बस में मिला गांडू ट्रेन में चुदा
(Gand Ki Chudai Train Me)
गांड की चुदाई ट्रेन में करवाई एक गांडू ने. वह मुझे बस में मिला था. हमारी बात बस में ही हो गई थी. लेकिन वह मेरे साथ ट्रेन में भी आ गया और मैंने उसे टॉयलेट में चोदा.
दोस्तो, मेरा नाम राज है. मैं राजस्थान के भरतपुर का रहने वाला हूँ.
मैं आप लोगों को अपने बारे में बता देता हूँ.
मेरी हाइट 6 फुट है, मेरी उम्र उस समय 22 साल की है.
मैं दिखने में थोड़ा सांवला हूँ और मेरे लाँड़ का साइज़ 8 इंच है.
मैं अन्तर्वासना की कहानियां रोज़ पढ़ता हूँ.
यह गांड की चुदाई ट्रेन में करने वाली बात तब की है जब मैंने 12वीं की पढ़ाई पूरी की थी और हरियाणा पुलिस की तैयारी कर रहा था.
एक महीने बाद मेरी परीक्षा थी.
परीक्षा का दिन नज़दीक था तो मैं एक दिन पहले ही घर से निकल गया था क्योंकि मुझे परीक्षा देने के लिए यमुनानगर जाना था.
मैंने घर से निकल कर दिल्ली की बस पकड़ ली क्योंकि मुझे दिल्ली से ट्रेन पकड़नी थी.
बस धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगी.
फरीदाबाद में बस रुकी, तो वहां से एक युवक बस में चढ़ा और मेरे पास वाली सीट पर बैठ गया.
उसका नाम मुकेश था, ये उसने मुझे चुदाई करते समय बताया था.
उसका गोरा रंग, टाइट बदन था.
उसे देखते ही मेरा लाँड़ हरकत करने लग गया था.
यहां मैं आपको बता दूं कि मुझे लौंडियों से ज्यादा लौंडे पसंद आते हैं और चिकने लौंडे देखते ही मेरा लाँड़ खड़ा होने लगता है.
तो बस आगे बढ़ने लगी और मैं आराम से अपनी सीट पर बैठा हुआ था.
थोड़ी देर बाद मुझे नींद आ गई.
कुछ देर बाद मेरी नींद खुली, तो मुझे पता चला कि मुकेश मेरी जांघ पर हाथ रख कर सहला रहा था.
जब उसे पता चला कि मैं जाग गया हूँ, तो उसने अपना हाथ हटा लिया.
पहले तो मुझे बड़ी खुशी हुई कि यह भी मेरी तरह की सोच वाला लड़का है.
इसको भी लाँड़ लेना पसंद है शायद.
मगर मैंने सोचा कि ज्यादा जल्दी करना ठीक नहीं होगा, पहले इसकी हरकतों को देख लेता हूँ, बाद में इसकी गांड में लाँड़ पेलने में कितना वक्त लगेगा.
मैंने उसकी हरकतों पर नजर रखना शुरू की.
मुझे लगा कि शायद गलती से उसका हाथ मेरी जांघ पर आ गया होगा, लेकिन नहीं … वह बार-बार अपना हाथ मेरी जांघ पर रख रहा था.
मैंने भी समझ लिया कि साला अपनी गांड की चटनी बनवाने पर ही तुला है तो मेरे लौड़े का क्या जाता.
मैं कुछ नहीं बोला.
उसने धीरे-धीरे अपना हाथ मेरे लाँड़ पर रख दिया.
मुझे अजीब सा लगा, तो मैंने उसकी तरफ देखा.
उसने अपना हाथ मेरे लाँड़ से हटा लिया.
लेकिन अगले ही कुछ पल बाद उसने फिर से अपना हाथ मेरे लाँड़ पर रख दिया.
इस बार भी मैंने उससे कुछ नहीं कहा, बस हल्के से मुस्कुरा दिया.
बस में बहुत भीड़ थी तो उसने अपना बैग मेरे लाँड़ पर रख दिया और उसको कवर कर लिया था.
अब वह मेरे लाँड़ को पैंट के ऊपर से ही सहला रहा था.
मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था तो मैं भी पसर गया और उसके हाथ से अपने लौड़े को सहलवाने के मज़े लेने लगा.
जब उसने देखा कि मैं राजी हूँ, तो उसने मेरी पैंट को खोल दिया और अपने हाथ को मेरी पैंट के अन्दर डाल दिया.
अब उसने मेरी चड्डी के ऊपर से मेरे लाँड़ को पकड़ा और उसे अपनी हथेली में भर कर मेरे लाँड़ की मुठ मारने लगा.
उसके नर्म हाथों से मेरे लौड़े में सख्ती आने में देर नहीं लगी और वह भी मेरी मजबूत लकड़ी को अपनी हथेली से सहलाते हुए रगड़ रहा था.
करीब दस मिनट के बाद मैं अपनी चड्डी में ही झड़ गया था.
उसने धीमी आवाज में मेरे कान में कहा- मैं तेरे लाँड़ को चूसना चाहता हूँ.
