लेडी डॉक्टर ने मेरे लंड की खुजली का इलाज किया- 6

(Chut Chudai Ka Maja)

हर्षद मोटे 2022-03-10 Comments

चूत चुदाई का मजा लिया मैंने अपनी डॉक्टर के साथ. मैंने उससे अपने लंड की खुजली का इलाज करवाया तो उसे मेरा बड़ा लंड पसंद आ गया था.

दोस्तो, मैं हर्षद मोटे आपकी सेवा में इस गरम सेक्स कहानी का अंतिम भाग लेकर हाजिर हूँ.
पिछले भाग
लेडी डॉक्टर की गांड में उंगली
में अब तक आपने पढ़ा था कि डॉक्टर रेखा की प्यासी चूत ने मेरे लंड से दो बार चुद कर मजा ले लिया था.

अब आगे चूत चुदाई का मजा:

रेखा ने अपनी टांगों से मेरी गांड को जकड़ लिया और अपनी चूत से मेरे लंड का अमृत निचोड़ने लगी.
मैं उसके ऊपर लेट गया और रेखा ने मुझे अपनी बांहों में कस लिया.

हम दोनों पांच मिनट तक एक दूसरे के होंठों को चूसते हुए ऐसे ही कुछ मिनट लेटे रहे.

फिर रेखा ने अपनी टांगों की पकड़ से मुझे आजाद कर दिया था तो मैं खड़ा हो गया और अपना सना हुआ लंड रेखा की चूत से बाहर निकाला.

मेरे हटते ही रेखा भी उठकर खड़ी हो गयी.
उसकी चूत से हम दोनों का कामरस उसकी जांघों से नीचे बहने लगा था.

रेखा रस देख कर मुस्कुरा उठी और बोली- देखो हर्षद, हम दोनों का कितना ढेर सारा कामरस घुलमिल कर बह रहा है. तुमने मेरी चूत की प्यास पुरी तरह से बुझा दी. मुझे इसी दिन का इंतजार था.

उसने मेरे पास आकर मुझे अपनी बांहों में कस लिया और मेरे होंठों को चूसने लगी.
नीचे मेरा तना हुआ और गीला लंड उसकी चूत को रगड़ रहा था.

मैंने भी अपने हाथ उसकी गांड पर रखकर उसे कस लिया.

पांच मिनट की चूमाचाटी के बाद रेखा अलग हो गयी.
उसने एक कपड़े से अपनी चूत और जांघें पौंछकर साफ कर दीं, फिर मेरे लंड को भी साफ कर दिया.

मैंने घड़ी में समय देखा तो सवा पांच बज गए थे. मैंने रेखा से कहा- क्या अब मैं जा सकता हूँ रेखा?
तो रेखा बोली- ऐसे कैसे जाओगे. नहाकर चाय पीकर चले जाना.
मैंने कहा- ठीक है … जैसा तुम चाहो.

हम दोनों एक दूसरे की कमर में हाथ डालकर बाथरूम की ओर जाने लगे.

बाथरूम में पहुंचते ही रेखा ने बाथटब का पानी का नल चालू कर दिया … तो तेजी से पानी टब में गिरने लगा.

रेखा ने टब में लिक्विड सोप डाल दिया.

मैं रेखा के पीछे खड़ा होकर उसके स्तन सहलाने लगा और रेखा अपनी गांड की दरार में मेरा लंड रगड़ने लगी.

वो बोली- ये क्या हर्षद … तुम्हारा लंड फिर से कड़क हो गया … और कितना बेहाल करोगे मुझे?
मैंने मुस्कुरा दिया.

वो- लेकिन तुमने मुझे ढेर सारी खुशियां भी दी हैं. ये पल, ये खुशियां और तुम्हें मैं जिंदगी भर नहीं भूल पाऊंगी हर्षद.
मैंने भी कहा- हां रेखा … मैं भी नहीं भूल सकता. आज तुमने भी मुझे अपना सब कुछ देकर बहुत खुशियां दी हैं. ये सब मैंने सपने में भी नहीं सोचा था.

