चिकने अंकल के साथ मेरा पहला गे सेक्स
(Gay Uncle Sex Kahani)
गे अंकल सेक्स कहानी में मैं जयपुर घूमने गया तो पापा के दोस्त के पास रुका. वे अकेले रहते थे. उन्होंने शादी नहीं की थी. मैं भी चिकना लौंडा हूँ तो अंकल ने मेरे होंठों पर किस लिया.
मैं आपका अपना मित्र गौरव अरोड़ा एक बार पुनः आपके सामने हाजिर हूँ.
आपने मेरी पिछली सेक्स कहानी
दिल्ली की लॉज में गांड चुदाई
को भरपूर प्यार दिया और काफी सराहना की.
कुछ दोस्तों ने मुझे ई-मेल पर ढेर सारा प्यार भेजा, जिससे मुझे बहुत खुशी मिली.
अब मैं आपको जो गे अंकल सेक्स कहानी बताने जा रहा हूँ, वह तब की है जब मैंने 12वीं के पेपर दिए थे और रिजल्ट का इंतजार कर रहा था.
मैंने कुछ दिन जयपुर घूमने का प्लान बनाया.
मेरे पापा के एक दोस्त जयपुर में गवर्नमेंट ऑफिसर हैं.
पापा ने उनसे बात की और बोले कि मैं जयपुर आ रहा हूँ और उनके यहां रहूँगा. साथ ही यह भी कहा कि वे अपने ऑफिस से समय निकाल कर मुझे घुमा देंगे.
मेरे लिए तो जैसे लॉटरी निकल आई थी.
न खाने की चिंता, न नए शहर और अंजान लोगों का डर.
मैंने आपको पिछली कहानी में बताया था कि मैं एक चिकना लड़का हूँ.
जब मेरे 12वीं के पेपर हुए, तब मैं सिर्फ 18 साल का था लेकिन मेरा शरीर लड़कियों जैसा था.
पूरे शरीर पर कहीं बाल नहीं थे और चेहरा बिल्कुल मासूम था.
आप खुद अंदाजा लगाइए कि मैं कितना दिलकश रहा होऊंगा कि मुझ पर कई लड़के बड़ी आसानी से फिदा हो जाते थे.
पापा के उन दोस्त का नाम मुकुल कुमार था, उन्होंने निजी कारणों से शादी नहीं की थी.
आगे की कहानी में मैं उन्हें अंकल ही बुलाऊंगा.
तय दिन मैं पानीपत से जयपुर की ट्रेन में बैठा.
अंकल मुझे स्टेशन लेने आ गए.
मैं आपको पहले अंकल के बारे में बता दूँ. अंकल बिल्कुल वैसे नहीं थे, जैसे मैंने सोचा था.
उनकी 5 फीट 10 इंच की हाइट, हल्का कसरती बदन मगर स्लिम, बिल्कुल रणबीर कपूर जैसे!
क्लीन शेव, बालों में हल्की सफेदी और आजकल के लड़कों जैसा हेयर स्टाइल, वैसा साथ साल वाला लुक तो जरा सा भी नहीं.
पहले दिन मैंने आराम किया.
अगले दिन अंकल ने छुट्टी ली और मुझे हवा महल, राम बाग पैलेस और जल महल घुमाया.
घर लौटते वक्त हम उनके ऑफिस होते हुए आए.
हम दोनों लेट हो गए थे तो उनका रसोइया खाना बनाकर रख गया था.
हमने खाना खाया और सोने चले गए.
अंकल ने मुझे गेस्ट रूम दिखाया एक कंबल दिया क्योंकि जयपुर में रात को हल्की ठंड हो जाती है.
मैं अपने बेड पर लेट गया.
अंकल ने मुझ पर कंबल ओढ़ाया और मेरे होंठों को हल्के से चूम लिया.
उनकी यह हरकत मुझे कुछ अजीब सी लगी, पर बहुत अच्छा भी लगा.
रात के दो बज गए थे, लेकिन मेरी आंखों से नींद गायब थी.
