मोहल्ले के लड़कों ने मेरी चुत गांड बजायी- 1

(Hot Lady Sexy Kahani)

हॉट लेडी सेक्स कहानी एक गर्म शादीशुदा महिला की है जिसका पति बाहर नौकरी करता था. वो हमेशा सेक्स की प्यासी रहती थी. एक बार मोहल्ले के कुछ लड़के चन्दा लेने आये.

दोस्तो, मेरा नाम स्वाति है. मेरी आयु तेईस वर्ष की है. मेरी शादी को अभी ढाई ही साल हुए है. मैं मां भी बन चुकी हूँ और मेरा सात महीने का एक बेटा है.

शादी के बाद मेरे बदन में बहुत विकास हुआ है, मेरा जिस्म एकदम सांचे में ढल गया है.
मेरा रंग गोरा, सुंदर चेहरा, पके आम से स्तन, केले के तने सी जांघें, बेदाग और काफी सेक्सी बदन है.

मेरे पति का नाम आशीष है, जो शहर से बाहर काम करते हैं.
हमारे घर से उनके शहर की दूरी चार घंटे की है.

मैं खुद भी एक प्राईवेट स्कूल में जॉब करती हूं. मेरी ड्यूटी सुबह नौ से तीन बजे तक की रहती है. बाकी समय मैं घर पर ही रहती हूं.
यहां मैं अपने सास ससुर के साथ रहती हूं.

मेरे पति का मार्केट रेपुटेशन ठीक नहीं है, वो अक्सर लोगों के पैसे लेकर उन्हें घुमाते रहते हैं इसलिए लोग उन्हें जल्दी पैसे नहीं देते हैं.
चूंकि मेरे पति ने कर्ज बहुत अधिक कर रखा था तो मेरी और उनकी तनख्वाह में से किसी तरह ही घर चल पाता था.

बच्चा होने के बाद भी मेरा बदन काफी आकर्षक है. जब मैं बाहर निकलती हूं, तो अक्सर लोग मुझे वासना भी नजरों से देखते हैं.
मोहल्ले के लड़के जो हरामी किस्म के हैं, अक्सर जब मैं उनके पास से गुजरती हूं, तो वो गंदे और अश्लील कमेंट्स पास करते हैं.
पर मैं जानती हूं कि इन लड़कों से उलझने से मुझे ही दिक्कत होगी.

मैं शादी होने के बाद से हर समय बहुत अधिक चुदासी रहने लगी हूँ.
ऐसा मेरे साथ क्यों हुआ, मुझे नहीं मालूम.

मेरे पति मेरे साथ नहीं रहते थे तो मेरी चुत में चींटियां सी रेंगती रहती थीं.
बस ऐसा लगता था कि कोई मुझे पीस कर रख दे.

मेरे मम्मों में दूध भी बहुत ज्यादा बनने लगा था. मेरा बेटा मेरे स्तनों से दूध बहुत कम ही पीता था, जिस वजह से मेरे स्तनों में दूध भरा रहता था और दर्द रहने लगा था.

हमारे घर के ठीक सामने एक मंच बना हुआ है, जिसे पूजन पण्डाल के नाम से जाना जाता है. उत्सवों के समय यहां कई कई दिनों तक उत्सव होता है.

हर साल की तरह इस साल भी उत्सव के आते ही मोहल्ले के लड़के चंदा मांगने आ गए.

मेरे पति इन लोगों को अक्सर दुत्कार कर भगा देते हैं पर उस समय पर मैं घर पर अकेली थी इसलिए मैंने उन लोगों को टालने के लिए बोल दिया कि बाद में दे दूंगी.

उस समय तो वो लोग चले गए, पर रोजाना दोनों समय आकर वो लोग चंदा देने की मांग करने लगे.

मुझे लगता था कि वो लोगों को तो मुझे पास से देखने का अच्छा मौका मिल गया था क्योंकि हमेशा दो तीन लोग ही आते.
एक मुझसे बात करता और बाकी के मेरे स्तनों को निहारते या गहराई को देखने की कोशिश करते.

