मंत्रियों की शयनसंगिनी -1

(Mantriyon Ki Shayansangini-1)

अर्चना जैन 2014-08-26 Comments

This story is part of a series:

मैं आपकी पसंदीदा लेखिका आपके लिए एक नई कहानी लेकर तैयार हूँ, मेरी पिछली कहानी प्रसंशकों की खातिर चुदाई आपको पसन्द आई होगी।

करीब 2 साल पहले की बात है जब दिल्ली में निगम पार्षद के चुनाव होने वाले थे, चूँकि मेरे पति एक बिजनेसमैन है तो नेताओं के साथ जान-पहचान आम बात थी इसलिए हमारे घर भी नेताओं का आना-जाना लगा रहता था, चुनाव के समय नेता पैसों के लिए हमारे घर आते रहते है और मेरे पति भी सहर्ष उन्हें पैसे दे दिया करते थे ताकि चुनाव जीतने के बाद नेताओं की मदद से अपना काम निकाला जा सके।

एक रविवार को मेरे पति सुबह-सुबह बोले कि आज दोपहर का खाना मत बनवाना, आज हमें खुशदिल जी के यहाँ खाने पर जाना है। मैंने नौकरानी को दोपहर का खाना न बनाने का बोल दिया और नहाने के लिए चली गई।

चूँकि सुबह के 9 बज गए थे और करीब 12 बजे हमें निकलना था तो मैं चलने की तैयारी करने लगी, वैसे तो ज्यादा मेकअप का इस्तेमाल नहीं करती थी पर क्यूंकि पति के साथ नेताओं के घर जाना था तो मुझे अच्छे से तैयार होना था।

मैंने पहले अपनी चूत के बाल साफ़ किए ताकि ज्यादा खुजली न हो और अपनी अच्छे से नहाकर अपनी पसंदीदा जाली वाली साड़ी निकाली क्यूंकि हर लड़की चाहती है कि सारे मर्दों की नजर बस उस पर रहे और सारे मर्द उसको देखकर अपना लौड़ा हिलाते रह जाएँ। वो साड़ी चटक लाल रंग की, बेकलेस और स्लीवलेस ब्लाउज, और अपनी हील वाली सेंडल में मैं क़यामत ढाने को तैयार थी।
चूँकि वहाँ पर काफी नेतागण आने वाले थे तो अपने पति का काम निकलवाने के लिए उन्हें इम्प्रेस करना भी जरूरी था।

करीब एक बजे हम खुशदिल जी के यहाँ पहुँच गए, वहाँ काफी सारे नेतागण आये हुए थे। मुझे और साहिल (मेरे पति) को देखकर खुशदिल जी हमारे पास आये और हमको अन्दर ले गए।
खुशदिल जी की उम्र कोई 42-45 के आस-पास थी परन्तु शारीरिक रूप से पूर्ण बलिष्ठ थे, वे बार-बार मुझे देखे जा रहे थे।

जब हम अन्दर पहुँचे तो साहिल ने कहा- मेरा एक प्रोपर्टी का मामला अटका हुआ है, अगर वो सुलझ जाए तो 20 करोड़ का फायदा होगा जिसमें से मैं 5 करोड़ पार्टी को चुनाव लड़ने के लिए दे सकता हूँ।

खुशदिल जी मेरी तरफ देखते हुए साहिल से बोले- हम आपका काम करवा देंगे और आपको इस बार पार्टी को कोई पैसे देने की जरूरत नहीं।

साहिल खुश हो गया कि सीधा 20 करोड़ का फायदा हो रहा है।
मैं अन्दर पहुँची तो एक किशोरवय बहुत खूबसूरत लड़की दिखी, इस उम्र में भी काफी भारी स्तन थे उसके।

मैंने उससे उसका नाम पूछा तो उसने अर्चना बताया। उसका नाम सुनकर मेरे चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई, उसकी आवाज में एक अजीब सी कशिश थी, करीब 5 फुट 3 इंच की लम्बाई, उसने बताया कि वो खुशदिल जी की बेटी है और अठारह साल की है, अभी 12वीं कक्षा में पढ़ती है।

