चुदक्कड़ टीचर ने पढ़ाए चुदाई के पाठ-3

(Chudakkad Teacher Ne padhaye Chudai ke Path- Part 3)

चूतेश 2019-04-03 Comments

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अपनी स्कूल टीचर की चूत का रस चाट कर उस समय की मेरी जो मनोदशा थी वह बयान करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है. पहले ही रानी के मस्त बदन का भिन्न भिन्न अदाओं के साथ नज़ारा मेरी कामोत्तेजना को बेहद बढ़ा चुका था, और ऊपर से यह चूत का मादक रस चाट के मेरा दिमाग न जाने कौन से आसमान में पहुँच गया था.

अब तक मैं भूल चुका था कि बाली मैडम मेरी टीचर हैं. अब तो वह सिर्फ बाली रानी थी, एक लौंडिया और मैं सिर्फ राजे था, बाली रानी का दीवाना.

“क्यों राजे आया न मज़ा? यह ले और चाट.” यह कहकर बाली रानी ने अपनी उंगलियां, जो उसने चूत में लगा कर रस से गीली कर ली थीं, मेरे मुंह से चिपका दीं. मैंने तुरत ही जीभ निकाल के चाटना शुरू कर दिया. यारो, अभी तक तो मैं खुद की उँगलियों से चाटे गए रस के सुरूर से उभरा भी नहीं था कि एक और सुरूर जीभ को मिल गया. यह तो डबल सुरूर था, एक तो रानी की बहती हुई चूत का रस और दूसरी उसकी उंगलियां. खूब चाटा, चाट चाट के बौरा गया और लौड़ा तो किसी मस्त हिरण की भांति कुलांचें भर भर के बार बार पेट में टक्कर मारने लगा.

रानी ने मुझे धक्का देकर दीवान पर गिरा दिया और चिल्लाई- राजे … माँ के लौड़े, अब देख मेरी चूत कैसे इस खम्बे को लील जायगी … थोड़ा उचक हरामखोर … देख ज़िन्दगी की पहली चूत में तेरा डंडा कैसे घुसता है.
झट से रानी ने अपनी चूत को लौड़े के ऊपर जमाया और बैठती चली गयी. रस से लबालब भरी हुई बुर में लंड फिसलता हुआ पूरा घुस गया, केवल अंडे बाहर रह गए. चूत की गर्मी, चूत के रसीलेपन और कसी जकड़ से लंड मज़े से पगला उठा. लंड घुसने के कारण ढेर सारे पिच्च करके छलके रस ने हम दोनों की झांटें भिगो डालीं. मेरे मुंह से आनंद की एक लम्बी सी आह निकली. कुहनियों पर उचके हुए मैंने लंड के बुर में घुसने का मदमस्त कर देने वाला दृश्य भी देखा. मेरी उत्तेजना पराकाष्ठा पर पहुँचने वाली हो गयी थी.

“राजे, कुछ देर गहरी गहरी सांसे ले कुत्ते … नहीं तो झड़ जायगा … हाँ ऐसे ही … और ले इसी तरह गहरी सांस.” रानी लौड़ा चूत में लिए बिल्कुल बिना हिले डुले मुझे हिदायतें दे रही थी. वैसे तो कुछ ही देर पहले वो मुझे एक बार झाड़ चुकी थी. और शायद इसी लिए कि चुदाई करते हुए मैं जल्दी ना झड़ जाऊँ.

