चूत चुदाओ सब मिलकर

इमरान 2014-07-30 Comments

यह कहानी मुझे मुम्बई से रसिका बेगम ने भेजी है जिसे मैं रसिका के शब्दों में ही आपके सामने पेश कर रहा हूँ।

मैं रसिका बेगम हूँ, मैं यहाँ मुम्बई में अपनी ससुराल में रहती हूँ। मेरे साथ मेरी सास भी है।

मेरे ससुर और मेरा शौहर दोनों विदेश में काम करते हैं। मेरी सास हमीदा बानो बहुत अच्छे स्वभाव की है और मेरा बहुत ख्याल रखती है, मैं भी उनकी सेवा में कोई कोताही नहीं बरतती, हम दोनों बहुत खुश हैं।

मेरी उम्र 26 साल की है मेरा निकाह 4 साल पहले हुआ था। मैं निहायत खूबसूरत और खुश मिजाज हूँ। हाँ, सेक्स के मामले में मैं थोड़ी ज्यादा खुली जरूर हूँ।

मेरे लिए दुनिया में सबसे पसंद की चीज है ‘लण्ड’
मैं किसी का भी खड़ा लण्ड देखकर उस पर लट्टू हो जाती हूँ।
बहुत बातूनी हूँ मैं … और हर किस्म की बातें करती हूँ।

मैं कभी किसी बात का बुरा नहीं मानती, मजाक का तो बिल्कुल बुरा नहीं मानती, मजाक करने में मैं बहुत आगे हूँ।

यही हाल मेरी सास का भी है, हैं तो वे 45 साल की पर दिल उसका अभी 25 साल की लड़की की तरह है, अभी बिल्कुल हट्टी कट्टी हैं। बड़े बड़े चूतड़, बड़ी बड़ी आँखें, बड़ी बड़ी चूचियाँ और एक मस्त बदन!

मेरी सास को देख कर आज भी हर उम्र मर्द अपना लौड़ा सहलाने लगते हैं। मेरी कॉलोनी में एक लड़का रहता है नाम है उसका हनीफ़। हनीफ़ वैसे तो मुझसे बड़ा है पर मेरे शौहर से छोटा है इसलिए मुझे भाभीजान कहता है, मैं भी उसे अपना छोटा देवर मानती हूँ। वह मेरे घर आता जाता रहता है, मेरी सास से भी खूब बातें करता है और मुझसे तो वह हर तरह की बात कर लेता है।

एक दिन हनीफ़ बोला- भाभी, आप मुझे इतनी खूबसूरत क्यों लगती हो?

मेरे मुख से निकला- अरे मेरे राजा, मैं खूबसूरत हूँ, इसलिए लगती हूँ।

वह बोला- तो आपकी ‘वो’ भी खूबसूरत होगी?

मैंने कहा- अच्छा मैं समझ गई तुझे माँ के लौड़े, तेरे लौड़े में खुजली होने लगी है। तूने कब मेरी ‘वो’ देख ली है रे?

वह बोला- अरे भाभी, देखी नहीं अभी लेकिन देखने के मूड में हूँ।

मैंने कहा- चल हट कमीने कहीं के… मेरी ‘वो’ देखने के लिए तेरे ‘उस’ में ताकत नहीं है!

वह बोला- अरे भाभी, बिना देखे आप ऐसा नहीं कह सकती, मैं अपने ‘वो’ को बहुत संभाल कर रखता हूँ।

मैंने कहा- तो मैं क्या अपनी ‘वो’ को हाथ में लिए घूमती हूँ, मेरी ‘वो’ हमेशा परदे में रहती है।

वह बोला- एक दिन मैं उसका पर्दा उठा दूंगा!

मैंने कहा- अच्छा तेरे में इतना दम है? देखती हूँ और अगर नहीं उठा पाया तो मैं तेरी गाण्ड मार लूँगी।

मेरी उससे इसी तरह की अक्सर नोक-झोंक, हंसी-मजाक होती रहती है।

एक दिन वह फिर आया और बोला- भाभी, क्या मैं आपकी ‘वो’ में अपना ‘ये’ डाल दूं?
मैंने कहा- अरे बहनचोद, तू हमेशा ‘ये’ ‘वो’ क्यों कहता रहता है, ‘लण्ड’ ‘चूत’ कहने में तेरी गांड फटती है क्या?

