खान अंकल ने मेरी गांड मार दी
(New Gand Kahani)
न्यू गांड कहानी में एक पुताई वाला हमारे घर आया. एक दिन मैं उसके घर गया तो उसे अब्बू मिले. उन्होंने मुझे प्यार किया और दोस्त बना लिया. एक दिन उन्होंने मेरी गांड मारी.
फ्रेंड्स, मेरा नाम अहान है. मैं 24 साल का हूँ. मैं दिखने में एक प्यारा गोरा पतला सा लड़का हूँ. मुझे सभी लोग पसंद करते हैं.
मेरी आवाज़ लड़कियों जैसी बहुत मीठी है.
ये तो है मेरे बारे में!
तो अब आते हैं मेरी न्यू गांड कहानी की तरफ …
ये बात तब की है, जब मैं 19 साल का था.
वह दीवाली का समय था.
मेरे घर में सफेदी होनी थी तो कुछ दूरी पर रहने वाले इमरान भाई को घर बुलाया गया.
उन्होंने सफेदी की, लेकिन वे अपना पेंट, ब्रश और सामान ले जाना भूल गए.
उनका वह सारा सामान मेरे घर ही रखा रहा.
दीवाली के बाद जब एक महीने तक इमरान भाई घर नहीं आए तो मेरे पापा ने कहा- बेटा कॉलेज जाते समय उनके घर बोलते हुए जाना कि वे अपना सामान ले जाएं.
मैंने कहा- जी ठीक है पापा.
मैं इमरान भाई के घर गया, तो वहां मुझे उनके पापा मिले.
उधर मुझे पता चला कि इमरान भाई की शादी हो गयी है, इसलिए व अपने गांव गए हुए हैं.
उधर और भी काफी कुछ बातचीत हुई तो मुझे पता चला कि इमरान भाई अपने पापा के साथ अकेले रहते थे.
उनकी मां की मृत्यु काफी पहले हो गयी थी.
अंकल ने मुझसे चाय के लिए पूछा- चाय पीते हो बेटा?
तो मैंने कहा- हां पीता हूँ अंकल जी!
उन्होंने चाय बनाई और हम दोनों चाय पीते हुए बात करने लगे.
मैंने उनसे पूछा कि अंकल उस सामान का क्या करना है?
अंकल ने कहा- अगली बार ले लेंगे. क्योंकि इमरान का नहीं पता कब आएगा!
मैंने भी बोल दिया- हां ठीक है अंकल.
कुछ देर बाद मैं कॉलेज चला गया.
इधर मैं आपको अंकल के बारे में बताऊं तो वे 51 साल के मर्द हैं, जिनके मूंछ और दाढ़ी के बाल हल्के सफेद-काले हो गए हैं.
उनकी शारीरिक बनावट मुझे गायक बादशाह की याद दिलाती है. वे कुर्ता और लुंगी पहनते हैं.
अंकल का घर सिर्फ नीचे ही फैला है. जैसे अन्दर जाते ही बगल में पेशाब घर है, जिसमें पर्दा लगा है.
आगे खाली आंगन है, साथ में दो कमरे हैं और आंगन पूरा तिरपाल से ढका हुआ है.
वहां एक चौकी लगी है, जहां अंकल अक्सर बैठते हैं.
अंकल को आस-पास के लोग खान साहब बोलते हैं.
दीवाली के बाद दिसंबर का महीना आ गया था.
मेरे घर से सभी लोग गांव गए हुए थे.
उस वक्त मेरे पेपर चल रहे थे तो मैं नहीं गया था.
उन दिनों ठंड बहुत ज्यादा थी.
मैं कॉलेज से घर जा रहा था तो मुझे खान अंकल मिले.
वे मुझसे कहने लगे कि मैं सामान देने क्यों नहीं आया?
मैंने कहा- सॉरी अंकल मैं भूल गया … और घर में कोई नहीं हैं, तो किसी ने याद भी नहीं दिलाया. आजकल मेरे पेपर चल रहे थे, तो मुझे भी याद नहीं रहा.
अंकल ने कहा- ठीक है, याद से दे जाना बेटा!
मैंने कहा- अंकल अभी दे जाऊंगा.
