गांड मरवाने की तमन्ना पूरी हुई- 2

(Xxx Gay Ki Chudai Kahani)

Xxx गे की चुदाई कहानी में मैंने अपने यार से दूसरी बार गांड मरवाने का मजा लिया. उसने बिना तेल लगाये मेरी सूखी गांड में लंड घुसाया तो मेरी गांड फट गयी.

मैं आपकी तमन्ना एक बार फिर से अपने यार समीर से अपनी गांड मराने वाली गे सेक्स कहानी सुना रही हूँ.
कहानी के पहले भाग
गे बॉटम को अपना प्यारा टॉप मिल गया
में अब तक आपने पढ़ा था कि समीर ने अपना सूखा लंड मेरी सूखी गांड में पेल दिया था.

अब आगे Xxx गे की चुदाई कहानी:

इस बार उसने अपने लंड पर क्रीम नहीं लगाई थी, जिसके कारण से उसका लंड मेरी गांड के छेद में आधा पौन इंच तक जाकर रूक जा रहा था.

जैसे ही समीर अपने लंड को मेरी गांड में प्रवेश करने की कोशिश कराता, वैसे ही मेरी गांड का छेद टाइट होकर बंद हो जाता था.

मुझे समीर के लंड की ये चोट मदहोश कर रही थी और मदहोशी दिल की बात बयान करने के लिए मजबूर कर रही थी.

मैंने समीर से कहा- क्या आप भी मुझसे वादा कर सकते हो कि …
उसने मेरी बात को बीच में ही काटते हुए कहा- हां यार. मैं तुम्हारे अलावा किसी और को हाथ भी नहीं लगाऊंगा. मेरा लंड अब सिर्फ तुम्हारे लिए ही है.

मैंने कहा- समीर आई लव यू … आह मर गई … आह मेरी फट गई.

मैं दर्द से कराहते हुए समीर की बात को समझ नहीं पाया था कि जब वो ऐसा कह रहा था, तब वह क्या करने की सोच रहा था.

फिर से रिवर्स करता हूँ.
मैंने समीर की बात का जवाब कहते हुए जब उसे आई लव यू कहा, तो साथ ही में मेरे मुँह से चीख निकल गयी.

उसने अपना लंड ठांस दिया था.
‘आहह … अअह …’

मेरी सांसें लम्बी लम्बी चलने लगीं, गांड से लेकर रीढ़ की हडडी में जबरदस्त दर्द की लहर दौड़ पड़ी.
मुझे समीर का बात का मतलब समझ में आ चुका था क्योंकि समीर ने मेरे कंधों को जोर से पकड़ते हुए और नीचे से अपने पैरों का लॉक लगाते हुए जम कर अपने लंड को मेरी गांड में ठोकना चालू कर दिया था.

गांड में समीर का लंड आधे से भी ज्यादा घुस चुका था और समीर ने मेरे कंधों से लेकर अपने पैरों से जो पकड़ बनाई थी, वो बेहद मजबूत थी.

मुझे भयंकर दर्द हो रहा था क्योंकि इतने छोटे से छेद में समीर के 2.5 इंच मोटा लंड लेना कोई आसान बात नहीं थी.

मैंने समीर के बिस्तर को अपनी मुट्ठियों में भींच लिया था.
उसी पल दूसरे ही झटके में समीर का लंड मेरी गांड में पूरा का पूरा अन्दर जा चुका था.

अब मैं पूरी तरह से समीर के नीचे था और समीर का मजबूत लंड मेरी गांड में आग लगा रहा था.
दर्द असहनीय था क्योंकि इस समीर का सूखा लंड गांड के अंतिम सिरे तक घुस चुका था.

चूंकि उस समय मेरी गांड छोटी सी थी और छेदा बहुत टाइट था इसलिए समीर का लंड मुझे मेरी गांड में गर्म रॉड की तरह महसूस हो रहा था.

किंतु समीर मेरी गर्दन पर किस कर रहा था, जिससे सेक्स की लहर शरीर में दौड़ रही थी.
उसी के चलते शरीर की कामुक वासना, समीर के लंड से मिलने वाले दर्द को समायोजित कर रही थी.

बिना क्रीम के समीर का लंड ने गांड को अन्दर से छील दिया था और छेद को जैसे लगभग तोड़ दिया था, ऐसा साफ़ महसूस हो रहा था.
ये अलग बात थी कि पिछली बार से ज्यादा रोमांच इस बार लग रहा था. क्योंकि इस बार सच में ऐसा लगा रहा था कि जैसे सील ब्रेक हो गयी हो.

