रख दिया और उनको दबाने लगा।

मेरे हाथ लगते ही उसने अपनी आँखें बंद कर ली।
मैंने अपने होंठो को उसके पास ले जा कर उसके होंठों पर रखा ही था उसकी सांसें गर्म होने लगी।

मैंने देर न करते हुए उसके होंठों को चूसने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी।

मैं एक हाथ से उसके चूचियों को दबा रहा था, उसका साइज करीब 30 या 32 का रहा होगा।
फिर मैंने एक हाथ उसके निकर के अंदर डाला तो उसकी चूत पानी छोड़ चुकी थी और उसने अंदर पैंटी भी नहीं पहनी थी।
इस वजह से मुझे भी कोई परेशानी नही हुई चूत को कुरेदने में!

जैसे ही मैंने उंगली उसकी चूत के अंदर डालनी शुरू की तो उसने मुझे कसकर पकड़ लिया।
मैं समझ गया कि यह अभी कच्ची कली ही है… मैंने धीरे धीरे उसकी टी शर्ट को उतारा और फिर उसकी केपरी को और उसे पूरी नंगी कर दिया।

उसके होंठों का खूब रसपान करने के बाद उसके पेट को चूमता हुआ मैं उसकी चूत पर आ गया।
हम दोनों 69 की पोजिशन में आ गए, मैंने उसकी चूत को चाट चाट कर लाल कर दिया।

उसने पहले तो मेरा लण्ड चूसने से मना कर दिया पर जब वो झड़ने वाली थी तब खूब जोर जोर से चूसने लगी।

मैंने टाइम खराब न करते हुए उसके दोनों टांगों को फैलाया और उसकी चूत पर अपना लण्ड सैट किया।
जैसे ही मैंने एक झटका मारा तो लण्ड फिसल कर बाहर निकल गया।
दूसरी बार फिर झटका मारा लण्ड फिर फिसल के बाहर निकल गया।

इस बार मैंने टेबल से तेल उठाया, पहले अपने लण्ड पर लगाया फिर उसकी चूत पर। इस बार मैंने फिर झटका मारा तो लण्ड चूत को चीरता हुआ चूत में समा गया और उसके मुँह से चीख निकल गई।

उसके होंठों को मैंने अपने होंठों से दबा रखा था जिससे उसकी चीख उसके मुंह में दबकर रह गई।
मैं कुछ देर वैसे ही पड़ा रहा, जब वो कुछ थोड़ा नॉर्मल हुई तो उसने अपनी गांड उठा कर खुद धक्के लगाने शुरु कर दिए।

मैं समझ गया कि चूत गर्म है तो मैंने धक्के लगाना शुरू कर दिया और इस बार वो भी नीचे से अपनी कमर उठाकर मेरा साथ दे रही थी।

जब मैं थोड़ा ज्यादा जोर से धक्का मारता तो वो थोड़ा चीख पड़ती।
इस दौरान उसके मुँह से आहहह… आहह… ऊई मा मर गई… उफ्फ्फ… की आवाज़ें निकल रही थी।

करीब 10 मिनट की चुदाई में वो दो बार झड़ चुकी थी और मैं भी झड़ने वाला ही था तो मैंने झटके तेज तेज मारे।
उसकी तो जैसे जान ही निकल गई थी।
उसने मुझे कस कर पकड़ा और मेरे होंटों का रसपान करने लगी।

जैसे ही मैं झड़ने को हुआ तो मैंने अपना लण्ड उसकी चूत से निकाल कर अपना सारा वीर्य उसकी चूत के ऊपर ही छोड़ दिया।

जब हम दोनों अपने आप को साफ़ करने के लिए बाथरूम में गए तो मैंने देखा कि उसकी चूत पर खून लगा हुआ था।
वो यह सब देख कर डर गई।
मैंने उससे कहा- पहली बार चुदाई में ऐसा ही होता है।

उसके बाद मैं उसके भाई के कमरे में आकर सो गया और सुबह उन सब को विदा बोल कर वापस चंडीगढ़ आ गया।

और एक बार फिर मैंने उसे चंडीगढ़ में बुलाकर होटल में चोदा..

कैसे लगी आपको मेरी यह कहानी, मुझे मेल कर के जरूर बताएँ।
[email protected]

दोस्तो, यह थी विकास की कहानी, विकास की जुबानी।
आप सब से अनुरोध है कि आपको ये कहानी कैसी लगी, इसके जवाब में अपनी मेल ऊपर दी गई ईमेल पर ही भेजें।
आप चाहो तो मुझे भी मेल की कॉपी कर सकते हो।
[email protected]

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