प्रियतमा से एक और मुलाक़ात- 2

(Ex GF Sexy Chut Chudai Kahani)

Ex GF सेक्सी चूत चुदाई का मजा मुझे मिला कई साल बाद जब मैं अपनी पुरानी गर्लफ्रेंड से मिला. उसे देखते ही मेरा लंड सलामी देने लगा और उसकी नजर भी मेरे उठे लंड पर पड़ गयी थी.

दोस्तो, मैं निलेश आपको अपनी कहानी के पहले भाग
पुरानी गर्लफ्रेंड से पुनर्मिलन
में बता रहा था कि मैं अपनी प्रियतमा मीता से अचानक से मिला और उसके साथ सेक्स की पहल करने लगा था.
वह भी मुझसे चुदना चाहती थी लेकिन नखरे कर रही थी.
उसने मुझे पेटीकोट उतारने पर टोकते हुए सेक्स करने से रोका.

अब आगे Ex GF सेक्सी चूत चुदाई:

‘ठीक है मीता , मैं ही अपनी पैंट उतार देता हूं.’ यह कहते हुए मैंने अपनी पैंट उतार दी और फ्रेंची के साथ उसके सामने खड़ा हो कर मीता के ब्लाउज के बटन खोलने लगा.

‘अरे अरे … अब ये क्या कर रहे हो आप? मेरा ब्लाउज क्यों उतार रहे हो? अरे रुको तो …’
मुझे रोकने की कोशिश में मीता ने अपने हाथ से मुझे रोकना चाहा लेकिन क्योंकि उसने अपने दोनों हाथों से पेटीकोट को उठा रखा था, तो वह मुझे रोक ही नहीं पाई.

इधर मैं मुस्कुराता हुआ मेरी प्रेयसी के ब्लाउज को उतार चुका था.

‘आआआह उफ़्फ़फ़.’
मीता से पैंटी के साथ साथ लाल रंग की ब्रा भी पहन रखी थी.

‘नहीं नीलू प्लीज मत करो. अब मैं कोई गलत काम नहीं करना चाहती … प्लीज रुक जाओ नीलू.’
‘नहीं मीता , ये कोई गलत काम नहीं कर रहे हम.’

ये कहते हुए मेरे हाथ मीता की ब्रा के हुक पर पहुंच गए.
मीता ने इस बार पेटीकोट छोड़कर मेरा हाथ रोकने की कोशिश की, लेकिन तब तक लाल ब्रा भी ऊपर से नीचे का सफर तय कर चुकी थी.

आआह … क्या गजब का कसाव था मेरी मीता के स्तनों में … इन्हें मैं कई बार मसल चुका था, फिर भी मुझसे ये आज अनछुए ही लग रहे थे.
मेरी सिसकारियां निकलने लगी थीं. एकदम तनी हुई हिमालय की चोटियां लग रही थीं.

मीता ने दोनों हाथों से अपने उभारों को ढक कर उन्हें छुपाने की नाकाम कोशिश की और मुझे आंखों ही आंखों से रुकने की नाकाम अपील भी की.
मगर अब तो वह भी जानती थी कि अब जब तक मेरे वीर्य की आखिरी बूंद उसकी चूत में जब तक न गिरेगी, ये मसला हल नहीं होने वाला.

इधर मेरे लंड की हालत खराब हो चली थी और वह फ्रेंची के किनारों से बाहर निकलते हुए अपनी सामने खड़ी सखी को उछल उछल कर चूमने का प्रयास करने लगा.

मैंने भी मीता के दोनों हाथों को प्यार से हटाया और उसके और करीब पहुंचते हुए एक स्तन को अपनी हथेली में भर लिया और दूसरे स्तन को चोटी अपने होंठों के भीतर पनाह दे दी. साथ ही दूसरे हाथ से बाजू वाले स्तन को हौले हौले मसलने लगा था.

‘उफ़्फ़फ़ आआह … धीरे से दबाइये न …’ मीता से सिसकारी भरते हुए कहा.

