जवान लड़के के साथ गे सेक्स
(Top Bottom Gay Sex kahani)
टॉप बॉटम गे सेक्स कहानी में मेरी दोस्ती पड़ोस के मेरे से आधी उम्र के लड़के से हो गयी. एक दिन उसने मुझे मुठ मारते देखा तो उसने कहा कि वह भी ऐसा करना चाहता है.
फ्रेंड्स, यह सेक्स कहानी मेरे एक दोस्त राहुल की है.
उसने मुझे भेजी थी कि मैं इसे आप सभी से साझा करूं.
आगे की टॉप बॉटम गे सेक्स कहानी आप उसी की ज़ुबान में सुनें.
मेरा नाम राहुल है और मैं महाराष्ट्र के थाने शहर से हूँ.
मैं जहां रहता हूँ, वहां मेरे पड़ोस में एक फैमिली रहती थी.
उसमें एक लड़का था जो उस समय कॉलेज में था और 18 साल का था.
उसका नाम अमित था.
हम एक ही बिल्डिंग के एक ही फ्लोर पर रहते थे.
मैं यहां अकेला रहता हूँ.
मैं ऑनलाइन काम करता हूँ, लैपटॉप पर … तो पूरा दिन लगभग घर पर ही रहता हूँ.
अमित और दूसरे लोग, जो वहां रहते थे … वे कभी-कभी मेरे फ्लैट में आकर पत्ते खेलने लग जाते थे.
मैं भी उन्हें नहीं रोकता था.
ऐसे ही अमित और मैं आपस में घुल-मिल गए थे.
अमित अकेले भी मेरे घर पर आकर बैठ जाता.
हम दोनों बातें करते.
वह स्टडी के बारे में पूछता या मेरे मोबाइल में गेम खेलता.
जब वह मेरे घर पर होता तो उसके घर वाले भी चिंता नहीं करते थे.
कभी-कभी तो वह मेरे साथ खाना भी खा लेता था.
एक दिन दोपहर में मैं अपने फ्लैट में था तो अमित मेरे फोन में गेम खेल रहा था.
उसी वक्त मेरे फोन पर कॉल आई.
यह फोन मेरी एक गर्लफ्रेंड का था.
हम दोनों बातें करने लगे.
फिर कॉल पर ही हम दोनों के बीच सेक्सी बातें शुरू हो गईं.
मैं अमित को बाहर के कमरे में बैठाकर अन्दर के कमरे में चला गया और गर्लफ्रेंड से कॉल पर सेक्स चैट करने लगा.
बात करते-करते मैंने अपना पैंट नीचे किया और लंड बाहर निकाल कर हिलाने लगा.
तभी मेरी नजर दरवाजे पर पड़ी, अमित चुपके से सब देख रहा था.
शायद गलती से दरवाजा खुला रह गया था.
अमित मेरे लंड को घूर रहा था.
मैं बात करता रहा और अपने लौड़े को हिलाता रहा क्योंकि उस वक्त मेरी वासना चरम पर थी.
थोड़ी देर में मेरा पानी निकल गया तो मैंने कपड़े से लंड साफ करके फोन काट दिया और बाहर आ गया.
तब तक अमित वापस अपनी जगह जाकर बैठ गया था.
मैंने देखा कि उसे पसीना आ रहा था और वह बेचैन-सा लग रहा था.
मैंने उससे पूछा- क्या हुआ?
उसने कहा- कुछ नहीं.
तो मैंने पूछा- तुम कमरे में देखने क्यों आए थे?
उसने बताया- मुझे आह-आह की आवाजें आ रही थीं, इसलिए देखने आ गया था.
मैंने पूछा- क्या देखा?
उसने कहा- आप अपना लंड हिला रहे थे और किसी से बात कर रहे थे … और आपका लंड भी बहुत बड़ा है, मेरा इतना छोटा क्यों है?
