पहली बार गांड चुदाई का मादक अनुभव

(Cute Gay First Anal Kahani)

मिकी 6 2025-05-09 Comments

क्यूट गे फर्स्ट एनल कहानी में मैं लड़कियों जैसा दिखता हूँ. मैं आईने के सामने खड़ा होकर खुद को घूरता … सोचता कि क्या सच में मैं ऐसा हूँ? एक दिन मैंने साड़ी पहनी.

दोस्तो, यह अनुभव मेरी ज़िंदगी का पहला अनुभव था और इसी पर आधारित मैंने एक गे सेक्स कहानी लिखी है जो एकदम सत्य है और मैं इसे पहली बार आपके साथ साझा कर रहा हूँ.
इसे बयान करने से पहले मैं चाहता हूँ कि आप मुझे थोड़ा जान लें.

मेरा नाम अविनाश है और आज मैं अफ्रीका में रहता हूँ, यहीं नौकरी करता हूँ.

लेकिन ये क्यूट गे फर्स्ट एनल कहानी उस दौर की है, जब मैं कॉलेज की रंगीन दुनिया में खोया हुआ था.

उस वक्त मैं कोई खास नहीं था.
न तो चेहरा कोई फिल्मी हीरो जैसा, न ही पढ़ाई में कोई तीरंदाज़. बस, ज़िंदगी किसी तरह चल रही थी.

मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी और सच कहूँ तो लड़कियों से बात करने की हिम्मत जुटाने में मेरी सांसें अटक जाती थीं.

मेरे दोस्त?

हां, वे कुछ थे, लेकिन गिनती के और वे सब भी हर वक्त मेरा मज़ाक उड़ाते ‘अरे, अविनाश, तू तो लड़की है, बस थोड़ा मेकअप कम है!’
उनकी इस तरह की बातें सुनकर मैं न तो बहुत बुरा मानता, न ही बहुत मज़ा आता.
बस, दिल में एक अजीब-सी कसक उठती.

कई बार मैं आईने के सामने खड़ा होकर खुद को घूरता … सोचता कि क्या सच में मैं ऐसा हूँ? क्या मैं वाकयी में वही हूँ, जो बिना रंग-रूप के बस यूँ ही ज़िंदगी काट रहा है?

ये ख्याल मेरे दिल में आग की तरह सुलगने लगे.
और फिर, एक दिन मैंने ठान लिया कि क्यों न कुछ नया करूँ?
क्यों न खुद को एक नई नज़र से देखूँ?

बस, यही सोचकर मैंने अपने शहर जयपुर को अलविदा कहा और दिल्ली की राह पकड़ ली.
घरवालों से बहाना बनाया कि इंटरव्यू के लिए जा रहा हूँ.

दिल्ली पहुंचते ही मैंने सबसे पहले एक होटल में कमरा लिया.
थकान मिटाने के बाद अगले दिन मैंने एक मशहूर मेकअप आर्टिस्ट का पता ढूँढ निकाला, उससे बात की और अपॉइंटमेंट फिक्स किया.

मैंने उसे साफ-साफ बता दिया कि मुझे एक प्ले में ट्रांसजेंडर का किरदार निभाना है.

दिल्ली जैसे शहर में कोई ज्यादा सवाल नहीं करता, तो मेरा काम आसान हो गया.

दो दिन बाद मेरा अपॉइंटमेंट था.
मैंने घर पर फोन करके कह दिया कि मुझे अभी और रुकना पड़ेगा.
साथ ही थोड़े पैसे भी मँगवा लिए ताकि कोई दिक्कत न हो.

दो दिन बाद मेरा समय आ गया.
वह दिन जब मैं अविनाश, एक नए रूप में ढलने वाला था.

मैं उस मेकअप आर्टिस्ट के पार्लर पहुंचा.
उसे सारी बात बताई कि मैं चाहता था कि मेरा मेकअप ऐसा हो कि लोग देखते ही दंग रह जाएं, कोई मुझे एक नज़र में पहचान न पाए.
उसने मुस्कुराते हुए हामी भरी और काम शुरू कर दिया.

