मेरी चोदन कथा: पांच लफंगों से पार्क में चुदी

(Meri Chodan Katha: Panch Lafangon Se Park Me Chudi)

नमस्कार दोस्तो, मैं मधु जायसवाल आप सभी चुदाई प्रेमियों का एक बार फिर अपनी सच्ची चोदन कथा में स्वागत करती हूँ और आपका दिल से धन्यवाद करती हूँ कि आपने मेरी कहानी को इतना ज्यादा सराहा.

बहुत सारे पाठक मुझे चोदना चाहते हैं, मैं भी नये नये लंड से चुदना चाहती हूँ लेकिन क्या करूं, भगवान ने मुझे एक ही चूत, गांड दी है जिससे मैं सबसे नहीं चुद सकती.
लेकिन मैं सबसे निवेदन करती हूँ कि कहानी पढ़ते-पढ़ते आप मेरी नाम की मुठ मारें और सारा वीर्य मेरे बदन पर डाल दें क्योंकि मुझे अब वीर्य की खुशबू बहुत अच्छी लगती है. मैं चाहती हूँ कि हमेशा किसी ना किसी का वीर्य मेरे शरीर पर हो.
अब ज्यादा टाइम ना गंवाते हुए अपनी चोदन कथा पर आती हूँ.

मेरी पिछली कहानी
मैं बेचारी जवानी की आग में जल रही थी
में आपने पढ़ा कि किस तरह मेरे होने वाले पति अमित ने मेरी जबरदस्त चुदाई की. अब अमित को मेरी चूत की लत लग गई थी, वो हमेशा मुझे चुदाई के लिये फ़ोर्स करता रहता था. मैं तो चुदक्कड़ थी ही. हम दोनों की जोड़ी अच्छी जम रही थी. हम महीने में 3-4 बार चुदाई का आनन्द उठा ही लेते थे. कभी-कभी तो घर से बोल कर जाती थी कि आज पूरी रात सहेली के यहां पढ़ाई करूँगी. और फिर अमित के साथ किसी होटल में जवानी की पाठ पढ़ने लगती थी यानि जमकर चुदाई करवाती थी.

इसी तरह हम दोनों एक दूसरे के जिस्म की भूख मिटाने लगे थे. जब भी टाइम मिलता, वो मुझे चोदने लगता था.

एक दिन अमित का फोन आया कि वह मुझे चोदना चाहता है.
मैं थोड़े नखरे दिखाने लगी. लेकिन जल्दी ही मान गयी और मानती भी क्यों ना, मेरी चूत में खुजली तो हमेशा ही रहती है.

मैं तैयार हो गई और सज धज कर अमित से चुदने के लिए शाम को घर से सज धज कर निकल गई. जैसे ही मैं होटल पहुंची, तभी अमित का फोन आया- मैं आज नहीं आ सकता, किसी काम से शहर से बाहर जा रहा हूँ.

मुझे बहुत तेज गुस्सा आया, मैं गुस्से में बोली- पहले बता देते तो मैं इतनी रात को नहीं आती.
उसने माफी मांगी और बोला- ठीक है, वापिस चली जाओ, फिर कभी मिलेंगे.

उस समय शाम के 8:00 बज रहे थे. मैं क्या क्या सोच कर आई थी कि आज पूरी रात जमकर चुदाई करवाऊंगी. मन की बात मन में ही रह गयी. मैं गुस्से से और निराश होकर घर लौटने लगी. वहां से रिक्शा ली और घर से कुछ दूरी पर उतर गई, वहां उतरकर पब्लिक टॉयलेट जाने लगी कपड़े बदलने के लिए क्योंकि मैं इस ड्रेस में घर पर तो नहीं जा सकती थी.

मैं आपको बता दूँ कि मैं उस दिन मिनी स्कर्ट और टॉप पहने थी.

लेकिन वहाँ कुछ मनचले टाइप लड़के थे. जो आने जाने वाली हर लड़की को छेड़ते थे और गंदे कमैंट्स पास करते थे.