मैंने उसे समझाया- जब इंसान बड़ा हो जाता है, तो उसका लंड भी बड़ा हो जाता है.
फिर मैंने उसे सेक्स के बारे में सब बताया कि सेक्स कैसे होता है और क्या-क्या करते हैं.
उसके बाद उसकी सेक्स में रुचि बढ़ गई.
अब वह रोज सेक्स के बारे में पूछने लगा था.
ऐसा करते हुए हमें एक साल हो गया.
एक दिन उसने कहा- मुझे भी हिलाकर पानी निकालना है.
मैंने कहा- यहीं हिला ले.
पहले तो वह मना करने लगा, फिर मान गया.
उसने अपना बरमूडा निकाला.
उसका लंड अब लौड़ा बन चुका था.
मेरे जितना लंबा, लेकिन थोड़ा पतला था.
उसने अपने लौड़े को हाथ में लिया और हिलाने लगा.
थोड़ी देर में उसका पानी निकल गया.
वह हांफने लगा.
उसने मेरी तरफ देखते हुए कहा- बहुत मजा आया.
मैंने कहा- अभी तो शुरुआत है, असली मजा तो इसे अन्दर डालने में आता है.
अमित बोला- मुझे भी अन्दर डालना है.
मैंने कहा- टाइम आने पर तुझे भी मौका मिलेगा.
एक दिन उसने पूछा- अंकल, क्या बॉयज़-बॉयज़ भी सेक्स करते हैं?
मैं चुप रहा. उसने भी आगे कुछ नहीं पूछा.
उसके बाद एक महीने तक हम दोनों एक दूसरे के सामने लंड निकाल कर सिर्फ हाथ से हिलाते और मुठ मारते रहे.
अब वह मेरे सामने नंगा भी होने लगा था.
उसकी गांड बड़ी मखमली थी.
मैंने उसकी सहमति से उसकी गांड पर हाथ भी फेरा था, वह मुझसे बड़ा प्रभावित था और शायद मेरे साथ गुदा मैथुन करने में इंटरेस्टेड भी था.
धीरे धीरे मैं उसके साथ मस्ती करने लगा था.
उसकी गांड में लंड लगा कर घिस लेता था. उसे अपने लंड को चुसवा भी देता था.
उसने भी मेरी गांड में अपना लंड लगा कर देखा था.
हालांकि अभी भी मैंने उसकी गांड के छेद में लंड नहीं घुसाया था और ना ही उसका पूरा लंड मेरे अन्दर गया था.
फिर मुझे कुछ काम था, तो मैं दूसरे राज्य में चला गया.
मैं अपने काम से दो महीने बाद वापस लौटा, तो पता चला कि अमित और उसका परिवार फ्लैट खाली करके खुद का फ्लैट लेकर कहीं और रहने चले गए हैं.
अब मुझे उसकी आदत लग चुकी थी.
मैं सोच रहा था कि वापस आने के बाद इस बार उसका लंड मैं अपनी गांड के अन्दर पूरा लूँगा और उसकी गांड के अन्दर भी घुसेड़ूँगा.
लेकिन यहां आकर सब मन का मन में ही रह गया.
मेरे पास उनका कोई संपर्क भी नहीं था कि कैसे पता करूँ कि वह कहां गए हैं?
फिर ऐसे ही कुछ महीने गुजर गए.
एक दिन मैं सोशल मीडिया पर उसका अकाउंट ढूँढ रहा था तो वह मिल गया.
मैंने उसे रिक्वेस्ट भेजी और मैसेज किया.
फिर उसके जवाब का इंतज़ार करने लगा.
दो दिन बाद उसका जवाब आया.
पहले तो हमने सामान्य बात की. फिर उसने कहा कि उसे वह सब करने का बहुत मन कर रहा है.
मैंने कहा- मुझे भी मन कर रहा है.
मैंने उससे बोला कि वह मेरे फ्लैट पर मिलने आ जाए.
