वरुण की जवानी

रंगबाज़ 2012-03-30 Comments

इस कहानी के पात्र व घटनाएँ काल्पनिक हैं।

मैं बहुत दिनों से उससे मिलना चाहता था, उससे मिलकर उसके रसीले होंठ चूसना चाहता था, उसकी चिकनी मुलायम गांड चाटना चाहता था, उसे घोड़ा बना कर चोदना चाहता था, उससे लिपट कर सोना चाहता था लेकिन वो था बहुत नखरीला, बिल्कुल लड़की की तरह। वैसे बौटम लड़के कभी कभी लड़कियों की तरह बर्ताव करते ही हैं।

मैं बात कर रहा हूँ वरुण की ! मैं उससे एक वेबसाइट पर मिला था जो गे डेटिंग के लिए थी। वरुण मुझे बहुत पसंद आया- सुन्दर, चिकना, मज़बूत, चौड़ा शरीर, गोरा रंग, तीखे नैन नक्श, लम्बा कद। उसे देख कर कोइ यह नहीं कह सकता था कि वो बौटम होगा। सभी उसे टॉप समझते थे, लेकिन था वो शत-प्रतिशत बौटम। वैसे मुझे ऐसे ही लड़के पसंद आते हैं- जो दिखने में मर्दाने हों। मुझे लड़कियों जैसे मेकअप करने वाले लड़के बिल्कुल नहीं पसंद।

वरुण को भी मेरा 9 इंच का मोटा लौड़ा बहुत पसंद आया था, वो इसे अपनी गांड में लेना चाहता था, वो भी बिना कंडोम के क्यूंकि वो मुझसे ‘प्रेगनेन्ट’ होना चाहता था, मेरे वीर्य को अपनी गांड में लेना चाहता था, शायद उसके अन्दर एक लड़की थी। पहली बार जब मैं उससे मिलने गया तो मुझे लगा कि शायद उसका बर्ताव लड़कियों के जैसा हो लेकिन जब मैं वरुण से मिला तो देखा कि उसका व्यवहार बिल्कुल लड़के जैसे था।

लेकिन पहली मुलाक़ात बहुत निराशाजनक रही, न वरुण ने मेरा लौड़ा चूसा, न अपने होंठ चूसने दिए। मैंने जब उसे चोदना चाहा तब वो दर्द से तड़पने लगा- मेरा लंड बहुत बड़ा था और उसकी गांड कुंवारी और टाईट, मैंने ज़बरदस्ती अपना लंड घुसेड़ना चाहा, तब उसने अपने आप को हटा लिया लेकिन मैंने उसकी गांड चाटी और मुझे बहुत मज़ा आया- वरुण की गांड बहुत चिकनी थी, उसे भी बहुत मज़ा आया- इतना कि वो ब्लू फिल्म की लड़की तरह कराहने लगा, आनंदातिरेक में उसकी रसीली आँखों में आँसू आ गए। शायद उसके शरीर का सबसे संवेदनशील और नाज़ुक भाग उसकी मुलायम गोरी गाण्ड ही थी।

मैंने थोड़ी देर तक उसकी गांड चाटी। हालांकि वो चाहता था कि मैं और चाटूँ, लेकिन जब वो मुझे नखरे दिखा रहा था तो मैंने भी मना कर दिया। मैंने उसी के सामने सड़का मारा और वापस आ गया। उस दिन से मेरा मन वरुण के लिए बहुत खट्टा हो गया था, इतना नखरा तो शायद लड़कियाँ भी नहीं करती।

कुछ महीने यूँ ही बीत गए और मैं लगभग उसे भूल चुका था। फिर एक रोज़ मैं खाली वक़्त में याहू मेस्सेंजर के गेरूम में कोई बौटम लड़का ढूंढ रहा था कि मेरे पास किसी का मैसेज़ आया। पता चला कि वो वरुण है। उसके पास मेरी याहू की आई डी थी, वो अभी भी मुझसे मिलना चाहता था। अब नखरा दिखाने की मेरी बारी थी, मैंने साफ़ साफ़ बोल दिया- अगर मुझसे मिलना है तो मुझे खुश करना पड़ेगा।