मुझ पर तो कुछ ज्यादा ही ये लोग मेहरबान थे, मुझे हमेशा छेड़ते रहते थे और मेरी जवानी पर गंदे गंदे कमेंट करते रहते थे जो कि मुझे भी अच्छी लगती थी. ये सारे लड़के मेरे पड़ोस के ही थे. इनमें से एक को अच्छे से जानती थी उसका नाम सुरेश था, मेरा पड़ोसी था और वो मुझे सबके सामने दीदी बोलता था लेकिन एक नम्बर का लोफर था.

जैसे ही मैं टॉयलेट में जाने लगी, एक लड़के ने मेरे से बोला- क्या बात है रानी, आज इतनी रात को पब्लिक टॉयलेट में?
तभी एक लड़के ने कहा- आज यही टॉयलेट कर लो. हम लोग भी तुम्हारी चूत के दर्शन कर लेंगे.

उन लड़कों के मुंह से यह बात सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आया. वे लड़के पहले भी मुझे छेड़ते थे लेकिन इस तरह से कभी बात नहीं करते थे.
मैं बहुत गुस्से में थी और जाकर उस लड़के के गाल पर एक थप्पड़ जड़ दिया और टॉयलेट जाने लगी.

तभी वह लड़का मेरे पीछे पीछे दौड़ता आया और मुझे पीछे से आकरपकड़ लिया और गाली देने लगा- साली, कुत्ती, रण्डी, भोसदी की, बहनचोद ना जाने कितनों से चुदवाती है और मुझे थप्पड़ मारती है. आज तुझे इसका जवाब दूंगा.
मैं थोड़ी सी डर गई और बोली- छोड़ो मुझे!

लेकिन वह नहीं माना, मैंने जैसे तैसे करके अपने आप को उससे छुड़ा कर जाने लगी. तभी वह लड़का दौड़ के फिर मेरे पीछे आया, मुझे कस के पकड़ लिया और बोला- साली, आज तेरी सारी गर्मी उतारूंगा.
और मुझे सीधी करके चूमने लगा, मेरे होठों पे जबरदस्त स्मूच करने लगा.

मैं चिल्लाती इससे पहले उसने सारे लड़कों को बुला लिया. फिर सारे लड़कों ने मुझे घेर लिया आप सब मेरे अंगों से खेलने लगे. मुझे मजा आ रहा था लेकिन मैं बोल रही थी- छोड़ दो, मुझे छोड़ दो! लेकिन कोई सुन नहीं रहा था, उन सबने मानो मुझे चोदने का प्लान बना रखा था.

सब मेरे अंगों से वहीं बीच सड़क पर खेल रहे थे, कोई मेरी चूची दबा रहा था तो कोई गांड मसल रहा था तो कोई चूत में उंगली करने की कोशिश कर रहा था. जिसका हाथ जहाँ पड़ता वो वहीं मसलने लगता था. एक तो मेरी नंगी जांघो को मसल रहा था. समझ में नहीं आ रहा था कि कितने लड़के थे.
एक लड़का मुझे बेरहमी से मसलते हुये बोला- साली रंडी, सच में तेरे अंदर बहुत गर्मी है. आज हम पांच मिलकर तेरी सारी गर्मी यहीं निकलेंगे.
सुन कर मैं रोमांचित हो उठी कि आज कुछ नया मिलेगा.

इससे पहले मैं कुछ कह पाती, उन लड़कों ने जैसे-तैसे करके मेरी टॉप निकाल दी और ब्रा को फाड़ कर मेरी चूची को आज़ाद किया.
तभी एक लड़के ने बोला- भाई रहने दे, छोड़ देते हैं. नहीं तो कुछ पंगा हो जाएगा.

उस लड़के की कौन सुनता, तभी एक लड़के ने उसे कहा- साले तुझे नहीं करना तो तू जा, कितने दिनों के बाद ऐसी माल मिली है. इसे चोद कर तो मैं नरक में भी जाने को तैयार हूँ. इस साली रण्डी का हमें पता है कि कितनों से कहाँ कहाँ चुदती है.