उसने कहा कि वे लोग शहर से बाहर रहते हैं. हाइवे के किनारे एक गांव में सोसाइटी बनी है … वहां. इसलिए वह इतनी दूर नहीं आ सकता.
मेरे घर से उनका घर दो घंटे की दूरी पर था.
फिर मैंने उससे पता लिया और उसका नंबर मांगा.
उसने कहा कि उसके पास फोन नहीं है, वह अपने दोस्त के फोन में ई-मेल खोलकर मैसेज करता है, फिर डिलीट कर देता है.
उसने अपने दोस्त का नंबर दिया और बोला- कॉल करना हो, तो इस पर करना. लेकिन रात में नहीं करना और सुबह 12 बजे से पहले भी नहीं करना, क्योंकि उसका कॉलेज का समय होता है.
मैंने ‘ठीक है’ कहा और फिर वह ऑफलाइन हो गया.
उस दिन मैंने उसे याद करके मुठ मारी.
ये पहली बार था, जब मैंने किसी लड़के को याद करके मुठ मारी थी.
उसके बाद एक दिन मैं उसके पते पर चला गया बिना उसे बताए.
सचमुच उसकी सोसाइटी शहर से बहुत दूर, हाइवे के किनारे एक गांव में थी और वह भी गांव से थोड़ा बाहर … जंगल और खेतों के पास.
वहां 14-15 बिल्डिंग बनी थीं.
मैं वहां सोसाइटी के ऑफिस में गया और पूछताछ की कि क्या कोई फ्लैट खाली है.
पता चला कि बहुत सारे फ्लैट खाली थे.
यहां ज्यादातर लोग बाहर के राज्यों से थे जैसे यूपी, बिहार, गुजरात, राजस्थान वगैरह.
मैं वापस जाने ही वाला था कि अमित की मम्मी ने मुझे देख लिया और वे मुझे अपने फ्लैट पर ले गईं.
उनके फ्लैट पर अमित की मम्मी के अलावा उनकी चाची और चाची का छोटा बेटा था.
अमित अभी कॉलेज में था और उसकी चचेरी बहन भी कॉलेज में थी.
अमित के पापा बाहर थे और उनके चाचा जॉब पर गए थे.
थोड़ी देर बैठने के बाद उन्होंने मुझे चाय-नाश्ता कराया.
फिर मैं निकलने ही वाला था कि इतने में अमित आ गया.
उसने ही हैलो किया और खाना खाया.
फिर मैं जाने लगा, तो वह भी बोला कि वह अपने दोस्तों के यहां जा रहा है चलो आपके साथ चलता हूँ.
मेरे साथ नीचे आ गया.
उसने मुझसे कहा- आपने आने का बताया नहीं था?
मैंने कहा- मैं बताने वाला था, तभी तक तुम्हारी मम्मी ने देख लिया.
फिर उसने कहा- मुझे बहुत मन कर रहा है.
मैंने कहा- मुझे भी.
उसने कहा- चलो करते हैं.
मैंने पूछा- कहां?
उसने इशारा किया- मेरे पीछे-पीछे आओ. मैं भी उसके पीछे चला गया.
वह एक बिल्डिंग की लिफ्ट में गया, मैं भी गया.
लिफ्ट में हम दोनों ही थे. फिर उसने टॉप फ्लोर का बटन दबाया.
हम टॉप फ्लोर पर उतरे.
उसने एक फ्लैट को चाबी से खोला और अन्दर आ गया.
मैं भी पीछे-पीछे अन्दर गया.
मैंने पूछा- ये किसका फ्लैट है और तेरे पास चाबी कैसे?
उसने बताया कि ये उनके रिश्तेदार का फ्लैट है, जो दो महीने के लिए गांव गए हैं. उन्होंने एक चाबी उनके घर पर दी थी.
मैं उसे प्रशंसा की नजर से देखने लगा.
वह बोला- मैं स्टडी के लिए यहां आता हूँ, तो चाबी मेरे पास थी … सो ले आया.