आखिर उन्होंने मुझसे कह दिया- भाभी जी, अगर पैसे देने में इतनी प्रॉब्लम हो रही है, तो आप प्रसाद के लिए ही कुछ दे दीजिए.
मैंने धीरे से पूछा- प्रसाद में क्या देना होगा?

एक ने कहा- हम हर रोज खीर बनाते हैं. पांच लीटर दूध से रोज खीर बनती है. आप बस एक दिन पांच लीटर दूध रोज दे दीजिएगा.

उनकी ये बात मुझे अच्छी लगी और मुझे फिलहाल उन लोगों को टालना था.
मैं जानती थी कि मैं पांच लीटर दूध भी नहीं दे पाऊंगी.
फिर भी मैंने हामी भर दी.

उन लोगों का आना बंद हो गया और मैंने चैन की सांस ली.

दस दिन बाद उत्सव चालू हो गया और पहले ही दिन वो लोग आ धमके.

मैंने हिम्मत करके कह दिया कि मैं पांच लीटर दूध नहीं दे पाऊंगी.
यदि बिना पैसों के मैं कोई मदद दे सकती हूं, तो बताओ.

वो लोग कुछ नहीं बोले और वापस चले गए.

उत्सव के दो दिन हो गए और मेरे सास ससुर को अपनी बेटी के यहां जाना पड़ा.
असल में मेरी ननद की डिलिवरी का समय आ गया था इसलिए मेरे सास ससुर को एक हफ्ते के लिए जाना था.

मेरे बेटे की अभी कम उम्र थी, सो मैंने उनके साथ नहीं जाने का फैसला किया था.

उसी शाम को मेरे सास ससुर चले गए.

मेरी एक आदत है कि मैं अक्सर शाम को खाना खाने के बाद घर के बाहर अपनी सास के साथ टहलने निकल जाती हूं.
उस समय शाम को मैं रोजाना नाईटी पहने हुए रहती हूं.

चूंकि उत्सव चल रहा था इसलिए मैं थोड़ा रूक गई कि भीड़ छंट जाए, तब निकलूंगी.
भीड़ छंटते छंटते रात के साढ़े दस बज गए.

पूरा मोहल्ला सुनसान हो गया तब मैं बाहर निकली.

मैंने नाईटी पहनी हुई था और अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी.

वैसे भी टहलने के बाद मैं सीधे जाकर सो जाती हूं.

अपने बेटे को मैंने दूध पिला कर सुला दिया था. मेरा बच्चा एक बार सोने के बाद वो रात में उठता नहीं है.

मैंने बाहर का गेट अटका दिया और टहलने लगी.

अभी मुझे टहलते हुए दस ही मिनट हुए थे कि पांच लड़के पण्डाल से निकल कर अचानक सड़क पर मेरे सामने आकर खड़े हो गए.

उन पांच लड़कों को एक साथ देख कर मेरे तो पसीने छूट गए.
मुझे लगा कि ये फिर चंदा मांगेंगे

तभी एक ने कहा- भाभी आपने चंदा नहीं दिया तो क्या हुआ, आपको पूजा में तो आना चाहिए था.
मैं बगलें झांकने लगीं, मुझसे कुछ कहते ही नहीं बन रहा था.

दूसरे ने कहा- कोई बात नहीं, आप अभी भी पूजा कर सकती हैं.
मैंने कहा- अभी नहीं, मैं बाद में कर लूंगी. अभी काफी समय हो गया है.

उसने कहा- पूजा का भी कोई समय होता है क्या? जब चाहो कर लो. अब मना मत कीजिए भाभी जी, चलिए भी.

मैं अपनी किस्मत को कोसती पण्डाल की तरफ चल दी और वो पांचों मेरे पीछे पीछे आ गए.

मैंने अनमने ढंग से पूजा की और वापस आने को हुई. तभी एक ने मेरे लिए कुर्सी लगा दी और बैठने को कहा.

मैंने कहा कि मुझे जल्दी है.
उसने कहा कि बैठिए ना … प्रसाद के बारे में बात करना है.

मैं चुपचाप बैठ गई.