मैं काफी देर तक उससे बातें करती रही कुछ ही देर में खुशदिल जी कि पत्नी ने उसको बुला लिया और वो चली गई।

मेरा उससे एक अजीब सा जुड़ाव हो गया था जैसे मैं उसे काफी समय से जानती हूँ, शायद हम दोनों का नाम एक ही है?
इतनी देर में खुशदिल जी भी बाकी मेहमानों के साथ अन्दर आ गए और एक-दूसरे से परिचय करवाने लगे।

चूँकि साहिल बाकी लोगों के साथ व्यस्त था तो मैं अकेली काफी बोर हो रही थी। मैं ज्यादा लोगो को वहाँ जानती भी नहीं थी, मैं ऊपर वाले कमरे में चली गई।
कमरे का दरवाजा खुला हुआ था और अन्दर सिगरेट का धुँआ था, मैंने अन्दर प्रवेश किया तो देखा अन्दर अर्चना के अलावा कोई नहीं था।

मैं समझ गई कि अर्चना सिगरेट पी रही थी लेकिन इस 18 साल की उम्र में। आजकल लड़कियाँ कुछ ज्यादा ही जल्दी में हैं।
मैंने उसे कुछ नहीं कहा, एक सिगरेट मांगी और उससे बातें करने लगी।

उसने अपने बारे में सब कुछ बताया। मैं फिर उससे खुलकर बातें करने लगी और उससे पूछा कि क्या उसने कभी सेक्स किया है तो उसने नहीं में जवाब दिया, उसने बताया कि उसका एक बॉयफ़्रेंड था लेकिन बस चूमाचाटी ही की है।

फिर मैंने उससे उसका नंबर लिया और बताया कि मैं एक कॉलगर्ल का नेटवर्क चलाती हूँ और कभी भी उसका चुदने का दिल करे तो फोन कर दे।
इतना कहकर मैं वहाँ से चल दी क्यूंकि मैं काफी देर से वहाँ बैठी हुई थी।

जब मैं नीचे आई तो ज्यादातर मेहमान जा चुके थे और कुछ जरूरी लोग रह गए थे, वहाँ पीना-खाना चल रहा था।
मुझे देखकर पार्टी के दूसरे नेता दशवेदी जी बोले- भाभी जी, अभी तक आप कहाँ थी?
फिर वो बाकियों से बोले- यार, आज तो दिन में चाँद के दर्शन हो गए।

अपनी तारीफ़ सुनकर मैं मुस्कुरा दी, चूँकि साहिल वहाँ नहीं था तो खुलकर मेरी तारीफ़ कर रहे थे।
तभी साहिल वहाँ आया तो सभी चुप हो गए, जब तक साहिल वहाँ बैठा रहा सब बस मुझे देख तो रहे थे मगर मुझसे बात करने की हिम्मत कोई नहीं कर रहा था।
चूँकि सब खाना खा चुके थे मैं वहाँ से उठकर जाने लगी क्यूंकि मुझे भूख लग रही थी।

अरोरा जी बोले- क्यूँ भाभी जी ! आप हमारा साथ नहीं देंगी?
तो मैंने कहा- मैंने अभी तक खाना भी नहीं खाया।
तो खुशदिल जी बोले- आप कहाँ थी?
तो मैंने कहा- मैं आपकी बेटी अर्चना के साथ ऊपर बैठी थी।

खुशदिल ने अपनी बेटी को तभी नीचे बुलाया और सभी के सामने उसको तमाचा मार दिया और कहा- तुम्हारी वजह से हमारा मेहमान भूखा बैठा है।
मुझे भी यह देखकर हैरानी हुई कि गलती मेरी और चांटा अपनी बेटी को मार दिया।
इसके बाद मैंने खाना खाया और इसके बाद साहिल और मैं घर चल दिए।