यह कह कर मैं घर आ गया.
मैंने खाना बनाया, खाया और टीवी पर कार्टून देखने लगा.
लेकिन तभी लाइट चली गयी तो टीवी बंद हो गया.
मैंने मोबाइल में देखा तो दस बजने वाले थे.
मैंने सोचा- अभी जल्दी जाकर अंकल को ये सामान दे आता हूँ.
मैंने एक काला मखमल का पाजामा और काला मखमल का मोटा टी-शर्ट पहना था, जो बहुत गर्म था.
मैंने सामान उठाया और घर में ताला लगाया और अंकल के घर चला गया
अंकल के घर पहुंच कर मैंने उन्हें आवाज़ लगाई उसी समय लाइट आ गई.
मैंने कहा- अंकल जी, इमरान भाई का सामान ले लो!
अन्दर से आवाज़ आई- बेटा, चौकी के नीचे रख दे.
ये सुनकर मैं घर में घुसा, तो देखा अंकल कोने में पेशाब कर रहे थे.
वे बोले- बेटा, सामान वहां नीचे रख दे.
मैंने कहा- जी अंकल.
मैं सामान रखकर जाने लगा तो अंकल ने पूछा- खाना खाया बेटा?
मैंने कहा- जी अंकल, खा लिया!
मैंने अंकल की तरफ देखा, तो अंकल अभी भी पेशाब कर रहे थे.
मैंने नीचे देखा, तो अंकल ने अपनी लुंगी उठा रखी थी और अपना लंड हाथ से पकड़ रखा था.
ये दृश्य देखकर मेरे अन्दर करंट सा दौड़ गया और पूरा शरीर गर्म हो गया.
अंकल का लंड आठ इंच का था और तीन इंच मोटा था.
उनका लंड लंबी-लंबी झांटों से घिरा हुआ था.
इतने में अंकल बोले- क्या हुआ बेटा?
मैंने अंकल की तरफ देखा, तो अंकल मुस्कुरा रहे थे.
उन्होंने लुंगी नीचे की और मेरे पास आकर बोले- ठंड ज्यादा है बेटा, आग जला रखी है … बैठ जा थोड़ी देर!
मैंने कहा- ठीक है अंकल.
अंकल ने दरवाज़ा बंद कर दिया और वे अपनी चौकी पर अपने कम्बल में घुसकर लेट गए.
मैं वहीं बीच में चौकी के पास जलती आग के पास बैठ गया.
अंकल बोले- बेटा, कम्बल में बैठ जा. ठंड लग जाएगी.
मैं अंकल के साथ कम्बल में घुसकर बैठ गया.
थोड़ी देर बाद लाइट फिर से चली गई. मैंने मोबाइल में देखा, तो एक बजे का समय हो चुका था.
मैंने कहा- अंकल, अब मैं घर जा रहा हूँ.
अंकल ने कहा- रहने दे बेटा, क्यों परेशान होता है ठंड में, अब यहीं सो जा!
मैंने कहा- ठीक है अंकल.
मैं अंकल के साथ बगल में लेट गया.
कुछ देर बाद मेरी आंख खुली, तो देखा अंकल कम्बल के बाहर हैं.
मैं उन्हें कम्बल ओढ़ाने लगा.
तब मैंने देखा कि अंकल ने बनियान पहनी है और उनकी लुंगी खुल गई है.
उन्होंने सिर्फ एक सूती नाड़े वाला कच्छा पहना था.
अंकल मेरे बेहद करीब थे.
वे लंबी-लंबी सांसें ले रहे थे.
मैं उनके साथ चिपक कर लेट गया और एक हाथ उनके ऊपर रखकर उनके गले से लगकर लेट गया.
मैंने अपना मुँह अंकल के कंधों पर रख दिया.
अब अंकल की सांसें मेरे चेहरे पर गर्म हवा की तरह आ रही थीं.
थोड़ी देर बाद मैंने अपना हाथ नीचे किया और अंकल के लंड पर रख दिया.
अभी अंकल का लंड सो रहा था.
मैं वैसे ही लेटा रहा और कम्बल ऊपर डाल लिया.