मैंने पूछा- कोई आ गया तो?
उसने कहा- कोई नहीं आएगा. ये आखिरी बिल्डिंग है और इसमें सिर्फ चार फ्लैट में लोग रहते हैं. वह भी पहले और दूसरे फ्लोर पर. मेरे घर वाले कभी इस तरफ नहीं आते!
मैं खुश हो गया.
मैंने उसे बांहों में ले लिया और किस करने लगा.
वह भी मुझे किस करने लगा.
उसने कहा- बेडरूम में चलते हैं.
हम उनके बेडरूम में गए.
वहां डबल बेड था, मस्त गद्दी बिछाई हुई थी.
अन्दर जाकर अमित ने फटाफट अपने कपड़े उतार दिए.
एकदम नंगा हो गया. उसके बदन पर एक भी बाल नहीं था.
उसकी चिकनी छाती थोड़ी उभरी हुई थी क्योंकि मैंने बहुत चूसी थी.
गोरी और चिकनी गांड और चिकना लंड बिना बाल का.
मैंने नोटिस किया कि उसका लंड थोड़ा बड़ा हो गया था.
अमित ने कहा- अंकल, आप भी कपड़े निकालो.
मैंने भी सारे कपड़े उतार दिए और बिस्तर पर अमित के पास आ गया.
अमित को बांहों में लेकर किस करने लगा.
हम दोनों के नंगे बदन मिल रहे थे, एक अलग ही रोमांच हो रहा था.
मैंने अमित को नीचे लिटाया और उसके नंगे बदन को चूमने लगा.
फिर उसने मेरे निपल्स को चूसना शुरू किया.
वह उन्हें मुँह में लेकर चूस रहा था तो बहुत मज़ा आ रहा था.
अमित सिसकारियां लेने लगा.
फिर अमित ने मुझे नीचे लेटने को कहा, तो मैं नीचे लेट गया.
अब वह मेरे नंगे बदन को चूम रहा था.
मैंने आज सुबह ही शरीर के सारे बाल हटा दिए थे.
अब अमित भी मेरे निपल्स चूसने लगा.
मुझे भी कुछ महसूस होने लगा.
फिर अमित धीरे-धीरे नीचे आया और मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगा.
मुझे अलग ही आनन्द आने लगा.
अमित मेरे लौड़े को ऐसे चूस रहा था, जैसे बरसों का प्यासा हो.
मुझे लगा कि अगर वह ऐसे ही चूसता रहा तो पानी निकल जाएगा और गांड मारना बाकी रह सकता है.
ये सोचकर मैंने अमित को ऊपर से हटा दिया.
अमित बोला- क्या हुआ?
मैंने कहा- आज मैं तेरी गांड का उद्घाटन करूँगा.
वह खुश हो गया और बोला- मैं भी यही चाहता हूँ.
फिर मैंने उससे पूछा कि यहां ऑयल या क्रीम हो, तो ले आ.
उसने ढूंढा, तो उसे ऑयल मिल गया.
मैंने थोड़ा ऑयल उंगली पर लिया और उसकी गांड के छेद में लगाया, फिर उंगली से अन्दर-बाहर करने लगा.
थोड़ी देर में लगा कि गांड थोड़ी गीली हो गई है तो मैंने बहुत सारा तेल छेद में डाला और अपने लंड पर भी लगाया.
उसे पीठ के बल लेटने को कहा.
अमित वैसे ही लेट गया और अपने दोनों हाथों से अपनी गांड का छेद खोलने लगा.
मैंने भी अपना लंड उसकी गांड के छेद पर सैट किया और धीरे-धीरे दबाव बनाया.
थोड़ा सा टोपा अन्दर गया.
अमित की हल्की चीख निकली.
फिर मैंने ज़ोर से धक्का लगाया.
ऑयल की चिकनाहट की वजह से पूरा लंड एक बार में ही उसकी गांड में घुस गया.