वो राज़ी हो गया, बिना किसी नखरे या ड्रामे के ! हम दोनों ने सेल फोन के नंबर दिए-लिए।

कुछ हफ्ते यूँ ही बीत गए। बीच बीच में हमारी फोन पर बात होती रही, मेरे मन में उससे मिलना की इच्छा जागने लगी थी।

एक दिन शनिवार को मेरी उससे बात हुई। उसका रूम मेट शहर से बाहर गया हुआ था और वो कुछ दिन अपने रूम पर अकेला था। मैंने मौके का फायदा उठाया और बाईक उठा कर उसके कमरे पर पहुँच गया।

उसने मुस्कुराते हुए दरवाज़ा खोला, वो सिर्फ टी शर्ट और बाक्सर शार्ट्स में था।

“कैसे हो जानू?” मैंने उसे गले लगाते हुए कहा।

“मस्त ! तुम सुनाओ?”

“अरे तुमसे मिलने के लिए बेताब था, आज हम कितने दिनों के बाद मिल रहे हैं।”

हम दोनों अब उसके पलंग पर बैठे थे। मैंने ज़रा भी वक़्त बर्बाद करना ठीक नहीं समझा। मैंने उसे अपनी बाँहों में ले लिया।

“वरुण.. तुम बहुत सुन्दर हो.. बहुत मिस किया तुम्हें..” मैंने उसे चूमना शुरू कर दिया।

चूमते-चूमते हम दोनों बिस्तर पर लेट गए। मैं उसके ऊपर लेट गया और उसके होंठ चूसने लगा। वो चुपचाप अपने होंठ चुसवा रहा था- पिछली बार जब मैंने उसके होंठ चूसने चाहे तो उसने अपना चेहरा पीछे कर लिया था।

मैंने अब उसकी गर्दन चूमनी शुरू की, चूमते चूमते उसकी टीशर्ट उतार फेंकी और उसकी चिकनी छाती को जीभ से चाटने लगा। वो शिथिल पड़ा मेरे बाल सहला रहा था।

मैंने अब अपने कपड़े उतारने शुरू किये, सिर्फ जांघिया रहने दिया।

मैंने उसे फिर से चूमना शुरू कर दिया। अब मैंने उसकी बाक्सर भी खींचनी शुरू की। वरुण ने अपनी टांगे उठा दीं जिससे उतारने में आसानी हो। मैंने उसकी बौक्सर शार्ट्स उतार फेंकी, लेकिन उसकी टांगों को उठा ही रहने दिया और उसकी चिकनी मुलायम गाण्ड का रुख किया। वरुण की गांड किसी भी स्वस्थ जवान लड़के की तरह विशाल थी, लेकिन उस पर एक बाल भी नहीं था। मुझे ऐसी ही गांड पसंद है।

“हा..आअ.। अह्ह्ह…!!!”

मैंने उसकी गांड के छेद के आसपास के हिस्से को अपनी जीभ से हल्के हल्के सहलाना शुरू किया तो उसकी सिसकारी निकल गई।

वो उसी तरह अपनी टांगें उठाये था और मैंने अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ फैला दिए।

तभी मेरे दिमाग में पोज़ बदलने का विचार आया, मैंने उसे घोड़ा बना दिया, मैंने यह पोज़ एक ब्लू फिल्म में देखा था- उसमें लड़का लड़की को घोड़ी बना कर पीछे से उसकी चूत चाटता है। लेकिन यह पोज़ मैं अपने वरुण पर आज़मा रहा था।

मैंने फिर से दोनों हाथों से उसके चूतड़ फैला कर अपनी जीभ लपलपाकर उसकी गाण्ड चाटनी शुरू की.. मुझे मज़ा आने लगा। मैं इसी स्वाद के लिए तड़प रहा था। मेरी जीभ उसकी गाण्ड के मुहाने के निचले कोने पर हरकत करती, फिर लपलपाती हुई ऊपर तक चली जाती।

वरुण किसी बकरे की तरह कराह रहा था जिसे हलाल किया जा रहा हो। फर्क सिर्फ इतना था कि उसका कराहना मस्ती भरा था-अहह.. अहह.. आआह्ह्ह…! अहह.. आआह्ह.. उह्ह… !