कुछ देर बाद मुझे महसूस हुआ कि अंकल का लंड सख्त हो रहा है तो मैंने अंकल की तरफ देखा.
अंकल की आंखें खुली हुई थीं.
मैं डर गया लेकिन वैसे ही लेटा रहा.
अंकल का लंड आठ इंच का खड़ा होकर मेरे हाथ में आ गया था.
फिर अंकल ने अपना मुँह मेरी तरफ किया और मुझे गले से लगा लिया.
उन्होंने मुझे अपनी तरफ खींचा और मुझे अपने नीचे को ले आए.
वे दोनों हाथों से मुझे गले लगाकर अपने नीचे को ले आए.
उस वक्त अंकल का मुँह मेरी गर्दन पर था और उन्होंने अपने दोनों हाथों से मुझे गले से चिपका रखा था.
मेरी दोनों टांगें खुली थीं.
अंकल ने मेरी जांघों के बीच में अपना लंड लगा रखा था और धीरे-धीरे दबा रहे थे.
मैंने भी अंकल की कमर पर एक हाथ रखा और दूसरा हाथ उनके सिर के नीचे सैट करके उन्हें अपनी ओर खींचा तो अंकल समझ गए.
वे मेरी गर्दन को चूमने लगे.
फिर मेरे होंठों को चूमने लगे और अंकल ने मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल दी.
अब वे मुझे किस करने लगे.
मैं भी उनका साथ देने लगा.
अंकल अपना लंड मेरी टांगों के बीच में अन्दर-बाहर कर रहे थे.
फिर अंकल ने मेरी टी-शर्ट और पजामा उतार दिया और मेरे निप्पल चूसने लगे.
मुझे गुदगुदी हो रही थी.
फिर अंकल उठकर बैठ गए और बोले- बेटा, उठ … सुन!
मैं उठकर बैठ गया.
अंकल ने कहा- और कुछ करेगा?
मैंने पूछा- क्या?
अंकल लेट गए और अपने लंड की तरफ इशारा किया.
मैं समझ गया और अंकल का नाड़ा खोलने लगा.
पहली बार इतने पास से अंकल का लंड देखा तो मैं बौरा गया.
मैंने उनके लौड़े को पकड़ा.
लेकिन वह मेरे एक हाथ में नहीं आ रहा था.
मेरी कलाई जितना मोटा था.
मैंने अंकल का लंड हिलाया और ध्यान से देखा, फिर अंकल की तरफ देखा.
अंकल मुस्कुरा रहे थे.
मैंने अंकल का लंड जीभ से चाट लिया तो उनके बदन में एक झुरझुरी सी हुई.
मैंने अब उनके लंड के टोपे को मुँह में ले लिया और चूसने लगा.
अंकल को मजा आने लगा और उनके मुँह से मादक आवाज निकलने लगी.
वे बोले- बेटा आह्ह … पूरा लंड अन्दर ले ले!
मैं अंकल का पूरा लंड अन्दर लेने की कोशिश करने लगा, तो अंकल मस्त आवाज में कराहते हुए बोले- हां … आह ऐसे ही आह्ह्ह!
फिर अंकल ने मेरे सिर पर हाथ रख दिया और मेरे सिर को अपने मोटे लंड पर दबाने लगे.
अब अंकल का पूरा लंड मेरे गले तक जाने लगा.
‘हम्म् उम्म् उम्म्ह् आ ह्ह्ह्म्म गम्म् उम्म्म उम्म्ह्ह’ की आवाजें आने लगीं.
मेरी आंखों में आंसू आने लगे.
फिर अंकल अपने घुटनों पर बैठ गए और उन्होंने अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया.
वे मेरे सिर के बाल पकड़ कर मेरे मुँह में अपना लंड अन्दर बाहर करने लगे.
मुझे अंकल का लंड खट्टा सा लग रहा था और गले तक आता जाता हुआ चिपचिपा सा लग रहा था.
कुछ देर बाद अंकल रुक गए और चौकी से उतर कर अन्दर कमरे में चले गए.
वे उधर से एक कटोरी में सरसों का तेल ले आए.
अंकल पूरी तरह नंगे थे.