उसने कहा- भाभी आपने पांच लीटर दूध देने का वायदा किया था!
मैंने कहा कि मैं दूध और पैसे देने में असमर्थ हूं.

उसने कहा- पैसे देने को कौन बोल रहा है, दूध की बात हो रही है.
मैंने कहा- दूध भी तो आखिर खरीदना पड़ेगा.

उसने कहा- किसने कहा कि खरीद कर ही दिया जाता है?
मैं उसकी तरफ देखने लगी.

उसने आगे बहुत ही भद्दे अंदाज में कहा- आपका तो एक बच्चा है न … तो आपके स्तनों में तो दूध भरा होगा. आप वही दूध निचोड़ कर दे दीजिए, हम काम चला लेंगे.

उसकी बात सुनकर मेरा चेहरा लाल हो गया, पर मैं कुछ बोल नहीं पाई.

आसपास लोग होते तो एक बार पलट कर कुछ कह भी देती, पर मैं अकेली थी तो हिम्मत ही नहीं हो रही थी.

उसने आगे कहा- क्या सोच रही हैं आप? यही कि आपके स्तनों का दूध प्रसाद में प्रयोग हो सकता है या नहीं. हो सकता है भाभी जी, वैसे भी आपका दूध तो और अधिक पौष्टिक होगा.

मेरी अब भी कुछ बोलने की हिम्मत नहीं हो रही थी.

उसने अपनी धुन में आगे कहा- तो भाभी, चलिए हमें अपना दूध निकाल कर दे दीजिए.

मैंने कुछ कहा नहीं, पर सर झुका लिया.

उसने आगे कहा- लगता है भाभी, आप तो शर्मा रही हैं. दूध जरूरी है … आपसे तो होगा नहीं, लाओ मैं आपकी मदद कर देता हूं.

उसने इशारा किया तो एक लड़का आकर मेरी नाईटी के सामने के बटन खोलने लगा.

अचानक से इतना सब हुआ तो मैं हड़बड़ा गई. मैंने कहा- नहीं नहीं रहने दो, मैं कल ही पांच लीटर दूध दे दूंगी.

उसी लड़के ने आगे कहा- आप काहे पैसे खर्च करेंगी, आप निश्चिंत होकर बैठिए. हम इसी में काम चला लेंगे.

अब तक वो मेरे नाईटी के बटन खोल चुका था और मेरा एक स्तन उनके सामने खुल गया था.

एक लड़का एक कटोरा भी लेकर आ गया. उसने मेरे निप्पल के नीचे कटोरा लगाया और मेरे स्तन को दबाने लगा. मेरे स्तन से दूध कटोरे में गिरने लगा.

डर और शर्म से मेरी आंखें बंद हो गई थीं. लेकिन स्तनों से दूध निकलने में मुझे बड़ी राहत सी मिल रही थी.

मुझे अपने दूध निचुड़वाने में एक अलग ही आनन्द आ रहा था.
शायद मेरी चुदास उन लोगों को सहमति देने लगी थी.

वो लोग एक एक करके मेरे दोनों स्तनों को बारी बारी से निचोड़ रहे थे. लगभग पन्द्रह मिनट में उन लोगों ने मेरे दोनों स्तनों को पूरा निचोड़ लिया.

एक ने मेरा स्तन मसलते हुए कहा- भाभी, लगभग एक लीटर निकल आया है.
दूसरे ने कहा- अबे, आधा लीटर को एक लीटर बोल रहा है.

उसने कहा- मार्केट में भी तो आधा लीटर का दूध पानी मिलाकर एक लीटर मिलता है.

मुझे उन सबकी बातों को सुनकर न जाने क्यों बड़ा अच्छा लग रहा था मगर मैं कम बोलती हूँ, तो चुप रही और उनकी बातों का मजा लेती रही.

उन सबने मेरे गाढ़े दूध की तारीफ़ की.

फिर एक ने कहा- भाई लोग एक बहुत बड़ी समस्या है. भाभी जी के दूध में मलाई तो है ही नहीं.
दूसरे ने कहा- मलाई हमारे पास है, पर निकालना पड़ेगी. मलाई निकलवाने में भाभी से सहयोग ले लेते हैं.