अमित रोने जैसा हो गया, उसकी चीख निकल गई.
मैंने पूछा- क्या करूँ, बाहर निकालूँ क्या?
अमित बोला- नहीं अंकल, चोदो … आज तो दरवाज़ा खोल ही दो ताकि आगे से खुलकर मजा ले सकूँ.
उसका जोश देखकर मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए.
उसे दर्द हो रहा था लेकिन फिर भी वह डटा हुआ था.
मैंने उसके होंठ चूम लिए, उसे अच्छा लगा.
अब मैंने थोड़ी स्पीड बढ़ा दी.
उसे अब मज़ा आने लगा था.
अमित नीचे से गांड उठाकर साथ दे रहा था.
मेरा लंड उसकी गांड की दीवारों से घिस रहा था.
इतना ज़ोरदार ग्रिप था कि ऐसी चुदाई मिल रही थी जैसी कभी किसी लड़की के साथ भी नहीं मिली थी.
उसकी गांड मारने में बहुत मज़ा आ रहा था.
अमित के मुँह से ‘आह … आह … ओह …’ जैसे शब्द निकल रहे थे.
मैंने उसे अब घोड़ी बनने को कहा.
अब मैं पीछे से उसकी गांड मार रहा था.
कमरे में हमारी चुदाई की वजह से ठप-ठप की आवाज़ आ रही थी क्योंकि उसके कूल्हों पर मेरी जांघ ज़ोर-ज़ोर से टकरा रही थी.
फिर कुछ समय बाद मेरा पानी निकलने वाला था.
मैंने उससे पूछा, तो अमित ने बोला- अन्दर ही डाल दो.
मैंने उसकी गांड में पिचकारी छोड़ दी और हम दोनों ऐसे ही नंगे लेट गए.
फिर मैंने कुछ देर बाद लंड बाहर निकाला.
लंड के साथ थोड़ा वीर्य भी बेड की चादर पर गिर गया.
अमित ने मुझे बांहों में ले लिया और बोला- अंकल, बहुत मज़ा आया. थैंक्यू … आपने आज मेरे शरीर को तृप्त कर दिया.
मैंने भी उससे कहा- तेरी वजह से आज मुझे जो आनन्द मिला है, वह किसी लड़की के साथ सेक्स करके भी नहीं मिला था. इसलिए तेरा ज़्यादा थैंक्यू.
थोड़ी देर हम ऐसे ही एक-दूसरे की बांहों में लेटे रहे.
फिर अमित बोला- अंकल, अब मुझे भी आपकी गांड मारनी है!
मैं तो टॉप बॉटम गे सेक्स के लिए तैयार ही था.
मैंने उसे तेल दिया और जैसे मैंने उसके साथ किया, वैसे ही उसे मेरे साथ करने को कहा.
उसने वैसा ही किया.
कुछ देर बाद जब मेरी गांड गीली हो गई मैंने अमित से कहा- डाल दे अन्दर!
मैं घोड़ी बन गया.
उसने पीछे से आकर अपना लंड मेरी गांड पर सैट किया और ज़ोर से धक्का लगा दिया.
मुझे एकदम से दर्द हुआ. उसका लंड थोड़ा और अन्दर गया, तो मैं एकदम डर गया.
मैंने उससे कहा- आराम से डालो!
उसने कहा- मुझसे आराम से नहीं हो रहा है!
तो मैंने उसे सीधे लेटने को कहा.
वह सीधे लेट गया.
मैंने उसके लंड को पकड़ कर खड़ा किया, फिर ऊपर आकर उसके लंड पर अपनी गांड का छेद टिकाया.
फिर धीरे-धीरे नीचे आने लगा.
उसका लंड मेरी गांड में घुसने लगा.
उसका लंड अब थोड़ा और बड़ा हो गया था, मेरी गांड की दीवारों पर ज़ोर से दबाव दे रहा था.