सबसे पहले उसने मेरी पूरी बॉडी वैक्स की.
आगे, पीछे, हर जगह—यहां तक कि मेरी त्वचा के सबसे नाज़ुक हिस्सों तक को बिल्कुल चिकना कर दिया.
मतलब उसने मेरी गांड के और लौड़े के आस पास के सारे बाल साफ करके मुझे चिकनी रांड बना दिया.

मेरी दाढ़ी तो थी ही नहीं, तो मैं पूरी तरह से एकदम साफ और मुलायम हो गया.

फिर उसने मुझे एक खूबसूरत साड़ी पहनाई.
साड़ी का रंग ऐसा मानो रात की चाँदनी उसमें उतर आई हो.

इसके साथ एक ब्लाउज़, जिसमें नकली बूब्स लगे थे, ताकि मेरा लुक एकदम वास्तविक लगे.

फिर शुरू हुआ असली जादू … यानि मेकअप.
उसने मेरे चेहरे को कैनवास की तरह सजाया.

काजल, लिपस्टिक, ब्लश … हर चीज़ इतनी बारीकी से लगाई कि मैं खुद को भूलने लगा.
आखिर में उसने मेरे सिर पर एक लंबी, घनी विग लगाई और मुझे एक दुल्हन की तरह सजा दिया.

जब उसने मुझे आईने की तरफ घुमाया, मैं स्तब्ध रह गया.
वह मैं था? या कोई और?

मेरे होंठों पर अपने आप एक मुस्कान तैर गई.
उसने शरारत भरी नज़रों से मुझे देखा और आंख मारी.

मैंने भी जवाब में एक हल्की-सी स्माइल दे दी.
लेकिन सच कहूँ, उस पल मेरे शरीर में एक अजीब-सी सिहरन दौड़ रही थी. मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था.

मैंने साड़ी में खुद को देखा, वह लम्हा कुछ ऐसा था, जैसे मैं पहली बार खुद से मिल रहा हूँ.

पेमेंट करके मैं पार्लर से निकला और दिल्ली की सैर करने निकल पड़ा.
मैं कनॉट प्लेस पहुंचा, जो दिल्ली की चमचमाती भीड़ और रौनक का दिल है.

शाम हो चुकी थी, शायद आठ बज रहे होंगे.
मैं सड़क के किनारे खड़ा था, साड़ी को संभालते हुए, रोड क्रॉस करने की कोशिश कर रहा था.

तभी मेरे पास एक चमकती-दमकती गाड़ी आकर रुकी.
ऐसी गाड़ी मैंने पहले कभी नहीं देखी थी.

उसका काँच धीरे से नीचे सरका और एक गहरी आवाज़ मेरे कानों में गूँजी- मैडम, कहीं जाना है क्या?

पहले तो मैंने उसे अनदेखा किया, जैसे कुछ सुना ही न हो.
लेकिन जब उसने फिर से पूछा, तो मैंने जवाब दे दिया- नहीं.

मेरी आवाज़ सुनते ही वह थोड़ा चौंका.
शायद उसे मेरी मर्दाना आवाज़ की उम्मीद नहीं थी.

वह गाड़ी आगे बढ़ गया, लेकिन मुझे क्या पता था कि वह वापस लौटेगा.

कुछ ही देर बाद मैंने देखा कि वही गाड़ी, वही चमक, मेरी तरफ फिर से बढ़ रही थी.

उसकी गहरी आवाज़ मेरे कानों में गूँजी- रात के लिए चलता है क्या? बड़ा मस्त माल है तू!
उसने मेरी तरफ देखते हुए एक शरारती मुस्कान फेंकी.

मैं चुप रहा, मेरे होंठ सिल गए.
वह गाड़ी से उतरा और मेरे बिल्कुल करीब आ गया.
इतना करीब कि उसकी गर्म सांसें मेरे चेहरे पर टकराने लगीं.

उसने धीमे से कहा- मज़े करवाऊंगा, बोल, चलती है?
उसकी आवाज़ में एक अजीब-सी कशिश थी, जो मेरे दिल को छू गई.

मैं खामोश था, लेकिन मेरे अन्दर कुछ हलचल होने लगी.
न जाने क्यों, मेरे मन में एक अनजानी सी उत्तेजना जाग उठी.