इतना कह कर वो लोग मेरी नाईटी के बाकी के बटन भी खोलने लगे.

मेरी आंखें मस्ती में बंद थीं तो मुझे पता नहीं चला.

पता तब चला, जब उन लोगों ने मुझे उठाया और मेरी पैन्टी उतारने लगे.

मैंने झट से आंखें खोलीं और पूछा- ये क्या कर रहे हो?
एक ने अपने लंड की तरफ इशारा करके कहा- भाभी, यहां से मलाई निकालनी है, इसके लिए आपकी मदद चाहिए.

मैंने हंसकर झिड़कते हुए कहा- ये सब छोड़ो इधर कुछ नहीं करो … कोई देख लेगा.

उसने एक तरफ इशारा किया तो मैंने पलट कर देखा तो वहां एक लड़के को मोबाईल से रिकार्डिंग करते पाया.

उसने कहा- भाभी कोई देखे या न देखे, हम सबको बता सकते हैं कि भाभी ने दूध तो आराम से दुहवा लिया है और मलाई में शोर मचा रही हैं.

अब तो मुझे काटो तो खून नहीं, मुझसे कुछ बोलते ही नहीं बन रहा था.

मुझे चुप देख कर उन लोगों ने मेरे बदन से नाईटी निकाल दी और मेरे पैरों के पास से मेरी पैन्टी भी निकाल ली.
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं.

तभी दो लोग पण्डाल के अन्दर घुसे और वहां से दो गद्दे निकाल कर एक किनारे में बिछा दिए.

मैं देख सब रही थी, पर कुछ कह नहीं पा रही थी. इन लड़कों का क्या था, सब वैसे ही बदनाम थे … पर अगर वीडियो किसी को दिखा देते, तो मैं भी बदनाम हो जाती.
हालांकि मेरे अन्दर कहीं न कहीं उनके इस खेल को खेलने में मन होने लगा था.

फिर एक लड़के ने मुझे गद्दे पर धकेल दिया और मेरे कंधों को दबा कर मुझे गद्दे पर लिटा दिया.

सब अपने अपने कपड़े उतारने लगे और अपने लंड पर कंडोम चढ़ाने लगे.
एक मेरे पास आया और मेरी टांगें फैला कर मेरी टांगों के बीच में बैठ गया.

तभी दूसरे ने कहा- अरे, पहले कुछ फोरप्ले तो हो जाए?
उसने कहा- अबे हम यहां सेक्स नहीं कर रहे है, एक कार्य में भाभी से सहयोग ले रहे हैं. बस सब अपनी अपनी मलाई निकालो जल्दी से.

उसने सर हिलाया और पहले ने मेरी चुत पर अपना लंड लगाकर एक धक्के से उसे अन्दर डाल दिया.

सेक्स मेरे लिए नया नहीं था, उसका लंड लेते ही मुझे मजा आने लगा.
बिना किसी रिएक्शन के उससे मैं चुदती रही.

उसने तेज धक्के लगाने शुरू किए और वो लगातार बिना रूके मुझे चोदता रहा.
जब तक उसके लंड ने पानी नहीं छोड़ दिया, उसने मुझे हचक कर चोदा.

फिर एक लड़के ने मुझे एक गिलास दिया और कहा- कि भाभी जी इसे पी लीजिए, इससे आपमें नई ऊर्जा आ जाएगी.

मैंने गिलास पिया, तो वो वोडका थी. चूंकि मैं अपने पति के साथ वोडका लेती रही हूँ और अब तो मुझे वोडका पीने में मजा भी आने लगा था. मुझे बड़ा अच्छा लगा.

उसके उठते ही दूसरे ने मेरे चुत में अपना लंड घुसा दिया और धक्के लगाने लगा.
मुझे उससे चुदाई में मजा आने लगा.

इसी बीच मैंने उसी लड़के की तरफ देखा, जिसने मुझे वोडका का पैग दिया था.