उसने कहा- हाँ भाभी, फटती है।
इतना कह कर वह भाग गया।

करीब एक हफ्ते बाद एक दिन मैं उसके घर गई, वह अकेला ही रहता है, उसने मुझे बड़ी इज्ज़त दी और नाश्ता आदि करवाया।

फिर अचानक उसका फोन आ गया और वह यह कह कर चला गया- भाभी ज़रा देखना, मैं अभी आता हूँ।

इत्तिफाक से उसका लैपटॉप खुला था और खुला था उसका ईमेल का पेज।
वह साईन आउट करना भूल गया।

मैं उसकी ईमेल पढ़ने लगी, आज की ही ईमेल थी, मेरी सांसें तो जहाँ की तहाँ रह गई…
उसमें लिखा था-

मेरे राजा हनीफ़,

मैं तुमसे चुदवाने के लिए तैयार हूँ बशर्ते कि तेरा लण्ड मेरे बॉयफ्रेंड के लण्ड से बड़ा हो! उसका लण्ड 7″ का है, लण्ड की फोटो भेज रही हूँ।
जबाब के इंतज़ार में-
तेरी शमीम बानो
मैंने फोटो देखी तो मन ललचा गया। आगे इसका जवाब था।
हनीफ़ ने लिखा:-
हाय मेरी रानी शमीम
मेरा लण्ड 8″ का है, मैं तुम्हें पाने के लिए तड़प रहा हूँ। मैं अपने लण्ड की फोटो जो स्केल के साथ ली गई है, तुम्हें भेज रहा हूँ ताकि तुम्हें मेरे लण्ड की सही लम्बाई का पता चल सके। हाँ इसका घेरा 5″ है। अब तो दे दो प्लीज!
तेरा चहेता- हनीफ़
मैंने तुरंत उसके लण्ड की फोटो खोली और देखा तो मेरी बेचैनी बढ़ गई। लौड़ा बड़ा शानदार है हनीफ़ का!
मैं आगे पढ़ने लगी, लिखा था:
हाय मेरे राजा हनीफ़,
मैं आज रात को दस बजे तेरा इंतज़ार करूंगी। अपने घर पर मैं अकेली ही हूँ। छत वाले दरवाजे से चले आना, मैं तेरा इंतज़ार करूंगी।
तेरी शमीम बानो।

मैंने हनीफ़ के लण्ड की फोटो देखी तो बड़ी देर तक देखती रही, मुझे उसका लण्ड भा गया।

मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि हनीफ़ का लौड़ा इतना बड़ा होगा, इतना मोटा होगा!

मेरी चूत चुलबुला उठी, मेरा सारा बदन गर्म हो गया, आग लग गई मेरी बुर में!

अगर उस समय हनीफ़ मेरे सामने होता तो मैं उसका लौड़ा खींच कर पकड़ लेती!

एक बात तो तय है कि आज शमीम बानो की बुर चुदेगी।

मैंने सोच लिया कि मैं भी उसकी बुर चुदते हुए देखूँगी जरूर।

फिर मैं खोजने लगी कि यह शमीम बानो कौन है और कहाँ रहती है?

ढूंढते ढूंढते मुझे उसका पता मिल गया।

मैंने कहा ‘अरे यह तो यहीं बगल के घर में रहती है और रहमान चाचा जान की बेटी है। मैं तो इसे अच्छी तरह से जानती हूँ। अब मेरे सामने तस्वीर बिल्कुल साफ़ हो गई। मैं समझ गई कि हनीफ़ शमीम बानो को चोदना चाहता है।

मैंने मन में कहा ‘यार, मैं तो उससे कहीं ज्यादा सुन्दर हूँ। मुझे चोदने की इच्छा उसकी क्यों नहीं हुई?’