मैंने खुद को रोकने की कोशिश की.
लेकिन मेरे होंठों ने बिना इजाज़त हल्के से ‘हां’ कह दिया.

मैंने धीरे से यह जोड़ते हुए कहा- ये मेरा पहला मौका है!
मेरी आवाज़ में हल्की-सी कंपकंपी थी.

उसने मेरी बात सुनकर आंखें चमकाईं और बोला- अरे, ये तो और मज़ेदार बात है. चल, आज तेरा हर सपना पूरा करवाता हूँ. जो भी तेरे दिल में है, सब होगा!
मैंने बस सिर हिलाया और उसके साथ चल पड़ा.

वह मुझे पहले एक शॉपिंग मॉल ले गया.
वहां उसने मेरे लिए ढेर सारी चीज़ें खरीदीं … रेशमी ब्रा, लेस वाली पैंटी, स्टाइलिश हॉट शॉर्ट्स, टाइट टी-शर्ट, एक मुलायम नाइटी और कुछ खूबसूरत सलवार-सूट.

हर चीज़ को छूते वक्त मेरे मन में एक अजीब-सी सिहरन दौड़ रही थी.
ये सब मेरे लिए नया था, फिर भी कहीं न कहीं मुझे ये सब अच्छा लग रहा था.

शॉपिंग के बाद हम उसकी गाड़ी में बैठे और उसके घर की ओर चल पड़े.

जब हम उसके घर पहुंचे, तो मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं.
ऐसा आलीशान बंगला मैंने अपनी ज़िंदगी में कभी नहीं देखा था.

हर कोना ऐसा चमक रहा था, जैसे किसी फिल्म के सैट पर आ गया हूँ.

अन्दर ले जाकर उसने अपना परिचय दिया.
उसका नाम मिकी था.
वह एक बॉडीबिल्डर टाइप का लड़का था, चौड़ा सीना, मज़बूत बाज़ू और एक ऐसी मुस्कान जो किसी का भी दिल चुरा ले.

उसने बताया कि अफ्रीका में उसका बड़ा बिज़नेस है और वह मस्ती-मज़े के लिए कभी-कभी इंडिया आता है.

फिर उसने हंसते हुए कहा- देसी मज़े का तो अपना अलग ही स्वाद है!
मैं बस मुस्कुराया और बात को टाल गया.

घर में घुसते ही उसने अपनी शर्ट उतार दी.
उसकी नंगी छाती और तराशे हुए ऐब्स देखकर मेरे अन्दर की सारी हिचक कहीं गायब हो गई.

वह दो पैग व्हिस्की लेकर आया और मेरे पास सोफे पर बैठ गया.

उसने एक गिलास मेरी तरफ बढ़ाया और बोला- ले, आज रात को और रंगीन करते हैं.
मैंने उसका चेहरा देखा, फिर गिलास थाम लिया.

उसने मेरा नाम पूछा.
मैंने एक पल सोचा और कहा- प्रिया!

वह हंस पड़ा, जैसे उसे पता था कि मैंने झूठ बोला है.
फिर भी उसने कुछ नहीं कहा और अपनी व्हिस्की पीने लगा.

‘प्रिया, तू भी पी!’ उसने धीरे से कहा.

मैंने गिलास होंठों से लगाया और व्हिस्की की पहली घूँट गले से उतारी.
तीखा स्वाद मेरे अन्दर आग की तरह फैल गया.

मिकी मेरे और करीब आया.
उसने धीरे से मेरे कंधे पर हाथ रखा, फिर मेरी जांघों पर हल्के से उंगलियां फेरीं.

मेरी सांसें तेज़ होने लगीं.

अचानक उसने अपने गिलास की व्हिस्की मेरे गाल पर धीरे से उड़ेल दी और अपनी जीभ से उसे चाटने लगा.
उसकी गर्म सांसें मेरे चेहरे पर टकरा रही थीं.
मुझे एक अजीब-सा सुकून मिल रहा था, जैसे मैं किसी और दुनिया में खो गया हूँ.

मैंने खुद को नहीं रोका … मैंने आगे बढ़कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.

उसका स्वाद, उसकी गर्मी … सब कुछ मुझे अपनी ओर खींच रहा था.

मैंने उसे और गहराई से चूमा जैसे मैं उस पल को जी लेना चाहता हूँ.