वो खड़ा खड़ा सिगरेट फूंक रहा था. उसने मेरी तरफ देख कर उंगली से पैग का इशारा किया.
मैंने हंस कर हां कर दी.

वो नीट पैग बना लाया.
मैंने चुदते हुए ही वो पैग गटक लिया. नीट पैग होने से मुझे जरा तीखापन लगा.

उसने अपनी सिगरेट मेरी तरफ बढ़ा दी. मैंने दो सुट्टा खींचे और स्वाद ठीक कर लिया.

अब मुझे चुदने में और ज्यादा मजा आने लगा था.

लगभग दो घण्टे तक वे लोग मेरे चुत चोद कर उसका भोसड़ा बनाते रहे और आखिर में मुझे छोड़ कर उठ गए.

सब अपने अपने कपड़े पहनने लगे, तो मैंने भी उठ कर अपने कपड़े पहन लिए.

उनमें से एक ने कहा- भाभी काफी देर हो गई है, किसी शरीफ घर की औरत को इतनी रात तक घर से बाहर नहीं रहना चाहिए, कोई देखेगा तो क्या सोचेगा.

मैं बोझिल कदमों से चलती हुए घर की तरफ रवाना हुई. लगातार मेरी चुत की चुदाई होने की वजह से मुझे चलने में दिक्कत हो रही थी.
मगर मेरी चुत की आज मस्त चुदाई हुई थी, जिससे मुझे काफी अच्छा लग रहा था.

मैं घर पहुंची और बिस्तर पर लेटते ही सो गई.

अगले दिन काफी देर तक सोती रही, फिर उठी और नहा कर नाश्ता बना कर नाश्ता करने जैसे ही बैठी थी कि किसी ने दरवाजा खटखटा दिया.

मैंने दरवाजा खोला तो पाया कि कल रात में जो लड़के मेरे साथ थे, उनमें से एक आया हुआ था.

वो हाथ में एक कटोरा लिए हुए था. मैं तो उससे नजरें ही नहीं मिला पा रही थी.

उसने कहा- भाभी, आपके लिए प्रसाद लाया हूं.

वो जबरदस्ती अन्दर घुस आया और सोफा पर बैठ गया. वो एक कटोरे में खीर लाया था, उसने वो कटोरा मेरी तरफ बढ़ा दिया.

मैंने खीर का कटोरा ले लिया, तो उसने कहा- भाभी, खीर खाकर तो देखिए कि कैसी बनी है.

मैंने अनमने ढंग से एक चम्मच ली और खीर खाने लगी. खीर का स्वाद अच्छा था.

जब मैंने पूरी खीर खा ली, तो उसने मेरे हाथ से कटोरा ले लिया और मुझसे पूछा- खीर कैसी लगी भाभी?
मैंने कहा- बढ़िया थी.

उसने कहा- बढ़िया क्यों नहीं होगी, आप ही के दूध से बनी थी.

इतना कह कर वो हंसता हुआ बाहर निकल गया.

मुझे बड़ा अजीब लग रहा था कि मैंने अभी अभी अपने ही दूध से बनी हुई खीर खाई थी.

मैं सोचने लगी और न जाने क्यों मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आ गई.

फिर मैंने अपने बेटे को लिया और स्कूल चली गई.

शाम को चार बजे वापस घर पहुंची और खाना खाकर सो गई.
रात में आठ बजे उठी तो कुछ खाने का मन नहीं कर रहा था तो चाय बना कर बिस्कुट खाई और टीवी देखने लगी.

मैंने अपने बेटे को दूध पिलाया और वो बड़े आराम से सो गया.

मुझे टहलने जाने का मन तो था, पर मैं डर से बाहर नहीं निकल रही थी.

ठीक पौने ग्यारह बजे किसी ने घंटी बजाई.
मैं दरवाजे की तरफ देखने लगी.

दोस्तो, मेरी इस हॉट लेडी सेक्सी कहानी के अगले भाग में आगे की घटना लिखूँगी. आप सब मुझे मेल जरूर करें.
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हॉट लेडी सेक्सी कहानी का अगला भाग: मोहल्ले के लड़कों ने मेरी चुत गांड बजायी- 2

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