बीवी की सहेली की चुदाई- 1

(Big Cock Fuck Story)

बिग कॉक फक स्टोरी में मेरे घर एक भाभी आती थी. वो मेरी बीवी की सहेली बन गयी थी. उसकी एक जेठानी की जवान हो चुकी थी. उसकी जवानी मेरी निगाह में चढ़ चुकी थी.

दोस्तो, मेरा नाम राहुल है।
मेरी उम्र बत्तीस साल है, मेरा कद पाँच फीट दस इंच है और मेरा बदन कसरत और खान-पान के कारण बहुत ही मजबूत है।

मेरे बदन की तरह मेरा लण्ड भी बहुत ही मजबूत, मोटा और लंबा है।
शायद बचपन से छुप-छुपकर लण्ड की सरसों के तेल से मालिश करने से मेरा लण्ड जब पूरे आकार में होता है, तो देखने में ये किसी नीग्रो के लण्ड से कम नहीं लगता।

मेरे लण्ड का टोपा कुछ ज्यादा ही बड़ा और फूला हुआ है।
मेरा लण्ड एकदम काला है, पर टोपा एकदम लाल है।

मैंने अब तक बहुत सी लड़कियों और भाभियों की अपने लण्ड से सेवा की है।

मुझे सबसे ज्यादा कमसिन और छोटी उम्र की लड़कियाँ पसंद हैं।
जब कोई कमसिन लड़की गरम होकर मेरा लण्ड लेती है, तो लेती है, पर पूरा लण्ड अंदर जाने के बाद छटपटाती और चीखती है, तो मुझे बहुत मज़ा आता है।
लड़की की छटपटाहट से मेरी मर्दानगी और जाग उठती है।

आप समझ ही गए होंगे कि चुदाई के टाइम मैं बहुत ही रफ हूँ!

आज मैं आपको एक सच्ची बिग कॉक फक स्टोरी बताने जा रहा हूँ।

काफी दिन से मेरी नजर हमारे पड़ोस में रहने वाली नई-नई जवान हुई आरती पर थी।
उसका हमारे घर आना-जाना था।

वो मुझे भैया बोलती थी.
पर मैं उसे चोदने की फिराक में था।

क्या बला की खूबसूरत लड़की थी आरती!
पाँच फुट छह इंच का कद, दिखने में मासूम-सी, छोटे-छोटे चूचे और उम्र के हिसाब से कुछ ज्यादा ही बड़े चूतड़ थे उसके।

जब कभी वो शॉर्ट्स या स्कूल ड्रेस पहनकर मेरे सामने आती, तो मेरा लण्ड फुफकारने लगता।
और फिर मैं अपने फुफकारते लण्ड से अपनी पत्नी की चुदाई करता।

मैं आरती को बहुत कोशिश के बाद भी चोद नहीं पा रहा था।

एक दिन आरती अपनी ताई के साथ हमारे घर आई।

उसकी ताई देखने में बहुत ही सुंदर और जवान थी।
उसकी उम्र पैंतीस साल की थी, पर वो देखने में छब्बीस-सत्ताईस साल से ज्यादा की नहीं लग रही थी।

उसके साथ दो प्यारी-प्यारी लड़कियाँ भी थीं।

आरती की ताई बात करने में मुझे बहुत ही अच्छी लगी।

उन लोगों के जाने के बाद मैंने मेरी पत्नी से उस भाभी के बारे में पूछा कि इतनी कम उम्र की लड़की आरती की ताई कैसे हुई।

मेरी पत्नी ने मुझे बताया कि आरती के ताया जी की पहली पत्नी उन्हें छोड़कर जा चुकी है। पहली पत्नी से उनको एक बेटी और एक बेटा है, जिनकी उम्र आरती जितनी है। फिर उन्होंने पहली पत्नी के बाद इनसे शादी की, और अब इससे उनको दो बेटियाँ हैं।

फिर मेरी पत्नी ने बताया कि अब ये भाभी भी अपनी बेटियों के साथ अलग रहती हैं।

मेरी पत्नी से ये बात सुनते ही मुझे झटका-सा लगा।
लो, हो गया आरती की चुदाई का जुगाड़!