तभी उन सबने मिलकर मेरी स्कर्ट उतार दी. अब मैं उनके सामने सिर्फ एक छोटी पेंटी में थी. मुझे इस हालत में देख पांचो मेरे से चिपक कर अपनी लंड से चोट करने लगे. अब मुझे डर लगने लगा था, मैं उनसे छूटने लगी. तो एक लड़के ने बोला यार- ये ऐसे करती रही तो हम मारे जाएंगे.
तभी सुरेश बोला- तू टेंशन मत ले, अब ये आराम से चुदवायेगी.

यह कह कर वो मुझे उन सब से थोड़ी दूर पर ले गया और बोला- दीदी चिल्लाओ मत, मुझे और मेरे दोस्तों को खुश कर दो. फिर हम छोड़ देंगे.
मैं बनावटी गुस्से में बोली- ऐसे तो मुझे दीदी बोलते हो. और अपनी दीदी के साथ कोई ये सब करता है क्या!
और सुरेश को भी थप्पड़ मार दिया.

फिर वो गुस्सा हो गया, बोला- साली रण्डी, अगर तेरी जैसी बहन हो तो दिन रात चोदता. काश तू मेरी सगी बहन होती. तब तो तेरी रोज चुदाई करता.
और फिर उसने अपनी जेब मोबाइल निकाला. मैंने सोचा कि ये शायद मेरा MMS बनाएगा लेकिन मैं गलत निकली, उसने मोबाईल मेरे आगे किया और एक वीडियो प्ले कर दी.
वो विडियो देखते ही मैं एकदम शांत हो गयी. यह वही विडियो थी जो मम्मी ने मुझे दिखाई थी मेरी और संतोष की.

फिर वह बोला- ये वीडियो मैंने ही तेरे बाप को दी थी. अब तू बता मेरे इन दोस्तो से चुदेगी. या सबको दिखा दूँ?
वह वीडियो देखते ही मैं शांत हो गई और बोली- अगर तुमने मेरी चुदाई ही करनी थी तो अकेले कर लेते इस सब के साथ क्यों!

सुरेश बोला- मुझे तुम्हारे साथ ग्रुप सेक्स करना था.
मैं बोली- पांच-पांच लोगों के साथ अकेली मैं तो मर जाऊंगी.
वह बोला- कुछ नहीं होने दूंगा, तुम्हें आराम आराम से चोदेंगे सारे.

फिर भी मैं सुरेश को बोली- मुझे जाने दो, जब भी तुम बोलोगे मैं वहां जाऊंगी.
लेकिन वह नहीं माना और बोला- चुदाई करवाओगी या नहीं?
मैं उसको बोली- पांच लड़कों के बीच मैं डर रही हूँ. तुम मुझे अकेले जब चाहे, जितना चाहे चोद लेना.

लेकिन वह नहीं माना और मेरी चुचियों को ऐंठते हुए बोला- रानी, हमारे साथ आओगी या नहीं, यह बताओ.
ना चाहते हुए भी मैंने हामी भर दी और उसके साथ चल पड़ी.

वहां खड़े लड़कों ने मुझे शांत देखा तो सुरेश को बोले- यार तूने तो कमाल कर दिया, साली को 2 मिनट में शांत कर दिया, ऐसा क्या किया?
सुरेश बोला- तुम लोग सिर्फ आम खाने से मतलब रखो!

और फिर सब मेरे टूट पड़े, मेरी पैंटी पहले कौन निकाले इसी जल्दी में मेरी पैंटी को सबने मिल कर एक झटके में फाड़ दी. मुझे पूरी तरह बीच सड़क पर नंगी कर दिया.
मैं मन ही मन सोच रही थी कि यह मेरे साथ क्या हो रहा है, हमेशा सड़क पर ही मेरी चुदाई क्यों होती है.

मैं अंदर से बहुत डरी हुई थी, मैं बोली- प्लीज यार छोड़ दो!
लेकिन सब मूड में आ चुके थे, सबका लण्ड तन के रॉड बन चुका था.

