दो लंड से गांड का कुंआ बनवा लिया
(Nangi Gand me Lund)
नंगी गांड में लंड घुसे मेरी एक के एक … दो टॉप्स ने मेरी गांड मार मार के मेरी गांड का छेद बहुत बड़ा कर दिया. जो भी हो, मुझे मजा तो आया.
नमस्कार दोस्तो, मैं अजीत आपसे काफी समय बाद पुनः मुखातिब हूँ.
आपने मेरी पिछली सेक्स कहानी
दो अजनबी लंड से गांड चुदाई का मजा
पढ़ी.
इसे एक बार पुनः पढ़ लीजिएगा तो सारा मसला याद आ जाएगा.
मुझे आप लोगों के काफी सारे फीडबैक मिले.
इससे मुझे पता चला कि आपको मेरी लिखी कहानियां पसंद आ रही हैं.
परंतु उक्त सेक्स कहानी के बाद मैं काफी समय तक अपने काम में व्यस्त रहा और मेरी ईमेल आईडी भी कुछ दिक्कत कर रही थी, जिस कारण से इस कहानी का अगला भाग नहीं लिख पाया.
व्यस्तता और ईमेल आईडी की दिक्कत का आलम यह रहा कि मैंने लगभग पांच महीने बाद आपके ईमेल्स पढ़े, इसके लिए मैं माफी माँगता हूँ.
तो चलिए मैं आपको इस कहानी में उस रात आगे क्या-क्या हुआ, ये बता देता हूँ.
उस रात की चुदाई के बाद हम तीनों थक कर चूर हो चुके थे.
शराब और पेशाब के न/शे में मैं अधमरा-सा उसी गद्दे पर लुढ़क गया था.
करीब आधा घंटा तक मैं सोया रहा.
फिर कुछ देर बाद मुझे अपनी नंगी गांड के छेद पर कुछ हलचल महसूस हुई.
मैंने आंखें खोलकर देखा तो रमेश मेरे छेद को अपनी जीभ से चाट रहा था और बीच-बीच में उंगली भी डाल रहा था.
उसकी जीभ मेरी खुली हुई नंगी गांड में चल रही थी तो मुझे बेहद लज्जत महसूस हो रही थी.
उसकी मुलायम गर्म जीभ मेरी फटी हुई गांड को गर्म सिकाई जैसा आराम दे रही थी.
मैं मस्ती से अपनी गांड चटवाता रहा.
दरअसल अखिलेश ने मेरी जबरदस्त चुदाई की थी, उसके बाद मेरी गांड का छेद काफी बड़ा हो चुका था.
इसलिए अब मुझे अपनी गांड में किसी भी तरह से दर्द महसूस नहीं हो रहा था, बल्कि गुदगुदी सी लग रही थी.
उस वक्त मैंने अपनी जुबान को अपने होंठों पर फेरा तो अहसास हुआ कि मुझे तेज प्यास भी लगी थी.
तभी रमेश ने मेरी गांड को चाटना बंद कर दिया और वह अपना लंड मेरे मुँह के सामने लेकर आ गया.
वह मुझसे लंड चूसने का इशारा करने लगा.
मैंने रमेश से कहा- मुझे बहुत प्यास लग रही है, गला सूख रहा है. कहीं से पानी लेकर आओ!
यह कह कर मैंने पानी की बोतल की तरफ देखा, लेकिन वह खाली थी.
रमेश ने मेरी बात समझी और वह बाहर चला गया.
उसने बाहर जाकर देखा तो सब सुनसान था.
इतनी रात में कोई दुकान कहां खुली रहने वाली थी.
उसने वापस आकर कहा- अभी पानी मिलना मुश्किल है.
ऐसा कहते हुए वह अपने लंड को सहलाता रहा.
उसका मूसल-सा लंड अब कड़क हो चुका था.
मुझे भी अब कुछ-कुछ होने लगा था, पर प्यास के मारे गला सूखा जा रहा था.
मैंने उससे पूछा- क्या तुम्हें पेशाब आ रही है?
उसने मेरी बात का इशारा समझते हुए कहा- नहीं, अभी तो मुझे कुछ महसूस नहीं हो रहा, लेकिन मैं मूतने की कोशिश कर सकता हूँ.
यह कह कर उसने मेरे मुँह में अपना लंड डाला और थोड़ा जोर लगाया.
उसके लौड़े में से मूत की कुछ बूंदें निकलीं.
उसके मूत का स्वाद काफी खारा था पर मेरा गला थोड़ा गीला हो गया था तो मैं बस उसी से गला तर करने की कोशिश करने लगा.
इसके बाद मैंने उसके लंड को चूसना शुरू किया.
उससे गाढ़ी लार बननी शुरू हुई, जिससे अब थोड़ा अच्छा लग रहा था.
उसी वक्त मैंने पीछे मुड़कर देखा तो अखिलेश घोड़े बेचकर सो रहा था.
अभी मैं समझ पाता कि रमेश को न जाने क्या हुआ, वह बड़े ही जोश में आ गया.
वह जोर-जोर से मेरा सिर पकड़कर अपना लंड अन्दर-बाहर करने लगा.
मैं भी लंड चूसता रहा कि शायद झड़ जाए तो कुछ वीर्य से ही गला तर हो जाएगा.
