पनवाड़ी और चाय वाले के फाडू लौड़े-2

(Panwadi Aur Chay Wale Ke Fadu Laude- Part 2)

मैं अपनी मारू गाण्ड को हिलाते हुए गया, जाकर बैड के नीचे बैठ गया और हिलते हुए लण्ड का चुम्मा लिया। वह तो बावला और मस्त होकर देखने लगा कि कोई उसका लण्ड भी चूसेगा। मैंने चार-पांच चूपे मारे।
वह तो ‘यईह..याह..या..आयह’ करने लगा।

मैं भी और सेक्सी अंदाज़ से थूक-थूक कर उसके लण्ड पर जुबान फेरता। वह नीचे से गाण्ड उठाने लगा और मुझे पता था वह झड़ने वाला है।

वही हुआ, लेकिन समय पर मैंने उसका लौड़ा मुँह से निकाल दिया और सारा पानी अपने मम्मों पर गिरवा लिया। उसने लण्ड से मेरे मम्मों पर मसाज कर दी।
‘साले गाण्डू कहाँ छुपा था… अब तक, यह तो पता था कि तू गाण्ड मरवाता है, लेकिन यह नहीं मालूम था कि तू रंडी से बढ़ कर है।’
वह वैसे ही लेटा रहा। मैं बेल की तरह उसके शरीर से लिपटने लगा। साथ-साथ हाथ से उसके कोबरा को हिलाने लगा। मैंने उसको जगह-जगह चूमा, तो उसके लण्ड में जान आने लग गई। देखते ही देखते उसका 8 इंच का कोबरा फन फैलाने लगा।
मैंने थोड़ा चूसा और कहा- जानू, अब रुका नहीं जाता… बहुत खुजली मची है। मेरी प्यास बुझा दो राजा…!

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वह सीधे लेटा हुआ था, मैंने टांगें फैला कर उसके लण्ड को छेद पर रख कर नीचे को बैठा, तभी मुझे कंडोम का ख्याल आया। मैंने दराज़ से कंडोम निकाल उसके कोबरा पर चढ़ाया और बैठने लगा।
धीरे-धीरे उसका आधा लण्ड मेरे अन्दर था।
‘तुम्हारा लण्ड कितना ज़बरदस्त और कितना बड़ा है..!’

वह बोला- उस चाय वाले का भी कम नहीं होगा, वह भी तेरी गाण्ड फाड़ेगा, अगर तू ना माना वह ज़बरदस्ती रूम में घुस तेरी गाण्ड फाड़ देगा।
‘हाय.. फिर उसको ज़बरदस्ती करने दो न… मुझे और मजा आएगा, जब वह मेरा देह शोषण करेगा..!’

मैंने धीरे-धीरे पूरा लण्ड अन्दर डाल लिया और जर्क करने लगा। वह पागल सा होकर आँखें मूँद कर मजे लेने लगा। कुछ देर ऐसे चोदने लगा कि मानो मैं रंडी होऊँ।
फिर उसने मुझे अपने नीचे डाल कर मेरे ऊपर सवार हुआ और टाँगें चूतड़ों से लगा कर उसने छेद को देखा किया और हथियार रख कर इतना करारा झटका मारा कि मुझे हिचकी लग गई।
‘हाय… छिनाल, आज तेरी गाण्ड का भोसड़ा बनेगा, कहाँ भागेगी..!’
‘मैं कहाँ भागूंगी, मेरी गाण्ड तेरे हवाले है, जो चाहे कर… फाड़ दे… चाहे सिलाई कर दे…!’
वो झटके पर झटका देने लगा और एकदम लण्ड निकाल बोला- रंडी अब घोड़ी बन जा..!
मैं घोड़ी बन गया और उसने लौड़ा पेल दिया और झटके पर झटके देने लगा। मुझे असीम सुख का अनुभव होने लगा था।
‘और तेज़ कर कमीने.. बहुत मजेदार है लौड़ा तेरा..!’
‘ले साली..!’

उसने ज़बरदस्त चोदना शुरु कर दिया।
‘हाय…हाय.. याह..अह.. फक मी.. मारो.. मेरी गाण्ड उह.. उह..!’ करता हुआ फिर ज़ोर का झटका लगाया और उसका पानी निकल गया और मुझ पर गिर गया।
उसका लण्ड निकल आया, अब लौड़ा मुरझा रहा था।

वह मुझे चूमता हुआ बोला- आज तुमने मुझे जितना मजा दिया ना, उसका जवाब नहीं.. अब तेरी गाण्ड मैं और चाय वाला एक साथ मारेंगे, एक मुँह में और एक तेरी गाण्ड में..!
मैंने कहा- ज़बरदस्ती करने दो, कितना मजा आएगा, जब कमीना मुझे ज़बरदस्ती ठोकेगा..! मैंने दुबारा से उसके लौड़े को मुँह में लिया।
‘छिनाल रुक भी जा, तू तो बहुत बड़ी वाली छिनाल है साली, इतना चुदने के बाद भी तेरी गाण्ड प्यासी है साले..!
‘पूरी रात तुझसे चुदवाना है..!’
‘कोई बात नहीं.. तेरी गाण्ड में एक और नया लौड़ा घुसेगा..!’

दोस्तो, मैंने पूरी रात उस पनवाड़ी को चूस डाला।
सुबह हुई, वह मेरे घर से निकलने लगा, तभी सामने चाय वाला अपना खोखा खोल रहा था, उसने हमें देखा, अब मुझे इंतज़ार था शाम का, जब चाय वाला एक्शन लेगा।
इस सस्पेंस के साथ आपको अगले भाग लिए छोड़ता हूँ।
मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।
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