ट्रेन में धकाधक छुकपुक-छुकपुक-3

जूजाजी 2014-04-28 Comments

प्रेषक : जूजा जी
मुझे अभी भी याद था कि दो छेद मेरे लंड का बड़ी बेकरारी से इंतजार कर रहे हैं। मैंने सीमा की तरफ देखा तो मैडम अपनी चूत में ऊँगली अन्दर-बाहर कर रही थीं।
मैंने कहा- आओ रानी लेटो इधर.. तुम्हारा चुदाई का ख्वाव भी पूरा कर देता हूँ।
वो बोली, “पहले शब्बो को तो निपटा दो।”
मैंने कहा- दोनों को साथ साथ चोदूँगा.. तेरी इस मादरचोदी शब्बो को भी थोड़ा रिलेक्स मिल जाएगा।
वो बोली- ठीक है.. पर जानूं मुझे जरा आहिस्ता से चोदना। मुझे बड़ा डर लग रहा है।
वो वहीं बगल में जगह बना कर लेट गई और अपनी टांगों को फैलाकर अपनी चूत की छटा बिखरने लगी।
मुझसे बोली- आ जाओ।
मैं जैसे ही अपना लंड शब्बो की बुर से खींचा उसका भीमकाय रूप देख कर सीमा डर गई।
मुझसे हकलाते हुए बोली- जानूं तुम्हारा ये मूसल मेरी जरा सी चूत में कैसे घुसेगा..? कहीं मेरी फाड़ तो नहीं दोगे..?
मैंने कहा- आज तक के इतिहास में किसी औरत की कितनी भी छोटी बुर क्यों न हो और मोटे से मोटा लंड भी उसकी चूत में क्यों न घुसा हो.. मैंने तो कभी नहीं सुना कि किसी की चूत फट गई हो। हाँ चूत की अन्दर की झिल्ली जिसे सील कहते हैं, वो जरूर फटती है। सो ये तो चूतों का भाग्य होता है कि और ये प्राकृतिक भी है कि उसको एक बार जरूर फटना या खुलना तुम जो भी कहो, होता है।
सीमा बोली- मैंने देखा था कि शबनम की चूत में तुमने जब घुसेड़ा था तो उसको बहुत दर्द हुआ था, पर जब तुमने उसके थन पिए तो उसका दर्द खत्म हो गया था, प्लीज तुम मेरे थन पहले दुह लो, ताकि मुझे शुरू से ही मजा मिले।
मैंने कहा- ठीक है सीमा रानी मैं ऐसा ही करता हूँ।
मैंने अपना लंड उसके मुँह में लगाया और कहा- जरा शब्बो की मलाई चाट कर मस्त हो जा, फिर तेरी चुसाई और चुदाई दोनों करता हूँ।
उसने मेरे लौड़े को अपने मुँह में लेकर अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया। उसने करीब एक मिनट तक लंड को अपनी जुबान से चाट कर साफ दिया। अब मैंने उसके चूत पर अपना लंड टिकाया और अपने होंठो से उसके गुलाबी निप्पलों को चूसना चालू कर दिया।
मैंने उससे कहा- सुन माँ की लौड़ी अब अपनी चूत में मेरा लंड गटकने की कोशिश कर, नहीं तो मैं सूखा ही पेल दूँगा।
सीमा बोली- ठीक है मेरे हरामी चोदू.. मेरी चूची पी साले… मैं अपनी बुर मे तेरा लंड खाती हूँ और सुन शब्बो.. मेरे चोदू का लंड मेरी चूत से फिसले नहीं जरा ध्यान रखना।
शब्बो बोली- ठीक है मेरी जान आज तो पूरा अन्दर ही डलवा दूँगी तेरी चूत में… इस हरामी का डण्डा, फिर चाहे तेरी फट ही क्यों ना जाए।
तभी अचानक मेरे लौड़े ने अपनी म्यान खोज ली और धीरे से सीमा की गुलावी चूत में आधा पेवस्त हो गया। सीमा की एक जोर की चीख निकली और वो ऊपर को उठने को हुई, पर मैंने और शब्बो ने उसको लंड पर से उठने नहीं दिया।
शब्बो बोली- भागती किधर है कुतिया.. अब तो बाजा बजवा कर ही उठना।
मैं समझ गया कि लौंडिया सिर्फ बकचोदू ही है इनके बस की चुदाई नहीं है, मुझे ही कुछ करना पड़ेगा और फिर मैंने नीचे से ही धक्के मारने चालू कर दिए।
सीमा के मुँह से दर्द भरी आवाजें निकलने लगी, “आए ….. हाए….मार दिया मादरचोद कुछ तो रहम कर मेरी चूत को बुलंद दरवाजा बना कर छोड़ेगा क्या?”
कुछ देर में ही सीमा को मजा मिलना शुरू हो गया और उसने सिसकारी भरते हुए मेरा सहयोग करना चालू कर दिया। उसके हाथ भी मेरी छाती पर टिक गए थे और वो अब पूरा मजा लेने लगी थी।
अब मेरा ध्यान फिर अपने प्लान पर गया और मैंने शब्बो से कहा- चल छिनाल अब तू एक ओवर डाल दे।
सीमा को उठाकर शब्बो ने मेरे लंड की सवारी गांठनी शुरू कर दी और सीमा मेरी छाती पर बैठ कर अपनी चूत को मेरे मुँह की ओर करके बैठ गई और बोली- ले राजा अपना रस पी ले मेरी चूत में छप गया है।
माँ की लौड़ी ने मुझे मेरा माल ही चटवा दिया। खैर और मैं इस प्रकार अपने मुँह और लंड दोनों से दो-दो चूतों का मजा लेने लग गया था।
इस तरह बारी-बारी से दोनों ने मेरे हथियार की 15 मिनट तक चुदाई की, अब सीमा का ओवर चल रहा था। उसने जोर-जोर से घस्से लगाना स्टार्ट कर दिए थे। धकाधक इंजन चल रहा था और लंड और चूत की शंटिग चल रही थी।
तभी सीमा हांफने लगी और बड़बड़ाने लगी, “सुनील मैं झड़ने वाली हूँ जरा नीचे से धक्का….मार …मेरे राजा….”
मैंने नीचे से उसकी चूत में टक्कर देनी चालू कर दीं और, “ले माँ की लौड़ी… ले साली… ले मेरा लंड गटक कुतिया…चुदैल …!”
“अब बस मैं गईइइइ….!” और सीमा का काम तमाम हो गया था पर मेरा पानी अभी नहीं छूटा था। मैंने लौड़ा बाहर निकाल लिया और शब्बो की पिच पर चौके-छक्के लगने लगे। मैं उसकी चूचियों को अपनी हथेलियों में भर कर आटे जैसा गूंथ रहा था।
“उई ई .. धीरे मसक कमीन साले .. रण्डी समझ रहा है क्या ?? मादरचोद मेरी अपनी चूचियाँ हैं किसी से किराए पर नहीं लीं कुत्ते ..!”
मैं मस्त था … धकाधक चुदाई चल रही थी.. बगल में सीमा अपनी चूत पोंछ रही थी और उसके बाद उसने उठ कर एक गिलास में रम भरी। मैंने देखा तो मेरा मन भी हुआ, पर सोच रहा था कि कहीं भांग के ऊपर रम कुछ हरकत न कर दे .. फिर मैंने सीमा से कहा- एक गिलास मुझे भी दे.. और एक सिगरेट और जला दे।
चुदाई रोक कर उससे रम का गिलास लिया और बड़ा सा घूँट खींचा तब तक सीमा ने सिगरेट जला कर मुझे थमा दी चखना की जगह सिगरेट भी खूब मजा देती है ..सो लम्बा सुट्टा मारा और ऊपर की तरफ मुँह करके हवा में धुआँ छोड़ दिया।
नीचे से शबनम ने अपनी कमर उचका कर मेरे लौड़े को टुनयाया, “अबे चोदू मुझे देना सिगरेट ..!”
मुझे उसकी सिगरेट मांगने की अदा पर बड़ी हँसी आई। मैं सोच रहा था कि आज कितनी बड़ी चुदक्कड़ लौंडियाँ मिलीं.. मजा आ गया।
लंबा सा कश खींच कर उसने मुझे सिगरेट बापस कर दी मैंने भी एक लम्बा कश खींचा और सीमा को दे दी। अब शब्बो की चूत में फिर से लौड़ा सटासट चलने लगा।
शब्बो बोली- अब तू नीचे आजा, मुझे घुडसवारी करने दे..!
मैं नीचे और शब्बो ऊपर.. लण्ड-चूत की कुश्ती जारी थी। मुझे रम ने हिला दिया था, साली रम मेरी खोपड़ी पर सवार हो चली थी, थकान-वकान तो कुछ थी ही नहीं सो नीचे से शब्बो की चूत में वो टापें पड़ रही थीं कि शब्बो की चूत ने रोना शुरू कर दिया था उसका बदन ऐंठने लगा था, “ ऊ ओ ..ईई.. गई मैं गई … !” और वो बिल्कुल निढाल हो कर मेरे सीने के ऊपर ढेर हो गई। मेरा लौड़ा भी पिघलने की कगार पर था.. सो नीचे से उठ कर, उसको नीचे किया, इस दौरान मेरा लौड़ा उसकी मुनिया में ही घुसा रहा। ऊपर आकर मैंने ताबड़-तोड़ 20-25 धक्के मारे… मेरी हर चोट पर शब्बो की चीखें निकल रही थीं ..।

