बिजनेस के बहाने चुदाई का मजा- 6

(Have Sex with Other Man)

सनी वर्मा 2025-05-23 Comments

‘हैव सेक्स विथ अदर मैन’ स्पष्ट रूप से जब पति ने ऐसा बोल दिया तो पत्नी क्यों पीछे रहती, उसने भी आर्थिक लाभ के लिए पति के दोस्त के सामने कपड़े उतार दिए.

कहानी के पांचवें भाग
बीवी को गैर मर्द से सेक्स के लिए उकसाया
में आपने पढ़ा कि बिजनेस में आदमी ने अपने फायदे के लिए किसी गैर औरत को चोदा तो उसे लगा कि उसकी बीवी भी चूत देकर फायदा उठा सकती है.

अब आगे :

कोठी में सुलोचना ने मुस्कुराते हुए उसका स्वागत किया।
दीपक ने मजबूरी बताते हुए जल्दी जाने को कहा।

सुलोचना बोली, “कोई बात नहीं। तुम अभी चले जाओ, लौटकर आओ, तब आ जाना।”
दीपक ने सकुचाते हुए कहा, “वो एग्रीमेंट?”

सुलोचना ने हंसते हुए कहा, “वो तो मैंने सुबह ही तैयार कर दिया था।”

दीपक की सांस में सांस आई।
उसने सुलोचना को गले लगा लिया।

सुलोचना ने उसे होंठों पर चूमते हुए कहा, “मैं तुमसे प्यार करती हूँ! तुम्हारा सेक्स का अंदाज बिल्कुल अलग था।”
वो बोली, “हालांकि ये टेंडर किसी और को जा रहा था, पर मैंने पापा से कहकर तुम्हें फाइनल करवाया।”
कहकर सुलोचना फिर दीपक से लिपट गई।

दीपक ने महसूस किया कि उसने फ्रॉक के नीचे कुछ नहीं पहना था।
सुलोचना के जिस्म में एक कशिश थी।
दीपक भी उससे अछूता नहीं था।

जब दीपक अलग नहीं हुआ, तो सुलोचना ने हाथ नीचे करके उसकी जींस के ऊपर से लंड मसला और जिप खोलकर लंड बाहर निकाल लिया।
सुलोचना नीचे बैठ गई और उसे चूमने लगी।

उसे अंदाज था कि दीपक को जाने की टेंशन है।

वो खड़ी हुई और एक टांग दीपक की कमर पर लपेटते हुए उसका लंड अपनी चूत में ले लिया।
दीपक ने काम जल्दी निपटाने की सोच से उसे कुर्सी की मदद से घोड़ी बनाया और धकापेल शुरू कर दी।

सुलोचना ने फ्रॉक उतार फेंकी।
दीपक के हाथ में उसके मम्मे थे।

खैर, ये फटाफट सेक्स सेशन पूरा करके दीपक जाने को हुआ।
सुलोचना ने उसे एग्रीमेंट दे दिया।

दीपक ने देखा, उस पर सुलोचना के हस्ताक्षर नहीं थे।
उसने सुलोचना से पूछा, तो वो हंसते हुए बोली, “मैं सोचती थी तुम साइन करोगे, तो तुम्हारे साथ ही साइन कर दूँगी। पर अभी राकेश ने बताया कि साइन तो तुम्हारी बीवी करेगी, तो अब पहले वो साइन कर दे, फिर मेरे साइन होंगे।”

वो बोली, “निश्चिंत रहो, मैं कर दूँगी। पर हाँ, आज मजा नहीं आया। ये कसर घर से आकर निकाल देना!”
दीपक बस मुस्कुरा दिया।

सुलोचना बोली, “खुश होकर जाओ, क्योंकि एक और बहुत बड़ी खुशखबरी तुम्हारा इंतजार कर रही है!”

दीपक चौंका।
उसने पूछा, “क्या?”
सुलोचना बोली, “ऐसे तो नहीं बताऊँगी! पहले एक फ्रेंच किस दो!”

