कमसिन लड़की की मोटे लंड की चाहत-1
(Kamsin Ladki Ki Mote Lund Ki Chahat- Part 1)
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मेरी टीचर ने मुझे पढ़ाई के बहाने से सेक्स कहानियों की किताब देकर पढ़वाई और फिर मुझे अपनी वासना का खिलौना बनाना चाहा, मेरे मुँह में अपना लन्ड चुसवाया, फिर मैंने खुद गुड्डे गुड़िया की शादी का खेल खेलने के बहाने से अपनी दीदी के बेटे, उसके दोस्त और अपनी मौसी के लड़के से अपनी कामुकता का इलाज करवाने का सोचा, पर मेरे पड़ोस के एक चाचा और उनके दो दोस्तों ने मुझे देख लिया था. फिर उन तीनों ने मुझे खूब चोदा. ये सब मेरी इस कहानी का हिस्सा है.
आज मैं अपने जीवन की पहली फिजिकल रिलेशन को अन्तर्वासना के माध्यम से लिखकर कहानी के रूप में बताने की कोशिश कर रही हूं. अगर लिखने में कोई भी गलती हो जाए तो माफ़ कर देना.
यह कोई सिर्फ कहानी नहीं है, मुझे मेरी मम्मी की कसम, इसका एक एक शब्द सही है. बस नाम बदल रही हूं, वो भी अपना नहीं, जिन्होंने किया उनका नाम ही बदला है, पर फिर भी सब कुछ सच ही है.
मेरा नाम वन्द्या है, मैं सतना से बीस किलोमीटर दूर रामपुर के पास तपा कस्बे की रहने वाली हूं, मेरे पापा मम्मी बहुत गरीब हैं. पापा कमाने के लिए मुंबई काम करने चले जाते हैं और आठ दस महीने बाद ही फिर वापिस आते हैं. मेरी परवरिश मम्मी ने की है. पापा के न रहने का फायदा पापा के दोस्त उठाते थे, साथ में और भी कुछ लोग थे, वे सब मम्मी की मदद करने के बहाने मेरे घर आते-जाते रहे हैं. मम्मी भी सभी से मदद मांग लेती थीं, मम्मी पैसों को बहुत मानती हैं.. मतलब लालच तो सब में होता है, पर मम्मी में थोड़ा ज्यादा ही लालच है.
उस समय मैं स्कूल की छात्रा थी, एक बार फेल हो चुकी थी, मेरे घर में पढ़ाई का कोई माहौल नहीं था. मेरे पापा के बहुत अच्छे दोस्त, जो मेरे स्कूल में टीचर भी हैं. मैं उन्हें कमलेश चाचा पहले कहती थी, अब उन्हें कमलेश सर बोलने लगी हूं. वो मम्मी को पसंद करते थे. मम्मी भी उन्हें पसंद करती थीं. इस बहाने वो मुझे पढ़ाने लगे. मैं अभी हर चीज हर बात से अनजान थी.
एक दिन मैं तखत के ऊपर बैठी थी और सर नीचे कुर्सी पर थे. मुझे पता नहीं चला कि मैं कैसे बैठी हूं, उन्हें मेरी स्कर्ट के फैलाव से मेरी पैंटी की वो फूली जगह दिख रही थी.
वो लगातार वहीं देखते रहे, वही दिन था जब उनकी नियत बदल गई थी. मैंने अपनी बैठने की पोजीशन बदलना चाही तो उन्होंने मुझसे कहा कि ऐसे ही बैठी रहो वन्द्या.. कोई कीड़ा अन्दर है.
मैं डर गई तो सर बोले- डरो नहीं मैं हूँ न.
यह कहते हुए सर ने अपना हाथ मेरी जांघों में डाल कर दोनों टांगों के बीच पैंटी के ऊपर फूली जगह पर रख दिया. मैं सोची कि सर कीड़ा ही पकड़ रहे हैं.
उस समय तक मैं कुछ ज्यादा नहीं जानती थी. पुसी का उपयोग सू-सू करने में होता है, बस मुझे यही पता था. पर जब सर वहां पर हाथ रख कर दबाया तो गुदगुदी सी हुई और फिर वे वहीं हाथ रखे रहे.
मैं बोली- कीड़ा मिला सर?
तो बोले- हां पर निकल नहीं रहा.. वन्द्या तुम चिंता मत करो, अब काटेगा नहीं.