पिछली बार समीर के लंड पर थोड़ी सी क्रीम लगी होने के कारण से समीर का लंड सेकेण्ड से भी कम समय में अन्दर चला गया था और दर्द बाद में हुआ था.
किंतु इस बार समीर के लंड का अहसास पहली बार से भी ज्यादा हुआ था.

समीर के चुंबनों के कारण से मन समीर से चुदने के लिए तैयार हो चुका था.

जब समीर ने करीब एक मिनट के बाद अपने लंड को मेरी गांड से बाहर निकाल लिया, तो मुझे कुछ अचरज हुआ.

किंतु समीर ने फिर से अपने लंड को मेरी गांड के छेदे पर फिट करते हुए अपने दोनों हाथों से मेरे कंधों को लॉक किया और नीचे ये अपनी दोनों टागों का दवाब बनाते हुए मेरी गांड को अपने लंड से बंद कर दिया.

मैं समझ गया … मैंने अपनी आंखें बंद कर लीं और अपनी दोनों मुट्ठियों से बिस्तर को भींचते हुए लंड डलवाने की पूरी तैयारी कर ली.
मैंने अपनी गांड के छेद को समीर के लंड के स्वागत के लिए ढीला करते हुए हल्का सा खोल दिया था.

इस बार समीर ने भी बहुत धीरे से दाब लगाया; पिछली बार की तरह धक्का नहीं दिया बल्कि बहुत धीरे से अपने लंड को मेरी गांड में डाला.

इतने धीरे से कि समीर के सात इंच के सूखे लंबे लंड का अहसास एक एक पल अन्दर जाते समय महसूस हुआ.

बहुत धीरे से समीर के लंड ने मेरी गांड के छेदे को चीरते हुए पहला पड़ाव पार किया.
उसके बाद धीरे से उसने अपना समूचा लंड मेरी गांड में उतार दिया.

गांड के छेदे पर समीर के लंड की टोपी से लेकर उसके लंड के जड़ तक अहसास मुझे अपनी गांड के अन्दर हुआ.
अंत में मुझे महसूस हुआ कि मेरी गांड में समीर का लंड उसकी जड़ तक घुसा हुआ है.

इस बार भी दर्द हुआ लेकिन पिछली बार की तुलना में इस बार समीर के लंड से गांड में होने वाला दर्द, दर्द नहीं बल्कि बहुत ही मादक और उत्तेजक नशा सा था.

मेरे मुँह से धीमी धीमी आवाज में सिसकारियां निकलने लगी थीं.
दर्द धीरे धीरे कम होने लगा था.

समीर धीरे धीरे अपने लंड को मेरी गांड के अन्दर आगे पीछे करते हुए मुझे चोदने लगा था.
इस बार समीर बहुत धीमी गति से चोद रहा था.

कुछ ही देर में दर्द से ज्यादा मजा समीर से चुदने में आने लगा था- अअह … आह … समीरर … लव यू … आह!

समीर करीब 3 मिनट तक तक मुझे ऐसे ही धीमी गति से चोदता रहा.
फिर उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया.

अब समीर ने मुझे कुतिया स्टाईल में लेकर चोदने की कोशिश की.
उसने मुझे घुटनों के बल झुका दिया और मेरी मुंडी एकदम बिस्तर में झुका दी.

कुछ इस तरह से झुकाया कि मेरी गांड उठकर ऊपर की तरफ आ गयी.
एक एंगल सा बन गया था.

फिर समीर मेरे ऊपर आकर मुझे चोदने के लिए अपने लंड को मेरी गांड में डालने की कोशिश करने लगा किंतु वह कामयाब नहीं हो पा रहा था.

मैंने समीर को सपोर्ट किया और अपने एक हाथ से समीर के लंड को अपनी गांड के छेद पर रखकर फिट किया.
समीर ने अपने पैरों को कुछ फैलाते हुए अपने दोनों हाथों को मेरी कमर में डालते हुए लपेट कर मेरी गांड को अपने लंड की ओर ऐसे भींच लिया जैसा कि कुत्ता एक कुतिया को चोदने के लिए करता है.

ठीक वैसा ही आसन बन चुका था.

मैंने भी अपने शरीर को टाइट करते हुए शरीर का दवाब अपनी गांड की तरफ बढ़ा दिया था ताकि जब समीर लंड डाले, तो गांड हिले नहीं.
समीर ने मेरी कमर को कसकर अपने लंड पर भींच कर पोजीशन बनाई तो मैंने भी नीचे से अपनी गांड को समीर के लंड पर सैट करते हुए ताकत लगाकर एक लॉक की स्थिति बना दी थी.