मैंने गहरी गहरी साँसें लेकर कुछ ही पलों में अपनी उत्तेजना पर काबू पा लिया. बाली रानी काम क्रिया में बहुत सिद्धहस्त थी, ताड़ गयी कि कब मेरा नियंत्रण हो गया, और तभी उसने अपनी कमर को गोल गोल घुमाना शुरू किया. गोल गोल गोल गोल, एक बार क्लॉकवाइज (घड़ी की चाल के अनुसार), फिर एंटी क्लॉकवाइज (घड़ी की चाल के विपरीत)घुमाने लगी.
लौड़े की सुपारी पर बच्चेदानी का मुंह टिका हुआ था और उसको दबा रहा था, चूत जब घूमती तो लौड़े को ऐसा लगता कि कोई उसको एक मथनी के तरह घुमा रहा है. लंड हर तरफ से चूत में फंसा हुआ था और चूत के रसभरे दबाब से आनंदमग्न था. वास्तव में देखा जाए तो लंड बाली रानी की बुर को मथ ही तो रहा था. रस से लबालब भरी हुई चूत में जड़ तक घुसा हुआ लंड खूब मज़े पा रहा था.

रानी ने अब हाथ मेरी छाती पर जमा के उछल उछल के धक्के लगाने शुरू कर दिए थे. वो बहुत उत्तेजित हो गयी थी. मुंह लाल हो गया था, माथे पर पसीने की छोटी छोटी बूंदें उभर आयी थी. साँसें तेज़ हो चली थीं. हर धक्का फचक फचक फचक की आवाज़ से कमरे को गुंजा देता. जैसे ही लौड़ा बाहर को आता, ढेर सा चूतरस भी छलक के निकलता. मेरी निगाहें रानी के चूचुक पर जमी हुई थी. रानी धक्का ठोकती तो चूचे भी इधर उधर, ऊपर नीचे, दाएं बाएं थिरकते. बड़ा ही मनमोहक नाच था रानी के उरोजों का. निप्पल अकड़ के सुकड़ गए थे, जैसे किसी रस्सी पर कस के गाँठ लगा दी गयी हो.

मेरी उत्तेजना भी बड़ी तेज़ी से बढ़ी जा रही थी. बदन में एक ज्वाला ऊपर से नीचे भड़क उठी थी. लौड़े के अंदर और अण्डों में एक तीव्र सनसनाहट होने लगी थी. रानी धक्के पे धक्के, धक्के पे धक्के मारे जा रही थी, आआह आआह आआह आआह. फचक फचक फचक. चुदाई की मदभरी ध्वनियाँ वातावरण को अनेकों गुणा कामुक बनाये जा रही थी.

बाली रानी विचलित होकर मेरे ऊपर लेट गयी. उसके चूचियों की निप्पल मेरी छाती में चुभने लगीं. रानी के मुंह से अजीब अजीब भैं भैं भैं की आवाज़ें आने लगीं. मुंह से लार टपक के मेरे सीने पर गिरने लगी. रानी की धौंकनी की तरह चलती तेज़ तेज़ साँसें मेरे मुंह पर आने लगीं.
रानी चिल्लाने लगी- राजे … बहन के लौड़े, साले तेरी माँ की चूत … आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… मादरचोद चोदू राम … ले भोसड़ी के … फिर चार पांच ज़ोरदार धक्के … और ले माँ के लौड़े राजे … फिर कुछ तगड़े धक्के … .भैं भैं भैं.

रानी ने धक्कों की रफ़्तार बहुत तेज़ कर दी. धकाधक धकाधक धकाधक … फचक फचक फचक … रानी अब राजधानी एक्सप्रेस की गति से धक्के ठोक रही थी.
हर धक्के पर रानी के निप्पल मेरी छाती में रगड़ रगड़ के मेरी उत्तेजना की आग में घी डालने का काम कर रहे थे. मेरी बांहों ने रानी की कमर को स्वतः ही लपेट लिया था. मेरे हाथ उसकी चिकनी कमरिया और गोल गोल रेशमी चूतड़ों पर घूम रहे थे. रानी के मुंह से लार टपक टपक कर मेरी ठुड्डी पर गिरने लगी थी. रानी इस समय चुदास के शवाब पर थी, धक्के दनादन लगाए जा रही थी. चूतड़ उछाल के लंड को सुपारी तक बाहर निकलती और फिर धम्म से झटका मार के पूरा लंड चूत में लील जाती. अब उसके मुंह से गालियां तक नहीं निकल रही थीं. उसको ज़ोर की हाँफनी चढ़ गयी थी. हर सांस के छूटने पर भैंऽऽऽ की आवाज़ निकालती. मैं भी रानी की छोड़ी हुई सांस में सांस ले रहा था. मदमस्त कर देने वाली साँसें थीं बाली रानी की.