मेरे होंठ नाभि के भीतर तक समा गए थे.
एक उंगली ने चूचुक की घुंडी को मसल दिया और दूसरे उभार को सहलाते हुए मैं उसके हल्के हल्के दबाने लगा था.

‘आआआह मेरे बलम …’
मीता की गर्दन पीछे की ओर उलट गयी थी और मारे आनन्द के उसके होंठों से सिसकारियां उबलने लगी थीं.

तभी इधर नीचे से फुफकार मारते मेरे लंड ने एकदम करीब से जाकर अपनी जानी पहचानी सखी की चुम्मी ले ली.

उसकी पैंटी के कोनों को दबाता हुआ अपनी जानी पहचानी गुफा में जा समाया.

‘आआह … ये क्या, महाराज तो मेरी चूत में घुस गए … इतनी जल्दी!’
एक गहरी मादक सीत्कार भरते हुए मीता ने कहा.

‘मीता जी … अपनी सखी की चुम्मी ली है लंड महाराज ने.’
‘ये बड़ा बदमाश हो गया है, इतनी जल्दी क्या है महाराज … आइए पहले मुझे तो किस कीजिए.’

मेरे लंड को नीचे से पकड़ते हुए मीता ने अपनी मुट्ठी में भरते हुए कहा.
‘हम्म जान … इसे प्यार करो प्लीज.’
‘आआआह नीलेश, ये बदमाश तो बहुत बड़ा और कठोर हो चुका है.’ मीता ने सपनीली आंखों से आने वाले आनन्द की कल्पना करते हुए मेरे लंड को मुठियाते हुए कहा.

‘आह मीता आआह मेरी जान.’

फिर जब तक मीता ने मेरे लंड के सुपारे को ऊपर चढ़ाकर उसको अपने होंठों से चूम लिया.
इस कोमल स्पर्श से लंड जोर से हिनहिनाया और मीता की नाक से जा टकराया.

‘उफ़्फ़फ़ महाराज … आप तो बड़े बेसब्र हो रहे हैं. रुकिए थोड़ा मालिश कर दूं आपकी, फिर सखी से मिलवाएंगे आपको.’
ये कहते हुए मीता ने लंड को अपने होंठों में भर लिया और पूरी तन्मयता से मुठियाते हुए चूसने लगी.

मेरे होंठों से आनन्द भरी आह फूट पड़ी.
मैंने भी 69 की पोजिशन लेते हुए मीता की चूत के किनारों को चूमते हुए उसकी चूत की गहराइयों तक अपनी जीभ घुसेड़ दी और मदनमणि को चूम लिया.

‘आह मेरे सनम आआह इस्स उई …’

एक बहुत गहरी मदभरी सिसकारी के साथ मीता की पलकें आनन्द की अधिकता से उलट गईं और होंठ गोल होकर सिसकारियों निकालने लगे.

मीता के असीम आनन्द को और बढ़ाने के लिए मैंने उसकी चूत की गुलाबी फांकों को फैलाया और चूत के किनारों से लगातार बह रहे कामरस को जीभ से चाट लिया.

‘आआआह … इस्स … उफ़्फ़फ़ जान … मैं जली जा रही हूँ आआह.’

मीता की पलकें आनन्द की अधिकता से सीधी ही नहीं हो पा रही थीं.
मारे आनन्द के उसके होंठों से निकलने वाली धीमी सिसकारी, मदभरी सीत्कार में बदल चुकी थी.

फिर तभी मैंने चूत की गुलाबी फांकों को जीभ से ही फैलाकर उसको अपनी प्रियतमा की मखमली मादक चूत की गहराइयों में प्रविष्ट करा दिया.

इधर मैं अपने एक हाथ से मीता के दोनों तने हुए उभारों को मसलने सहलाने लगा था और दूसरे हाथ की उंगली मेरी जान की पतली कमर और मुलायम चिकने पेट को सहलाती हुई उसके गोल और गहरी नाभिकूप की गोलाई के चारों और परिक्रमा सी कर रही थी.