फिर मैंने मेरी पत्नी की जमकर चुदाई की.
और अगले दिन से भाभी को पटाने पर काम शुरू कर दिया।

मुझे पता था कि शादीशुदा औरत, जो पति के होते हुए अलग रहती हो, उसे पटाना कोई मुश्किल काम नहीं।

अगले दिन मैं ऐसे ही घूमते हुए भाभी के घर के सामने से गुजरा।
सर्दी का मौसम होने की वजह से भाभी और उनकी बड़ी बेटी बाहर गली में बैठी मिल गईं।

मुझे जाते देखकर भाभी जोर से बोली, “अरे देवर जी, आज इधर किधर?”
मैंने जानबूझकर चौंकते हुए कहा, “भाभी, आप यहाँ कैसे?”
वो हँसते हुए बोली, “हम तो इधर ही रहती हैं, इसी घर में!”
मैंने कहा, “ओह अच्छा, ये आपका घर है? मुझे मालूम नहीं था!”

भाभी बोली, “आपको कैसे मालूम होगा, आप तो इधर कभी आते भी नहीं! चलिए, आइए, घर के अंदर चाय पिएँगे!”

मैंने भाभी के बड़े और मस्त चूचों को देखकर मन ही मन सोचा कि चाय नहीं, तेरा दूध पियूँगा।
फिर कहा, “अरे नहीं भाभी, आज नहीं, फिर कभी!”

भाभी ने मुझे अपनी चूचियों को घूरते हुए पकड़ लिया था इसलिए वो हँसते हुए बोली, “अरे आओ ना देवर जी! चाय नहीं तो क्या, दूध पीजिएगा!”

मैंने झेंपते हुए नजरें नीची करके कहा, “बस कुछ नहीं भाभी!”
वो घूमकर घर के अंदर जाते हुए बोली, “आइए भी ना भीतर!”

मैं साड़ी में लिपटे भाभी के गोल-मटोल और थिरकते हुए चूतड़ों को देखते उनके पीछे अंदर चला गया।

भाभी ने मुझे अंदर लेजाकर कुर्सी पर बिठाया और पानी का ग्लास लाकर मुझे देते हुए बोली, “और सुनाइए!”
मैंने कहा, “बस इधर से गुजर रहा था, आप मिल गईं!”

फिर मैंने कहा, “भाभी, भाई साहब नहीं दिख रहे?”
वो थोड़ा उदास होते हुए बोली, “वो हमारे साथ रहते होंगे तो ही दिखेंगे ना! वो तो बस पैसा भेज देते हैं, हम तीनों माँ-बेटी के लिए, और उनको हमसे कोई मतलब नहीं!”

मैंने कहा, “अरे भाभी, ऐसा क्यों?”
वो बोली, “छोड़िए ना देवर जी, जो जैसे है, बस चल रहा है!”

मैंने कहा, “ऐसे तो अकेले रहना बहुत मुश्किल होता होगा। और आपको तो देखकर कोई नहीं कह सकता कि आप दो बेटियों की माँ हो। आपको देखकर तो ऐसा लगता है, जैसे आप आरती की बहन हो!”

भाभी जोर से हँसते हुए बोली, “अरे देवर जी, आप हम पर लाइन मार रहे हो क्या!”
मैंने भी हँसते हुए मजाक में कहा, “इतनी सुंदर भाभी हो तो लाइन मारने में क्या जाता है!”

भाभी बोली, “देवर जी, हम पर लाइन मारोगे तो आपको मिलेगा कुछ भी नहीं, उल्टा देवरानी से पिट जरूर जाओगे!”

मैंने कहा, “भाभी, वो हमें क्या पीटेगी! पिटती तो वो है हर रोज हमारे डंडे से!”

भाभी मेरी बात पर लंबी साँस लेते हुए उठकर बोली, “आप बैठिए, हम चाय बनाकर लाते हैं!”
मैंने भी उठकर कहा, “अरे भाभी, माफ कीजिए अगर आपको कुछ बुरा लगा तो!”