मैं बोली- ओके सर पर मुझे गुदगुदी हो रही है.
तभी सर बोले- सच वन्द्या.
मैं बोली- जी सर..
तभी उन्होंने अपनी उंगली से मेरी फूली जगह, जिसके अन्दर पुसी या चूत होती है. उसके बीच की रेखा पर उंगली डालने लगे.
मैं ‘उंहहह..’ बोली तो सर बोले- क्या हुआ?
मैं बोली- कुछ नहीं सर..
सर उसी रेखा में पैंटी के ऊपर से उंगली चलाने लगे, मेरी आंखें बंद होने लगीं. वो मेरा पहला अनुभव था, मुझे कुछ नहीं पता था. मैं यही सोच रही थी कि सर कीड़ा पकड़ रहे हैं. पर ऐसा मन जरूर हुआ कि सर मेरे वहीं उंगली से वैसे ही कीड़े को ढूंढते रहे.
इतने में मम्मी आ गईं और सर ने हाथ हटा लिया. मैं बोली- सर मिला क्या?
सर ने मुझे चुप रहने का इशारा किया. मैं चुप हो गई.
मम्मी बोलीं- क्या मिला?
कमलेश सर झूठ बोले कि एक आंसर बुक में देख रहा था, वही वन्द्या ने पूछा है.
मम्मी बोलीं- ठीक है.
कमलेश सर मम्मी के जाने के बाद बोले- जहां कीड़ा ढूंढ रहा था, उस जगह की बहुत इम्पोर्टेन्स है, इसकी भी बुक्स आती है, मैं कल ले आऊंगा. बस उसे अकेले में पढ़ना और कुछ फोटो वाली पत्रिका ला दूंगा. तुमको पूरी नॉलेज हो जाएगी. फिर तुम इस सब्जेक्ट में कभी फेल नहीं होगी.
मैं बोली- ठीक है सर. ये सब्जेक्ट बहुत कठिन तो नहीं है?
सर बोले- अच्छे से पढ़ लोगी तो कभी दिक्कत नहीं आएगी.. इससे इंटरेस्टिंग कोई सब्जेक्ट ही नहीं लगेगा, वन्द्या ये बहुत मजेदार है.
मैं बोली- ठीक है सर.. आप बुक लाना, मैं पढ़ लूंगी.
कमलेश सर दूसरे दिन दो पतली पतली बुक लाए और एक मैग्जीन मुझे देकर बोले- इसे अकेले में पढ़ना और समझना, फिर फोटो देखना, जो समझ ना आये मुझसे पूछ लेना. बस वन्द्या इतना ध्यान रखना कि ये बुक कोई देखे ना और न मैगजीन भी.
मैं बोली- ओके सर.
मैंने उस दिन सलवार पहनी थी तो सर ने ये भी कहा कि जब मुझसे टयूशन पढ़ा करो तो हमेशा स्कर्ट पहन कर बैठा करो.. उससे पढ़ाई अच्छी तरह से होती है.
मैं बोली- ओके सर.
सर के जाने के बाद मैं उस बुक को पढ़ने लगी, उन पुस्तकों में सिर्फ सेक्स की कहानियां लिखी थीं, अब मैंने जिन्हें पढ़ना शुरू कर दिया. मेरा मन उन कहानियों में ही लगता था. किताब पढ़ना अपनी क्लास की भूल गई, जैसे ही अकेला घर मिलता, मैं कमलेश सर के द्वारा दी गई सेक्स की बुक्स पढ़ने लगी.
उसमें वही था, सब कैसे चुदाई करते हैं, कैसे चूत चाटते हैं और फिर लंड कैसे मुँह में लड़की लेती है, कैसे लंड चूत में घुसता है और फिर कैसे चुदाई करते है. मैं ये सब पढ़ने लगी. मुझे उस समय कुछ ज्यादा समझ नहीं थी, ना ज्यादा ना कुछ जानती थी, पर सब कुछ जानने की इच्छा बहुत होने लगी. मैं एकदम से वह कहानियां पढ़ते वक्त अजीब से नशे में हो जाती थी. अजीब सा सुरूर हो जाता था.