मेरा हाथ उसकी छाती पर गया, फिर नीचे की ओर.

उसने एक झटके में मेरा ब्लाउज़ खींचकर फाड़ दिया.
मेरी छाती देखकर वह रुक गया और बोला- तुझे इन नकली चीज़ों की ज़रूरत नहीं. तू वैसे ही परफेक्ट है.

मैंने हंसते हुए कहा- सब कुछ सोफे पर ही करेगा क्या?

मेरी बात सुनते ही उसने मुझे अपनी बांहों में ऐसे उठा लिया, जैसे मैं कोई हल्का-सा पंख हूँ.
वह मुझे अपने बेडरूम में ले गया और बेड पर लिटा दिया.

उसने अपने कपड़े उतारे और जब मैंने उसे देखा, तो मेरी सांसें थम सी गईं.
उसका शरीर किसी ग्रीक देवता की मूर्ति जैसा था.

मैंने भी देर नहीं की, अपनी साड़ी उतारी और उसके करीब चला गया.

मैंने उसे अपने और करीब खींचा और उस पल को जीने लगा.

हर धड़कन, हर सांस, हर स्पर्श, सब कुछ एक न/शे की तरह था.

मैंने उसकी आंखों में देखा और मेरे अन्दर की सारी हिचक पिघल गई.
मैंने अपने होंठों को उसके करीब ले जाकर उसे और गहराई से चूमा.

उस पल में, मैं सिर्फ़ उस न/शे में खोया था.
उसकी गर्मी, उसकी सांसों का स्पर्श और उस अजनबी अहसास में, जो मेरे पूरे वजूद को हिला रहा था.

मैंने सीखा नहीं था, लेकिन शायद मैंने कहीं न कहीं कुछ देखा-सुना था फिल्मों में, बातों में कि कैसे उस पल को और गहरा बनाया जाता है.
अपने आप को मैंने रोका नहीं … मैंने उसे और करीब खींचा और उसके लंड की उत्तेजना को महसूस किया.

मैंने उसे मुँह में भर लिया और चूसने लगा.
करीब 15 मिनट तक मैं उसके लंड से खेलता रहा और मस्ती में डूबा रहा.

फिर जब उसने मेरे मुँह में अपने लंड का माल उड़ेला तो मैंने बड़ी कृतज्ञता से उसके नमकीन दृव्य को अपने हलक में पी कर स्वीकार कर लिया.
जो थोड़ा-सा रस इधर उधर बिखर गया था, उसे मैंने जीभ से चाट कर साफ कर दिया.

वह सब मैं ऐसे कर रहा था, जैसे मैं उस पल का हर हिस्सा जी लेना चाहता हूँ.

उसने मुझे अपनी बांहों में उठाया और फिर से मुझे चूमना शुरू किया.

उसकी जीभ मेरे होंठों से टकरा रही थी और मैं उसका स्वाद ले रहा था.

हमारी सांसें एक-दूसरे में घुल रही थीं.
उसकी उंगलियां मेरे कंधों से नीचे की ओर सरक रही थीं और मेरी सांसें तेज़ हो रही थीं.

उसने मेरे सीने को सहलाया, मेरे निप्पल्स को हल्के से छुआ और मेरे शरीर में एक अजीब-सी सिहरन दौड़ गई.
हम दोनों उस आग में जल रहे थे, जो अब रुकने का नाम नहीं ले रही थी.

उसने मुझे बेड पर धीरे से धकेल दिया.
मेरा पेटीकोट उसने एक झटके में उतार फेंका.

मैंने नीचे कुछ नहीं पहना था.

मुझे खुद पर हैरानी हो रही थी कि मेरा लंड उस पल कितना शांत था.
मानो उसे इस सब उत्तेजक क्रियाओं से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था.

जबकि मेरा मन, मेरा दिल, सब कुछ उस उत्तेजना में डूबा था, जो मेरी गांड के छेद में जाग रही थी.

मेरे अन्दर एक अजीब-सी चाहत थी, जो शायद सिर्फ़ मिकी ही पूरी कर सकता था.