भाभी थोड़ा मेरे पास आकर मेरी आँखों में देखते हुए बोली, “अरे नहीं देवर जी, सच का क्या बुरा लगेगा! बाकी देवर-भाभी के रिश्ते में मजाक तो चलता ही है। आप बैठिए, मैं चाय रखकर आती हूँ!”

फिर भाभी किचन में चली गईं, और तुरंत ही वापस आते हुए बोली, “चाय चढ़ा दी है, थोड़ी देर में बन जाएगी!”

वो मेरे सामने बैठकर बोली, “और सुनाओ कुछ!”
मैंने भाभी को कुरेदते हुए पूछा, “भाभी, आदमी की जरूरत तो हमेशा ही रहती है, चाहे वो दिन हो या रात!”

भाभी बोली, “हम कर भी क्या सकते हैं? जैसे-तैसे दिन तो निकल जाता है, पर रात निकालना बहुत मुश्किल होता है!”
मैंने कहा, “हाँ भाभी, ये तो है। अगर आप बुरा ना मानें तो एक बात बोलूँ?”

भाभी बोली, “अरे, बुरा किस बात का मानना! आप बोलिए भी!”
फिर वो हँसते हुए बोली, “क्या पता आपकी किसी सलाह से ही हमारी जिंदगी आसान हो जाए!”

मैंने मुस्कुराते हुए भाभी की आँखों में देखकर कहा, “भाभी, आजकल तो शादी के बाद बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड रखने का भी चलन है। अगर भैया आपकी परवाह नहीं करते, तो आप भी कोई बॉयफ्रेंड बना लीजिए। आप तो अभी जवान ही हो!”

मेरी बात सुनकर भाभी हँसते हुए चाय लेने चली गईं और थोड़ी देर में चाय के दो कप और कुछ खाने का सामान लेकर आ गईं।
वे बैठते हुए बोली, “देवर जी, अब हम बॉयफ्रेंड कहाँ से ढूँढें? दिल तो हमारा भी होता है कि कोई मर्द अपनी बाहों में लेकर हमें प्यार करे, पर दुनिया की लाज-शर्म हमें रोक देती है!”

मैं थोड़ा सरकते हुए भाभी के पास हो गया और उनका नाजुक हाथ अपने हाथों में लेकर कहा, “अरे भाभी, लाज-शर्म किस काम की, जब कोई सुख ही ना मिले तो! आपको भी हक है प्यार पाने का!”
भाभी बोली, “कौन प्यार करेगा हमें? दो-दो बेटियाँ हैं हमारी!”

मैंने कहा, “आप इतनी सुंदर हो, क्या पता आपको चाहने वाले भी बहुत से हों!”
भाभी हाथ छुड़वाते हुए हँसकर बोली, “कहीं देवर जी, आप तो हमें नहीं चाहने लग गए!”

मैंने फिर से उनका हाथ पकड़कर कहा, “भाभी, हमारी इतनी किस्मत कहाँ जो हम आप जैसी परी को प्यार कर सकें!”
भाभी बोली, “क्यों देवर जी, क्या देवरानी जी हमसे कम सुंदर हैं, या वो आपको प्यार नहीं करती?”

मैंने कहा, “अरे नहीं भाभी, ऐसी बात नहीं है। पर हमारा भी दिल कभी-कभी बाहर खाने का करता है। आप इजाजत दें तो क्या मैं आपको…”
भाभी उठकर मेरे पास बैठते हुए बोली, “पूरी बात बोलिए ना! अधूरी बात क्यों करते हैं आप!”

मैंने उनकी कमर में हाथ डालकर उनके होंठों पर अपने होंठ रखकर उन्हें चूमते हुए कहा, “अगर आप चाहें तो हम आपको प्यार करना चाहेंगे, और आपको कोई शिकायत का मौका भी नहीं देंगे!”
भाभी की साड़ी का पल्लू अब तक नीचे गिर चुका था।

वो लंबी-लंबी साँस लेते हुए सिर झुकाकर बोली, “देवर जी, करो ना! आपको किसने मना किया है!”

