पहाड़ों में गांड चुदाई की मस्ती
(Top Bottom Sex Kahani)
टॉप बॉटम सेक्स कहानी में मैं ट्रेन में था और अपनी मौज मस्ती के लिए गांड मरवाने के लिए किसी लंड की तलाश में था. ट्रेन में भीड़ के कारण एक लड़का मेरे पास खड़े लड़के का लंड मेरे चेहरे पर टकरा रहा था.
नमस्ते दोस्तो, मैं आपका दोस्त रंजन कुमार एक बार पुनः एक नई सेक्स कहानी लेकर हाज़िर हूँ.
टॉप बॉटम सेक्स कहानी का मजा लें.
उन दिनों में कुछ दिन फ्री था, तो सोचा पहाड़ों पर घूमकर आता हूँ. गर्मी के दिन हैं और एंजॉयमेंट हो जाएगा, शायद कोई आशिक भी मिल जाए.
मैंने जनरल डिब्बे में जाना ही सही समझा इसलिए भीड़-भाड़ और धक्कों के मजे लेते हुए ट्रेन में सफर कर रहा था.
उन दिनों छुट्टियों का दौर चल रहा था तो लगभग सबको फुरसत थी.
इसलिए ट्रेन में भीड़ भी बहुत थी.
कोशिश करते करते मुझे भी बैठने के लिए थोड़ी सी जगह मिल गई.
आसपास काफी लोग खड़े थे.
गर्मी की वजह से मैंने कैपरी पहनी हुई थी.
मैंने नोटिस किया कि ज्यादातर लड़के कैपरी और टी-शर्ट में ही थे.
मेरी सीट किनारे की थी जहां से ट्रेन में रास्ता बना होता है.
मैं सिमट कर बैठा था.
भीड़ इतनी थी कि कोई इस तरफ मुँह करके खड़ा था तो कोई उस तरफ.
उसी वक्त मेरे सामने एक लड़का खड़ा हो गया.
उसकी उम्र कोई 20-22 साल की रही होगी.
उसका मुँह मेरी तरफ था लेकिन रास्ते में कोई गुजरता, तो उसे धक्का लगता और उसका लंड मेरे मुँह पर आकर लग जाता.
वह ‘सॉरी!’ बोलता और मैं मुस्करा देता.
अब उसे क्या पता, मैं तो मजे ले रहा था.
तभी एक आदमी गुजरा तो मैंने उससे कहा- भाई थोड़ा रास्ता छोड़कर खड़ा हो!
मैं सीट पर थोड़ा पीछे सरक गया और उससे कहा- थोड़ा इस साइड को हो जा!
वह आगे तो हुआ, लेकिन सीट और ऊपर वाली सीट की वजह से उसके लंड का पूरा भार अब मेरे मुँह पर आ रहा था.
बार-बार मुँह पर टच होने की वजह से मैंने नोटिस किया कि उसका लंड तनाव लेने लगा था.
ऊपर से अंधेरा होने लगा था.
ज्यादातर यात्री सो रहे थे.
अंधेरे में ट्रेन के धक्कों और मेरे मुँह पर रगड़ की वजह से उसका लंड पूरी तरह खड़ा हो गया था.
उसने काफी कोशिश की एडजस्ट करने की, पर ये साला लंड किसी की मानता थोड़ी है.
उसने फिर ‘सॉरी!’ बोला और मैं फिर मुस्कुरा पड़ा.
बातों-बातों में पता चला कि वह भी अकेला ही घूमने जा रहा था.
मेरे दिमाग में आइडिया आया कि ये मेरा सफर यादगार बना सकता है!
मैंने खड़े होकर कहा- भाई, अब तू भी रेस्ट कर ले, कब से खड़ा है … और तेरा ये भी …
मैंने उसके लंड की तरफ इशारा किया.
वह चुपचाप बैठ गया.
शायद वह भी इसी इशारे का इंतज़ार कर रहा था कि कब मैं उससे खुलूँ और वह मुझसे खुलकर बातें कर सके.
वह बोला- भाई मेरा हाल बहुत बुरा था. अगर मेरा हो जाता, तो बहुत शर्मिंदगी उठानी पड़ती!
पर अब उसकी वाली हालत मेरी हो गई थी.
वह मुस्कुरा कर बोला- भाई, ये तो होगा ही!
मैंने कहा- इस तरह तो कैपरी पर किसी देश का नक्शा बन जाएगा!
वह बोला- क्या करें? यहां हाथ तो हिला नहीं सकते!
मैंने कहा- मुँह तो हिला सकते हैं!
वह बोला- शी! ऐसे नहीं होता!
मैंने कहा- मेरे पास कंडोम है, चॉकलेट फ्लेवर वाला, इससे दोनों का काम हो जाएगा और मुँह भी गंदा नहीं होगा!
उसके सिर पर भी काम सवार था, वह मान गया और मुझे मेरा पार्टनर मिल गया था.