सुरेश ने मुझे कहा- रानी, आज के लिए तू द्रौपदी बन जा और हम तुम्हारे पांच पांडव.
मैं बोली- ठीक है, मैं द्रोपदी बनने के लिए तैयार हूँ. लेकिन तुम में से कोई एक आज चोद लो. और बाकी से अलग-अलग दिन चुदवा लूंगी. द्रोपदी भी एक दिन में एक ही पांडव से चुदती होगी.

तभी एक लड़के ने कहा- वो सतयुग की द्रोपदी थी लेकिन तुम कलयुग की द्रौपदी हो और तू तो चुदक्कड़ है ही. इसीलिए तुम पांचों पांडवों से एक रात में ही चुदोगी.

इतना बोलकर सब लड़के हंसने लगे और मेरे अंगों को मसल रहे थे, मैं समझ गई थी कि आज ही लोग बिना चोदे मुझे जाने नहीं देंगे. मैं बोली- यार तुम लोग तो चोदोगे ही तो कहीं और चलो.

उस समय रात के 9:30 बज चुके थे, सबने कहा- चल तेरे घर पर जाकर तुझे चोदते हैं.
मैं बोली- मेरे घर पर मेरे मम्मी पापा होंगे.
तभी एक लड़के ने बोला- तेरी माँ भी तो एकदम हॉट है. चल आज तेरी माँ को भी चोद देंगे.
और सभी ठहाके लगाने लगे.

तब सुरेश बोला- इतनी रात को कोई होटल भी नहीं देगा.
फिर एक लड़के ने बोला- यार, ऐसा करते हैं इसे पार्क में लेकर चलते हैं. इसकी पूरी रात ढंग से चुदाई करेंगे.
यह बात सबको सही लगी. पार्क बगल में ही थी थोड़ी दूर पर…

मैं कपड़े पहनने लगी तो सब लड़कों ने मना कर दिया बोला- रहने दे, आज रात तू कपड़े नहीं पहनेगी, नंगी ही चल पार्क!
मैं बोली- कपड़े तो उठा लेने दो!
इतने में एक लड़के ने मेरे कपड़े उठा लिये.

पूरे रास्ते पांचों लड़के मुझे खिलौने की तरह मसलते नोचते ले गए. जैसे हम लोग पार्क पहुंचे तो पार्क बंद हो चुका था.
तो एक लड़के ने कहा- भाई मेरे से अब बर्दाश्त नहीं जो रहा, साली को यहीं चोद देते हैं.

तभी सुरेश बोला- पागल है क्या? यहाँ किसी ने देख लिया तो मारे जाएंगे. एक काम करते है. पार्क की दीवार कूद कर अंदर चलते है. उसके बाद अंदर इसकी जवानी को निचोड़ेंगे.
तो सभी ने हामी भर दी.
फिर जैसे तैसे दीवार कूद कर अंदर गये.

अंदर जाते ही सारे लड़के मुझ पर टूट गये और सब नंगे हो गए. सबके लंड एकदम तने हुए थे. मैं एक साथ इतने लंड पहली बार देख रही थी. सब मुझे खिलौने की तरह नोच रहे थे, जिसको जो अंग मिलता, वो उसी को अपने दाँतो से काट रहा था.

एक मेरी चूची मसल रहा था, एक चूची काट रहा था. एक मेरी नाजुक होंठों को अपने होंठों से चूसे जा रहा था, एक मेरी नर्म-नर्म गालों को अपने दाँतों से चबा रहा था और मेरी गांड मसल रहा था.

और एक मेरी सबसे बड़ी अमानत यानि मेरी चूत को मसल रहा था, मसलते-मसलते वो उंगली भी कर देता था जिससे मैं चिहुँक जाती थी.

मेरी हालत अभी एक रण्डी की तरह हो गयी थी मेरे शरीर का एक भी ऐसा अंग नहीं था जो उन लोगों से अनछुआ हो. सब मुझे मसल रहे थे. मुझे मजे कम और दर्द ज्यादा हो रही थी. मैं चीख रही थी लेकिन कोई नहीं सुन रहा था.