भाभी की बात सुनते ही मैंने उन्हें बाहों में भर लिया, और उनके होंठ चूसने लगा।
मेरे दोनों हाथ भाभी की कमर को सहला रहे थे।

तभी भाभी बोली, “रुकिए देवर जी, मैं चिंकी को कहीं भेजकर आती हूँ!”

भाभी उठकर बाहर चली गईं और दो मिनट बाद वापस आकर बाहर का गेट बंद करके मेरे पास आकर बोली, “चलो, अंदर चलते हैं!”

पर मैंने खड़े होकर वहीं भाभी को बाहों में भर लिया और उसे चूमते हुए साड़ी उतारकर फेंक दी।

भाभी ने अपना ब्लाउज उतारते हुए अपने दोनों कबूतर आजाद करते हुए कहा, “लो देवर जी, आपने चाय तो पी नहीं, अपनी भाभी का दूध तो पी लो!”

मैं भाभी के दोनों सफेद कबूतर पकड़कर उन्हें मसलते हुए चूसने लगा।
भाभी मेरे सिर में हाथ फेरते हुए बोली, “आह देवर जी, बहुत मज़ा आ रहा है! चूसो इन्हें, पूरा निचोड़ डालो!”

फिर भाभी मेरी जीन्स के ऊपर से मेरा लण्ड सहलाते हुए बोली, “इसे भी निकालो ना बाहर! बहुत तारीफ सुनी है आपके केले की! दिखाओ ना मुझे भी, कि कितना दम है इसमें!”

मैं अपने कपड़े उतारकर पूरा नंगा हो गया और भाभी के सामने खड़ा होकर लण्ड को हिलाने लगा।

भाभी ने तरसती निगाहों से मेरे लण्ड को देखते हुए उसे एक झटके में पकड़ लिया और लण्ड को मुठियाते हुए मुझसे लिपट गई।

मैंने भाभी की गर्दन पर चूमते हुए भाभी का पेटीकोट और पैंटी उतार दी।

हम दोनों के होंठ पागल प्रेमियों की तरह आपस में उलझ गए।
वो काँपती हुई मेरे लण्ड को हिला रही थी और मैं भाभी की पनिया चुकी चूत के दाने को सहला रहा था।

थोड़ी देर बाद जैसे ही हमारे होंठ अलग हुए.
वो घुटनों के बल जमीन पर बैठते हुए मेरे लण्ड को ध्यान से देखते हुए बोली, “बहुत सुंदर है देवर जी आपका! इतना बड़ा और मोटा लण्ड तो सिर्फ फिल्मों में होता है! मैंने आपके लण्ड की तारीफ सही ही सुनी थी!”

मैंने भाभी से पूछा, “क्या मतलब, तारीफ मेरे लण्ड की किससे सुनी आपने?”
भाभी मुस्कुराते हुए बोली, “देवर जी, जैसे आप मर्द लोग हम औरतों की बातें करते हैं, वैसे ही हम औरतें जब इकट्ठी होती हैं, वो अपनी चुदाई की बातें करती हैं। हम सब औरतों को पता रहता है कि किसके पति का कितना बड़ा है, और वो क्या-क्या करता है!”

फिर भाभी मेरे लण्ड को चूमकर बोली, “आपको पता है, आपके लण्ड के बारे में सुन-सुनकर कितनी औरतें इसे अंदर लेने के सपने देखती हैं!”
मैंने कहा, “इसका मतलब मेरी बीवी अपनी चुदाई के बारे में आपको बताती है?”
भाभी हँसते हुए बोली, “बस पता चल जाता है देवर जी!”

फिर वो लण्ड को मुँह में लेकर चूसने लगी।
भाभी लण्ड चूसने के साथ मेरी बॉल्स से भी खेल रही थी।

भाभी ने बहुत देर तक लण्ड चूसकर एकदम खड़ा कर दिया और उठकर मुझसे लिपटकर लण्ड को अपनी चूत से भिड़ाते हुए मेरे होंठ चूसने लगी।

मैंने भाभी को गोद में उठाया और उनसे बेडरूम का रास्ता पूछकर उन्हें बेडरूम में ले गया।

फिर मैंने भाभी की टाँगें फैलाकर उनकी चिकनी चूत पर हाथ फिराते हुए पूछा, “भाभी, इसको किसके लिए चमका रखा है?”
भाभी बोली, “आह देवर जी, बस इसको हर दूसरे-तीसरे दिन चमका लेती हूँ कि क्या पता कब इसको लण्ड मिल जाए!”