अचानक से रानी ने ज़ोर की किलकारी मारी- ईईईई ईईईई ईईई … अईईई ईईईईई … .ईईईईईईई की ऊँची चिल्लाहट से रानी एकदम से मचली, छटपटाई और फिर शांत पड़ गयी जैसे शरीर से दम निकल गया हो.
उस समय यह क्या हुआ मुझे कुछ समझ नहीं आया. पहली बार किसी लड़की से संपर्क हुआ था न. इसका मुझे रानी ने बाद में बताया कि जैसे लड़के झड़ते हैं वैसे लड़कियां भी झड़ती हैं. जब लौंडिया स्खलित होती है तो उसके हाथ पैर ठन्डे हो जाते और बदन मूर्छित जैसा हो जाता है.

तभी मेरे अण्डों में मुझे ऐसा लगा कि कोई विस्फोट हुआ हो और धड़ाम … धड़ाम … धड़ाम … लंड से लावा तेज़ पिचकारी जैसे रानी की चूत में छूटा. मेरे मुंह से आह के पीछे आह के पीछे आह निकली और लौड़े से वीर्य का ढेर झड़ता हुआ रानी की चूत में चला गया.

लंड का मसाला भल्ल भल्ल करके झड़े जा रहा था और रानी की चूत लप लप करती हुई सब का सब पिए जा रही थी. रानी मस्ती में आकर किलकारियां भरने लगी. मैंने रानी के चूतड़ भींच के एक ज़ोरदार धक्का लगाया तो बचा हुआ माल भी झड़ गया.
रानी ने मुझे प्यार से कई बार चूमा और फिर मूर्छित सी होकर मेरे ऊपर ढेर हो गयी. बाली रानी का मुंह मेरी छाती पर था और वो बदहवास मुझ पर पड़ी थी. हम दोनों तेज़ तेज़ साँसें ले रहे थे. रानी और मेरे दोनों के बदन से पसीना छूटने लगा था.

हम दोनों काफी समय तक यूँ ही पड़े रहे. सुस्ताते रहे. फिर जब रानी के होश हवास दुरुस्त हुए तो वो मेरा मुंह चूम के धीमी आवाज़ में बोली- राजे, प्यार में चुदाई के बाद एक दूसरे को जीभ से चाट के सफाई करनी होती है. ऐसा करने से आपस में प्यार कई गुना बढ़ता है. हम भी एक दूसरे को साफ़ करके प्यार को बढ़ाएंगे.

इतना बोल के रानी सरक के मेरे लंड के पास मुंह ले आयी और अपनी चूत मेरे तरफ कर ली. रानी ने लौड़े को चाटना शुरू किया. नीचे से ऊपर तक जीभ लगा कर कुतिया जैसे चाटने लगी. रानी के कहे अनुसार मैंने भी जीभ निकाली और रानी की चूत के आस पास चाटना शुरू किया. लंड की सफेदी और चूत रस का मिला जुला स्वाद आने लगा. यह एक अनोखा ही ज़ायका था जिसमें लौड़े की मलाई और चूत के रस दोनों मिश्रित थे. बहुत मज़ा आ रहा था इसलिए मैं हुमक हुमक के चाटने लगा. कुछ ही देर में मैंने रानी का चूत प्रदेश, झांटें इत्यादि सब साफ कर दी थी. उधर रानी ने भी लौड़ा अच्छे से साफ़ कर दिया था. इतना ही नहीं, रानी ने लंड की नसें दबा दबा के बची खुची वीर्य की बूँदें भी निकल ली थी और उनको भी चाट गयी थी.