तभी एक लड़का मेरी चूत को चाटने लगा. अब मैं थोड़ी-थोड़ी मदहोश होने लगी धीरे-धीरे गर्म होने लगी. सारे लड़के एक-एक करके मेरी चुत चूस रहे थे. मैं अब पूरी गर्म हो गयी थी. तभी एक लड़का अपना लंड मेरी चूत में डालने लगा.
तो एक लड़के ने कहा- पहले मैं डालूँगा.
सब आपस मे झगड़ने लगे.

तभी सुरेश ने कहा- यार झगड़ो मत, हम लोग एक साथ ही चोदेगें.
ये बात सुनकर मेरी सारी गर्मी निकल गयी.
सुरेश आया और बोला- चल साली कुतिया बन जा.

मैं कुछ बोलती, इससे पहले सबने मिलकर मुझे कुतिया बना डाला और सुरेश ने एक लड़के को इशारा किया, उसने मेरी गांड पर लंड टिकाया और पेलने की कोशिश करने लगा.
तो मैं बोली- प्लीज गांड नहीं!
सुरेश बोला- चुप चाप रह, हम जो करते है. वो करने दे. नहीं तो तू जानती है. मैं क्या कर सकता हूँ.
मैं डर से चुप हो गयी.

फिर उस लड़के ने मेरी गांड पे लंड रखा और बिना कुछ लगाए सूखे लंड से ही एक जोरदार धक्का मारा और लंड मेरी गांड को ककड़ी की तरह चीरता हुआ आधा लंड गांड में घुस गया. मेरी तो जैसे दर्द से साँस अटक गयी, ऐसा लग रहा था जैसे कोई गर्मा गर्म रॉड गांड में डाल दिया हो.
फिर मैं जोर से चिल्लाई और जोर जोर से रोने लगी.

अभी दर्द रुका नहीं कि फिर एक जोरदार धक्का मारा और पूरा लण्ड मेरी गांड में घुसा दिया. अब मैं और तेज से रोने लगी, ऐसा दर्द पहले कभी भी नहीं हुआ था. गांड में दर्द और तेज जलन हो रही थी. आज तक ऐसे बेरहमी से मुझे किसी ने नहीं चोदा था.

मैं छुड़ाने की कोशिश करनी लगी लेकिन मैं असमर्थ थी और मन ही मन सोच रही थी कि सुन्दर होना भी एक गुनाह ही है.
वो लड़का मस्ती में मेरी गांड मार रहा था.

तभी सुरेश ने मुझे सीधी कर के अपना लंड मेरी चूत पे ठिकाया और एक ही झटके में पूरा लंड मेरी चुत में घुसा दिया. मैं एकदम अधमरी सी जोर जोर से चिल्ला रही थी लेकिन मेरी आवाज किसी को सुनाई नहीं दे रही थी.

सब मेरी जिस्म का गुणगान कर रहे थे, कोई कह रहा था- साली की गांड एकदम कसी है.
तो कोई कहता- साली की चूत लाजवाब है.
ये सब बोलते बोलते मेरी चुत और गांड की चुदाई हो रही थी.

आज तक मैं एक साथ दो लंड से नहीं चुदी थी, दोनों मिल कर मेरी तबियत से चुदाई कर रहे थे. ऐसी चुदाई मैंने पॉर्न स्टार की देखी थी, मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मैं कभी ऐसे चुदूँगी.

तभी एक लड़का मेरे मुँह में अपना लंड घुसा कर जोर जोर से आगे पीछे करने लगा. वो मेरी मुँह की ऐसी चुदाई कर रहा था जैसे वो मेरी मुँह नहीं चूत हो.
अब तो मैं चिल्ला भी नहीं सकती थी. उसका लंड गले तक जाता, फिर बाहर लाता और फिर जोर से लंड गले तक पेल देता.