दीपक आगे बढ़ा और उसका चेहरा पकड़कर होंठ से होंठ मिला दिए।
सुलोचना ने उसके मुंह में जीभ घुसा दी।

लंबे फ्रेंच किस के बाद दोनों अलग हुए।
सुलोचना ने उसे बाहों में भरते हुए कहा, “पापा आज सुबह बता रहे थे कि एक नया प्रोजेक्ट आ रहा है, यहाँ से 200 किमी दूर। अगर तुम चाहो, तो मैं वहाँ की सप्लाई भी तुम्हें दिला सकती हूँ, पर उसमें मैं पार्टनर होऊँगी!”

दीपक ने खुश होकर उसे लिपटा लिया और चूम लिया।
इस बार उसके चुम्बन की गर्मी को सुलोचना ने महसूस किया।

दीपक एग्रीमेंट लेकर घर पर पिंकी को देता हुआ अपने घर के लिए निकल गया।

आज उसे पिंकी कुछ ज्यादा ही खूबसूरत और मेहनत से तैयार हुई नजर आ रही थी।
उसने पिंकी को चूमते हुए सुलोचना से नए काम की बात बताई और धीरे से कहा, “अमन मेरे लिए बहुत भाग्यशाली साबित हुआ है और मेरी बहुत मदद करेगा।”

वो बोला, “प्लीज, मेरी बात को गलत मत समझना, पर ये सच है कि अमन सिर्फ तुम्हारी वजह से मेरी मदद कर रहा है। तो बस उसे बांधे रखना!”
पिंकी का मूड बहुत बढ़िया था।

उसने मुस्कुराते हुए पूछा, “तो कह दूँ उससे आज रात को आने को?”

स्पष्ट रूप से ‘हैव सेक्स विथ अदर मैन’ कहते हुए दीपक हंसते हुए बोला, “मैंने तो मना नहीं किया! तू अपना मन बना ले, मुझे कोई दिक्कत नहीं है!”
सच तो ये था कि सुलोचना से सेक्स के बाद दीपक भी चाहता था कि पिंकी को भी चुदाई का मौका मिलना चाहिए।

दीपक के जाने के थोड़ी देर बाद अमन पिंकी को लेकर कंपनी के ऑफिस जाकर एग्रीमेंट साइन कर आया।
दोनों ने लौटते में दीपक को फोन करके बता दिया।

दीपक रास्ते में ही था।
पिंकी जल्दी घर जाना चाहती थी।

पर अमन उसे एक महंगे होटल में ले गया लंच कराने।
पिंकी ने बहुत कहा, “दीपक के आने पर रात को डिनर करेंगे।”
पर अमन बोला, “ब्रेकफास्ट न मैंने किया, न तुमने। अब मुझे तो लंच बाहर करना ही होगा!”

पिंकी बोली, “घर चलो, फटाफट बना दूँगी!”
पर अमन बोला, “जितना टाइम लंच बनाने में लगाओगी, उतनी देर मैं तुम्हारे साथ बैठ लूँगा। अभी लंच बाहर ही करते हैं!”
पिंकी बोली, “फिर दीपक को बता देते हैं।”

अमन ने प्यार से झिड़का, “तुम बच्ची नहीं हो, जो हर बात दीपक को बताओगी!”
पिंकी चुप रही।

अमन ने उसे लिपटाते हुए होटल में एंटर किया।
इतने महंगे होटल में पिंकी पहली बार आई थी।

पिंकी अपने को बहुत खुशकिस्मत मान रही थी।
वो अमन से चिपटकर लंच ले रही थी।

बार-बार वेटर्स और शेफ उसकी जी-हुजूरी कर रहे थे।

बिल पेमेंट के बाद अमन ने पिंकी के हाथ से पांच सौ रुपये टिप दिलवाए।

पिंकी का दिल बैठ गया।
दीपक ने तो कभी पांच रुपये भी टिप नहीं दिए थे।

पिंकी को अपने ऊपर गुमान सा हो गया।
उसे लगने लगा कि वो तो इसी के लायक है।

लंच के बाद दोनों हाथ में हाथ डाले बाहर निकले।

इतनी देर में अमन ने न जाने क्या जादू किया कि पिंकी के दिमाग से दीपक उतर चुका था।
घर पहुंचकर अमन नीचे से जाना चाहता था, तो पिंकी बोली, “चलो, ऊपर कॉफी पीकर जाना!”