मैंने बोला- पहले मैं तेरा कर देता हूँ. अगर तूने मेरा काम पहले कर दिया, तो मुझे बाद में मज़ा नहीं आएगा!
वह बोला- चूसने में भी मज़ा होता है क्या? तू नहीं समझेगा, तू खड़ा हो जा, मैं बैठ जाता हूँ!
वह खड़ा हो गया.
हम दोनों ने कुछ मिनट इधर-उधर देखा, फिर वह बोला- कंडोम दे!
मैंने कहा- मुझे इसकी ज़रूरत नहीं तू अपना शेर आज़ाद कर!
वह हंसा और बोला- मैं समझ गया था पहले ही कि तू कुछ तो चीज़ है! वरना जब पहली बार तेरे मुँह पर लंड रगड़ा, तो तू मुस्कुराता नहीं, आंखें दिखाता!
मैं चुप रहा.
वह आगे बोला- यही सोच-सोचकर मेरा लंड खड़ा हो रहा था कि तू गे निकला, तो मेरा घूमना-फिरना मज़ेदार हो जाएगा. लगता है मालिक ने मेरी सुन ली है, जो लड़कियों जैसा लड़का मिलवा दिया … और वह भी फुल मज़े देने वाला!
मैंने तिरछी आंखों से मुस्कुराकर कहा- मैं भी यही सोच रहा था. अब देर न कर और रसगुल्ला मेरे मुँह में डाल दे, चाशनी से मुँह भर दे!
उसने इधर-उधर देखा और कैपरी से लंड निकाल कर मेरे सामने पेश कर दिया!
मैंने भी आव देखा न ताव और गप्प से मुँह में ले लिया!
हाय, कितने दिनों बाद चूसने को लंड मिला था!
मैंने सोचा, जल्दी-जल्दी चूस लूँ, कहीं कोई देख न ले! ऐसा न हो कि एक की जगह दो-तीन लंड चूसने पड़ें और ये चिकना भी भाग जाए!
जब डर और रोमांच साथ-साथ हों, तो सेक्स का मज़ा कई गुना बढ़ जाता है.
एक बात थी कि उस लौंडे का लंड बहुत गोरा-चिट्टा था और सुपाड़ा गुलाबी!
ऐसे लंड मेरी कमज़ोरी हैं!
हाय एकदम मुलायम गर्म और गोरा लंड जब मुँह में रखकर चूसा … और जब वह मुँह से होता हुआ गले तक गया, तो मज़ा और सजा दोनों बराबर मिल रहे थे.
कसम से जब लंड को दांतों में रखकर हल्का-हल्का दबाता हूँ, तो ऐसा लगता है जैसे कोई जैली वाली लॉलीपॉप मुँह में हो!
जब अपने मुँह से किसी लंड को चोदा, तो मुँह चोदने वाले और चूसने वाले दोनों को आनन्द मिलता है.
वह बेचारा मेरे मुँह की गर्मी को ज़्यादा देर बर्दाश्त न कर सका और मुँह में ही झड़ गया!
फिर बोला- चल, अब तू ठंडा हो जा!
मैंने कहा- नहीं, मेरी आग यहां नहीं बुझेगी … मेरी आग तो तब बुझेगी, जब तेरा लंड मेरी गांड का रास्ता नापेगा!
वह मुस्कुराकर बोला- जा तो हम दोनों घूमने ही एक ही जगह जा रहे हैं, तो मिलकर एंजॉय करेंगे और मैं तुझे ठंडा भी कर दूँगा!
गर्मियों में पहाड़ों पर जितने भी होटल होते हैं, ऑलमोस्ट सभी फुल थे.
अब हमें फिक्र होने लगी कि रात कहां बिताएं.
चलते-फिरते रात बिताने के लिए एक नॉर्मल-सा होटल मिल गया.
शाम हो गई थी तो मैंने पूछा- अब कोई खाने-पीने का जुगाड़ करें?
वह बोला- खाने का तो ठीक है, पीने का ढूँढ!
मैंने खुश होकर कहा- फिर तो मज़ा दुगना हो जाएगा!
हमने एक व्हिस्की की बोतल, एक कोल्ड ड्रिंक और कुछ स्नैक्स लिए और रूम में आ गए.
तीन-चार पैग में वह भी टल्ली हो गया और मुझे भी काफी चढ़ गई.
राहुल न/शे में मुझे चूमने-चाटने लगा और अपने कपड़े उतारकर नंगा हो गया.
न/शे में उसका लंड और भी कड़क हो रहा था, या शायद मुझे न/शे में खूबसूरत लग रहा था.
वह पूरा जानवर बन चुका था और मुझे गालों पर, होंठों पर जोर-जोर से ऐसे किस कर रहा था जैसे मैं कोई लड़की हूँ!
पर मुझे मज़ा आ रहा था.