इतने में रेखा बाजू हट गयी और उसने पानी का नल बंद कर दिया.

टब में ढेर सारा झाग बन गया था. आधा टब पानी और आधा टब झाग से भरा हुआ था. बहुत मस्त सुगंध आ रही थी.

रेखा बोली- अब उतर जाओ टब में.
तो मैं टब में उतरकर अपना मुँह टब के ऊपर रखकर पीठ के बल लेट गया. झाग की वजह से अन्दर का कुछ दिखाई नहीं दे रहा था.

मैंने अपने हाथ टब के ऊपर रखे थे.
टब में नहाने का ये मेरा पहला अनुभव था तो मैं बहुत ही आनन्द ले रहा था.

तभी रेखा ने म्यूजिक सिस्टम चालू कर दिया.

वो टब के पास आकर झुक गयी और अपने दोनों हाथों से मेरे सीने, कमर पर सहलाने लगी.
बाद में उसने नीचे हाथ ले जाकर मेरे लंड और अंडकोषों को सहलाकर साफ किया.

फिर वो टब के अन्दर उतरकर मेरे ऊपर लेट गयी. रेखा ने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिए और चूमने लगी.

वो बोली- हर्षद कैसा लग रहा है?
मैंने उसके होंठों को चूसते हुए कहा- एकदम मस्त … जैसे कि मैं स्वर्ग में किसी अप्सरा के साथ नहा रहा हूँ.

ये सुनकर रेखा कामुक हो गयी और अपनी चूत मेरे तने हुए लंड पर रगड़ने लगी.

मैं भी जोश में आकर उसकी गांड को मसलने लगा और गांड के छेद में उंगली करने लगा.

इससे रेखा जोर से सीत्कारने लगी- ऊंई मां स्स स्स … हाय हर्षद बहुत बदमाशी करते हो तुम!

रेखा के स्तन मेरे सीने पर रगड़ रहे थे.

थोड़ी देर बाद रेखा ने अपने एक हाथ से लंड पकड़ा और अपनी गांड ऊपर उठाकर अपनी चूत पर लंड का सुपारा रगड़ना शुरू कर दिया.

मैंने नीचे से धक्का लगाकर पूरा सुपारा चूत में डाल दिया.

पानी की वजह से लंड झट से अन्दर गया तो रेखा सिहर उठी, वो मेरे होंठों को चूसने लगी.

रेखा लगातार मदहोश हो रही थी और अपनी गांड ऊपर नीचे करके लंड चूत में उतारने लगी थी.

मैं तो बहुत खुश था. पहली बार पानी में चुदाई कर रहा था.
इसी जोश में मैंने नीचे से अपनी गांड उठाकर जोर का धक्का मारा तो पूरा लंड रेखा की चूत में गहराई में जा चुका था.

रेखा कसमसाने लगी थी.
उसने अपने दोनों हाथों में मेरा चेहरा पकड़कर मेरे होंठों को जोर से चूसना शुरू कर दिया था.

अब मैं अपने दोनों हाथों से उसकी पीठ और गांड को सहलाने लगा. साथ में मैं अपनी उंगलियां उसकी गांड की दरार में फिराता रहा.
कुछ मिनट हमारा ये खेल पानी में चलता रहा था.

बाद में रेखा और कामुक होकर अपनी गांड ऊपर नीचे करने लगी.
मैं भी नीचे से अपनी गांड उठाकर उसका साथ देने लगा.

अब रेखा और गति से लंड को अन्दर बाहर करने लगी थी.

पानी में रहकर चोदने में चूत चुदाई का मजा आ रहा था, साथ में सुगंध भरा माहौल और सेक्सी संगीत भी मजा दे रहा था.

