मेरी आत्मकथा

प्रेषक : राहुल सिंह

मेरा नाम राहुल है। मैं गोरखपुर का रहने वाला हूं। मेरा एक संयुक्त परिवार है, मेरे घर में पापा, मम्मी, चाचा, चाची रहते हैं. मेरी उम्र २७ साल है मुझे शुरू से ही सेक्स का बहुत शौक रहा है. मुझे लड़कियों में उनकी चूची बहुत पसंद है. उनसे खेलना, चूसना मेरी पहली पसंद है. सेक्स करने से पहले मुझे पार्टनर के साथ खेलने और उसे बहुत ज्यादा उत्तेजित करने में बहुत मज़ा आता है. २ साल घर से दूर हॉस्टल में पढ़ा हूं। उस वक्त मेरे बेड पे मैं और मेरा एक रूम पार्टनर सोते थे.

एक दिन जब हम सो रहे थे तब रात को मुझे लगा कि कोई मेरे लंड के साथ खेल रहा है. मैंने धीरे से एक आंख खोली तो देखा कि मेरा रूम पार्टनर मेरे लंड के साथ खेल रहा है, उससे मस्ती कर रहा है। मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था। मैं सोने का बहाना कर के बेड पे पड़ा रहा. फिर वो मेरे लंड को चूसने लगा मुझे बहुत मज़ा आने लगा. तब मैंने उठने की सोची और उठते ही अपने रूम पार्टनर पे झूठ का गुस्सा किया। वो मुझे मनाने लगा। मैंने उससे कहा कि ठीक है लेकिन बस इतने में मज़ा नही आयेगा, उसने पूछा- क्या मतलब?

मैंने कहा- मुझे यह सब पसंद नही है और किसी लड़के ने मेरा लंड पहली बार पकड़ा है, तुम उसे चूस रहे थे, उसके अलावा क्या क्या करते हैं?

उसने बताया कि लंड को गांड में डाल का अन्दर बाहर करते हैं जैसे कि लड़कियों के चूत में डाल कर किया जाता है.

मैंने उससे कहा कि तुम मेरा लंड चूस सकते हो, ब़स मुझे गांड मरवाने का शौक नही है.

वो मान गया. उस दिन उसने मेरे लंड की खूब चुसाई की, फिर हम सो गये.

हम जिस स्कूल में पढ़ते थे वो लड़के लड़कियों का स्कूल थ। उस समय मैं कलास 12 में था. स्कूल में ही हमारा हॉस्टल था. लड़कियों से मेरी बहुत बनती थी क्योंकि मैं पढ़ने में बहुत तेज था। मेरी क्लास में एक लड़की थी जिसका नाम सुधा था. वो बहुत ही सुंदर और सेक्सी थी. वो अपने जवानी की दहलीज़ पर पहला कदम रख रही थी. उसके बड़े होते उभार किसी को भी दीवाना बनाने के लिए काफी थे. मैं उससे बहुत पसंद करता था और रात को उसके साथ ।सेक्स के सपने देखता था.

मैं दिखने में बहुत स्मार्ट नही था लेकिन किसी से कम भी नही था. मैंने उससे अपने प्यार का इज़हार करने की सोची, लेकिन हिम्मत नहीं हुई. एक बार हम लोग पूरी क्लास के साथ आऊटिंग पे गए हुए थे, ब़स वही मुझे मौका मिल गया और मैंने उससे अपने प्यार का इज़हार कर दिया.

पहले तो वो कुछ नही बोली, फिर मेरे गाल पे एक किस देकर बोली कि मैं भी तुम्हे बहुत पसंद करती थी लेकिन बोलने की हिम्मत नही हो रही थी. फिर क्या, धीरे धीरे हम लोग एक दूसरे से बहुत खुल गये और सेक्स करने की प्लानिंग होने लगी. हॉस्टल से केवल रविवार को आऊटिंग की छूट थी तो हम लोगों ने रविवार के मिलने का प्रोग्राम उसकी सहेली के घर पे रखा. यह सब इंतज़ाम उसने किया और बताया कि कोई दिक्कत नहीं है उसकी सहेली तैयार है अपने घर पे बुलाने को. हम लोग रविवार को मिले और हमें एक कमरे में अकेला छोड़ कर उससके सहेली बाहर चली गई.

