सिनेमा में जाकर बात बनी

प्रणाम मेरे आशिक़ो, नये साल की शुरुआत पर मुझे मोटे लंड मिल गए। इतनी ठण्ड में दिल चुदने को बहुत मचलता है। ठंडी-ठंडी गांड में मोटा लंड लेकर मुझे जिस्म में गर्मी लाने से बढ़िया दूसरा कोई रास्ता नहीं मिलता।

खैर मैंने बताया था कि कैसे मैंने सर्कस में घुस कर दो मर्द चुनकर उनसे मोटे-मोटे लंड हासिल किये। लेकिन यह भी बताया था कि उन दोनों से पहले मैंने जिन पर लाइन मारी थी।

जाते-जाते वो दोनों भी मुझे मिले और मुझे चोदने की ख्वाहिश ज़ाहिर की। मैंने उनको बताया कि आज तो उन दोनों ने मौका खो दिया है। हाँ मेरा नंबर ले लो और कल मैं तुम दोनों को मौका दे सकता हूँ।

इतना कह कर हम अपने-अपने रास्ते हो लिए। उस रात चुदने के बाद मुझे बहुत मस्त नींद आई।

अगले दिन हल्का-हल्का सा महसूस कर रहा था। तभी बैठे धूप सेंकते-सेंकते मुझे उन दोनों लौड़ों के बारे याद आया, जिनको मिलने के लिए कहा था।

एक बार सोचा कि रहने देता हूँ, अभी कल ही तो किया है। लेकिन जल्दी उन दोनों ने मुझे फ़ोन करने आरंभ कर दिए। वो मुझे चोदने के लिए तड़प रहे थे और एक बार अपना लंड मेरी गांड में डालना चाहते थे।

उनकी इतनी बेकरारी देख कर मेरा मन भी चुदवाने को होने लगा। हम उसी सर्कस के पीछे पहुँच गए और उसी जगह पर गए, जहाँ रात को मुझे उन दोनों ने मसला था।

दोनों ने जल्दी से लंड निकाले और मुझे पकड़ा दिए। सहला-सहला कर मैंने एक के लंड को मुँह में ले लिया, तो दूसरा तड़पने लगा। जब उसका डालता तो पहला तड़पने लगता।

अभी हम चूसम-चुसाई ही कर रहे थे कि वहाँ आवाज़ सुनी तो हम अलग हो गए। बाग़ में कुछ लोग थे। आगे चलकर हम इकट्ठे हुए और सोचने लगे कि अब लगी आग किस जगह बुझाई जाए?

एक खंडहर में घुस गए। मेरा मन वहाँ भी नहीं माना, आखिर में थोड़ी दूरी पर सिनेमा हॉल था, जिसमें पुरानी भोजपुरी फिल्म लगी थी। उनके कहने पर हम वहीं चले गए।

फ़िल्म चालू थी, थोड़ी देर हुई होगी। अंदर गए तो बालकनी खाली पड़ी थी, लेकिन नीचे हॉल में काफी लोग थे। हम कोने में गए। वहाँ सीटें खाली थीं।

मैं बीच में, वो इधर-उधर बैठ गए। उनके लंड बैठ गए थे। जल्दी ही उनके हाथों से लंड मेरे हाथों में थे। मैं सहलाने लगा। मौका देख उनके लंड चूसने लगा। वो तगड़े होते जा रहे थे। मजा आने लगा। कल वालों से बड़े-बड़े लंड थे।

“साली चिकनी गांड, अब तो चुदवा लो।”

“हाय राजा, यह तो तुम दोनों का काम है। एक-एक करके चोदना पड़ेगा। तुम लंड सीधा अकड़ा कर बैठे रहो। तुम प्लीज़ ध्यान रखना पीछे नीचे का।”

मैंने उसके लंड पर कंडोम लगाया लुब्रीकेंट था। गांड को थूक से थोड़ी गीली करके, स्क्रीन की तरफ मुँह करके उस पर बैठने लगा। थोड़ा चुभा लेकिन धीरे-धीरे अंदर जाने लगा।

उसके मुँह से मीठी-मीठी आहें फूटने लगीं। उसने मुझे कमर से पकड़ कर ज़ोर से नीचे को खींच कर पटका। पूरा लंड घुस गया।

“हाय फाड़ोगे क्या?”

उसने कहा- उछाल लेकर चुदवाता जा जानू।

मैं उठकर साइड पर जाकर नीचे घोड़ी बन गया। उसने पूरा लंड अंदर घुसा कर ज़ोर-ज़ोर से चोदा और पानी निकाल कर मुझ पर गिर गया।

कुछ पलों बाद हम अलग हुए। मुझे सांस लेने का मौका ही नहीं मिला की दूसरा वाला भी वैसे ही बैठ गया।

मैं उसके लंड पर बैठा। उसका आराम से घुसने लगा। उसने नीचे से ही झटके लगाने शुरु कर डाले और मुझे मजा आने लगा। उसने मेरा चेहरा अपनी तरफ घुमा लिया।

मैंने भी आगे से टी-शर्ट उठाई और अपना चूचा उसके मुँह से लगाने लगा।

“हाय क्या चूचा है साली ! मुझे क्यों नहीं चुसवाया।”

“तुम्हें जल्दी तो मची थी।”

उसने वहीं बैठे-बैठे मुझे काफी देर चोदा, और फिर नीचे जमीन पर लेटाया। मैं लड़की की तरह सीधे लेट गई। उसने टांगें उठा मुझे नीचे लिटा कर चोदना चालू किया।

वो साथ-साथ मेरे मम्मे मसलते जा रहे थे। उसने पहले वाले से काफी ज्यादा टाइम लगाया। हम दोनों को पानी छोड़ने से पहले बहुत मजा आया।

पहले वाला बोला- साली ऐसे लेटी रह, मुझे एक बार घुसा कर तेरे चूचे चूसने हैं।

“साले फ़िल्म ख़त्म हो जायेगी, अब फिर किसी दिन करना।”

सीट पर बैठ मैंने उससे चूचे दबवाये, उसने निप्पल जमकर चूसे।

“हाय एक बार डालने दे नीचे, मैं पानी नहीं निकालूँगा।”

उसका कहा माना और दुबारा उसके नीचे लेटना पड़ा। कुछ देर मजा करके वो उठ गया उस दिन हमें कितना मजा आया।

यह थी मेरी एक और चुदाई।

जब भी कोई मस्त नया लंड खाऊँगा तो आपके साथ शेयर ज़रूर करूँगा।

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