अब मैं वो सेक्स की लम्बी कहानी, चुदाई की, बार-बार पढ़ने लगी. कमलेश सर ने उन बुक्स के साथ मैगजीन दी थी तो उसमें सभी नंगे चित्र लड़कियों के और लड़कों के साथ में चुदाई करते, लंड चूसने के और चूत में लंड डालते हुए, सभी जो कहानी में पढ़ी बुक्स द्वारा वह सब पत्रिका में देखने को मिल जाता था.
अब मुझे कुछ कुछ सब समझ आने लगा था. कमलेश सर अब मुझे हमेशा मेरे अंगों को देखते हुए घूरते रहते.
एक दिन मौका पाकर पूछने लगे- वन्द्या तुमने वो बुक्स पढ़ी और मैगज़ीन देखी?
उनकी इस बात से अब मैं शरमाने लगी, मैं कुछ नहीं बोली.
तो सर बोले- शरमा रही हो, बस ये बता दो कि मैंने पढ़ने को कहीं खराब चीज तो नहीं दी थी?
तब मैं बोली- नहीं सर.
‘तुमको मजा आया?’
‘हां सर.’
फिर अगले बीस पच्चीस दिन तक जब कमलेश सर पढ़ाने आते, कोई ना कोई घर में होता ही था. पांच मार्च को जब कमलेश सर आये तो उस दिन घर में कोई नहीं था.
सर बोले- घर में कोई नहीं है क्या?
मैं बोली- नहीं सर.
उसी समय कमलेश सर बोले- वन्द्या तुम वो बुक और मैगजीन लेकर आओ. मैं कुछ टेस्ट लेता हूं.
मुझे शर्म आ रही थी तो मैं कुछ नहीं बोली.
कमलेश सर ने मेरा हाथ पकड़ा और बोले- जाकर ले आओ.
मैं गई, बुक्स और मैगजीन लेकर आ गई. तभी कमलेश सर ने मैगजीन खोली और मेरे सामने एक पेज किया, जिसमें लड़का लड़की एक दूसरे के साथ चुदाई कर रहे थे. मैंने सर नीचे कर लिया.
कमलेश सर बोले- यह क्या है बताओ.. मुझसे शरमाओ नहीं वन्द्या.. सभी लड़कियों को यह करना ही पड़ता है. और यह भगवान ने बनाया है.
मैंने फिर भी नीचे सर कर रखा था, इतने में कमलेश सर मेरी स्कर्ट के अन्दर हाथ डाल कर मेरी पैंटी के अन्दर हाथ डाल दिया और अपनी उंगली मेरी चूत में डालने लगे. मैंने सर का हाथ पकड़ लिया- कमलेश सर, यह ठीक नहीं है.
कमलेश सर वो पहले मर्द थे, जिन्होंने मेरे चूत को छुआ और यह मेरी जिंदगी का पहला अहसास था, जब मुझे कोई मर्द छू रहा था. मेरे नाजुक बदन को अपनी बांहों में जी भर के मसल रहा था. जैसे ही मैंने मना किया टीचर जी सीधे खड़े हो गए और मुझसे लिपटने लगे. मैं विरोध करने लगी, तो कमलेश सर ने मेरे होंठों में अपने होंठों को रख दिया और मेरे जीवन का पहला लिप किस कमलेश सर ने ले लिया. अब वो जबरदस्ती पर उतर आए. सर जमकर किस करने लगे.
मेरे टीचर मेरी स्कर्ट में हाथ डालकर बोले- वन्द्या, मैं तुम्हें बहुत पसंद करने लगा हूं, तुम बहुत सेक्सी हो.
सर ने मेरे दोनों हाथ अपनी कांख में दबा लिए, जिससे मैं कुछ कर ना पाऊं.
मैं बोली- सर, मैं मम्मी से बता दूंगी.
तभी सर ने बोला- जिससे बताना है, बता देना.. पर मैं तुम्हें प्यार करके ही जाऊंगा.
सर ने मुझे वहीं तखत पर लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गए. एक हाथ से मेरी पैंटी को खींच दिया और मेरी टांगों को फैला कर चौड़ा कर दिया. मैं बहुत डर गई. मैं अपने दोनों पैर झटकने लगी क्योंकि मुझे लगा कि पता नहीं टीचर जी क्या करेंगे. पर उनको कोई असर नहीं हुआ. वो मेरे ऊपर आये और मेरे दोनों पैरों को पकड़ कर मेरी खुली चूत में सीधे अपना मुँह जोर से रख दिया. कमलेश सर ने मेरी चूत में पहला किस किया.