खैर अब देखती हूँ शायद मैंने ही उसे लिफ्ट नहीं दी? अब तो लिफ्ट क्या मैं सीधे सीधे उसे अपनी फ़ुद्दी दूँगी।

इतने में कुछ आहट हुई और मैंने फ़ौरन लैपटॉप बंद कर दिया।

पीछे मुड़ कर देखा तो हनीफ़ खड़ा था, वह बोला- भाभी सॉरी, मैंने आपको बहुत इंतज़ार करवाया।

मैं कुछ बोलने वाली थी कि किसी ने दरवाजे की घंटी बजा दी।

मैंने देखा कि उसका कोई मिलने वाला आया है तो मैं फ़ौरन वहाँ से चली आई।

रात को दस बजे के पहले ही मैं छिप कर बैठ गई छत पर। जब हनीफ़ अन्दर घुसा तो मैंने उसे देख लिया, वह मुझे नहीं देख पाया। कमरे की खिड़की थोड़ी खुली थी, मैं वही आँख लगा कर बैठ गई।

हनीफ़ बोला- हाय रानी, आज बहुत खूबसूरत लग रही हो।

मैंने मन में कहा- अरे भोंसड़ी के… मैं उससे कहीं ज्यादा खूबसूरत हूँ।

शमीम बोली- जबसे तेरे लण्ड की फोटो देखी है, तबसे इसे पकड़ने की इच्छ हो गई है।

हनीफ़ बोला- पहले तुम अपनी मस्त चूचियाँ पकड़ाओ न मुझे, फिर मेरा लौड़ा पकड़ना। अभी उसे मस्ती से खड़ा होने दो।

इतने में हनीफ़ ने उसे नंगी किया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा।

मैंने कहा ‘मादर चोद इसकी चूचियों में तो कोई दम नहीं है। इससे दुगुनी से भी ज्यादा मेरी दूधियाँ हैं।

शमीम बानो भी जल्दी में थी, उसने हनीफ़ को फ़ौरन नंगा किया और लण्ड पकड़ कर सहलाने लगी।

लण्ड टनटना कर खड़ा हो गया।

वह बोली- वाह, तुम ठीक कह रहे थे। यह तो मेरे बॉयफ्रेंड के लण्ड से बहुत बड़ा है यार! इतना बड़ा और मोटा लण्ड मेरी चूत फाड़ डालेगा।

हनीफ़ बोला- तू चिंता क्यों करती है, तेरी गांड भले फट जाए पर चूत नहीं फटेगी, इस बात की मेरी गारंटी है।

मैंने मन में कहा ‘हाँ यह बात तो सही कह रहा है हनीफ़!

शमीम बानो झुक कर लण्ड पीने लगी और हनीफ़ उसकी चूची चूसने लगा।

यह कहानी आप अन्तर्वासना पर पढ़ रहे हैं!

मेरी भी बुर में खुजली होने लगी, मैं भी बुर सहलाने लगी और अपनी चूचियाँ दबाने लगी।

मुझे हनीफ़ का लण्ड साफ दिखाई पड़ रहा था। मेरा मन हुआ कि मैं भी कूद पड़ूँ इस खेल में… पर मैं रुक गई और तमाशा देखने लगी।

थोड़ी देर में हनीफ़ ने चोदना शुरू किया।

शमीम चुदवाने में बड़ी मस्त लगी मुझे। मैं समझ गई कि वह कई मर्दों से चुदवा चुकी है मादरचोद… उसे चुदाने का सलीका आता है।

तब तक हनीफ़ ने पूछ लिया- शमीम बानो, तुम किस किस से चुदवाती हो?

वह बोली- यार, मुझे तो चुदाने का शौक है, लण्ड किसी का भी हो, मैं तो अंकल लोगो से भी चुदवा लेती हूँ। शाहिद अंकल खूब चोदते हैं, उसके दोस्त भी मुझे चोदने आते हैं। मेरे अब्बू के कई दोस्त मुझे चोदते हैं, शाहरूख अंकल भी अब चोदने लगे है मेरी फ़ुद्दी। कॉलेज के लड़के तो अक्सर चोदने आ जाते है। लेकिन मैं उससे ज्यादा चुदवाती हूँ जिसका लण्ड मुझे पसंद आ जाता है। जैसे अब मैं तुमसे खूब चुदवाया करूँगी।