बस कुछ ही सेकेण्ड में समीर ने अपना लंड एक बार फिर से मेरी गांड के अन्दर उतार दिया.
किंतु इस बार समीर का लंड मुझे कुछ ज्यादा लंबा मालूम पड़ रहा था.

शायद लेट कर चुदवाने में लंड पूरा अन्दर नहीं जा पाता होगा. किंतु इस पोज में समीर का लंड मेरी गांड के बहुत अन्दर तक चला गया था.
मुझे दर्द तो हो ही रहा था किंतु समीर धीरे धीरे करके मुझे कुत्तों की तरह चोदने में लगा था.

वैसे मैंने कुतियों को कई बार चुदते हुए देखा था किंतु आज स्वयं कुतिया बन कर चुदने में जो सेक्स फील हो रहा था, वह अकल्पनीय था.

समीर पूरे मनोयोग से मुझे कुत्ता बनकर अपने लंड को मेरी गांड में डाल कर चोद रहा था.
और मेरे मुँह से जोरदार आवाज निकल रही थी- आह … आह … समीर ऐसे ही चोदो आह … अहह …’

समीर ने कुछ मिनट तक ऐसे ही मुझे चोदा.
इस कुतिया स्टाईल में समीर का लंड फ्री होकर अन्दर बाहर हो रहा था.

इसके बाद समीर ने मुझे फ्री कर दिया और चित लिटा दिया. मेरे ऊपर आकर मेरे होंठों को चूसा, फिर नीचे की तरफ आकर उसने मेरे 4 इंच के लंड को मुँह में भर लिया और चूसने लगा.

उसका इस तरह से लंड चूसना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.

समीर ने मेरे लंड के चारों ओर किस किया और मेरी दोनों टांगों को फैलाकर अपने दोनों हाथों में लेकर ऊपर कर दिया.
मैं समझ नहीं पा रहा था कि समीर क्या करना चाहता है.

समीर मेरी दोनों टांगों को ऊपर ले जाकर मोड़ते हुए मेरे कंधों तक ले आया.
इस बार भी मेरी गांड एंगल बनाकर ऊपर की तरफ आ चुकी थी. फर्क सिर्फ स्टाईल में था.

समीर मेरे ऊपर आ गया, मेरी दोनों टांगें उसकी मजबूत भुजाओं के बंधन में थीं और मेरे कंधों पर आकर लॉक हो गयी थीं.
फिर से एक बार लंड छेद पर सैट नहीं हो पा रहा था. समीर इधर भी डाल नहीं पा रहा था.

मुझे फिर से एक उसे सपोर्ट करना पड़ा.
इस बार फिर से मेरी गांड ने समीर के लंड से चुदने के लिए समीर के लंड को निमंत्रित किया.

मैंने अपने एक हाथ से समीर के लंड को अपनी गांड के छेद पर सैट कर दिया.

इस बार मैंने तब तक हाथ अलग नहीं किया, जब तक समीर ने पूरी ताकत से अपना लंड मेरी गांड में डाल नहीं दिया.

‘आह … हह …’
लंड गांड में लेने का क्या मस्त अहसास था.

समीर ने मेरी टांगों सहित मेरे शरीर के ऊपरी हिस्से के अपनी मजबूत भुजाओं में कसकर दबोचा और मुझे चोदना आरंभ कर दिया था.

‘अह … आह …’ की मीठी सिसकारियों की आवाज से पूरा कमरा गूंजने लगा था.

हालांकि मेरी टांगों में दर्द होने लगा था किंतु समीर से इस स्टाईल में चित्त होकर चुदना बहुत ही अच्छा लग रहा था.
वैसे इस स्टाईल को समीर देर तक करना चाहता था किंतु मैंने टांगों में ज्यादा दवाब महसूस होने के कारण से उसे मना किया.

उसने मुझे मुक्त कर दिया.

उस समय समीर की उत्तेजना चरम पर थी.
उसने मुझे उल्टा लिटाकर फिर से अपना सूखा लंड मेरी गांड में डाला और अपने लंड को मेरी गांड पर दबा दिया.

समीर से ऐसे चुदकर मन और आत्मा आनन्दविभोर हो चुकी थी.

अब मेरी गांड ने समीर के लंड को कसकर पकड़ लिया था.
समीर भी धक्के नहीं लगा रहा था, बस यूं ही लंड डाले पड़ा हुआ था.