सुधा ने उस दिन लाल रंग का सूट पहना हुआ था उस पर सफ़ेद दुप्पटा जिसमें वो बहुत की सेक्सी लग रही थी. मैंने उससे तुरन्त अपने बाँहों में ले लिया और उसे किस करने लगा. किस करते करते मेरा एक हाथ उसकी चुचियों को मसल रहा था। अभी छोटी थी लेकिन बहुत हार्ड और मस्त थी. मैंने उससे कपड़े उतारने के लिए कहा तो वो शरमाने लगी.

फिर मैंने उसके ऊपर के कपड़े को उतार दिया और देखा उसने काले रंग की ब्रा पहनी हुई है। गज़ब की क़यामत लग रही थी वो.. फिर सलवार भी उतार दी, उसने नीचे कुछ नहीं पहना था और उसके चूत पे एक बाल भी नही था। फ़िर मैं उसकी चुचियों को ब्रा के ऊपर से ही चूसने लगा। वो आ आआ आह ह्ह्ह्ह्ह्अह्ह्ह करके सेक्सी आवाज़ निकलने लगी और मेरी पैन्ट के ऊपर से मेरे लण्ड को पकड़ने लगी। मैंने अपनी पैन्ट और अंडरवीअर उतार कर लण्ड उसके हाथों में दे दिया. फिर वो मेरे लण्ड के साथ खेलने लगी.

मैंने उसे मेरे लण्ड को मुंह में लेने के लिए कहा तो वो मना करने लगी और कहा कि मुझे उलटी हो जायेगी. कमरे में एक फ्रीज रखा था, जिसे खोला तो देखा कि उसमें जैम रखा था। मैंने सुधा से जैम लण्ड पे लगाने के लए कहा तो उससे उसने प्यार से लगा दिया। फिर मैंने उससे उसे चाटने के लिए कहा, फिर वो मज़े से उससे चाटने लगी और उससे बहुत मज़ा आने लगा। मेरा लण्ड खड़ा हो गया था. मैंने फिर उसको लिटा कर उसकी चूत चाटनी शुरू की तो वो फिर आवाज़ निकलने लगी. फिर उसने लंड को चूत में डालने के लिए कहा.

चोदने का यह मेरा पहला मौका था लकिन मैं बहुत कांफिडेंट था क्योंकि मैंने बहुत सी ब्लू फिल्म देखी थी और गरमा गरम कहानियों की किताब भी पढ़ी थी। मैंने उसकी चूत पे लण्ड को रखा लेकिन वो अन्दर जा ही नहीं रहा था, बहुत कड़ी चूत थी. मैंने उसपे तेल लगाया फिर रखा तो वो थोड़ा अन्दर गया वो दर्द के मारे चिल्लाने लगी और हटने के लिए कहने लगी।

मैंने उसे समझाया, तब वो फिर तैयार हुई। फिर मैंने उसकी चूत पे लण्ड रख कर धक्का मारा तो आधा अन्दर गया। क्या गज़ब टाइट चूत थी, वो चिल्लाने लगी पर मैं कहां मानने वाला था और एक बार मैंने धक्का मारा और लण्ड को पूरा अन्दर घुसा दिया। वो दर्द के मारे रोने लगी। मैंने उसे चुप कराया और उसकी चुचियों को चूसने लगा जिससे उससे मज़ा आने लगा. कुछ देर बाद वो अपनी गांड को उठाने लगी। तब मैंने जोर जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए और लगभग १५ मिनट बाद झड़ गया. लण्ड को बाहर निकाला तो देखा कि चादर पे खून पड़ा है। जिसे देख कर हम दोनों डर गये.

तभी देखा कि दरवाज़ा धड़ाक से खुल गया और उसकी सहेली कमरे के अन्दर आ गई. शेष आगे की कहानी में. मेरी कहानी कैसी लगी जरूर बताएं।

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