उसने मुझे प्यार से घोड़ी की तरह झुकाया.
उसकी उंगलियां मेरी गांड पर धीरे-धीरे चलीं, जैसे वह हर पल को महसूस करना चाहता हो.

उसने अन्दर पहले एक उंगली पेली, फिर दो … लेकिन मेरे कुँवारे छेद ने हल्का-सा विरोध किया.

उसने पास रखी क्रीम उठाई और उसे धीरे-धीरे मेरे छेद में भरते हुए लगा दी.
उसकी हर हरकत में एक अजीब-सी कोमलता थी, जो मुझे और करीब खींच रही थी.

जब उसने फिर से मेरी गांड में उंगली डालने की कोशिश की तो मेरी गांड धीरे-धीरे खुलने लगी.
उसने तीन उंगलियां एक झटके में अन्दर पेल दीं.

मैंने एक तेज़ दर्द महसूस किया और बिना रुके चिल्ला पड़ा- आह … धीरे मिकी! ये मेरा पहला वक्त है. थोड़ा आराम से, मेरे राजा.
उसने मेरी बात सुनी और वह कुछ और भी नरमी से आगे बढ़ा.

फिर उसने एक शरारत भरी मुस्कान के साथ पास पड़ा व्हिस्की का गिलास उठाया.
उसने थोड़ी-सी व्हिस्की मेरी गांड के छेद में उड़ेल दी.

पहले तो मुझे हल्की-सी जलन हुई.
लेकिन जब उसने अपनी जीभ से उसे चाटना शुरू किया तो मेरे पूरे शरीर में बिजली-सी दौड़ गई.

वह हर बूँद को प्यार से चख रहा था और फिर उसने अपने होंठ मेरे होंठों से मिलाए, मुझे उसका स्वाद चखाया.
मेरे सिर में नशा चढ़ रहा था.

शायद व्हिस्की का, शायद उस पल का.

मैं उस आलम में इतना खो गया था कि मुझे पता ही नहीं चला, कब उसने मुझे और करीब खींच लिया.
जब उसने मुझे पूरी तरह अपने लौड़े से सटाते हुए लंड को गांड में भेद दिया, तो मेरी गांड में एक तेज़ दर्द की लहर दौड़ी.

मैं जोर से चिल्लाया- आह… मिकी, रुक जा! बहुत दर्द हो रहा है.
मेरी आंखों में आंसू आ गए और मेरी आवाज़ काँप रही थी.

लेकिन उसने मुझे थाम लिया, अपनी बांहों में मुझे सहारा दिया.

उसने धीरे-धीरे गांड मारना जारी रखा और उसकी हर हरकत में एक अजीब-सी सावधानी थी.

उसने धीरे से कहा- बस थोड़ा और प्रिया … मैं हूँ ना तेरे साथ!
उसकी आवाज़ में एक अजीब-सा सुकून था.
क्यूट गे फर्स्ट एनल सेक्स में धीरे-धीरे मेरा दर्द कम होने लगा और मेरे अन्दर एक नई उत्तेजना जागने लगी.

मैंने खुद को उस लय में छोड़ दिया.
अब मुझे गांड मरवाने में सुख मिलने लगा था.

मैंने गांड हिलाते हुए उससे कहा- और … और तेज़, मिकी. ये पल सिर्फ़ तेरा है.
मेरी आवाज़ में अब दर्द की जगह एक चाहत थी.

करीब आधे घंटे तक हम उस आलम में खोए रहे.
हर धड़कन, हर सांस, हर स्पर्श … सब कुछ एक सपने की तरह था.

जब वह अपने चरम पर पहुंचा तो उसने मुझे फिर से अपने करीब खींच लिया.

उसने मुझसे पूछा- रबड़ी से नहाओगी!
मैंने हंस कर हां कह दी.

उसने लंड की पिचकारियों से मेरे चेहरे, मेरी छाती पर अपनी छाप छोड़ दी.
मैंने उसके लंड को अपने मुँह में ऐसे भर लिया जैसे मैं उसको हमेशा के लिए अपने अन्दर बांध लेना चाहता हूँ.

उसके लंड की गर्मी और उसके रस के नमकीन अहसास ने मेरे पूरे शरीर में एक अजीब-सी तृप्ति भर दी.