दोस्तो क्या बताऊं … मैं शब्दों में बयान ही नहीं कर सकता.

अब मैंने भी नीचे से अपनी गति बढ़ा दी, तो रेखा की मुँह से गर्म सिसकारियां निकलने लगीं जो मुझे मदहोश करने लगी थीं.

ऐसे ही बीस मिनट के बाद दोनों एक साथ झड़ने लगे तो रेखा ने अपना सर मेरे कंधे रख दिया और मादक सिसकारियां लेने लगी.

मैंने उसे अपनी बांहों में कस लिया और नीचे अपनी टांगें उसकी गांड पर रखकर उसकी चूत का दबाव अपने लंड पर बनाए रखा.

कुछ मिनट तक हम दोनों ऐसे ही टब में पड़े रहे. बाद में मैंने अपनी पकड़ ढीली कर दी, तो रेखा ने चार पांच बार लंड को अन्दर बाहर किया और उठकर मेरी जांघों पर बैठ गयी.
वो अपने दोनों हाथों से मेरे लंड को साफ करने लगी. अंडकोष और जांघें भी साफ करने लगी.
मुझे बहुत मजा आ रहा था.

मैं भी उठकर बैठ गया और अपने हाथों से रेखा की चूत और जांघें साफ करने लगा.
साथ में उसकी गांड भी सहला रहा था.

फिर मैं एक उंगली रेखा की चूत में डालकर अन्दर बाहर करने लगा तो रेखा सीत्कारने लगी.
वो बोली- अब ये क्या कर रहे हो हर्षद?

मैंने कहा- तुम्हारी चूत अन्दर से साफ कर रहा हूँ.

हम दोनों मुस्कुराकर एक दूसरे की तरफ कामुक नजरों से देख रहे थे.

रेखा बोली- ऐसे करोगे तो मेरी चूत की आग फिर से सुलग जाएगी. तब मैं तुम्हें घर जाने नहीं दूंगी.
वो मुस्कुराकर बोल रही थी तो मैं भी हंसने लगा.

रेखा- अब उठो चलो बाहर आ जाओ हर्षद!
वो बाहर आ गयी और खड़े होकर उसने मुझे हाथ देकर उठाया.
मैं टब से बाहर आ गया.

रेखा ने मुझे एक तौलिया दे दिया और खुद के लिए भी एक ले लिया.
हम दोनों ने अपने अपने बदन पौंछकर साफ किए.

मैं रूम में जाकर अपने कपड़े पहनकर तैयार हो गया.
रेखा भी नाईटी पहनकर बाहर आ गयी थी.

वो मुझसे बोली- सोफे पर बैठो.
मैं सोफे पर बैठ गया तो उसने पानी की बोतल देकर कहा- लो पानी पी लो हर्षद. मैं चाय बनाती हूँ.

रेखा रसोई में चली गयी.
मैंने घड़ी देखी तो सवा छह बज गए थे.

मैं पानी पीकर रसोई में गया और रेखा से कहा- चाय मत बनाओ मुझे देर हो जाएगी.

रेखा ने मेरे गले में अपने दोनों हाथ डालकर प्यार से कहा- क्या और कोई इंतजार कर रहा है तुम्हारा? या मां डांटेगी कि इतना लेट क्यों हो गए?
मैंने कहा- ऐसी कोई बात नहीं रेखा. लेकिन घर जाने के बाद मां भी चाय बनाती है.

रेखा बोली- एक दिन दो कप ज्यादा चाय पीने से कुछ नहीं होगा हर्षद.

वो चाय बनाने लगी तो मैंने उसके पीछे खड़े रहकर अपनी बांहों में कस लिया.

रेखा अपनी गांड मेरे लंड पर रगड़ती हुई बोली- अब क्या हुआ हर्षद? क्या तुम्हारा अभी तक दिल नहीं भरा?