अब मैं पूरी मस्ती से उसकी गाण्ड को चाट रहा था। मेरे थूक से उसकी गोरी चिकनी गांड का छेद भीग गया था। मेरी जीभ लिप-लिप की आवाज़ करती हुई उसकी गांड के मुलायम होटों को सहला रही थी।

मैं बीच बीच में उसकी गोलियों और गांड के बीच के भाग को भी चाट लेता था। ऐसे में वरुण के मुँह से एक नई सिसकारी निकल जाती, “उफ़…हह..!”

वरुण एक ब्लू फिल्म की लड़की की तरह बर्ताव कर रहा था- बिल्कुल ऐसे छटपटा रहा था जैसे ब्लू फिल्म में लड़कियाँ चूत चटवाते हुए छटपटाती हैं। उसका तड़पना-छटपटाना मेरे मज़े को दोगुना कर रहा था। मैं करीब 15 मिनट तक उसकी गांड थामे उसे चाटता रहा। फिर मेरा मन लंड चुसवाने का करने लगा।

मैंने वरुण को पीठ के बल लिटा दिया। मैंने वरुण को देखा- ऐसा लग रहा था जैसे नशा कर के आया हो- उसकी आँखें बिल्कुल लाल हो चुकी थी, और उनमें पानी आ गया था। चेहरे से हवस टपक रही थी।

मैंने अपने सारे कपड़े पहले ही उतार दिए थे, सिवाय चड्डी के। फिर मैं उसकी छाती के ऊपर घुटनों के बल खड़ा हो गया और अपना कच्छा सरका दिया। मेरा साढ़े आठ इंच का गदराया लौड़ा उसके चेहरे पर तन गया। वो आँखें फाड़ कर मेरे लंड को देख रहा था।

“ऐसे क्या देख रहे हो..? तुम पहले भी तो देख चुके हो इसे।”

“हाँ, लेकिन यह इतना बड़ा कैसे हो गया?” वरुण ने मेरे लौड़े को घूरते हुए पूछा।

“बस हो गया जान, तुम्हारे लिए ! अब इसे अपने मुँह में लेकर प्यार से चूसो। मुझे मज़ा आना चाहिए।”

वरुण उचका और पलंग के सिरहाने का सहारा लेकर बैठ गया और मेरे लौड़े के सुपारे को अपने मुँह में ले लिया।

उसके मुँह की मुलायम गर्मी पाकर मेरा लंड और सख्त हो गया, मेरे मुँह से हल्की सी आह निकल गई, ” अहह..हह..!”

वरुण मेरा लंड चूसने लगा। मैं उसी तरह घुटनों के बल खड़ा उसे अपना लंड चूसते हुए देख रहा था। हालांकि वो मेरा लंड ढंग से नहीं चूस रहा था- या तो इतने बड़े लंड की उसे आदत नहीं थी या फिर उसे चूसना नहीं आता था। लंड चूसना भी एक कला होती है। लेकिन फिर भी मैंने अपना लंड उसके मुंह में दिया हुआ था। इतने सुन्दर चिकने लड़के को अपना लंड चूसते हुए मैं देखना चाहता था।

उसकी जीभ धीरे धीरे मेरे लंड के सुपाड़े को सहला रही थी। मैं बीच बीच में कभी उसके बाल या कंधे सहला देता था।

फिर मेरे मन में न जाने क्या आया, मैंने अपना लंड हटा लिया और उसे गले लगा कर स्मूच करने लगा। मैंने उसके होटों को ढंग से देर तक चूसा जैसे कोई मीठा फल चूस रहा हूँ।

अब मेरा मन कर रहा था उसकी चिकनी गोरी गोरी गांड की सवारी करने का। मैंने अपने लंड पर कंडोम चढ़ाया और अपनी जींस की जेब से लिग्नोकेन जेल की ट्यूब निकली। कुछ जेल अपने लौड़े पर मली और फिर ट्यूब वरुण को पकड़ा दी।

“ये क्या है?”