रास्ते में साहिल ने बताया कि उसको 4 दिन के लिए शहर से बाहर जाना है और उसको परसों ही निकलना है।
मैंने जाने का कारण पूछा तो साहिल ने बताया कि हैदराबाद में जमीन का कुछ काम है।
जाने से एक रात पहले साहिल ने मुझे जमकर चोदा, अगले दिन मंगलवार को साहिल हेदराबाद के लिए निकल गया।

साहिल के जाने के बाद करीब सुबह 11 बजे दशवेदी जी का मेरे पास फोन आया कि आज करीब 4 बजे उनके कणावला वाले फार्म हाउस पर एक पार्टी है और पार्टी के कुछ बड़े नेता भी आ रहे हैं चूँकि साहिल यहाँ नहीं है तो मेरा आना जरूरी है।

मैंने भी हाँ में उत्तर दिया, मैंने सोचा इस बार क्यूंकि साहिल भी नहीं है तो अच्छे से तैयार होकर जाऊँ ताकि सभी नेता अपनी बीवियों को भूल जाएँ।

मैंने भी अपनी सबसे पसंदीदा ड्रेस निकाली जो एक काले रंग की साड़ी थी। उसके ऊपर मैंने अतिरिक्त प्रभाव के लिए टाइट ब्रा पहन ली और सुर्ख लाल रंग की लिपस्टिक और काले रंग की हील वाली सेंडल पहनी।
करीब 3 बजे निकलने के लिए तैयार हो गई।

जब मैं फार्म हाउस पर पहुँची तो देखा कि पार्टी नेताओं का जमघट लगा हुआ है मगर कोई भी अपनी बीवी के साथ नहीं आया, मुझे लगा कि शायद मर्दों की ही पार्टी है और मुझे भी साहिल के बदले ही आना पड़ा है वर्ना शायद मुझे भी नहीं आना होता।

जैसे ही मैंने अन्दर प्रवेश किया तो सबसे पहले दशवेदी जी मेरे पास आये और बोले- भाभी, आज तो चमक रही हो ! और यह काले रंग का चमक वाला ब्लाउज तो गजब ढा रहा है।
चूँकि दशवेदी जी ऐसे ही बेबाक अंदाज में बात करते थे तो मुझे सामान्य बात लगी।

फिर पार्टी के एक बड़े नेता श्रीलंकी साहब आये और बोले- हाय अर्चना !
मैं उनको अच्छे से जानती नहीं थी लेकिन मैंने उनको इसका एहसास नहीं होने दिया और गर्मजोशी से उनकी तरफ हाथ बढ़ाया, उन्होंने भी हाथ मिलकर मेरा अभिवादन किया और वेटर को डांटते हुए बोले- तुम्हें दिखाई नहीं देता कि मैडम के हाथ में ग्लास नहीं है।

फिर उन्होंने एक वाईन का ग्लास मुझे थमाया और मेरे हाथ को थामते हुए बाकी मेहमानों की तरफ ले गए।
मैं अपनी आवभगत से बेहद प्रसन्न थी।
कुछ देर बाद मेहमान जाने लगे और 7-8 मेहमान रह गए, मैंने दशवेदी जी से चलने की आज्ञा मांगी तो वो बोले- भाभी जी, अभी आप कहाँ जा रही हैं।

दशवेदी ने बचे हुए सभी मेहमानों को अन्दर चलने के लिए कहा। फिर सब अन्दर बैठकर बात करने लगे और पार्टी के भले की बात करने लगे, मैंने भी अपना पक्ष रखते हुए बैठक में हिस्सा लिया।
इतना में पार्टी के बड़े नेता एरिवाल जी ने मेरी तरफ सिगरेट बढ़ाते हुए कहा – भाभी जी लीजिए कश खींचिए, मैंने कहा मैं नहीं पीती तो वो बोले भाभी एक बार लेकर तो देखिये, थोड़े ना-नुकुर के बाद मैंने सिगरेट ले ली और कश लेने लगी।

मेरे इस रूप को देखकर खुशदिल जी ने अपना लौड़ा पकड़ लिया और कस कर दबाने लगे। मैंने सिगरेट खतम करने के बाद चलने को कहा तो एरिवाल जी बोले- रुको न यार अर्चना, मैं तुमको घर छोड़ दूँगा।