फिर वो कमर उठाकर बोली, “अब बातें छोड़ो, डालो अपना इसमें!”
मैं भाभी की बात अनसुनी कर उनकी चूत चाटने लगा।

भाभी अपने मोटे बूब्स मसलते हुए बोली, “आह सीसी आह देवर, बहुत मज़ा आ रहा है! उफ्फ, मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि आप मुझे प्यार करोगे! आह मम्मी, देवर जी, डालो ना अपना लण्ड मेरी चूत में!”

भाभी अपनी गांड उछाल-उछालकर चूत को मेरे मुँह पर मारने लगी।
मैंने उनकी दोनों टाँगें उठाकर कंधे पर रख लीं, और लण्ड का सुपाड़ा चूत से भिड़ा दिया।

भाभी की तरफ देखकर कहा, “मेरी रानी, कर दूँ तेरी चूत ठंडी?”
भाभी कमर हिलाकर बोली, “आह मेरे राजा, कर दो ना!”

मैंने सुपाड़े को भाभी की चूत में धकेलते हुए कहा, “अच्छा मेरी रानी, मुझे क्या मिलेगा बदले में?”
भाभी सिर उठाकर बोली, “क्या मतलब, क्या मिलेगा?”

मैंने लण्ड का दबाव चूत पर दिया, तो लण्ड भाभी की चिकनी चूत में सरसराता हुआ आधे के लगभग अंदर चला गया।

लण्ड अंदर जाते ही भाभी बोली, “उफ्फ आह देवर जी, बहुत मोटा है आपका! उफ्फ, बस थोड़ा रुको! पहले इतना डालकर ही अंदर-बाहर करके चूत के अंदर जगह बना लो! उफ्फ आह!”

मैं लण्ड को थोड़ा-सा बाहर निकालकर अंदर-बाहर करने लगा।
बिग कॉक फक से हुए दर्द से भाभी अपने होंठों को दाँतों से काटते हुए आह आह उफ्फ बोल रही थी।

मैंने भाभी पर झुककर उसके एक चूचे को कसकर पकड़ा और उसका नीचे वाला होंठ अपने दाँतों में लेकर काटते हुए कसकर एक धक्का मारा।
मेरा लण्ड भाभी की चूत को चीरता हुआ उसकी बच्चेदानी तक पहुँच गया।

भाभी चीखी, “हाय राम, मर गई! उफ्फ आह, कोई ऐसे भी करता है क्या! इतना बड़ा मूसल एक ही झटके में पेल दिया! आह मम्मी!”

“ये फाड़ेगा आज मेरी चूत!” भाभी ने कहा।

मैंने भाभी के एक चूचे पर थप्पड़ मारकर कहा, “साली रंडी, इस चूत से दो-दो बेटियाँ निकालकर भी ड्रामा करे जा रही है!”
भाभी आँखें खोलकर बोली, “नहीं मेरे राजा, ड्रामा नहीं कर रही हूँ!”

फिर मैंने भाभी की चूत में लण्ड धीरे-धीरे अंदर-बाहर करते हुए अपनी स्पीड बढ़ा दी।

अब भाभी भी बोली, “उफ्फ, चोदो मेरे राजा, बहुत मज़ा आ रहा है कसम से! फाड़ दो मेरी चूत! आह, आह, और जोर से! क्या मस्त लण्ड है आपका! उफ्फ माँ, पहले कहाँ थे आप! आईई ईई आह!”