“अबे.. भूल गए? ये लिग्नोकेन जेल है। इसको अपनी गांड के अन्दर लगा लो। फिर सब सुन्न और ढीला हो जायेगा, मेरा लौड़ा आराम से ले लोगे !” मैंने समझाया।

हालांकि पिछली बार ऐसा नहीं था। हम दोनों ने तब भी जेल लगाया था, लेकिन वरुण को बहुत दर्द हुआ था।

मैंने उसे फिर से पीठ के बल लेटा दिया, उसके सामने घुटनों के बल खड़ा हो गया और उसके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख लिया। यह मेरा चोदने का मन पसंद पोज़ था। वैसे मुझे घोड़ा बना कर चोदने में भी मज़ा आता था, लेकिन इस पोज़ में फ़ायदा ये था कि आप अपने साथी को चुदता हुआ देख सकते हैं, उसे तड़पता और चिल्लाता हुआ देख सकते हैं, उसके होटों को चूस सकते हैं।

इस बार मैंने फैसला कर लिया था कि वरुण की गांड में आज अपना लंड घुसेड़ के रहूँगा।

वरुण मेरी ओर ऐसे देख रहा था जैसे कोइ मरीज़ डॉक्टर को देखता है, जब उसे इंजेक्शन लगाया जाने वाला होता है। मैंने एक हाथ से अपना टाईट खड़ा फुफकारता हुआ लौड़ा पकड़ा और दूसरे हाथ से उसकी गाण्ड फैलाई, फिर अपने लंड के सुपाड़े को उसकी गांड के मुहाने पर रख कर एक धक्का मारा…

“उह्ह्ह…!!” वरुण की आह निकल गई। मेरे लंड का सुपाड़ा अन्दर घुस चुका था। मुझे मालूम था कि वो छटपटायेगा और अपने आपको पहले की तरह छुड़ाने की कोशिश करेगा इसीलिए मैंने वक़्त बर्बाद नहीं किया और अपना लंड पूरा का पूरा उसकी गाण्ड में पेल दिया.

“अहह.. आआह्ह.. हहा.. आहह…!!” वरुण दर्द के मारे उछल पड़ा।

मैंने उसकी टांगें छोड़ कर उसको कन्धों से कस कर पकड़ लिया। लेकिन इस बार मेरा लंड उसकी गाण्ड में घुस गया था। पिछली बार शायद उसकी गाण्ड कुंवारी रही होगी। इसीलिए तब मैं जेल लगाने पर भी आसानी से घुसेड़ नहीं पाया था। लगता है इस बीच उसने किसी से अपनी ज़रूर मरवाई होगी।

उसके चेहरे पर बेचारगी और दर्द झलक रहा था। वो ऐसे तड़प रहा था जैसे कोइ रोड एक्सिडेंट की चपेट में आकर तड़पता है, सिर्फ मुँह से आवाजें निकल रही थीं, अपना सर झटक रहा था और बिस्तर पर उछल रहा था, मुंह से कुछ बोल नहीं पा रहा था।

“ऊह्हू… आह्ह हा हा…!”

“आह्ह.. आःह्ह.. हहा..!”

मैं एक पल यूँ ही उसका छटपटाना-तड़पना देखता रहा। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। फिर मैं उसकी टांगें फैला कर नीचे झुका और उसके सर को पकड़ कर उसके होंट चूसने लगा। उसने मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए, और अपने होंट चुसवाते-चुसवाते हुए सिस्कारियाँ लेने लगा। मेरे मुँह से उसका मुँह बंद हो गया था।

“हम्म्म्म.. मम्म…!!” मैं दो मिनट उसके रसीले मुलायम होंठ ऐसे चूसता रहा जैसे कोई रसीला फल मिल गया हो खाने को।