चूँकि 8 बज गए थे तो मैंने चलना उचित समझा।
मैं वहाँ से खड़ी हुई तो बाकी के लोग भी खड़े हो गए जैसे मेरे लिए ही रुके थे। मैं बाहर आई तो देखा कि मेरी कार पंक्चर थी, एरिवाल साहब वहीं खड़े थे, बोले- अब तो तुम्हें या तो मेरे साथ चलना पड़ेगा या रात को यहीं रुकना पड़ेगा क्यूंकि इस वक्त तो तुम्हें कोई पंक्चर वाला मिलेगा नहीं।

मैंने भी मौके की नजाकत को देखते हुए उनके साथ चलने के लिए हाँ कह दी। बाकी के 6 लोगों ने भी साथ चलने के लिए पूछा मगर मैं एरिवाल साहब को हाँ कह चुकी थी, इसके बाद मैं एरिवाल साहब के साथ चल दी।
हम लोग थोड़ी दूर ही आगे गए थे कि उन्होंने गाड़ी रोकी और मेरी तरफ देखने लगे।

मैंने कहा- क्या हुआ सर?
तो वो बोले- यह सर-सर क्या बोल रही हूँ मुझे बस प्रेम बोलो।
उनका नाम प्रेम अरिवाल था, मैंने पूछा- क्या हुआ प्रेम?
तो वो बोला- मैं तुम्हारी जवानी देखकर बिल्कुल पागल हो चुका हूँ और तुमको चोदने के लिए मरा जा रहा हूँ।
मैंने कहा- मैं शादीशुदा हूँ।

तो प्रेम बोला- फिर ये भड़कीली साड़ी किसको दिखाने के लिए पहनी थी? सच बात तो यह है कि तुम भी हमारा लौड़ा हिलाना चाहती थी और वैसे भी अगर तुमने चुदने के लिए हाँ नहीं कहा तो मैं तुम्हारे पति को बर्बाद कर सकता हूँ। मैं वैसे भी प्रेम के लौड़े का स्वाद चखना चाहती थी क्यूंकि वो गाँव का देसी आदमी था और शरीर तो ऐसा था कि एक साथ 3-4 लड़कियाँ चोद दे।
मैंने हाँ कहा और उसकी बाहों में सिमट गई।

मैं अपने घर के सामने पहुँची और कार से उतरी तो प्रेम बोला- डार्लिंग, तुम चलो, मैं कार पार्क करके आ रहा हूँ।
मैं घर में घुसी और अपने कपड़े बदलकर एक सेक्सी से नाइटी डाल ली और प्रेम का इन्तजार करने लगी।

वो नाइटी पारदर्शी थी, मैंने अपनी पेंटी भी उतार दी थी मगर ब्रा नहीं उतारी थी। मेरे 38D के चूचों की वजह से नाइटी पर काफी उभार आ गया था।
करीब 5 मिनट के बाद गेट की आवाज आई तो सामने प्रेम खड़ा था।

मेरी नजर सबसे पहले प्रेम के लौड़े पर गई जो नाग कि तरह फुंफकार रहा था, मैंने उंगली से इशारा करके उसे अन्दर आने का निमंत्रण दिया, प्रेम मेरी तरफ बढ़ा।
मैं भी खड़ी हुई और अपने अपने आपको उसकी बाहों में धकेल दिया, मैंने उसका सर पकड़ कर एक जोरदार चुम्बन दिया।

तभी मुझे फिर से गेट की आवाज आई तो मैंने उसे नजरअंदाज कर दिया।
मैंने प्रेम की शर्ट उतारी, प्रेम उम्र में मुझसे कम से कम बीस साल बड़ा था।

मैंने उसकी छाती अपनी जीभ से चाटी, और अपनी नाइटी ढीली की, प्रेम ने उसे उतार दिया चूँकि मैंने अन्दर सिर्फ ब्रा पहन रखी थी इसलिए मेरी चूत पूरी तरह से सामने आ गई।