भाभी पूरी मस्ती से मेरे हर झटके का जवाब अपनी मदमस्त गांड उठाकर दे रही थी।
मैं उसके बूब्स मसलता हुआ चूत के अंदर तक लण्ड पेल रहा था।

हम दोनों पसीने से लथपथ हो चुके थे।

तभी भाभी बोली, “आह राजा जी, गई मैं तो! उफ्फ फ्फ आईई ईई आह!” और झड़ने लगी।

थोड़ी देर में उनका बदन ढीला पड़ गया।
मैंने झटके मारने बंद करके लण्ड बाहर खींचा और भाभी के होंठों से लगा दिया।

भाभी ने आँखें खोलकर मुस्कुराते हुए लण्ड को हाथ में पकड़ा और चूसने लगी।
भाभी ने अपनी चूत के पानी से भीगे लण्ड को चूसकर पूरा साफ कर दिया।

फिर वो लण्ड को मुँह से बाहर निकालकर बोली, “देवर जी, बहुत स्टैमिना है आपका तो! मेरी का तो पानी निकल गया, पर इसपे तो अभी तक कोई असर नहीं!”

मैंने भाभी के होंठों पर किस करके कहा, “भाभी, ये असली लण्ड है! ये तुम्हें पूरी रात बिना रुके पेल सकता है!”

भाभी अंगड़ाई लेकर उठते हुए घोड़ी बनकर बोली, “तो आ जाओ देवर जी, मना किसने किया है! हम भी तो यही चाहती हैं कि कोई मर्द हमें तोड़कर रख दे!”

मादरजात नंगी भाभी अपने शीशे से नंगे बदन को लिए, मेरे सामने कुतिया की तरह झुककर अपने भारी और मखमली चूतड़ फैलाए, लण्ड लेने के लिए तैयार थी।

मैंने भी भाभी के पीछे पोजिशन लेते हुए उसके चूतड़ों पर थप्पड़ मारकर कहा, “वाह मेरी रंडी, बड़ी गर्मी है तेरी चूत में!”

भाभी चूतड़ों को बड़ी अदा से थिरकाते हुए हँसकर बोली, “देवर जी, जब आपने हमें रंडी बोल ही दिया, तो अब हम आपको असली रंडी बनकर दिखाएँगे! आपको ऐसा मज़ा देंगे कि आप देवरानी की चूत मारना भूल जाओगे!”

मैंने भाभी की चूत से बहते पानी को कपड़े से साफ किया, और चूत को थूक से भरकर अपने लण्ड का सुपाड़ा उसपर सेट किया।

जैसे ही मैंने सुपाड़े को सेट किया, भाभी ने अपनी गांड को थोड़ा पीछे करके थोड़ा-सा लण्ड अंदर ले लिया।
फिर भाभी ने कमर को पूरा झुकाकर गांड को पूरी तरह पीछे उभार दिया।

मैंने उसके दोनों चूतड़ पकड़कर पूरा लण्ड एक झटके में अंदर पेल दिया।
मेरे वार से भाभी ने कमर को एक बार ऊपर उठाया और सीधी होकर बोली, “हाय, मर गई!” फिर से गांड को उभार दिया।

मैं दनादन बिना रुके लण्ड पेलने लगा।

भाभी बोली, “आह सी, थोड़ा धीरे देवर जी! मेरी चूत अभी खुश्क है, अभी-अभी तो झड़ी तो! आह, थोड़ा धीरे करो ना! आह उफ्फ आह!”

मुझे उसकी बात पर तरस आ गया, तो मैं बिल्कुल आहिस्ता-आहिस्ता लण्ड अंदर-बाहर करने लगा।

थोड़ी देर बाद भाभी बोली, “आप रुको! अब हम खुद रंडी की तरह आपसे चुदेंगे!” और अपनी गांड को मेरे लण्ड पर थिरकाने लगी।

भाभी मेरे लण्ड को अपनी चूत में लिए हुए अपनी गांड को गोल-गोल घुमाते हुए बोली, “आह देवर जी, बहुत मज़ा आ रहा है! आपका सुपाड़ा हमारी बच्चेदानी के मुँह पर घूम रहा है! ऐसा लग रहा है, हमारा फिर से हो जाएगा!”