मैंने उसके स्तन नाईटी के ऊपर से ही मसलकर कहा- कैसे बताऊं रेखा … तुम्हें देखते ही बार बार मेरा दिल और मेरा लंड मचल उठता है.

मेरा लंड रेखा अपनी गांड रगड़कर बोली- हां हर्षद, मेरा भी यही हाल होता है. जब से तुम्हें और तुम्हारे मूसल को पहली बार देखा था, तब ही से मैं इसको पाना चाहती थी. अब चलो हटो, चाय बन गयी है.

रेखा ने दोनों कप भर दिए और मुझे एक देकर कहा- चलो सोफे पर बैठकर पीते हैं.

हम दोनों साथ में बैठकर चाय पीने लगे.

रेखा बोली- हर्षद, आज पहली बार पानी में चुदने की मेरी तमन्ना पूरी हो गयी है और वो भी तुम्हारे जैसे हैंडसम के साथ. मुझे चूत चुदाई का मजा आया हर्षद. कैसे बताऊं मैं कितनी खुश हूँ.
मैं रेखा के चेहरे पर इतनी खुशी देखकर मुग्ध हो गया था.

मैंने कहा- रेखा मैं हमेशा ही तुम्हारे चेहरे पर ऐसी खुशियां देखना चाहता हूँ. मैंने भी पहली बार एक तुम जैसी अप्सरा की पानी में चुदाई की है. मैं भी बहुत खुश हूँ रेखा. जब भी मुझे तुम्हारी याद आएगी, मैं फोन करता रहूँगा. ना जाने हमारा मिलन फिर कब होगा?

रेखा बोली- हां मैं भी तुम्हें फोन करती रहूँगी हर्षद. जल्दी ही हमारा फिर से मिलन होगा, मैं फोन करके तुम्हें बताऊंगी हर्षद.
मैं मुस्कुराने लगा.

वो- हर्षद मेरी और एक तमन्ना है … क्या तुम पूरी करोगे?
मैंने कहा- बोल कर तो देखो जान.

रेखा बोली- मैंने तुम्हारे साथ पूरी एक रात गुजारना चाहती हूँ.
मैंने कहा- तुम जब चाहो फोन कर लेना, मैं तुम्हारी खिदमत में हाजिर हो जाऊंगा मेरी जान. तुम हमेशा मेरे दिल में रहोगी.

हमारी चाय खत्म हो गयी थी, तो हमने कप तिपाई पर रख दिए.

मैंने कहा- रेखा अब मैं चलता हूँ.
रेखा भी उठकर खडी हो गयी और मुझे अपनी बांहों में कस लिया.

वो मेरे होंठों को, गाल और माथा लगातार चूमने लगी. वो बहुत भावुक हो गयी थी. उसकी आंखों में आंसू आ रहे थे.

मैंने उसके आंसू पौंछकर कहा- मैं कहां तुम्हें छोड़ कर जा रहा हूँ. मैं हमेशा तुम्हारे पास ही रहूँगा. मैं दूर रहता हूँ, तो क्या हुआ. तुम जब चाहो मैं तुम्हें मिलने जरूर आ जाऊंगा … और हम फोन पर भी बातें कर सकते हैं ना. अब मुस्कुराओ जरा, मैं हमेशा तुम्हें खुश देखना चाहता हूँ.
ये कह कर मैंने रेखा के होंठों को चूमकर बाय कहा.

रेखा भी दरवाजे तक मुझे छोड़ने आयी और बाय किया. मैं अपनी बाईक निकालकर वहां से निकल गया.

तो दोस्तो मेरी ये गरम सेक्स कहानी आपको कैसे लगी, जरूर बताना. अगर कोई गलती हुई हो, तो माफ कर देना.

क्या मेरी रेखा से फिर मुलाकात हुई या नहीं … मैंने उसके साथ चूत चुदाई का मजा पुनः लिया या नहीं? ये मैं आपको जरूर बताऊंगा.
तब तक के लिए नमस्कार.
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top