तीन लड़कों ने तो अपना लंड जगह ढूंढ कर डाल दिया.
अब बचे दो लड़के, उस दोनों ने मेरे दोनों हाथों लंड पकड़ा दिया और आगे पीछे करने को बोला.

अब पांचों के लंड मेरे चीथड़े उड़ाने में लगे थे. मुझे भी इस अनोखी चुदाई में मजे आने लगे. मैं अभी पाँच लंड का उपभोग कर रही थी. या यूं कहूँ कि मैं पाँच लंड की मालकिन थी. या यूं कहूँ कि वो पांच लंड मुझे रण्डी की तरह चोद रहे थे. कोई रण्डी भी एक साथ पांच लंड से नहीं चुदाती होगी.

मेरे मुंह से थोड़ी थोड़ी सिसकारी निकलने लगी. सारे लड़के लंड आगे पीछे करने में लगे थे. मैं भी एकदम गर्म हो गयी और मुझे भी मजे आने लगे.

लेकिन मैं ज्यादा देर तक टिक नहीं पायी और झड़ गयी लेकिन ये लड़के झड़ने का नाम ही नहीं ले रहे थे. कुछ मिनट बाद सुरेश ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और मेरी चूत में जोर से पिचकारी मार कर अपने वीर्य से मेरी चुत को गीला किया.

तभी जो मेरे मुँह को चोद रहा था, उसने मेरे मुख में ही अपना वीर्य छोड़ दिया और मुझे एक एक बूंद पीना पड़ा.

तभी दो लड़कों ने अपने लंड को मेरी हाथ से छुड़ाकर एक चुत में डाल दिया और एक ने मेरे मुख में और फिर से दोनों चोदने लगे. वो दोनों भी 5 मिनट में झर गये.और फिर से मेरे मुख और चूत में वीर्य की वर्षा हो गयी.

अब तक चार लड़के झर चुके थे, सिर्फ एक लड़का था जो मेरी गांड अभी तक चोदे जा रहा था, वो झरने का नाम ही नहीं ले रहा था, वो फुल स्पीड में मेरी गांड को चोदे जा रहा था.

तकरीबन 10 मिनट बाद वो झरने को आया तो बोला- रानी अब मैं झरने वाला हूँ.
तो सुरेश बोला- लंड निकाल कर साली की चुत में डाल और वहीं रस निकाल.

मेरी चूत में तो पहले से ही दो लड़के का वीर्य था, उसने वैसा ही किया, लंड निकल कर मेरी चूत में घुसा दिया और चोदने लगा और 5-7 मिनट बाद मेरी चूत में वीर्य की बाढ़ आ गयी, वीर्य निकल रहा था और वो मुझे गालियों के साथ चोदे जा रहा था, उसने अपने लंड की एक एक बूंद वीर्य मेरी चुत में समाहित कर दिया और मेरे ऊपर ही निढाल होकर सो गया.

अब मैं उसे हटा कर खड़ी हुई और सोचा कि अब जाती हूँ.
तभी एक लड़के ने मेरा हाथ पकड़ा और बोला- कहाँ जा रही हो, अभी तो 11 ही बजे हैं, अभी तो पूरी रात बाकी है.
तो मैं बोली- अब तो जाने दो, तुम लोगों ने मेरी पूरी इज़्ज़त लूट ली, अब क्या करोगे?
तभी सुरेश मुझे पीछे से दबोचते हुए बोला- रानी, ये तो शुरुआत है. आज तो तेरी इज़्ज़त से हम लोग अपनी हवस शांत करेंगे.

और फिर थोड़ी देर बाद सब मेरी चुदाई के लिए तैयार थे. फिर सबने एक एक करके पूरी रात मेरी चुत और गांड बजायी. सुबह तो मैं खड़े होने के लायक नहीं थी.

आगे की कहानी अगली चोदन कथा में बताऊँगी. तब तक के लिए मैं अपनी लुटी इज़्ज़त के साथ आप से विदा लेती हूँ.

चोदन कथा कैसी लगी, कमेंट्स करके मुझे जरूर बताइएगा.

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