उसने लंड मेरे मुँह में डालकर मेरे मुँह को चोदना शुरू कर दिया.
मुझे इतना तो समझ आ गया था कि वह जल्दी झड़ने वाला नहीं था.
फिर उसने मुझे घोड़ी बनाया.
उसका लंड वैसे ही मैंने चूसकर गीला कर दिया था क्योंकि मुझे पता था कि ये मुझे बुरी तरह चोदने वाला है.
वही हुआ.
एक झटके में आधा लंड मेरी गांड में घुसा दिया.
मेरी हल्की-सी चीख निकल गई.
अगर न/शे में न होता, तो शायद पूरे होटल में चीख गूँजती.
अगले झटके में पूरा लंड अन्दर और वह पूरे जोश से मुझे ताबड़तोड़ चोद रहा था.
मैं भी ‘आह आह!’ कर रहा था, मुझे पूरा मज़ा आ रहा था.
वह मेरे ऊपर चढ़ा हुआ था और मेरे दूध दबाते हुए मुझे धकापेल चोद रहा था.
मुझे अपनी गांड में उसका लंड बड़ा मस्त लग रहा था.
मैंने उससे कहा- एक हाथ से मेरी चुत भी सहलाओ न डियर!
वह समझ गया और हंस कर बोला- तेरी चुत तो बाहर को लटक रही है मेरी जान!
मैंने कहा- हाथ में ले ले न!
उसने मेरे लंड को हाथ से पकड़ा और उसकी मुठ मारने लगा. मैं भी सोच रहा था कि यह मेरी लेकर मुझे अपनी नहीं देगा … न दे तो, न दे. मुझे वैसे भी देने में मजा आता है, लेने में नहीं.
हम दोनों अपनी मस्ती में इतने व्यस्त थे कि पता ही नहीं चला कि होटल का वेटर दरवाज़ा खटखटा रहा था.
वह खाना लेकर आया था जो हमने सामने वाले ढाबे से ऑर्डर किया था.
मुझे हल्की-सी आवाज़ सुनाई दी और मैंने राहुल से कहा- दरवाज़े पर वेटर आया है!
पर वह मुझे चोदने में इतना व्यस्त था कि उसने मेरी बात पर ध्यान ही नहीं दिया.
मैं न/शे की मस्ती में गांड मरवाने में लगा रहा.
मैंने सोच लिया था कि साला जो भो होगा, वह भी ज्यादा से ज्यादा क्या करेगा … मेरी ले ही लेगा न! तो ले ले मुझे कौन सी दिक्कत है.
इतने में वेटर ने दरवाज़ा खोल दिया और वह हम दोनों को चुदाई करते देखकर दंग रह गया.
‘सॉरी!’ बोलकर वह मुड़ने ही वाला था कि मैंने कहा- टेबल पर खाना रख दे और तू भी खुश हो जा.
इस बात पर वह मुस्कुरा पड़ा.
मैंने भी कातिल-सी स्माइल दे दी.
उसका खड़ा हो गया था, पर ड्यूटी की वजह से वह चुप था वरना वह भी मुझे चोदने आ जाता.
मैंने उसे आंख मारी और बाद में आने का इशारा करते हुए जाने को कहा.
वह भी मुस्कुराकर चला गया.
मैं मन ही मन खुश था कि ये मेरे नाम की मुठ मारेगा आज!
मुझे बहुत मज़ा आता है जब कोई मेरा नाम लेकर मुठ मारता है.
आधे घंटे बाद राहुल का काम निपटा और उसने गर्म-गर्म लावा मेरे अन्दर उड़ेल दिया.
मेरी गांड का गड्ढा बना दिया उसने.
मैं वॉशरूम जाकर अपनी गांड धोकर आ गया और खाना खाने लगा.
पर राहुल सो गया.
उसका लंड अब मासूम-सा हो गया था!
कोई कह नहीं सकता था कि मेरी गांड में इसने तूफान मचाया है.
सुबह एक बार और उसने मुझे चोदा, पर मेरी बदकिस्मती कि उसकी मम्मी की तबीयत बिगड़ गई और ना चाहते हुए भी उसने मुझसे विदाई ले ली.
हम दोनों ने नंबर एक्सचेंज किए और मैं होटल में अकेला रह गया.
उस दिन घूम-फिरकर मैं फिर से होटल में आया पर मैंने किसी पर डोरे नहीं डाले क्योंकि सुबह-सुबह चुद चुका था.
रात को फिर दारू पीकर मैंने किसे अपना शिकार बनाया या उसी वेटर से खुद शिकार हो गया.
इस बार कितनों ने मुझ मासूम से जबरदस्ती की, ये अगली गे सेक्स कहानी में बताऊंगा.
तब तक के लिए मेरा नाम लेकर मुठ ज़रूर मारना … मेल करना, मैं जवाब देने की कोशिश करूँगा.
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लेखक की पिछली कहानी थी: परिवार में खुला सेक्स हो गया
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