ऐसा कह कर वह घूम गई और बोली- हनीफ़ अब तुम मुझे पीछे से चोदो…

यह चुदाई देख कर मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।

आखिर में जब लण्ड झड़ा तो शमीम बानो ने उसे खूब चाटा और झड़ता हुआ लण्ड पी गई।

वह वाकई बड़ी चुदक्कड़ निकली।

फिर मैं चुपके से वापस आ गई।

मैंने लेटे लेटे ठान लिया कि शमीम बानो जिस जिस से चुदवाती है उस उस से मैं भी चुदवाऊँगी। चाहे वो शाहिद अंकल हो, शाहरूख अंकल हो, इसका अब्बू हो या फिर उनके दोस्त और कॉलेज के लड़के! मैं इस ढंग से चुदवाऊँगी कि लोग शमीम बानो को चोदना भूल जायेगें।

मैं अब चुप नहीं रहूँगी।

सास है मेरे साथ पर सास की माँ की भोंसड़ा! मैं देखती हूँ कि वह मुझे कैसे रोकती है? अगर रोकेगी तो मैं खुद उसके भोंसड़े में पिलवा दूँगी लण्ड!

आखिरकार उसका भोंसड़ा भी लण्ड खाने का शौक़ीन होगा, वह भी किसी न किसी का लण्ड पकड़ती होगी? किसी न किसी से जरूर चुदवाती होगी… जो जो लण्ड मेरी सास के भोंसड़े में घुसा होगा, मैं उन सबको अपनी चूत में पिलवाऊँगी।

यही सब सोचते सोचते सवेरा हो गया।

मैं दो दिन के लिए अपनी अम्मी-अब्बू के पास चली गई।

वहाँ से लौटी तो देखा कि मेरी सास के कमरे में कुछ खुसर फुसर हो रही है।

गर्मी के दिन थे और उस दिन इतवार था। मैं चुपके से झांक कर देखने लगी।

मैंने देखा कि मेरी सास बिल्कुल नंगी है और रहमान चाचा का लौड़ा सहला रही है, मेरी सास की चूचियाँ तनी हुई है। उसका भोंसड़ा खिला हुआ है।

मेरी नज़र जब लण्ड पर पड़ी तो मैंने दाँतों तले उंगली दबा ली। मेरे मुँह से निकला ‘अरे… इसका मादरचोद लौड़ा तो हनीफ़ के लौड़े से भी बड़ा है!’

मेरी लार टपक पड़ी, मैंने अपनी साड़ी खोल डाली, फिर ब्लाउज खोला और बाद में पेटीकोट भी।

मैं गर्म हो गई, मेरा चूत भट्टी की तरह जलने लगी।

तब मुझसे न रहा गया। मैंने सोचा कि जब मेरी सास का यह हाल है तो मैं चुप क्यों रहूँ?

मैं कमरे में नंगी नंगी घुस गई।

मैंने सास के हाथ से लौड़ा छीनते हुए कहा- अरे सासू जी, अब तुम हटो मुझे लौड़ा पकड़ने दो। तुम तो चुदवाते चुदवाते सास बन गई हो मैं अभी जवान हूँ। मुझे लण्ड की ज्यादा जरूरत है।

बस मैं लण्ड पकड़ कर सहलाने लगी।

लण्ड साला मुझे नंगी देखकर और सख्त हो गया।

मैंने कहा- अरे भोंसड़ी के रहमान चचा, तुझे इतनो दिनों तक मेरी चूत की याद नहीं आई? साले इतना मस्त और मोटा बहनचोद लौड़ा लिए घूमते हो… कभी मेरी बुर में पेलने की कोशिश नहीं की तुमने? तुम तो बस मेरी सास को ही चोदते रहते हो? आज मैं दूँगी तुम्हें बुर चोदने का मज़ा!

चचा बोला- अरे नहीं रसिका… मैं मैं कई लड़कियों की बुर चोदता हूँ, उनकी माँ का भोंसड़ा चोदता हूँ, कई लोगों की बीवियाँ चोदता हूँ। लोग बड़े प्रेम से अपनी बीवियाँ मुझसे चुदवाते है यार!