मैंने भाभी के चूतड़ों पर थप्पड़ों की बरसात करते हुए कहा, “साली रंडी, अगर तेरा पानी इतनी जल्दी निकल गया, तो मेरे लण्ड का पानी कौन निकालेगा?”

भाभी एकदम से आगे की तरफ उठकर खड़ी हो गई, जिससे मेरा लण्ड फच की आवाज़ से बाहर निकल गया।

फिर उसने मुझे धक्का देकर बेड पर लिटा दिया और बड़ी कामुक नजरों से मुस्कुराते हुए बोली, “क्या हुआ देवर जी? शादी के बाद हमें लण्ड नहीं मिल रहा? शादी से पहले तो हमने भी बहुत से लण्ड ढीले किए हैं! इतना तो हम जानते ही हैं कि आप जैसे मर्द के लण्ड को कैसे ठंडा किया जाए!”

इतना बोलते ही वो मेरे लण्ड पर झुक गई, और उसे मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।
भाभी इतने मस्त तरीके से लण्ड चूस रही थी कि लण्ड फटने को तैयार हो गया।

मैं बोला, “आह सी आह भाभी, कितना मस्त चूसती हो आप! आह उफ्फ!”

भाभी लण्ड को मुँह से निकालकर, अपनी दोनों टाँगें मोड़कर घुटनों के बल खड़ी होकर, लण्ड को पकड़कर चूत पर सेट करके बोली, “देवर जी, आज आपको आपकी ये रंडी जन्नत की सैर करवाएगी!”

फिर भाभी मेरे दोनों कंधे झकड़कर पकड़ते हुए लण्ड पर बैठती चली गई।
बिना रुके लण्ड पूरा जाने के बाद वो आँखें खोलकर बोली, “उफ्फ, लण्ड है या लोहे की रॉड! उफ्फ देवर जी, मुझे आपके लण्ड पर उभरी हुई नसें चूत की दीवारों पर साफ-साफ महसूस हो रही हैं!”

फिर भाभी मेरे ऊपर झुककर लण्ड पर जोर-जोर से उछलने लगी, और पूरी मस्ती से अपनी गांड लण्ड पर उछालते हुए बोली, “आह देवर जी, महसूस करो मेरी चूत की गर्मी को! उफ्फ, मेरी कोमल और गीली चूत की दीवारों पर अपने पत्थर जैसे लण्ड की रगड़ को महसूस करो!”

मैंने एक हाथ से भाभी के बाल कसकर, दूसरे हाथ से उसके मुँह पर थप्पड़ मारते हुए कहा, “हाँ मेरी कुतिया, कितनी टाइट और मस्त चूत है तेरी!”

भाभी बोली, “अब ये मस्त चूत सिर्फ आपकी है! आप जब मर्जी इसमें अपना लण्ड डाल सकते हो! बस अब आप मेरे साथ झड़ जाइए!”

मैंने अपने आप पर बहुत कंट्रोल किया हुआ था।
भाभी बोली, “मैं भी आपके साथ झड़ना चाहती हूँ! आह देवर जी, उफ्फ!”
और बहुत ही स्पीड से लण्ड अंदर-बाहर लेने लगी।

मैं भी भाभी की कमर को पकड़कर उनके हर झटके के साथ नीचे से झटके मार रहा था।
थोड़ी देर में मेरे लण्ड ने भाभी की चूत की गर्मी के सामने हार मान ली और फड़फड़ाते हुए जोर से चूत में पिचकारी मार दी।

भाभी बोली, “आह देवर जी, मज़ा आ गया! कितना गरम है आपका पानी! आह उफ्फ फ्फ, और भर दो मेरी चूत को!”

मैंने भाभी को कसकर पकड़ते हुए लण्ड को बिना बाहर निकाले अपने नीचे पटका, और दनादन पंद्रह-बीस स्ट्रोक मारते हुए उसकी चूत को अपने गर्म और गाढ़े वीर्य से भर दिया।

भाभी जोर-जोर से साँस लेते हुए हाँफ रही थी। मैं लण्ड बिना बाहर निकाले भाभी पर पसर गया।

अगले भाग में मैंने भाभी के साथ क्या किया?
प्रतीक्षा करें.

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