उनका आठ इंच का मोटा लंड मेरे थूक से सना था जो चमक रहा था.
अंकल मुस्कुराते हुए मेरे पास आए, मुझे किस किया और मुझे लेटा दिया.
उन्होंने मेरी दोनों टांगें अपने कंधों पर रखीं और सरसों का तेल मेरी न्यू गांड में लगाने लगे.
कुछ देर बाद अंकल ने अपने दोनों हाथों से मेरी गांड फैलाई और लंड पर तेल लगाया.
मेरी गांड में थूका और अपने मोटे लंड पर अपनी मुट्ठी से उसके आगे पीछे करने लगे.
फिर अंकल ने मेरी गांड के छेद पर अपने मोटे लंड का टोपा टिका दिया.
उस वक्त मेरे दोनों पैर उनके कंधों पर थे.
अब अंकल ने धीरे-धीरे अपना लंड मेरी गांड में डालना शुरू किया और मेरे होंठों को चूमना भी.
मेरे मुँह में अंकल की जीभ थी और मेरी गांड में अंकल का मोटा लंड.
उनका सुपारा मेरी गांड में घुसा तो मुझे बेहद दर्द हुआ.
मगर तेल की चिकनाहट ज्यादा थी तो सुपारा अन्दर घुस गया.
अंकल पुराने खिलाड़ी थे तो उन्होंने मेरे दूध मसलते हुए मेरे मुँह में अपनी जीभ चलाते रहे.
इससे मेरे दर्द में मुझे राहत सी मिलने लगी थी.
अब अंकल ने धीरे-धीरे अपने लौड़े को मेरी गांड में अन्दर करना शुरू कर दिया और थोड़ी देर के दर्द के बाद मैं कुछ कुछ सहज सा हो गया.
अंकल मस्ती से अब धीरे धीरे मेरी गांड मार रहे थे.
मेरे और अंकल दोनों के ही मुँह से आह आह म्म्म्ह्ह की आवाजें आ रही थीं.
कुछ देर बाद अंकल ने मेरे कान में धीरे से कहा- आह्ह बेटा … पूरा लंड ले ले अन्दर!
यह कह कर उन्होंने मेरी टांगें और ऊपर कर दीं और लंड मेरी गांड में और अन्दर तक घुसेड़ दिया.
मेरे मुँह से आह्ह आईई की आवाज़ निकल गई.
कुछ ही देर में अंकल का लंड तेजी से मेरी गांड में जाने लगा.
उनकी गोटियों की चोट मेरी जांघों पर पड़ रही थी जिससे थप थप थप थप की मनोहारी आवाज़ आने लगी थी.
मेरे मुँह से भी कराह भरी आवाजें आने लगी थीं- हम्म उम्म्ह्ह उह्म्म आह्ह्ह आह्ह्ह आई आह अंकल, बस करिए उम्म्ह्ह उम्म्ह्हा.
अंकल उस वक्त फुल मस्ती में आ गए थे और वे तेज़-तेज़ मेरी गांड में लंड देने लगे.
उनका 8 इंच का मोटा लंड मेरी गांड में अन्दर-बाहर चल रहा था.
अंकल पूरी ताकत से धक्के लगा-लगाकर मेरी गांड मार रहे थे और मैं अपने हाथों से अंकल को अपने ऊपर थामे हुए था.
मैं भी मस्ती से चिल्ला रहा था- आह्ह आह्ह अंकल … बस करो आह रुक जाओ प्लीज!
लेकिन अंकल नहीं रुके और मुझे चोदते रहे.
मैंने दर्द भरी आवाज में कराहते हुए अंकल से कहा- अंकल, प्लीज़ अब मत करिए आह!
अंकल ने कहा- मुझे पता है तू मीठा है भोसड़ी के … तुझे मेरा लंड लेने में मज़ा आ रहा है … तो ले न साले … ड्रामा क्यों कर रहा है? आराम से चुद ले साले हिजड़े … मेरे जैसा देसी मर्द दोबारा नहीं मिलेगा … आह तू मुझे बड़ा प्यारा लगता है, इसलिए प्यार से चोद रहा हूँ नखरे मत दिखा … और कोई होता तो साले की गांड फाड़ देता.