मैंने प्रेम को अपनी चूत चाटने को कहा तो उसने मुझे अपनी बाहों में लेकर बिस्तर पर लिटाया और मेरी चूत का रसपान करने लगा, चूत में एक अजीब सा एहसास हुआ और मुझे नशा सा चढ़ने लगा।
मैं अपनी चूत चुदवाने के लिए पागल हो चुकी थी।

फिर मैं उठी प्रेम की पैंट ढीली की और कच्छे समेत उसकी पैंट उतार दी। मैंने उसका 8 इंच का लौड़ा अपने एक हाथ में लेने की कोशिश की मगर वो मेरे एक हाथ में नहीं आया।
प्रेम ने मेरे बाल पकड़े और मेरे मुंह में अपना लौड़ा एक साथ घुसाने की कोशिश की, मैंने उसके लौड़े पर कट्टी कर दी, मतलब काट लिया।

प्रेम ने मुझे बाहों में पकड़ा और फिर से होंठ चूसने लगा वो ब्रा के ऊपर से मेरे चूचे भींच रहा था। उसने बिना ब्रा उतारे मेरे चूचे मुंह में लेने लगा जिससे मेरी ब्रा फट गई और मेरे मुंह से आह आहाहहहहः निकल गई।
पूरे कमरे में मेरे चिल्लाने की आवाज गूँज गई।
तभी प्रेम बाथरूम में चला गया।

मैं बिस्तर पर लेट गई और एरिवाल का इन्तजार करने लगी। तभी किसी ने मेरे कमरे में प्रवेश किया, वो सीधा आया और अपना मुंह मेरी चूत पर लगा दिया और जब मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया तो वो उसे पीने लगा।

जब वो मेरे चूचों की तरफ बढ़ा तब मुझे पता चला वो एरिवाल नहीं बल्कि खुशदिल था और एरिवाल समेत बाकी 6 लोग भी दरवाजे पर खड़े थे।
मैं उन सातों को देखकर खड़ी हो गई, और सकपका गई। मुझे पता चल चुका था कि अब मुझे इन सभी से चुदना पड़ेगा।

फिर भी मैंने उनसे पूछा- तुम सब लोग यहाँ क्या कर रहे हो?
मुझे एरिवाल और बाकी सभी के ऊपर बहुत गुस्सा आ रहा था, एरिवाल के ऊपर इतना नहीं क्यूंकि मैं खुद उससे चुदना चाहती थी मगर वो भी सब से मिला हुआ था।
मैं कुछ भी नही कर सकती थी, मैं ये सब सोच ही रही थी कि दशवेदी बोला- भाभी, हमें चोदने का मौका नहीं दोगी?

मैंने कहा- लेकिन मैं तुम्हारे दोस्त की बीवी हूँ।
बजाज जो अब तक अपना लौड़ा हिला रहा था, बोला- बहन की लौड़ी… जब एरिवाल से चुद रही थी तब भी हमारे दोस्त ही बीवी थी, हमारा लौड़ा लेने से कौन सा तेरा और साहिल का तलाक हो जायेगा और अगर हो भी गया तो हम सातों तुझे अपनी रखैल बना कर रखेंगे और रोजाना जमकर चोदेंगे।
मेरे पास कोई और चारा नहीं बचा था और एक साथ इतने लौड़े लेने का तजुर्बा पहले से ही था मुझे,

मैंने कहा- मैं एक बार में एक से ही चुदूंगी।
इस पर गुप्ता बोला- वह मेरी जान अब जब तू चुदने को तैयार हो ही गई है तो और मजा आएगा वर्ना चोदकर तो फिर भी हम तुझे जाते।
खुशदिल बोला- यारो, 4 दिन हैं, इसे जमकर चोदेंगे, इसी मौके के लिए तो इसके पति को मैंने बाहर भिजवाया है।