वह नाभिकुंड की गहराई में दाखिल हो गयी और नाभिकूप के बाहरी परतों को खोलने का प्रयास करती हुई नाभिकूप को वैसे ही चोदने लगी, जैसे कुछ देर बाद मेरा लंड मीता की पनियायी कसी हुई चूत में उतर कर धमाल मचाने वाला था.

‘आआह …’

मीता के होंठों ने उसका साथ छोड़ दिया और मेरे द्वारा उसके बदन पर हुए एक साथ इस मादक चौतरफा हमलों ने उसकी वासना के आनन्द को सातवें आसमान की ऊंचाइयों के ऊपर पहुंचा दिया.

‘उफ़्फ़ ओह्ह आआह इस्स ओ मेरे सनम … आआह और कसके चूस लो अपनी मुनिया को … आआह चोद दो न अब … अपना खड़ा लंड ही घुसा दो आप मेरी वाली में … आआह मेरे सनम आआह आआह आपने तो ऐसा मजा दे दिया है … जो इसके पहले कई सालों से नहीं मिला था … आआह और जोर से दबाओ न अपने इन रसीले चूचुकों को मेरे राजा … आआह आपकी जीभ तो आपके लंड महाराज जैसी ही मजा दे रही है … आआआह चोदो और चोदो मेरी चूत को आआह आपकी जीभ आपके लंड महाराज से कहीं किसी हालात में कम नहीं है मेरे सनम आआह उफ़्फ़ … मैं झड़ने वाली हूँ मेरे राजा आआह और भीतर … और भीतर घुसेड़ दो जीभ को … आआह आआह मैं छूट रही हूँ मेरे सनम आआह.’

फिर एक बड़ी तेज मदभरी मादक सिसकारी भरते हुए मेरे चौतरफा हमले जो एक साथ मेरी प्रेयसी की चूत, गहरी नाभिकूप और दोनों स्तनों पर हुए थे.
उनकी वजह से आनन्द की अधिकता से मीता रानी की चूत ने भलभला कर ढेर सारे कामरस की बौछार मेरे होंठों और पूरे चेहरे पर कर दी.

उसके कूल्हे ऊपर हवा में उठ गए और कमर रह रह कर झटके मारने लगी.
मीता के होंठ मानो सिसकारी उबलने वाली मशीन बन गए थे … और झड़ने के अंतिम पलों में सिसकारी, किलकारियों में बदल गयी थी.

मैंने अपनी प्यारी मीता के कामरस की एक भी बूंद को भी व्यर्थ नहीं जाने दिया.
उसकी गहरी चूत पर अपने होंठों को ढक्कन के जैसे फिट कर दिया था.
उसके ऊपर नीचे होते कूल्हों को दोनों हाथों से थामकर ठीक वैसे ही चूत से निकली हर अमृत बूंद को पी लिया था, जैसे किसी कोला की बोतल से कोला की एक एक बूंद को गटक लिया जाता है.

आखिर में जब मीता पूरी तरह झड़ गयी, तब जाकर मैंने मीता के कूल्हों को छोड़ा.
अब मेरी नजर मीता पर पड़ी.

आआआह … क्या नज़ारा था.
मेरी मीता की पलकें अभी भी आनन्द की अधिकता से कांप रही थीं और अधखुली नज़रों से वह मुझे शर्माती हुई देख रही थी.

उसके दोनों मादक उभार, इतनी गहरी चूत चुदाई से उत्तेजित होकर एकदम तने हुए खड़े थे. चूचुक की घुंडियां किसी बेर के आकार जैसी बड़ी होकर फूल गयी थीं.

नीचे मुलायम पेट और नशीली खमदार कमर का वह हसीन नजारा था, जिसने मेरे लंड के छक्के छुड़ा दिए.

नीचे ढलवां पेट और उसके नीचे का हसीन नज़ारा, वह मादक त्रिकोण, जिसके लिए कई मुनियों के ध्यान भंग हो चुके थे, कई राजे राजवाड़े लड़ मरे.