तभी दीपक का फोन आ गया।
उसने पूछा, “कहाँ हो?” पिंकी बोली, “घर पर हूँ, और कहाँ होती!”

अमन ने उसे इशारे से मना किया कि उसके बारे में कुछ न कहे।
पिंकी मुस्कुरा दी।

दीपक ने पूछा, “तुम्हें अमन ने ही घर छोड़ा होगा?”
पिंकी ने कटाक्ष में कहा, “नहीं, उसने तो फ्लाइट बुक कर दी थी मेरे लिए!”
दीपक बोला, “ऐसे क्यों बोल रही हो?”
पिंकी बोली, “थोड़ी देर पहले ही नीचे से छोड़कर गया है। अभी मेरे सिर में दर्द हो रहा है। मैं फोन बंद करके सोने जा रही हूँ। उठकर फोन करूँगी!”
कहकर फोन काट दिया।

दोनों चहकते हुए घर में घुसे।
पिंकी बोली, “क्या पियोगे? कॉफी या चाय?”
अमन ने उसकी कमर का घेरा बनाते हुए कहा, “मन तो कुछ और पीने का है, अगर तुम पिलाओ तो!”
पिंकी चुप रही।

उसे अब होश आ रहा था कि अमन को बुलाकर उसने अपने को किस परेशानी में डाल लिया।
पर वो अपने दिल के आगे बेबस थी।
उसका दिल जोरों से धड़क रहा था।

अमन ने उसकी ठुड्डी ऊपर उठाई और बोला, “तुम बहुत खूबसूरत और दिल से साफ हो। घबराओ नहीं। जो तुम नहीं चाहती, वो कुछ नहीं होगा। तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो, बस इतनी सी बात है!”

पिंकी एक पल सोचती रही, फिर जोरों से अमन से लिपट गई।
दोनों के होंठ मिल गए। दोनों एक-दूसरे को ताबड़तोड़ चूमते रहे।

दो जिस्म एक हो जाने को बेताब थे।
अमन ने पिंकी को बाहों में उठा लिया और बेडरूम में ले चला।

पिंकी का दिल सुबह से उसके काबू में नहीं था।

बेडरूम महक रहा था। बेड शीट नई बिछी थी, मानो बेड को भी आशिकों के मिलन का इंतजार था।
अमन ने आहिस्ता से पिंकी को लिटाया और बगल में लेट गया।

पिंकी उसे अपलक देखती रही।
अमन ने कोमलता से उसके गाल सहलाए और आँखों पर चूम लिया।
फिर दोनों आपस में लिपट गए।
अमन ने पिंकी का टॉप उठाना चाहा, तो पिंकी ने उसका हाथ रोक दिया।

वो कसमसाते हुए बोली, “नहीं, अमन! अब तुम जाओ!”
अमन ने दोबारा उसे चूमते हुए पकड़ मजबूत की।

पिंकी तो उसके अंदर समाने को बेताब थी।

अबकी बार अमन ने उसका टॉप उतार ही दिया।
पर पिंकी उठ खड़ी हुई और रुआंसी होकर बोली, “अमन, मेरा दिल मेरे काबू में नहीं है। तुम भी मुझे बहुत अच्छे लगते हो। दीपक भी तैयार है। पर ये सब दीपक के सामने ही!”

अमन उठ खड़ा हुआ और धीरे से बोला, “दीपक के सामने मैं तुम्हें प्यार नहीं कर पाऊँगा। मैं चलता हूँ। और हाँ, इस बात से दीपक से किए व्यापार के वादे पर कोई फर्क नहीं आएगा। मेरा वादा है। पर मैं अब घर नहीं आया करूँगा।”

वो गेट तक पहुंचा ही था कि पीछे से पिंकी भागते हुए आई और उससे लिपट गई।
अमन ने समझाते हुए कहा, “शायद तुम सही हो। मेरा कोई हक नहीं है तुम पर। अब मुझे जाने दो।”

पिंकी ने उसे होंठों पर चूमते हुए बोली, “मुझ पर तुम्हारा दोस्ती का पूरा हक है। मेरा दिल भी तुम्हारे लिए तड़प रहा है। आओ, अब दो जिस्मों को एक हो जाने दो!”
‘हैव सेक्स विथ मी’ कहकर पिंकी अमन को बेड पर खींच ले गई।