पता नहीं क्यों, मैं अंकल के कमरे में चला गया.
अंकल जाग रहे थे और अंधेरे में अपना लंड हिला रहे थे.
उन्हें नहीं पता था कि मुझे उनका लंड दिख गया.
उनके कमरे का दरवाजा अन्दर से खुला था.
मैं अंजान बनते हुए अन्दर गया और बोला- मुझे नींद नहीं आ रही थी!
उन्होंने जल्दी से अपना लंड कंबल में छिपाया और बोले- ऐसे किसी के कमरे में नहीं आना चाहिए!
उन्हें नहीं पता था कि मुझे सब दिख गया.
मैंने अंजान बनते हुए कहा- पर आप तो सो रहे थे न … अचानक जाग क्यों गए?
वह झेंपते हुए बोले- कुछ नहीं … वह मुझे अंडरवियर में सोने की आदत है न … इसलिए कह रहा था. तुम मेरे पास ही सो जाओ … अगर नींद नहीं आ रही है तो!
मैंने सिर्फ बॉक्सर पहना था, अन्दर अंडरवियर नहीं, ऊपर टी-शर्ट थी.
मैं आराम से अंकल के कंबल में घुस गया.
अंकल ने सचमुच अंडरवियर के सिवा कुछ नहीं पहना था.
उनकी पूरी बॉडी चिकनी थी.
अंकल ने दूसरी तरफ मुँह कर रखा था.
मैंने पूछा- आपने मुझे किस क्यों किया?
वे बोले- तू मुझे अच्छा लगा, इसलिए कर लिया! इसमें कुछ गलत नहीं है!
फिर उन्होंने मेरा मुँह अपनी तरफ किया और मुझे उठाकर अपने ऊपर लिटा लिया.
उस अंधेरे में मुझे बस उनकी आंखें दिख रही थीं.
उन्होंने मेरे गालों को अपनी हथेलियों में लिया और मेरे निचले होंठ को प्यार से चूमने लगे.
मैं कुछ नहीं कर पा रहा था, बस स्तब्ध-सा उनके ऊपर लेटा था.
वे बड़े प्यार से मेरे होंठों को चूम रहे थे.
थोड़ी देर में वे मुझे स्मूच करने लगे.
फिर मैंने भी अपनी जीभ उनके मुँह में डाल दी.
ये मेरी जिंदगी का पहला किस था.
मैंने कभी नहीं सोचा था कि ये इतना हसीन होगा, वह भी एक गे किस.
फिर अंकल मेरे गालों और पूरे चेहरे को प्यार से चाटने लगे.
अंकल ने मेरा चेहरा ऊपर किया और मेरे गले पर चाटने लगे, धीरे से मेरा बॉक्सर नीचे कर दिया.
मुझे पता ही नहीं चला कि उन्होंने कब अपना अंडरवियर उतार दिया.
अब उनका 5 इंच का लंड मेरे 4 इंच के लंड के नीचे था.
उन्होंने अचानक मेरी टी-शर्ट उतारी और मेरी चिकनी अंडरआर्म्स को चाटने लगे.
मेरे मुँह से कामुक सिसकारियां निकलने लगीं.
मेरी ये कामुक सिसकारियां उनके लंड को सख्त और आधा इंच बढ़ाने के लिए काफी थीं.
फिर उन्होंने मुझे अपने सीने पर बैठाया और मेरे सोए हुए लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगे.
ये मुझे पूरी तरह आनन्द से भर रहा था.
ये सब 5 मिनट तक चला.
मैंने एक झटके में अपना छोटा-सा लंड उनके मुँह से निकाला.
वे समझ गए कि मुझे रस छूटने का डर था.
उन्होंने अब मुझे अपने नीचे लिटाया और मेरी अंडरआर्म्स को ऐसे चाटने लगे, जैसे उनसे कोई रस निकल रहा हो.
इसी के साथ वे मेरे दोनों निप्पल को भी मसल रहे थे.
उन्होंने कहा- दोनों हाथ पीछे करके पलंग पकड़ लो!