लेकिन बस में भीड़ होने के चलते मैंने मना कर दिया.
वह बोला- अपना फोन नंबर दे दो.
मैंने कहा- हां लिख ले.
उसने अपने फोन से मेरे नंबर को डायल कर दिया तो उसका नंबर भी मेरे पास आ गया.
इस तरह से हम दोनों ने अपने फोन नंबर आपस में बदल लिए थे.
अब हम दोनों आराम से बैठ गए.
थोड़ी देर बाद दिल्ली आ गया और मैं रेलवे जंक्शन के लिए निकल गया.
वह शायद मेरे पीछे लग गया था जिसका मैंने ध्यान नहीं किया था.
कुछ ही देर बाद मैं स्टेशन आ गया और मैंने अपना ट्रेन नंबर व बोगी नंबर देखा.
मैं प्लेटफ़ॉर्म पर खड़ा हो गया और उधर खड़े चिकने लौंडों को देखने लगा.
कुछ देर बाद मेरी ट्रेन आ गई, तो मैं अपनी सीट पर जाकर बैठ गया.
यह एक स्लो ट्रेन थी जो सुबह तक यमुनागर पहुँचने वाली थी.
उसी वक्त मुकेश ने मेरे नंबर पर कॉल करके पूछा- तू कहां जा रहा है?
मैंने बताया कि मैं परीक्षा देने यमुनानगर जा रहा हूँ.
उसने बताया कि वह भी यमुनानगर ही जा रहा था.
मुझे उससे बातचीत से पता चला कि वह मेरी ही ट्रेन में था.
मैंने उसका डिब्बा नंबर पूछा तो पता चला कि उसका डिब्बा मेरे डिब्बे के पीछे वाला था.
अब रात के 12 बजे थे, तो मैंने उसे फोन करके बाथरूम की तरफ आने को कहा.
कुछ ही मिनट बाद मैं उसका बाथरूम में इंतज़ार कर रहा था.
तभी किसी ने दरवाज़े को खटखटाया, तो मैं समझ गया कि मुकेश आ गया है.
मैंने उसे अन्दर खींच लिया.
अन्दर आते ही उसने मेरी पैंट को खोल दिया और मेरे लाँड़ को लेकर चूसने लगा.
मैंने भी उसके सारे कपड़े उतार दिए और उसकी गांड को खोल कर चाटने लगा.
उसे बहुत मज़ा आ रहा था.
मुकेश कहने लगा- अब सब्र नहीं होता. जल्दी से मेरी गांड की प्यास बुझा दो.
मैंने भी बिना देर किए उसकी गांड पर थूक लगाया और अपने लाँड़ पर भी लगा लिया.
फिर मैंने उसे झुकाया और उसकी गांड पर अपना लाँड़ सैट करके एक ही धक्के में अपना आधा लाँड़ उसकी गांड के अन्दर डाल दिया.
उसकी चीख निकल पड़ी.
मैंने जल्दी से उसका मुँह अपने हाथ से दबा दिया और धीरे-धीरे झटके देने लगा.
फिर मैंने पूरा लाँड़ उसकी गांड में उतार दिया.
अब उसे भी गांड की चुदाई ट्रेन में करवाने में मज़ा आने लगा, तो वह भी उछल-उछल कर गांड मरवाने लगा.
करीब 15 मिनट के बाद मैंने अपना पूरा माल उसकी गांड में ही छोड़ दिया.
उसके बाद उसने मेरे लौड़े को फिर से चूसना शुरू कर दिया और बोला कि इस बार मैं तुम्हारे वीर्य को पीना चाहता हूँ.
मैंने कहा- चल ठीक है.
दूसरी बार में उसकी गांड का बाजा बजाने में मुझे और भी ज्यादा मजा आया.
जब झड़ने को हुआ तो मैंने उसे बताया कि मेरा माल निकलने वाला है.
वह गांड से लाँड़ निकलवा कर पलट गया और उसने मेरे लाँड़ को पानी से धोकर मुँह में ले लिया.
मैंने भी उसकी चूचियों को मसलते हुए अपने लाँड़ का रस उसके मुँह में टपका दिया.
वह बड़े चटखारे लेकर मेरे वीर्य को खा गया.
उसके बाद उसने एक सिगरेट निकाली तो उसी से हम दोनों ने कश लगाए और उस दौरान वह मेरे लाँड़ को सहलाता रहा.
मैंने हंस कर पूछा- क्या मन नहीं भरा?
वह भी हंस दिया और बोला- ऐसा मूसल कभी कभी ही मिलता है.
उस रात मैंने सुबह तक उसे 4 बार चोदा था.
वह मेरे लाँड़ से बहुत खुश हो गया था, उसने गांड मरवा ली.
तो दोस्तो, यह मेरी सच्ची गे सेक्स कहानी है, गांड की चुदाई ट्रेन में आपको कैसी लगी प्लीज जरूर बताएं.
धन्यवाद.
[email protected]
What did you think of this story
Comments