मुझे भी लग रहा था कि काश समीर का लंड गांड में लिए ऐसे ही पड़ा रहूँ.
मेरे मुँह से फुसफुसाहट की आवाज में निकल ही आया कि समीर आप मुझे अपनी रंडी समझो, अपनी चुदैल बना कर जब इच्छा हो जब चोदने को बुला लेना, मैं आपसे चुदने चला आऊंगा. समीर लव यू.

वो मुझे चूमने लगा.
मैंने आगे कहा- समीर, मेरी इच्छा होती है कि आप मुझे मारो, चाहो तो मुझे गंदी गंदी गालियां देते हुए चोदो. अब से मैं आपकी रंडी हूँ.

ये सुनकर समीर उत्तेजित हो गया और मुझे जमकर चोदने लगा.

करीब पांच मिनट तक समीर ने रगड़ कर मुझे चोदा.
अपनी चुदाई के इन अंतिम पलों में मेरा अपना सारा अस्तित्व समीर में खो गया था.
बस समीर का लंड ही मुझे अपना मालिक दिखाई दे रहा था.

पांच मिनट के बाद समीर ने मुझे कस कर दबोच लिया और कुछ ही पलों में समीर के लंड ने मेरी गांड के अन्दर झटका खाया.
उसके कुनकुने और गर्म वीर्य की पिचकारी से मेरी गांड का अंतिम सिरा तक भर गया.

ये बहुत ही सुखद अनुभव था क्योंकि इस वीर्य स्खलन में समीर की हवस नहीं बल्कि उसका प्यार शामिल था.

समीर के प्यार रूपी इस वीर्य का मेरी गांड में गिरना एक यादगार पल था.

धीरे धीरे करके समीर ने सारा वीर्य मेरी गांड में छोड़ दिया.
मेरी गांड समीर के वीर्य से भर गयी थी.

फिर कुछ देर के बाद हम सामान्य अवस्था में आए तो पाया कि समीर की बेडशीट पर पहली चुदाई से भी ज्यादा से खून पड़ा था.

शायद ये खून Xxx गे चुदाई के आखिरी पलों में निकला होगा क्योंकि आखिरी बार में समीर ने बिना रूके ताबड़तोड़ मेरी गांड में अपने लंड को ठांसा था.

कुछ देर में समीर ने बेडशीट चेंज कर दी.
अब मैं अपने प्रियतम समीर की बांहों में लिपटी हुई थी.

उस दिन समीर से मेरी गांड ही नहीं बल्कि मेरा दिल, दिमाग मेरा रोम रोम चुदा था.
समीर उस समय सिगरेट पी रहा था.

मैंने समीर से कहा- समीर लव यू … क्या आप अपनी इस सिगरेट से मेरे शरीर के किसी हिस्से को जला सकते हो?
समीर ने चौंकते हुए कहा- क्यों?

मैंने कहा- जब भी मैं ये अपने शरीर पर आपके द्वारा दिए गए जलने के निशान को देखूंगा, तो मुझे आपकी याद आती रहेगी.
समीर ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और किस करते हुए कहा- आज मैंने इतनी बड़ी निशानी दी, वो कम है क्या, जो ऐसी बातें कर रहा है?

मैं हंस दिया.

समीर ने आगे कहा- वैसे निशानी तो तुमने भी मुझे दे दी है.
मैंने कहा कि कैसी निशानी?

समीर ने बताया कि तेरी गांड बहुत टाइट थी. तुझे चोदने का मजा मिला तो एक सजा भी मिली.
मैंने उससे कहा कि कैसी सजा?

उसने कहा- मेरा लंड भी तेरी गांड से जख्म खाकर छिल गया है. बेडशीट पर जो खून था ना … वो तेरा अकेला नहीं बल्कि उसमें मेरा भी खून भी शामिल था.
मैं चौंक गया.

समीर ने कहा- तूने भी आज मेरे लंड की सील तोड़ दी. मेरी लंड की चमड़ी जहां पर जॉइंट होती है, वहां से टूट गयी है … और वहां से मेरा भी खून निकल कर तेरी गांड के छेदे से निकलने वाले खून में मिलकर मेरे प्यार की मिसाल बना है आज!

उसकी इस बात ने मुझे फिर से उत्तेजित कर दिया.
मैंने अपने होंठ समीर के होंठों पर सटा दिए और एक बार फिर से समीर मेरे होंठों को चूसने लगा.

दोस्तो, आपको मेरी Xxx गे की चुदाई कहानी कैसी लगी, प्लीज़ मेल व कमेंट्स से बताएं.
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top