बेड पर पहुंचकर पिंकी ने पहल की।
पहले अपने कपड़े उतारे, फिर अमन के सारे कपड़े उतार दिए।

दोनों एकदम नंगे हो गए।

पिंकी अमन से चिपट गई।
दोनों चादर के अंदर हो गए।

अमन पिंकी के गोरे जिस्म का दीवाना था; आज हुस्न के इस दीदार ने उसके होश उड़ा दिए।

वो उसके मांसल मम्मों को चूमते हुए उसकी चूत सहला रहा था।
पिंकी के हाथ में उसका तना हुआ लंड आ गया था।

पिंकी नीच हुई और उसका लंड मुंह में ले लिया, लपर-लपर चूसने लगी।

पिंकी के जिस्म की गर्मी से भभका सा उठ रहा था।
अमन को लग रहा था कि वो कहीं पिंकी के मुंह में ही न छूट जाए।

उसने पिंकी को रोका और 69 हो गया।
अपनी जीभ उसकी गुलाबी रेशमी चूत में डाल दी।

अब दोनों की जीभें कमाल कर रही थीं।
जल्दी कुछ थी नहीं।

पिंकी की जिस्मानी तैयारियां पूरी थीं।
उसका जिस्म महक रहा था।

अमन ने अब उसे अलग किया।
पिंकी कसमसाते हुए बोली, “अंदर आ जाओ! मैं तुम्हें अपने अंदर महसूस करना चाहती हूँ!”

अमन ने उसकी टांगें चौड़ाईं और धीरे से अपना लंड उसकी चूत के मुहाने पर रखा और सरका दिया अंदर।

कुछ जल्दबाजी में पूरा लंड घुस गया।
पिंकी की आह निकल गई।

एक तो लंड पराया, और दूसरा, अमन का लंड दीपक के मुकाबले मोटा था।
अब अमन ने पेलम-पेल शुरू कर दी।

पिंकी भी नीचे से उछल-उछलकर साथ दे रही थी। पिंकी की चुदास अमन से ज्यादा भड़की हुई थी।

अमन को शायद सुबह अंदाज नहीं था कि आज उसे पिंकी की चूत मिलेगी।
पर पिंकी को अंदाज था कि आज निश्चित रूप से अमन का लंड उसकी चुदाई करेगा।

पिंकी ने अपने को अमन से छुड़ाया और उसके ऊपर चढ़कर अपने हाथों से उसका लंड अपनी चूत में सेट किया।
फिर घुड़सवारी शुरू कर दी।

अमन नीचे से धक्के दे रहा था।
उसने उसके मम्मे लपक लिए और मसलने लगा।

पिंकी बदहवास-सी उछल रही थी।
उसके मुंह से लार निकल रही थी।
उसकी आँखें मतवाली हो गई थीं।
उसके नेल पेंट लगे नाखूनों से अमन की छाती पर कितनी धारियाँ बन गई थीं।

अब अमन का भी होने वाला था।
उसने झटके से पिंकी को नीचे पलटा और चोदते हुए कहा, “मेरा होने वाला है! कहाँ निकालूँ?”

पिंकी ने उसे कसकर भींच लिया और बोली, “एक-एक कतरा मेरे अंदर ही डाल दो!”
हांफते हुए अमन उसके ऊपर निढाल हो गया और बगल में लुढ़क गया।

अमन का दिल कह रहा था कि सेक्स का ऐसा मजा तो मिताषा से आज तक नहीं आया।

पिंकी बोली, “मेरा मन था कि एक बार तुम्हारी बाहों में आकर सेक्स करूँ। वो पूरा हो गया। हमारी दोस्ती कायम रहेगी, पर सेक्स अब और नहीं।”
वो बोली, “और हाँ, तुम दोनों व्यापार में मिलकर खूब बढ़ना!”

अमन बोला, “मैं व्यापार के लिए दीपक से नहीं जुड़ा। मुझे तो तुम्हें पाना था। वो मैंने पा लिया!”
थोड़ी देर बाद अमन चला गया।

कहानी पर अपनी राय मेल और कमेंट्स में बताते रहें.
धन्यवाद.
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कहानी का अगला भाग: बिजनेस के बहाने चुदाई का मजा- 7

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