फिर मैंने वरुण की रेशमी गाण्ड की चुदाई करनी शुरू की।

मैं फिर अपने घुटनों पर सीधा खड़ा हो गया और उसकी टांगों को अपने कन्धों पर रख लिया। मैंने धीरे धीरे अपना लौड़ा हिलाना शुरू किया, अगर तेज़ी से हिलाता तो बेचारा और तड़पता, शायद दर्द के मारे ज़ोर से चीखता भी।

उसका तड़पना और मेरा चोदना उसी तरह जारी रहा। मेरे लौड़े को बहुत मज़ा आ रहा था उसकी मुलायम-मुलायम गांड में घुस कर। कुछ देर तक मैं वरुण को उसी तरह धीरे धीरे चोदता रहा, फिर मैंने स्पीड बढ़ा दी, मुझे और मज़ा लेना था।

“आए…ए.. आह्ह्ह…!!!”

“नहीं.. आह्ह… धीरे… अह्हाआ !!” इतने समय बाद उसके मुँह से ये दो शब्द निकल पाए थे।

मैंने उसका रिरियाना नज़रंदाज़ कर दिया, “चोद लेने दो वरुण.. पिछली बार तुमने नहीं करने दिया था। इस बार तो जी भर कर के चोदूंगा..” मैंने उसे जवाब दिया और उसी तरह अपना लंड हिला हिला कर चोदता रहा।

मैं उसे अब नहीं छोड़ने वाला था।

वरुण ने अब हटने की कोशिश की। कोइ भी बौटम जो पहली बार इतने बड़े लंड से चुदेगा, उसे दर्द तो होगा ही। उसने अपनी टांगें हटा कर करवट बदलने की कोशिश की, जिससे कि उसकी गाण्ड अलग हो जाये। लेकिन मैं इसके लिए तैयार था। मैंने फिर से उसकी टांगें फैलाईं और उसके ऊपर झुक गया और उसके कन्धों को पकड़ लिया। अब वो हिल भी नहीं सकता था।

“वरुण मेरी जान.. आज चुदवा लो प्लीज़…” कहते हुए मैंने उसके गाल खाने शुरू किये। इधर मैंने फुल स्पीड में अपनी कमर हिलाना जारी रखा। मेरा हरामी मुस्टंडा लंड ज़ोर-ज़ोर से वरुण की गाण्ड को चोद रहा था। वरुण के गाल चूसते चूसते अब मैं उसके होंठों पर आ गया था।

वो उसी तरह सिस्कारियाँ लेते, अपने होंठ चुसवाते, मेरी कमर थामे चुदवा रहा था। उसके नरम-नरम होंठ चूसकर मेरी कामोत्तेजना और बढ़ गई। वैसे मैं झड़ता भी जल्दी था। लेकिन इस बार कुछ जल्दी चरम सीमा पर पर पहुँच गया, शायद वरुण की किस्मत अच्छी थी।

मैंने वरुण को कन्धों से भींच कर अपनी बाँहों में समेट लिया और उसके होंठों का रस पीते, तेज़ी से उसकी गांड में लंड हिलाते हुए झड़ गया। मेरा फुदकते हुए उसकी गांड में झड़ा, जिससे उसे और भी दर्द हुआ। लेकिन यह उसका आखिरी तड़पना था।

जब मैं कायदे से झड़ गया, मैंने अपना लंड बाहर निकाला। बेचारे वरुण ने चैन की सांस ली। मैं उसी अवस्था में वरुण के ऊपर लेट गया।

“मज़ा आ गया जानू.. आज मेरी तमन्ना पूरी हो गई।” मैंने उसके कान में लेटे लेटे हल्के से कहा।

“हाँ, तुम्हे तो मज़ा आएगा ही ! मैं तो मरने ही वाला था। अब तुमसे कभी नहीं मिलूँगा।” उसने मुझे ताना मारते हुए कहा।

वैसे वरुण और मैं अभी भी मिलते हैं, मेरे लंड को शुरुआत में अन्दर लेने के बाद उसे बहुत दर्द होता था, लेकिन अब उसकी गांड लचीली हो गई है और वो मज़े ले लेकर मेरे लंड से अपने गांड मरवाता है।

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