यह सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आया। मगर उस वक्त मैं उसका कुछ नहीं कर सकती थी, मैंने एक सिगरेट जलाई और कश लेते हुए उन 6 लोगों की ओर बढ़ी और कहा- मुझे इन 4 दिनों में इतना चोदना कि जिंदगी भर बाहर चुदने का मन न करे।
मैंने इतने कामुकता भरे अंदाज में उनको न्योता दिया कि उन सबके लौरे खड़े हो गए।

मैंने फिर सिगरेट एशट्रे में बुझाई और बिस्तर पर बैठकर अपनी चूत में उंगली करने लगी।
सबसे पहले एरिवाल आगे बढ़ा और बोला सबसे पहले मैं इसे चोदूँगा। खुशदिल भी आगे आते हुए बोला- मैं इसकी गांड पर आसन लगाऊँगा।
सिंह साहब और अहमद जी भी अपनी-अपनी जगह लेने के लिए तैयार थे।

चूँकि एरिवाल का दबदबा उनमें सबसे ज्यादा था तो किसी ने कुछ नहीं बोला और अपने नंबर का इन्तजार करने लगे।

एरिवाल मेरी तरफ बढ़ा और मेरा हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया, चूँकि मैं उसका पहले ही लौड़ा चूस चुकी थी और उसका 8 इंच का लौड़ा पहले ही हवा में लहरा रहा था तो मैंने दुबारा नहीं चूसा।
मैंने सीधा उसे अपनी चूत मारने का निमंत्रण दिया, उसका लौड़ा देखकर मेरी चूत की खुजली बढ़ चुकी थी।

अरोरा ने आकर मुझे पीछे से पकड़ लिया और बोला- अर्चना डार्लिंग, अब सब्र नहीं होता… हम सब ही तुमको साथ में चोदेंगे।
मैंने अरोरा का लौड़ा अपनी मुट्ठी में भींच लिया जिससे उसकी आःहहः अहहह आआह्ह्ह आआह्ह निकल गई।

मैंने कमान संभालते हुए उसे धक्का दिया, प्रेम एरिवाल ने मेरे बाल पकड़े और मुझे बिस्तर पर पटक दिया। वो ऐसे कर रहा था जैसे मेरा जबरदस्त चोदन कर रहा हो।
प्रेम मेरे ऊपर आ गया, पूरा माहौल कामुकता से भर गया था।
मेरी नजर सामने गई तो सिर्फ बजाज दशवेदी और अरोरा खड़े थे। बाकी तीनों गायब थे, मुझे लगा शायद मुटठ मारने बाथरूम में चले गए होंगे।

मैंने अरोरा, दशवेदी और बजाज को अपनी तरफ बुलाया और दशवेदी और बजाज को अपने-अपने लौड़े मेरे हाथों में रखने को कहा।
मैं अपने दोनों हाथों से उनकी मूठ मारने लगी।
इसी बीच एरिवाल ने अपना लौड़ा मेरी चूत के मुहाने पर रख दिया और मेरी चूत को अपने लौड़े से रगड़ने लगा।

मैं पागल हो चुकी थी, मैं जोर जोर से चिल्लाने लगी- चोद दो मुझको ! मेरी चूत में अपना लौड़ा घुसाओ।
एरिवाल भी जोश में आते हुए एक तेज का झटका मारा, उसका लौड़ा इतना मोटा था कि मेरी चूत ने खून छोड़ दिया और मैं जोर से चिल्ला पड़ी, पूरे कमरे में आःह्ह्ह्ह्ह अआआः आःह येस येस कम ओन कम ओन येस फक मी फक मी की आवाज गूंजने लगी।

मेरा चिल्लाना रोकने के लिए अरोरा जो अब तक खाली खड़ा था, मेरी तरफ आया और अपना लौड़ा मेरे होंठों से लगा दिया और मेरे मुंह में घुसा दिया जिसकी वजह से मैं चिल्ला भी नहीं सकती थी।
एरिवाल जोर-जोर से शोट पे शोट मार रहा था, मेरी चूत गीली होने के कारण अब चप चप चप की आवाज कमरे में आने लगी।