इस त्रिकोण में आनन्द के वह अध्याय हम दोनों ने लिखे थे, जिसकी कोई सीमा नहीं. इतना खेल चुके थे हम, फिर भी मन नहीं भरता था. हमारी हर चुदाई नई चुदाई होती थी.
हमारा हर मिलन दोनों के लिए कुंवारा प्रवेश ही होता था.

मेरा लंड मेरी फ्रेंची से बाहर ही आ गया था और खूब लाल होकर अपनी सखी से मिलने को बेताब हो रहा था.
मैंने अपनी फ्रेंची उतार दी और मीता के होंठों से ये देखकर फिर से सिसकारी निकल पड़ी कि मेरा लंड अब उसकी चूत में दाखिल होने ही वाला है.

अब यह मसला मेरे लंड और मेरी प्रियतमा की चूत के लम्बे मिलन के बाद उसकी चूत की गहराई में मेरे वीर्य की अंतिम बूंद के गिरने के बाद ही सम्पन्न होगा.

मैंने अंतिम मिलन के लिए खुद को तैयार किया और मीता की टांगें फैलाकर एक बार पुनः नाभिकूप पर झुक गया.

उसकी गहरी नाभि कुंड के कई गर्मागर्म चुम्बन ले डाले.

‘आआह … इस्स उफ़्फ़फ़ मेरे राजा … आ भी जाओ न अब मेरे अन्दर … आआह.’

मैंने उसके दोनों उभारों को दोनों हाथों में ठीक वैसे ही थामा, जैसे घुड़सवार घोड़े को लगाम थामता है.
आखिर मैं भी घुड़सवार ही था.

अपने लंड को मीता पनियायी चूत के दरवाजे पर लगाया और लंड को चूत के भीतर दाखिल करने एक करारा धक्का देने ही वाला था, तभी मीता के होंठों से एक गहरी आह फूटी. उसी के साथ चूत के बीचों-बीच से एक गाढ़ा और एकदम दूधिया सफेद कामरस छलक पड़ा जो लंड की अगवानी की सुगमता के लिए उसकी सखी ने छलकाया था.

मेरे लंड ने उस कामरस की बूंद को मानो सोख लिया था और अपनी सखी से मिलने गुफा में दाखिल हो गया.

‘आआह … आआह इस्स …’
हम दोनों के होंठों से आनन्द भरी कराह एक साथ फूट पड़ी.

मीता के उभारों को जोरों से मसलते हुए मेरा लंड मीता को चूत की गहराइयों में घुसता ही चला जा रहा था.

‘आआआह मेरे सनम आआआह आ जाओ और अन्दर.’
ये कहते हुए मीता ने जो एक बार जोर से कूल्हे ऊपर की ओर उछाले, तो मेरा पूरा लंड ही मीता की चूत की गहराई में जा समाया.
हम दोनों के बदन नीचे से पूर्णतः एकाकार हो गए.

लंड पूर्णतः चूत में समा चुका था. लंड से चूत, पेट से पेट, नाभि से नाभि, सीने से उभार, टांगों से टाँगें ये सब बुरी तरह गुत्थमगुत्था हो चले थे.

फिर मैंने थोड़ा लंड बाहर खींच कर एक गहरा शॉट अपनी मीता की चूत पर मारा.

‘आआह उफ़्फ़फ़ … आखिर आज मुझे चोद ही लिया मेरे सनम आपने … आपका लंड मेरी चूत में पनाह आखिर पा ही गया … आआआह रगड़ दो अब मुझे … चोद डालो मेरे सनम आआह इस्स.’

फिर तो खेल चल निकला, गोल पर गोल होने लगे.
मेरा लंड मेरी मीता की चूत को मथने लगा था.

उसकी चूत के किनारों से झाग निकल कर चादर पर फैलने लगा. लंड तेजी से चूत पर हमले कर रहा था.