मैंने कहा- तो फिर यह सब तेरे लण्ड का कमाल है, तेरा नहीं…

मेरी बात सुनकर सास चचा के पेल्हड़ सहलाने लगी।

मैं लण्ड पर टूट पड़ी, मुझे लण्ड इस समय हर तरफ से अच्छा लग रहा था, बहुत दिनों से भूखी थी मैं लण्ड की।

मैंने अपनी चूत चचा के मुँह पर रख दी और वह मजे से चाटने भी लगा।

आज बहुत दिनों के बाद मैं चूत चटवा रही थी।

फिर मैं उठी और अंकल लण्ड पर बैठ गई, मैं कूद कूद कर चुदवाने लगी।

उधर मेरी सास ने अपना भोंसड़ा चटवाना शुरू कर दिया।

इतने में मैंने देखा कि कमरे में शमीम बानो बुरचोदी अपने दोनों हाथों में एक एक लण्ड पकड़े हुए बड़ी मस्ती से चली आ रही है।उसके लण्ड देख कर मेरी आग और भड़क गई…

मैं समझ गई कि यह शमीम बानो अपने अब्बू से भी चुदवाती है, तभी तो उसके सामने गैर मर्दों से चुदाने का मज़ा ले रही है।

आते ही शमीम बानो बोली- आंटी, कैसा लग रहा है तुम्हें मेरे अब्बू से चुदवाने में?

मेरी सास बोली- हाय शमीम बानो, बड़ा शैतान है तेरे अब्बा का लौड़ा… बड़ी बेरहमी से चोदता है मेरा भोंसड़ा।

शमीम बानो बोली- अरे आंटी, ये दोनों भी मादरचोद बड़ी बेरहमी से चोदते हैं। यह है शाहिद का लौड़ा और यह है शाहरूख का लौड़ा!

उसने शाहिद का लण्ड मेरी सास को पकड़ा दिया और शाहरूख का मुझे।

अब मैं दो दो लण्डों का लुत्फ़ उठाने लगी, मेरा मज़ा दुगुना होता जा रहा था।

अचानक मेरे कंधे पर एक और लौड़ा आ गया। मैंने तिरछी निगाह से देखा तो वह हनीफ़ था।

मैंने कहा- भोंसड़ी के हनीफ़… तेरी माँ की चूत साले… तू शमीम बानो की बुर चोदता रहा और मुझसे केवल मजाक ही करता रहा। कभी अपने लण्ड का मज़ा मुझे नहीं दिया तूने?

वह बोला- आज दूंगा न भाभी… पहले चोद लूँ तुझे कस के, फिर तेरी बात का जवाब दूँगा… तेरी इतनी मस्त चूत देख कर मुझे चोदने के अलावा कुछ और सूझ नहीं रहा है।

इतना कह कर उसने रहमान को हटा कर अपना लण्ड मेरी फ़ुद्दी में पेल दिया और मैं शाहरूख का लण्ड तो चूस ही रही थी।

मेरे सामने मेरी सास रहमान से चुदवाने लगी, उधर शमीम बानो शाहिद से चुदवाने लगी।

बड़ा मज़ा आ रहा था, दूसरी की बुर चुदते देख कर अपनी चूत चुदवाने में ज्यादा मज़ा आ रहा था।

मैंने कहा- यार शमीम बानो, अब तो अकेले चुदवाने में उतना मज़ा नहीं आता है जितना सबके साथ चुदवाने में आता है, तुम इसी तरह मर्दों को लाती रहो और हम सब इसी तरह चुदवाती रहें!

वह बोली- हाँ भाभी, आप सही कह रही है इसीलिए मैं हमेशा ग्रुप में चुदवाती हूँ। ऊपर जब मैंने शाहिद और शाहरूख अंकल के लण्ड पक्ड़े तो मैंने सोचा कि मैं इन्हें नीचे ले चलूँ जहाँ मेरे अब्बा आंटी को चोद रहे हैं। बस मैं सबके साथ चुदवाने के लिए आ गई और आकर देखा तो रसिका भाभी भी अपनी माँ चुदवा रही हैं… देखो अब सबको कितना मज़ा आ रहा है।

मेरी सास बोली- हाँ मेरी बुर चोदी बहू, मैं तो कहती हूँ जब भी चुदाओ, सब मिलकर चुदाओ!

उसके बाद हम तीनों ने उन चारों लण्ड से रात भर अदल बदल कर खूब चुदवाया।

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