मुझे बहुत ही अजीब लगा, मजा सा भी आया, मैं सर से बोली- प्लीज कमलेश सर क्या कर रहे हैं, मुझे गुदगुदी हो रही है…
टीचर जी अपनी जीभ निकाल कर मेरी चूत को चाटने लगे. दो तीन मिनट जब वो चूत में अपनी जीभ डाल कर चूसते रहे, तब ना जाने मुझे पहली बार क्या होने लगा, यह मैं भी नहीं जान पाई और अपने आप मेरी सांसें बहुत तेज होने लगीं. मेरे सीने की धड़कन जोर जोर से धक-धक करने लगी. कमलेश सर ने अब अपनी पूरी जीभ मेरी चूत में डाल दिया. मैं बिल्कुल मदहोश होने लगी.
अब जो भी पहली फीलिंग लाइफ की हो रही थी, मैं बता नहीं सकती. मैं हांफने लगी और अब उखड़े हुए स्वर में बोल रही थी, बिल्कुल अलग टूटी आवाज से- कमलेश सर प्लीज छोड़ दीजिए मुझे..
तभी सर ने एकदम से अपनी पूरी जीभ मेरी योनि में घुसा दी. मैं उछल गई और मुँह से ‘उंहहह ओह..’ निकल गया. अब सर जमकर चुत चूसने लगे. पहली बार मेरे साथ यह हो रहा था, मैं कुछ समझ नहीं पा रही थी कि किस तरह रिएक्ट करूं.
तभी सर मेरी चूत में पूरी जीभ डाल दी और अपने दांतों से मेरे दाने को काटने से लगे. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ. मेरे हाथ अपने आप कमलेश सर के बालों पर चले गए और मैं कमलेश सर के बालों को पकड़ कर अपने ऊपर दबाने लगी.
तभी सर उठ गए और मुझसे बोले- वन्द्या अब बताओ कैसे लग रहा है? वन्द्या तुम बहुत सेक्सी लड़की हो, तुमसे बड़ा माल पूरे सतना जिले में कहीं दूसरा कोई नहीं होगा, तुम आगे बहुत नाम करोगी. मैं तुम्हें आज इस काबिल बना ही दूंगा.
ये कह कर सर मेरा टॉप ऊपर करने लगे. तभी मैं टीचर से बोली कि कमलेश सर मुझे कुछ हो रहा है, यह क्या है?
कमलेश सर बोले- यही जन्नत है वन्द्या इसी को मजा कहते हैं, सारी लड़कियां और मर्द इसी पल के लिए इंतजार में रहते हैं, सभी इसीलिए प्यार करते हैं. और इसी मजे के लिए शादी भी करते हैं, सिर्फ इतना ही मजा है जिंदगी का, जिसके लिए गर्लफ्रेंड और बॉय फ्रेंड बनते हैं. वन्द्या आज तुम कितनी मस्त माल लग रही हो, ये तुम सोच नहीं सकती. तुम अब चमकने लगोगी, देखना.
सर ने जैसे ही मेरे टॉप को ऊपर उठाया, मैं अन्दर समीज पहनी हुई थी. फिर कमलेश सर ने समीज को भी ऊपर किया तो मेरे छोटे छोटे चूचे सर के सामने नंगे हो गए. कमलेश सर ने अपने हाथों से दोनों छोटे छोटे कड़क चूचे पकड़ लिए और मसलते हुए बोले- इन्हें चूस लूं वन्द्या.. अभी छोटे हैं. ऐसे ही दबवाने और चुसवाने से ये मस्त बड़े बड़े हो जायेंगे. जिस दिन तुम्हारे ये चूचे बड़े हो गए, तो कोई हीरोइन भी तुम्हारे सामने कुछ नहीं लगेगी.
मैं कुछ ना बोली, तभी सर दोनों मेरे मम्मों को जोर से दबाने लगे. सर ने अपना पेंट भी खोल दिया. जैसे ही सर ने अपनी अंडरवियर नीचे कर उतारी, मेरे सामने सर का कड़क खड़ा लंड था.
मेरी ये रसभरी काम वासना से सराबोर कर देने वाली चुदाई की कहानी पर आप अपने मेल भेज सकते हैं.
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कहानी जारी है.
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