पर इस बार वह जल्दी झड़ने को भी तैयार नहीं था.
करीब बीस मिनट के मुखचोदन के बाद उसने मुझे पलटा और मेरे पीछे आकर मेरी कमर को उठा लिया.
पहले उसने मेरी गांड को खूब चाट-चाट कर गीला कर दिया और अपनी दो उंगलियों को मेरी गांड में डालने लगा.
वह कभी एक उंगली से नंगी गांड को कुरेदता तो कभी दो से … और ऐसे करते-करते कब उसने पूरा हाथ डाल दिया, मुझे पता ही नहीं चला.
अब मुझे काफी दर्द होने लगा था, ऐसा लग रहा था जैसे मेरी गांड फट गई हो.
मैंने उससे रुकने को कहा.
पर वह माना नहीं.
उल्टा उसने मुझे गालियां देना शुरू कर दीं.
वह बोला- आज तू मेरी रंडी है, समझा मादरचोद … चुपचाप ऐसे ही पड़ा रह और जो मैं करता जाऊंगा, उसके मजे ले!
उसने ढेर सारा थूक मेरी गांड में लगाया, कुछ मेरे मुँह पर भी थूका और फिर अपने लंड को मेरी गांड में घुसा दिया.
वह जोर-जोर से पेलने लगा, शायद उसके सिर पर दारू का न/शा सवार था.
वह रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था.
करीब आधा घंटा तक उसने मेरी गांड मारी और उसके बाद कुछ बूंदें मेरी गांड में छोड़ दीं.
अब वह पुनः मेरी नंगी गांड चाटने लगा.
उस वक्त वह ऐसी पोजीशन में था, जहां उसने मुझे थोड़ा उठा रखा था.
उसका एक पैर मेरे सिर पर और दूसरा मेरी टांगों के बीच रखकर वह मुझे क्रॉस करके चोद रहा था.
मैं भी ऐसी पोजीशन में था कि जरा-सी ऊंच-नीच हुई तो मेरी कमर लचक सकती थी.
लगातार इसी स्थिति में पड़े रहने से मेरे शरीर में अकड़न होने लगी थी.
करीब दस मिनट बाद वह थक गया और उसने मुझे नीचे लिटा दिया.
वह मेरे ऊपर आ गया और उसने फिर मेरी गांड में लंड डाल कर धीरे-धीरे पेलना चालू कर दिया.
कुछ देर बाद उसका गाढ़ा, गर्म माल मेरी गांड में निकल गया और वह निढाल हो गया.
अब तक मेरी हालत बहुत खराब हो चुकी थी.
मेरी गांड और पेट में काफी दर्द हो रहा था.
सुबह के 4:30 बज चुके थे.
मुझसे ठीक से चलने की भी हिम्मत भी नहीं हो रही थी.
साला ये रमेश, छोटा पैकेट बड़ा धमाका निकला.
इससे पहले कि दूसरा जाग जाए और मेरी गांड का कुंआ बना दे, मैंने जैसे-तैसे खुद को संभाला और कपड़े पहनकर निकलने ही वाला था कि भोसड़ी वाला अखिलेश जाग गया.
हालांकि अखिलेश अभी भी नींद और दारू के न/शे में था.
होता भी क्यों न, साले ने पूरा खंभा नीट पिया था.
तभी उसने मुझे देखा कि मैं कपड़े पहन रहा हूँ. उसने तुरंत मेरी गर्दन पकड़ ली और मेरे मुँह को अपने लंड के सामने ले आया.
उसका लंड मुरझाया हुआ था.
उसने जबरदस्ती मेरे मुँह में लंड घुसा दिया और एक तेज पेशाब की धार मेरे मुँह में छोड़ दी.
उसके मूत का स्वाद न ज्यादा खारा था, न ज्यादा बुरा … फिर मुझे भी प्यास लगी थी और स्वाद ठीक-ठाक लग रहा था, तो मैंने पीना शुरू कर दिया.
काफी मात्रा में मूत पीने के बाद अब जाकर मेरी प्यास बुझी और अच्छा लगने लगा.
मूतने के बाद उसने मेरे मुँह को वहां से हटा दिया और वैसे ही नीचे सो गया.
मैंने तुरंत कपड़े पहने और वहां से निकल गया.
मेरे शरीर और मुँह से उन दोनों के पेशाब और वीर्य की महक आ रही थी.
कपड़े भी गीले थे.
करीब 5:30 बजे मैं घर पहुंचा, नहाया और सो गया.
अच्छा हुआ कि घर पर अकेला था, वरना आज घर वालों को भी पता चल जाता कि उनका चिराग कहां से रोशन होकर आया है.
पर कुछ भी हो … मेरी मजबूत वाली गांड मस्त चुदी और खूब मजा भी आया.
मेरी एक साथ दो लंड से चुदने की फंतासी भी पूरी हो गई थी.
इस घटना के बाद मुझे एक और चीज की लत लग गई.
उसके बारे में मैं आपसे अगली गे सेक्स कहानी में बात करूंगा.
तब तक आपको कहानी का दूसरा भाग कैसा लगा, ये आप मुझे मेल पर बता दीजिएगा.
मेरी नंगी गांड की सेक्स कहानी पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
[email protected]
What did you think of this story
Comments