ऐसा लग रहा था, जैसे कोई मेरी गांड चीर रहा हो. इस वजह से मुझे बहुत दर्द हो रहा था.
फिर भी मैंने दबाव बनाए रखा.
अब तक उसका आधा लंड मेरी गांड में घुस गया था.
मेरी गांड का छेद बहुत छोटा था तो बिल्कुल फिट होकर अन्दर गया.
मैं धीरे-धीरे ऊपर-नीचे होने लगा. अमित को बहुत मज़ा आने लगा लेकिन मुझे अभी भी बहुत दर्द हो रहा था.
कुछ देर ऐसे ही करते रहे.
अब मुझे भी मज़ा आने लगा था.
दर्द कम नहीं हुआ था लेकिन मज़ा उतना ही आ रहा था.
फिर मैं ऊपर गया और घोड़ी बन गया.
इस बार मैंने उससे कहा- बराबर डालना अन्दर!
अमित ने लंड मेरी गांड के छेद पर रखा और ज़ोर का धक्का दे दिया.
एक झटके में उसका लंड अन्दर घुस गया.
मुझे बहुत दर्द होने लगा, मेरी चीख निकल गई.
लेकिन इस बार मैं हटा नहीं.
उसके लंड की मार को गांड में झेलने लगा.
अमित पीछे से मेरी गांड में घपाघप लंड पेल रहा था.
मुझे भी अब आनन्द आने लगा था.
बल्कि यूं कहूँ कि दर्द से ज़्यादा मजा आ रहा था.
कुछ देर बाद वह मेरी गांड में ही झड़ गया.
मुझे उसका लावा मेरी गांड में महसूस हो रहा था.
बहुत ही गर्म था.
फिर हम कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे.
तभी किसी ने डोर बेल बजाई.
मैं डर गया कि कौन आया होगा.
अमित बोला- देखते हैं कौन है!
हमने फटाफट सफाई की और कपड़े पहने.
फिर मैं बाहर हॉल में आकर बैठ गया.
अमित ने दरवाजा खोला तो उसका दोस्त आया था.
उसका नाम सोमू था.
अमित ने पूछा- यहां कैसे?
सोमू ने बताया- मैंने तुम्हारी मम्मी को कॉल किया था, तो उन्होंने कहा कि तुम दोस्तों के पास खेलने गए हो. मैंने सब जगह देखा, तू कहीं नहीं मिला, तो मुझे लगा यहीं होगा. इसलिए यहां आ गया.
फिर सोमू ने पूछा- तूने दरवाजा खोलने में इतना टाइम क्यों लगाया?
अमित ने जवाब दिया- मैं बाथरूम में था. और ये अंकल बालकनी में फोन पर बात कर रहे थे!
सोमू ने मेरे बारे में पूछा, तो अमित बोला- ये अंकल हमारे पुराने मोहल्ले में रहते थे. तुझे बताया था ना … मेरे दोस्त जैसे अंकल, ये वही हैं.
फिर अमित ने मुझे बताया- ये सोमू, मतलब सोमदेव है, जिसका नंबर आपको दिया था!
सोमू को कुछ गड़बड़ लग रहा था, उसके चेहरे से साफ दिख रहा था.
साथ में उसे वीर्य की बू भी आ रही थी.
लेकिन अमित ने बात संभाल ली.
फिर हम वहां से निकले.
अमित बाइक पर मेरे साथ गांव तक आने की बात कहकर पीछे बैठ गया.
सोमू अपने घर चला गया.
दोस्तो, आपको मेरी यह टॉप बॉटम गे सेक्स कहानी कैसी लग रही है, प्लीज कमेंट्स करके जरूर बताएं.
अभी इसमें शीर्षक के अनुरूप आगे काफी कुछ होने वाला है तो मेरे साथ इस सेक्स कहानी में बने रहें.
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टॉप बॉटम गे सेक्स कहानी का अगला भाग:
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