वे धीरे-धीरे अपने मुँह को मेरे निप्पल तक लाए और दांतों से उन्हें हल्के से काटने लगे.
वे मेरे दोनों निप्पलों को बारी बारी से तब तक काटते रहे, जब तक मेरे निप्पल और छाती लाल नहीं हो गई.
फिर अचानक से वे उठे और कमरे से बाहर चले गए.
जाते-जाते उन्होंने कमरे की लाइट ऑन कर दी.
मैं उनकी मटकती गांड को देखता रह गया और वे ना जाने कहां गायब हो गए.
जब वे वापस आए, तो उनके हाथ में मैंगो फ्लेवर की आइसक्रीम का एक ब्रिक था और एक बड़ा चम्मच.
उन्होंने ब्रिक को साइड की टेबल पर रखा और एक पूरा चम्मच आइसक्रीम निकाल कर उसे मेरी नाभि पर रख दिया.
अब वे उसे कुत्ते के जैसे चाटते हुए खाने लगे.
जैसे जैसे आइसक्रीम मेरी कमर पर पिघल कर बहती जा रही थी, उसे वे चाटते जा रहे थे.
इस दौरान उनकी एक उंगली मेरी गांड में अन्दर-बाहर हो रही थी और उनकी दो उंगलियां मेरे मुँह में अन्दर-बाहर हो रही थीं.
मैं उनकी उंगलियों को लंड की तरह किसी नौसिखिए की तरह चूस रहा था.
मेरा चरमसुख अपने सातवें आसमान पर था, पर वे शायद मुझे और ऊंची उड़ान देना चाहते थे.
उन्होंने मेरी नाभि पर रखी सारी आइसक्रीम अपने मुँह में भरी और मेरे होंठों की तरफ रुख किया.
उन्होंने वह आइसक्रीम मेरी जीभ पर रख दी और अपनी जीभ को मेरे चेहरे पर फिराने लगे.
मैं जीभ निकाल कर इंतज़ार करने लगा कि कब अंकल की जीभ मेरी जीभ से टकराए और मैं उसे अपने दांतों और होंठों से पकड़ लूँ.
पर ऐसा हो न सका.
फिर उन्होंने मेरे हाथ खोल दिए और मुझे अपनी गोद में बिठा लिया.
एक हाथ से वह मेरा लंड हिला रहे थे और मेरा हाथ उन्होंने अपने लंड पर रख दिया.
मैंने उनके लौड़े का टोपा निकाला और उस पर अपनी उंगलियों को फिराने लगा.
वे मुझे बेतहाशा चूमे जा रहे थे.
अब मुझे लग रहा था जैसे मैं उनके होंठ नहीं, बल्कि आम चूस रहा हूँ.
जैसे ही आइसक्रीम खत्म होती, वे अपनी उंगलियों से आइसक्रीम निकाल कर कभी मेरे और कभी अपने मुँह में डाल देते.
हम दोनों स्मूच करते हुए ये सब 5 मिनट तक चलता रहा.
फिर उन्होंने मुझे लिटाकर मेरा लंड और टट्टे भी चूसने शुरू कर दिए.
मेरे लंड के टोपे पर आइसक्रीम लगाकर वे उसे चाटते रहे.
ऐसा मैंने किसी ब्लू फिल्म में भी नहीं देखा था. मेरे लिए ये एक सुखद अनुभव था.
वह एक ऐसी रात थी, जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी!
अब कमरे की लाइट ऑन थी और हमारे बीच कोई पर्दा भी नहीं था.
मैंने अंकल को खड़ा होने को कहा और खुद पलंग पर बैठ गया.
मैंने अंकल का लंड हाथ में लिया, उनका टोपा निकाला, उस पर अपने हाथ से आइसक्रीम लगाई और उसे चूसना शुरू कर दिया.
मैं पहली बार किसी का लंड चूस रहा था, वह भी आइसक्रीम लगाकर!
ऐसा शायद किसी के साथ पहले कभी न हुआ होगा. मुझे अपनी किस्मत पर नाज़ था, पर अभी बहुत कुछ होना बाकी था.