गड़बड़ यह हुई कि रानी की गर्म गीली जीभ द्वारा चाटे जाने से लंड फिर से अकड़ गया. रानी ने लौड़े को एक थपकी लगायी और हँसते हुए बोली- ये लो … ये मछँदर तो फिर से तैयार हो गया राजे … माँ के लौड़े तेरा लंड बड़ा मादरचोद है … अभी अभी चूत की खबर लेकर आया है और अभी फिर खड़ा हो गया … चिंता न करिये लंड महाराज जी … अपने अपनी माशूका चूत को बहुत आनंद दिया इसलिए चूत की मालकिन आपको एक ऐसा इनाम देगी कि आप भी याद रखेंगे … बोलो लंड देव की जय … .जय लंड देव … जय जय जय लंड देव जी … आप महान हैं … मगर पहले राजे तुझे स्वर्ण अमृत पिला दूँ फिर इस मुसण्ड को इनाम दूंगी.

अब यह स्वर्ण अमृत क्या होता है? यह तो एक नयी बात सामने आ गयी. खैर आज का दिन तो था ही नयी नयी बातें सीखने का. मैंने पूछ ही लिया- रानी स्वर्ण अमृत किसको कहते हैं? … मुझे नहीं मालूम … तू प्लीज़ बता ना?

“ध्यान से सुन राजे … लड़की का शरीर से 5 तरह के अमृत निकलते हैं … पहला मुखामृत … उसका स्वाद तू चख चुका है … जब चुम्बन लेते हुए लड़की के मुंह का रस लड़के के मुंह में जाता है वह मुखामृत कहलाता है … दूसरा चूतामृत … उसका स्वाद भी तू ले चुका है … जैसा की नाम से ज़ाहिर है यह चूत से बहने वाला रस होता है … तीसरा होता है स्वर्ण अमृत … यह लड़की की सुस्सू को कहते हैं … इसको पीकर लड़के धन्य हो जाते हैं … यह तीन अमृत किसी भी समय पिए जा सकते हैं … वैसे स्वर्णामृत सबसे अधिक स्वादिष्ट होता है सुबह सुबह का पहला वाला … बाकी के दो अमृत कभी कभी ही पीने को मिलते हैं … .तो सुन ले मेरे कुत्ते अमृत नंबर चार है रक्तामृत … यह सत्ताईस अट्ठाईस दिन में पांच दिन के लिए ही मिलता है … जब लड़की को माहवारी या मासिक धर्म होता है उस समय जो चूत से रक्त निकलता है वो रक्तामृत कहाता है … अंत में अमृत नंबर पांच है दुग्धामृत … जब लड़की माँ बनती है तो चूचियों में दूध बनता है जिसे दुग्धामृत कहते हैं … या पांचों अमृत लड़को की सेहत के लिए खासकर उनकी चुदाई की सेहत के लिए बहुत लाभकारी तो होते ही हैं, इनके पीने से लड़की के साथ प्रेम अनगिनत गुना बढ़ जाता है … चल अब नीचे बैठ जा घुटनों के बल और स्वर्णामृत का लुत्फ़ उठा … बाकि के दो अमृत जब जब समय आएगा तुझे पिला दूंगी.”

बाली रानी के कहे अनुसार मैं फर्श पर घुटनों के बल बैठ गया. रानी भी बेड के सिरे पर उकड़ू बैठ गयी. रानी ने मेरा सर पकड़ के चूत के पास मेरा मुंह लगा दिया और मुंह खोलने को बोला. मैं यह सब सुन कर बहुत कौतूहल में था कि ना जाने रानी की सुस्सू का स्वाद कैसा होगा … अगर मुझे पसंद न आया तो?

गुरू चेला की सेक्स कहानी जारी रहेगी.
चूतेश

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