मीता के उभार के चूचुक और बड़े हो वाले थे.
हम दोनों के ही शरीर मानो एक बराबर स्पीड में दौड़े जा रहे थे. कोई भी रुकने या हारने को तैयार नहीं था.

हम दोनों की ही सिसकारियां और बेड की बेतहाशा निकलती हुई आवाज पूरे कमरे के माहौल को एकदम गर्म किए दे रही थी.
मीता के कूल्हे लंड के बराबर ही गतिशील थे.

थाप पर थाप पड़ रही थी
हम दोनों के ही होंठों से मदभरी सिसकारियां निकलने लगी थी.

आनन्द की अधिकता हम दोनों की ही पलकें स्थायी रूप से उल्टी हो चली थी.
मादक उभार बुरी तरह मसले जा रहे थे.

लंड और चूत दोनों ही हार मानने को तैयार नहीं थे.
चुदाई का यह अंतिम पड़ाव सम्भोग से समाधि की ओर जाते दिख रहा था.

तभी एक तेज मदभरी हुंकार के साथ तेज सिसकारी भरते हुए मीता ने अपने कूल्हे एकदम ऊपर की ओर तान दिए.
उसकी बांहों ने मुझे कसकर जकड़ लिया और रह रहकर उसकी पतली कमर झटके खाने लगी.

टांगों की थिरकन बेतहाशा बढ़ गयी और उसके होंठों से तेज मदभरे अस्फुट शब्द निकलने लगे.

मीता अपने चरम पर पहुंच चुकी थी ‘आआह उफ़्फ़ इस्स आआह मेरी जान नीलू आआआह … आआह.’

मैंने भी मीता के उभारों को अपनी दोनों हथेलियों में थामा और उन्हें बेतहाशा मसलते हुए अपने लंड को तेजी से अपनी मीता की पनियायी चूत में अन्दर बाहर करने लगा.

‘आआह मेरी जान … तुम्हारा लंड तो और भी मोटा हो गया है मेरे अन्दर …’
मीता ने अस्फुट स्वरों में मुंदी हुई पलकों से कहा और तेजी से अपने कूल्हे मेरे लंड के बराबर की ही गति से ऊपर नीचे करने लगी.

मेरी भी आहों कराहों में बेतहाशा तेजी आ चुकी थी.
लंड और भी मोटा और कठोर होकर मीता की चूत की दीवारों को कसकर पकड़े हुए भीतर बाहर हो रहा था.

Ex GF सेक्सी चूत चुदाई में मेरा लावा उबलने को तैयार था.

फिर तभी हम दोनों के मुँह से एक साथ तेज ‘आआआह …’ निकली और हम दोनों ने ही एक साथ जोर लगाते हुए अपने चरम को पा लिया.

एक गहरे और लंबे शॉट के साथ ही मेरे लंड ने मीता की मखमली चूत में अपना काम रस निकलना शुरू कर दिया.
लगातार कई झटकों के साथ लंड ने मीता की चूत मेरे वीर्य से भर दी.

हम दोनों ही एक साथ स्खलित होकर निढाल हो गए.
मेरा सर मीता के मांसल स्तनों के बीच जा घुसा और मैं अपनी गहरी सांस को नियंत्रित करने लगा.

मीता भी मेरे बालों पर अपनी उंगलियां फेरती हुई मुझे जोरों से अपनी बांहों में कसती जा रही थी.

उसकी पलकें आनन्द की अधिकता से अब भी बंद थीं.
इस स्वर्गिक आनन्द ने हम दोनों को चेतना शून्य कर दिया था और शायद यही वह पल होते होंगे, जिन्हें सम्भोग से समाधि की अवस्था माना जाता है.

लंड अब भी चूत के भीतर ही फंसा हुआ था मानो अब भी अपनी सखी को न छोड़ना चाह रहा हो.

अगर यह Ex GF सेक्सी चूत चुदाई कहानी अच्छी लगी हो, तो आप मुझे मेल पर अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं.
आपके मेल के बाद ही मैं अपनी इस सेक्स कहानी का अगला भाग लिखूँगा.
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