मैंने अंकल को लेटने को कहा, तो अंकल लेट गए.
जैसा मैंने बताया, अंकल का बदन भी बिल्कुल चिकना था.
ना जाने कब मैं अंकल का लंड चूसते-चूसते उनके टट्टों को चाटने लगा.
अंकल ने अपनी टांगें ऊपर कर लीं और गांड को खोल लिया.
मेरी जीभ उनकी गांड के छेद से जा टकराई, अंकल ने सिसकारी ली.
मुझे तभी मालूम हुआ कि गांड का छेद होंठों से भी ज़्यादा कोमल और नाज़ुक होता है.
अंकल ने अपनी गांड अपने हाथों से खोल ली और मुझे चाटने को कहा.
मैंने भी उनकी गांड को अपने हाथों से खोलकर चाटना शुरू कर दिया.
उनकी गांड का छेद जैसा मैं ब्लू फिल्म में चूत देखता था, उससे भी ज़्यादा खूबसूरत था.
अंकल की गांड और लंड दोनों वर्जन थे और मैं ये मौका गँवाना नहीं चाहता था.
मैंने अपनी एक उंगली अपने मुँह में डालकर गीली की और अंकल की गांड में डाल दी.
अंकल एकदम से सिहर उठे, पर कुछ बोले नहीं.
इससे उत्साहित होकर मैंने बिना देर किए दूसरी उंगली भी डाल दी और तेज़-तेज़ अन्दर-बाहर करने लगा.
अंकल ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरी उंगलियां चूसने लगे, जैसे वे मेरा लंड चूस रहे थे.
अंकल ने मुझे अपने पास बुलाया, अपनी जीभ से मेरा मुँह चाटा और मेरे कान में धीरे से कहा- यहां हमारे अलावा कोई नहीं है, तुम जो चाहो कर लो!
मैं गे अंकल का इशारा समझ गया, गे अंकल सेक्स चाह रहे थे पर मैं अभी भी डर रहा था.
अंकल ने मुझे अपने चेहरे पर बिठाया और 10 मिनट तक पहले अपनी जीभ से मेरी गांड को अच्छे से चोदा.
फिर मेरे लंड पर दोबारा आइसक्रीम लगाई और चूसकर उसे अपनी गांड पर रख दिया.
मेरा छोटा सा लंड फुफकार मारने लगा.
मैंने टोपा निकाला और लंड उनकी गांड के सुपुर्द कर दिया.
मेरा सिर्फ़ चार इंच का हथियार, वह भी आइसक्रीम से लबरेज़, बड़ी आराम से उनकी गांड में घुस गया.
ये हम दोनों की पहली बार थी.
मेरी झिल्ली दो झटकों में टूट गई और मेरा पूरा रस अंकल के अन्दर ही छूट गया.
उनके चेहरे पर संतुष्टि दर्द से कहीं ज़्यादा थी.
मेरा पहली बार था, तो मैं उन्हें ऐसे नहीं जाने देना चाहता था.
मुझे उनका रस चखना था.
मैंने उन्हें एक स्मूच किया और उनके लंड को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा.
चंद पलों में ही उनका रस मेरे गले से नीचे उतर गया.
हम दोनों ऐसे ही एक साथ सो गए.
अगले दिन हम एक साथ शॉवर के नीचे एक-दूसरे को चूमते हुए नहाए.
फिर हम रोज़ रात को 5 दिन तक कभी चॉकलेट, कभी अलग-अलग फ्लेवर की आइसक्रीम अपनी बॉडी पर लगाकर ये खेल खेलते रहे.
इस बात को अब 15 साल से भी ज़्यादा हो गए हैं, पर उन सब रातों को फिर से जीने के लिए मैं साल में एक बार जयपुर ज़रूर जाता हूँ.
मैं जल्द ही किसी हसीन किस्से के साथ आपके सामने फिर हाज़िर हो जाऊंगा.
गे अंकल सेक्स कहानी पर अपने विचार मुझ तक पहुंचाएं.
आपके प्यार का भूखा गौरव
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