फिर मेरा लावा छूट गया… मेरे गरम रस से उसकी चूत भर गई..
एक पल के लिए मुझे नशा सा आया फिर मेरे चेहरे पर विजय की मुस्कान थी। शब्बो के ऊपर से उठा ही था कि दारु के नशे में टुन्न नीलू जो बगल में ही आ गई थी। उसने मेरे मुरझाए लवड़े को सीधे अपने मुँह में ले लिया, मुझे तब ध्यान आया कि अभी ये भी बाक़ी है ..
कुछ ही पलों में मैं आराम से सीट पर अपने पैर पसारे बैठा था और नीलू रानी मेरा लण्ड चचोर रही थी। सीमा ने मुझे और शबनम को पानी दिया फिर मैंने उससे एक स्माल पैग भी माँगा और उसने मुझे एक पैग और एक सिगरेट सुलगा कर दी.. मैंने मजे से दारू और सिगरेट के साथ लौड़ा चचुरवाने का आनन्द उठाना शुरू कर दिया। मैंने लौड़े के ऊपर से थोड़ी सी रम टपकाई तो नीलू के मुँह में भी रम की बूँदें जाने लगीं। कुछ ही देर में मेरा लौड़ा एक बार फिर तैयार था। मैंने नीलू को अपनी गोद में ही बैठा लिया। उसकी नंगी छाती मसलने से मेरी उत्तेजना बढ़नी लगी।
तभी शब्बो बोली- राजा इसकी सील तोड़नी पड़ेगी .. साली की चूत अभी तक पैक है ..!
मेरा लण्ड गनगना गया, जीवन में पहली सील तोड़ने का अवसर था।
मुझसे फेसबुक पर भी जुड़ सकते हैं और ईमेल आईडी भी लिख रहा हूँ।
कहानी जारी है।

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