मैं उनकी बातें सुनकर चुप हो गया.
यह सच था कि मजा मुझे भी आ रहा था.
पर जो गांड मरवाते हैं, उन्हें मालूम होता है कि गांड मरवाने में दर्द तो होता ही है.
अंकल ने अपनी रफ्तार और बढ़ा दी.
थप थप पुच पुच थप की आवाज़ कमरे में गूँजने लगी.
अंकल की तेज़ सांसों की आवाज़ और मेरी ‘आह आह्ह आह्ह आई आराम से आई आह’ की आवाज़ें आ रही थीं.
फिर अचानक अंकल ने मेरे मुँह में जीभ डाल दी और किस करने लगे साथ ही वे तेज़-तेज़ गति से अपने लंड को मेरी गांड में डालने लगे.
अंकल मेरे कान में धीरे से बोले- मीठे, मैं झड़ने वाला हूँ … सारी लहस तेरे अन्दर ही गिराऊंगा … आज तुझे पक्का गांडू बना दूंगा!
इतना कहते ही अंकल के मुँह से आह्ह्ह आह्ह्ह आआह्हा की आवाज़ निकलने लगी और मुझे अपनी गांड में गर्म-गर्म तरल सा कुछ गिरता हुआ महसूस होने लगा.
अंकल ने 5-6 लंबी लंबी पिचकारी, कुछ छोटी पिचकारियां मेरी गांड में छोड़ीं और एक दो मिनट के बाद अंकल ने अपने मोटे लंड को मेरी गांड में पड़ा रहने दिया.
मुझे मेरी गांड में भरा-भरा सा लगने लगा.
अंकल हांफ रहे थे लेकिन मुझे अपनी बांहों में जकड़े हुए थे.
फिर अंकल ने अपने कंधों से मेरी दोनों टांगें नीचे की.
लेकिन उनका लंड अभी भी मेरी गांड में था.
मैंने अंकल की तरफ देखा तो अंकल मुझे मेरी आंखों में देख रहे थे.
अंकल ने मुझे अपनी बांहों में लिया और पूछा- बेटा, जब बुलाऊंगा तो आएगा न?
मैंने कहा- जी अंकल!
अंकल ने कहा- चिंता मत कर, ये हम दोनों का सीक्रेट रहेगा.
अंकल मेरे होंठों को चूमने लगे.
अब अंकल का लंड ढीला होकर मेरी गांड से बाहर आ गया था.
मैंने पीछे हाथ लगाकर देखा, अंकल का माल मेरी गांड से निकल रहा था.
मैंने हाथ लगाकर देखा तो मेरी गांड का छेद 3 उंगलियों जितना हो गया था.
अंकल ने हंस कर कहा- शुरू शुरू में दर्द होता है, ऐसा थोड़ी देर में ठीक हो जाएगा.
मैंने हम्म कहा.
अंकल ने मुझसे पूछा- गांड मरवा कर कैसा लगा?
मैंने अंकल को कहा- अंकल, आपका बहुत मोटा है!
तो अंकल ने हंस कर कहा- बेटा, असली मर्द का लंड ऐसा ही होता है. तू मीठा है न … इसलिए तेरी छोटी सी लुल्ली है.
मैं चुप रहा.
अंकल ने मुझे चूमते हुए कहा- बेटा, जितना मेरा लंड पिएगा, उतना तेरा रूप निखरेगा!
फिर बातें करते-करते हम दोनों एक-दूसरे को गले लगाकर सो गए.
अगले दिन मैंने सुबह सुबह वापस अंकल का लंड चूस कर कड़क किया और पुनः एक बार अपनी गांड मरवाई.
उसके बाद मैं घर आ गया.
उस रात के बाद से अंकल मेरी गांड मारने लगे थे और मैं हमेशा गांड चुदाई का रसिया बन गया था.
मैंने अंकल के लौड़े की झांटें साफ करके लंड को चिकना कर लिया था और मजे से चूसने लगा था.
दोस्तो, आज तक उनकी बातें मेरे कानों में गूँजती हैं.
आप मेरी इस न्यू गांड कहानी के लिए क्या कहना चाहते हैं, प्लीज जरूर बताएं.
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