करीब 10 मिनट तक एरिवाल ही मुझे चोदता रहा और बाकी तीनों अपनी-अपनी जगहों पर बराबर कायम थे।
इसके बाद उसने मुझसे कहा- अब मैं तुम्हारी गांड मारना चाहता हूँ।
मैंने कहा- आज तो पूरी तुम्हारी हूँ जो चाहे करो।

मैं जानती थी जब चूत में घुसाने पर इतना दर्द हुआ तो गांड को तो छील कर रख देगा ये लौड़ा।
मैंने एरिवाल से कहा- पहले बाकी तीनो भी मेरी चूत का स्वाद ले लें, फिर बारी बारी से तीनों मेरी गांड भी मार लेना।

इसके बाद बारी-बारी से बाकी तीनों ने भी मेरी चूत मारी, इसके बाद मैंने बारी-बारी से चारों के लौड़े चूस कर साफ़ किए, चारों के लौड़ों से इतना सारा पानी बह रहा था।
फिर दशवेदी ने मेरी चूत पर अपना सर लगाया और चाट-चाटकर मेरी चूत साफ़ करने लगा।
इसके बाद उन्होंने मुझे उल्टा किया और मेरी गांड मारने की तैयारी करने लगे।
मैंने कहा- पहले मेरी गांड को थोड़ा मुलायम कर लो ताकि दर्द कम हो।

चारों ने मेरी गांड में थूक दिया और उंगली से अन्दर-बाहर करने लगे और फिर चारों ने बारी-बारी से मेरी गांड मारी।
सुबह तक हम पांचों ऐसे ही लेटे रहे। सुबह जब मेरी आँख खुली तो मैंने देखा बाकी तीनों अभी भी कमरे में नहीं थे।
चार लौड़े लेने के कारण मेरी हालत बहुत बुरी हो चुकी थी।

फिर भी मैं उन तीनों की खबर लेने के लिए कमरे से बाहर निकली, बाकी चारों अभी भी सो रहे थे, मैंने सारे कमरों में देखा लेकिन वो मुझे कहीं दिखाई नहीं दिए। थकान के कारण मैं काफी थक गई तो पानी पीने के लिए मैं रसोई में गई तो देखा कि वो तीनो रसोई में नंगे लेटे पड़े हैं और मेरी नौकरानी भी नंगी लेटी है।

मैं देखते ही समझ गई और बिना किसी शोर के नौकरानी को उठाया और उसे बाथरुम में लेकर गई और उसकी चूत साफ़ की।
चूँकि उसकी चूत का बुरा हाल था तो मैंने कुछ पेनकिलर दी और माफ़ी मांगी और कहा- माफ करना, यह मेरी वजह से हो गया।

मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ, मैंने अपनी नौकरानी से पूछा कि किसके कहने पर इन तीनों ने तुम्हारे साथ किया तो उसने खुशदिल कि तरफ इशारा किया और कहा- उस अर्चना रंडी को तो बाद में भी चोद लेंगे, यह कमसिन कली फिर नहीं मिलेगी।

मैंने फिर सातों को उठाया और उन तीनों को जिन्होंने मेरी नौकरानी को चोद दिया था, को चांटा मारा और घर से निकाल दिया और बाकी चारों को भी जाने के लिए कहा।
एरिवाल जो एक बड़ा नेता था वो खुशदिल से बहुत खफा था क्यूंकि वो चार दिन तक मुझे चोद सकते थे और अब एक ही दिन में उन्हें जाना पड़ रहा था।

उनके जाने के बाद मैंने अपनी नौकरानी से पूछा- क्यूं रानी, मज़ा भी लिया या बस ऐसे ही चुदती रही?
उसने कहा- हाँ दीदी, खूब मज़े आये !
आगे की कहानी मैं जल्द ही लिखूंगी कि कैसे मैंने खुशदिल से इस बात का बदला उतारा कि उसने मेरी नौकरानी के सामने मुझे रण्डी कहा।

यह घटना आपको कैसा लगी, मुझे जरूर बताइए।
[email protected]

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