मैंने उसकी भावनाओं को अपने अन्दर समेट लिया, जैसे मैं उस रात का हर लम्हा अपने साथ रखना चाहता हूँ.

हम दोनों उस एक घंटे की तूफानी मस्ती में पूरी तरह थक चुके थे.
मेरी सांसें अभी भी तेज़ थीं और मेरी गांड किसी गड्डे की तरह खुल चुकी थी.

मिकी धीरे से उठा और बाथरूम की ओर जाने लगा.

मैंने उसे आवाज़ दी- मुझे भी जाना है. मुझे ले चल, मिकी. मेरे पैरों में जान नहीं बची.

मेरी बात सुनकर उसने मुस्कुराते हुए मुझे देखा.
मेरी चाल बदल चुकी थी.

मैं धीरे-धीरे, अपनी कमर को हल्का-सा सहारा देते हुए चल रहा था.
हर कदम में एक अजीब-सी सिहरन थी, जैसे मेरा शरीर अब पहले जैसा नहीं रहा.

बाथरूम में पहुंचते ही मेरे मन में एक शरारत भरा ख्याल आया.

मैंने उसकी ओर देखकर आंख मारी और कहा- मिकी, तुमने तो मुझे पूरी तरह बदल दिया. अब इसकी थोड़ी-सी देखभाल तो कर दो.

मैंने दुबारा से उसे गांड मारने का इशारा किया.
वह हैरानी से मेरी ओर देखने लगा.

मैं हंसते हुए बाथरूम के ठंडे फर्श पर लेट गया और अपनी टांगें हल्के से ऊपर उठाईं.

‘बस, थोड़ा प्यार दिखा दे!’ मैंने शरारत भरे लहजे में कहा.

उसने एक पल को मुझे गौर से देखा, फिर उसकी आंखों में वही चमक लौट आई.
‘प्रिया, तू तो सचमुच कमाल की है!’

उसने हंसते हुए कहा और फिर, उसने मेरी गांड के छेद में अपना मूसल पेल दिया
काफी देर तक मुझे पेलने के बाद उसने अपनी गर्माहट अन्दर ही बिखेर दी.

मैं उस पल में फिर से खो गया.
मैंने उसकी हर हरकत को अपने अन्दर समेट लिया और जो फर्श पर बिखर गया, उसे मैंने हल्के से चखा.

मिकी मुझे देखकर मुस्कुरा रहा था, जैसे उसे मेरी ये शरारतें और भी करीब खींच रही थीं.

उसने कहा- वाह, मेरी प्रिया! तू तो मेरे लिए बनी है. आज से ये घर तेरा है. यहीं रह, मेरे साथ.
उसकी बात सुनकर मेरे दिल में एक अजीब-सी गुदगुदी हुई.

मैंने बिना देर किए उसे फिर से अपनी ओर खींच लिया.
मैंने उसे और करीब लाकर उस पल को फिर से जीवंत कर दिया.

उस रात हमने एक-दूसरे को बार-बार खोजा.

तीन बार, हर बार पहले से ज़्यादा गहराई से.
हम दोनों उस न/शे में डूबे रहे और आखिरकार थकान ने हमें अपनी आगोश में ले लिया.

हम उसी तरह नग्न अवस्था में एक-दूसरे से चिपक कर सो गए.

सुबह जब मेरी आंख खुली तो मेरा शरीर टूट रहा था.
मेरी टांगें काँप रही थीं और हर हलचल में एक मीठा-सा दर्द था.

मैंने करवट लेने की कोशिश की लेकिन तभी एक गर्म नमकीन अहसास ने मेरे चेहरे को छुआ.

मैंने आंखें खोलीं तो मिकी मेरे सामने खड़ा था, उसकी आंखों में वही शरारत भरी चमक.

‘उठ, मेरी प्रिया!’
उसने हंसते हुए कहा.
‘रात तो बस शुरुआत थी.’

मेरी नींद उसकी उस हरकत ने खोल दी और मैं फिर से उसकी बांहों में खो गया.
हम दोनों अब अफ्रीका में रहते हैं और हर रात गांड चुदाई के मजे लेते हैं.

आपको मेरी क्यूट गे फर्स्ट एनल कहानी कैसी लगी, प्लीज जरूर बताएं.

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